100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

51वाँ G7 शिखर सम्मेलन (2025)

Lokesh Pal June 20, 2025 12:47 209 0

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने G7 आउटरीच शिखर सम्मेलन में भाग लिया। 51वाँ G7 शिखर सम्मेलन कनाडा के कनानसकीस में आयोजित किया गया।

संबंधित तथ्य

  • भारत को G7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्रों में 12 बार भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
    • वर्ष 2003 (फ्राँस), वर्ष 2005 (यू.के.), वर्ष 2006 (रूस), वर्ष 2007 (जर्मनी), वर्ष 2008 (जापान), वर्ष 2009 (इटली) और वर्ष 2019 से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जा रहा है, जिसमें कनाडा में आयोजित वर्ष 2025 का शिखर सम्मेलन भी शामिल है।
  • कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के आधिकारिक निमंत्रण के बाद, वर्ष 2015 के बाद से यह प्रधानमंत्री मोदी की कनाडा की पहली यात्रा है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की।

भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय बैठक की मुख्य बिंदु

  • भारत-कनाडा संबंधों की पुनः पुष्टि: दोनों नेताओं ने साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता के महत्त्व पर जोर दिया।
  • राजनयिक संबंधों की पुनर्शुरुआत: भारत, कनाडा वर्ष 2023 के बाद पहली बार नए उच्चायुक्तों को नामित करने पर सहमत हुए।
  • व्यापार संबंध: व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) के उद्देश्य से प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (Early Progress Trade Agreement-EPTA) वार्ता को पुनः शुरू करने पर सहमति जताई गई।
  • स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देना: दोनों नेताओं ने स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देने में अपनी साझा रुचि की पुनः पुष्टि की।

प्रमुख परिणाम एवं पहल

  • कनानसकीस वाइल्डफायर चार्टर (Kananaskis Wildfire Charter): G7 देशों ने विनाशकारी वनाग्नि के प्रभावों को प्रबंधित करने के प्रयासों पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है।
    • भारत ने इस चार्टर का समर्थन किया।
  • G7 क्रिटिकल मिनरल्स एक्शन प्लान: G7 देश और उनके सहयोगी रक्षा प्रणालियों और उन्नत प्रौद्योगिकियों के लिए आवश्यक सामग्रियों का भंडारण एवं विकास करने के लिए एक ‘क्रिटिकल मिनरल्स उत्पादन गठबंधन’ बनाएँगे।
  • AI गवर्नेंस और उत्तरदायी प्रौद्योगिकी: समृद्धि बढ़ाने, समाजों को लाभ पहुँचाने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) हेतु मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की क्षमता को पहचानना।
    • G7, रोजगार विस्थापन और नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिए जिम्मेदार विकास पर जोर देता है।
  • प्रवासी तस्करी (Migrant Smuggling) को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए G7 गठबंधन: प्रवासी तस्करी को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करना।
    • प्रवासियों की तस्करी को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए वर्ष 2024 के G7 एक्शन प्लान के तहत।
  • अंतरराष्ट्रीय दमन (TNR) की निंदा: G7 प्रवासी समुदायों की रक्षा करने और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए कानूनी एवं कूटनीतिक उपायों के लिए प्रतिबद्ध है।
    • इसमें गोपनीय जानकारी साझा करना और TNR के विरुद्ध राष्ट्रीय कानूनों को मजबूत करना शामिल है।

51वें G7 शिखर सम्मेलन (2025) में प्रमुख भू-राजनीतिक चर्चाएँ

  • रूस-यूक्रेन युद्ध: दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष इस सम्मेलन का केंद्र बिंदु बना रहा, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेंलेंस्की ने मजबूत समर्थन का आग्रह करने के लिए अतिथि के रूप में भाग लिया। G7 नेताओं का उद्देश्य रूस पर आर्थिक रूप से दबाव डालना था ताकि वार्ता के लिए दबाव बनाया जा सकें।
    • अमेरिका के प्रतिरोध के कारण यूक्रेन पर कोई संयुक्त बयान नहीं दिया गया, जो G7 के आंतरिक विभाजन को दर्शाता है।
    • व्यक्तिगत प्रतिबद्धताएँ जैसे कि कनाडा द्वारा सहायता प्रदान करना और यू.के. द्वारा प्रतिबंध लागू करना तो की गईं, लेकिन सामूहिक कार्रवाई अवरुद्ध रही।
  • इजराइल-ईरान संघर्ष: ईरानी सैन्य एवं परमाणु स्थलों पर इजराइल के हवाई हमले, उसके बाद ईरान के जवाबी मिसाइल हमलों ने इस शिखर सम्मेलन को प्रभावित किया।
  • वैश्विक व्यापार और यू.एस. टैरिफ: व्यापक विज्ञप्ति से बचने के कनाडा के निर्णय के कारण व्यापार पर कोई औपचारिक G7 समझौता नहीं हुआ। द्विपक्षीय समझौते (जैसे- यू.के.- यू.एस.ए) आगे बढ़े, लेकिन व्यापक तनाव बना रहा।
  • भारत-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और चीन: दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की कार्रवाइयों पर चिंताओं के बीच, G7 सदस्यों ने एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
    • कोई नई पहल की घोषणा नहीं की गई, लेकिन मौजूदा प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की गई, जो चीन के वैश्विक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए G7 की व्यापक रणनीति के साथ संरेखित थी।

G7 आउटरीच सत्र (2025) में भारत के प्रधानमंत्री का संबोधन

  • आतंकवाद एवं वैश्विक सुरक्षा: आतंकवाद के विरुद्ध एक मजबूत वैश्विक प्रतिक्रिया का आह्वान किया गया।
    • आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का समर्थन किया और आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड अपनाने पर जोर दिया।
    • आतंकवाद के प्रति वैश्विक उदासीनता के बारे में महत्त्वपूर्ण सवाल उठाए गए:
      • क्या दुनिया तभी कार्रवाई करेगी जब वे आतंकवाद से प्रभावित होंगे?
      • आतंकवाद के अपराधियों और पीड़ितों की बराबरी कैसे की जा सकती है?
      • क्या वैश्विक संस्थाएँ आतंकवाद पर चुप रहेंगी?
  • ऊर्जा सुरक्षा: भविष्य की पीढ़ियों के लिए ऊर्जा सुरक्षा के महत्त्व पर जोर दिया गया।
    • उपलब्धता, पहुँच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता के आधार पर भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
    • भारत ने समय से पहले अपनी पेरिस जलवायु प्रतिबद्धताओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
  • ग्लोबल साउथ की चिंताएँ: वैश्विक निर्णयों में ‘ग्लोबल साउथ’ पर ध्यान दिए जाने और उसे प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • प्रौद्योगिकी, AI और ऊर्जा संबंध: दक्षता एवं नवाचार को बढ़ावा देने में AI की बढ़ती भूमिका पर ध्यान दिया गया, साथ ही इसकी ऊर्जा-गहन प्रकृति पर भी ध्यान दिया गया।
    • AI विकास के लिए सतत्, स्वच्छ ऊर्जा समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया।

ग्रुप ऑफ सेवन (G7) के बारे में

  • यह उन्नत औद्योगिक लोकतंत्रों का एक अनौपचारिक अंतर-सरकारी संगठन है, जो वैश्विक आर्थिक नीति, सुरक्षा मुद्दों और भू-राजनीतिक रणनीतियों के समन्वय हेतु प्रतिवर्ष बैठक करता है।

  • उत्पत्ति: G7 का गठन मूल रूप से वर्ष 1975 में G6 (फ्राँस, पश्चिम जर्मनी, इटली, जापान, यू. के. और यू. एस. ए) के रूप में वर्ष 1973 के तेल संकट और उसके बाद आई वैश्विक मंदी के जवाब में किया गया था।
    • कनाडा वर्ष 1976 में इसमें शामिल हुआ, जिससे यह G7 बन गया।
    • वर्ष 1998 में रूस के शामिल होने के बाद यह G8 के रूप में अस्तित्त्व में आया, लेकिन वर्ष 2014 में क्रीमिया पर अधिकार करने के बाद इसे निष्कासित कर दिया गया।
    • सभी G7 सदस्य G20 का भी हिस्सा हैं।
  • वर्तमान सदस्य (2025): संयुक्त राज्य अमेरिका; यूनाइटेड किंगडम; कनाडा; जर्मनी; फ्राँस; इटली; जापान।
  • G7 के लक्ष्य
    • वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् विकास को बढ़ावा देना।
    • वित्तीय संकटों और व्यापार विवादों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना।
    • जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य महामारी और खाद्य सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों को संबोधित करना।
    • लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना।
    • रणनीतिक गठबंधनों और नीतिगत सामान्य सहमति के माध्यम से उभरती शक्तियों का प्रतिकार करना।

  • G7 कैसे कार्य करता है?
    • अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच चक्रीय रूप से प्रदान की जाती है, जो शिखर सम्मेलन का आयोजन करते हैं और प्राथमिकताएँ निर्धारित करते हैं।
    • नेतृत्त्वकर्त्ता वार्षिक रूप से शिखर सम्मेलन में मिलते हैं, जबकि मंत्री एवं अधिकारी पूरे वर्ष नियमित रूप से मिलते हैं।
    • अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को कभी-कभी चर्चाओं में भाग लेने के लिए अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
    • G7 सर्वसम्मति से संचालित होता है और इसके पास बाध्यकारी कानूनी अधिकार नहीं है, लेकिन इसका प्रभाव महत्त्वपूर्ण है।

G7 का महत्त्व

  • वैश्विक आर्थिक नीति का समन्वय: G7 वैश्विक आर्थिक नीति को आकार देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है, इसके सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% हिस्सा हैं।
    • वर्ष 2024, G7 शिखर सम्मेलन में जब्त रूसी संपत्तियों के माध्यम से यूक्रेन को वित्तपोषित करने और रूस के युद्ध प्रयासों का समर्थन करने वाली चीनी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों पर समझौते हुए।
  • वैश्विक सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिरता: संघर्षों और भू-राजनीतिक तनावों, विशेष रूप से रूस, ईरान और अन्य शक्तियों से जुड़े तनावों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करके वैश्विक सुरक्षा बनाए रखने के लिए G7 महत्त्वपूर्ण है।
    • वर्ष 2025 शिखर सम्मेलन के दौरान, G7 ने इजराइल-ईरान संघर्ष में कमी लाने का आह्वान किया और ऊर्जा बाजारों के लिए संभावित खतरों को पहचानते हुए बाजार स्थिरता की रक्षा करने का संकल्प लिया।
  • तकनीकी नवाचार और भविष्य का विकास: G7 राष्ट्र विशेष रूप से AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और डिजिटल परिवर्तन में तकनीकी नवाचारों को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • वर्ष 2025 के G7 शिखर सम्मेलन में AI एवं क्वांटम नवाचारों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया, साथ ही इन प्रौद्योगिकियों को सुरक्षित और सतत् बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया गया।
  • जलवायु परिवर्तन औरसतत् विकास में नेतृत्व: G7 देश वैश्विक जलवायु कार्रवाई में सबसे आगे हैं, नीतियों एवं वित्तपोषण के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया को आकार दे रहे हैं।
    • वर्ष 2015 के G7 शिखर सम्मेलन में शुरू किए गए ‘ग्लोबल अपोलो कार्यक्रम’ का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर कोयले की विद्युत की तुलना में स्वच्छ विद्युत को सस्ता बनाना है, जो G7 देशों द्वारा सतत् ऊर्जा के प्रति एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य एवं महामारी की तैयारी: G7 वैश्विक स्वास्थ्य संकटों, जैसे महामारी, के प्रति प्रतिक्रियाओं के समन्वय और राष्ट्रों में समान स्वास्थ्य पहुँच सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • G7 की वैश्विक स्वास्थ्य पहल ने COVID-19 वैक्सीन वितरण को निधि प्रदान करने में मदद की और यह सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों को जारी रखा कि भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सामना एकीकृत, वैश्विक प्रतिक्रिया से किया जाए।
  • कूटनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय संबंध: G7 का कूटनीतिक प्रभाव अत्यधिक है, यह वैश्विक शासन ढाँचे को आकार देता है और वैश्विक चुनौतियों पर बहुपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
    • G7 ने वैश्विक नीति चर्चाओं में विविध दृष्टिकोणों को शामिल करने के महत्त्व को पहचानते हुए भारत जैसी उभरती शक्तियों को शामिल करने के लिए अपने दायरे का विस्तार किया है।

G7 के लिए चुनौतियाँ और आलोचना

  • उभरती अर्थव्यवस्थाओं का बहिष्कार: G7 की विशिष्टता वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने में इसकी प्रतिनिधित्व क्षमता को सीमित करती है।
    • G7 में चीन, भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल नहीं हैं, जो अब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • वैश्विक संघर्षों को संबोधित करने में अप्रभावीता: G7 ने इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन मुद्दों जैसे चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों को हल करने के लिए संघर्ष किया है।
    • वर्ष 2025 का शिखर सम्मेलन अमेरिका के प्रतिरोध के कारण यूक्रेन पर एक संयुक्त बयान जारी नहीं कर सका, जिससे आंतरिक विभाजन उजागर हुआ।
    • इजरायल-ईरान संघर्ष पर G7 की प्रतिक्रिया की स्पष्ट कार्रवाई की कमी के लिए आलोचना की गई।
  • वैश्विक व्यापार मुद्दों पर असहमति: व्यापार नीतियों पर असहमति वैश्विक आर्थिक रणनीतियों को समन्वित करने की G7 की क्षमता को कमजोर करती है।
    • G7 सदस्यों पर ट्रंप के टैरिफ ने व्यापार तनाव को बढ़ा दिया है, जिसमें अमेरिका संरक्षणवादी उपायों पर जोर दे रहा है जबकि अन्य बहुपक्षीय सहयोग का पक्ष ले रहे हैं।
  • वैश्विक आर्थिक शासन पर घटता प्रभाव: वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में G7 की हिस्सेदारी घटी है, जिससे आर्थिक नीतियों को आकार देने में इसकी शक्ति कम हुई है।
    • G7 अब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% नियंत्रित करता है, जो 1980 के दशक में 70% था।
  • जलवायु परिवर्तन पर प्रभावी कार्रवाई का अभाव: G7 को जलवायु परिवर्तन पर मजबूत कार्रवाई नहीं करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
    • वाइल्डफायर चार्टर में जलवायु परिवर्तन का उल्लेख न करना G7 की जलवायु संकट का सीधे सामना करने की अनिच्छा को दर्शाता है।
  • आंतरिक विभाजन और नेतृत्व अंतराल: G7 को बढ़ते आंतरिक विभाजन का सामना करना पड़ रहा है, जो इसकी प्रभावशीलता और एकता को कमजोर करता है।
    • वर्ष 2025 में G7 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध और इजराइल-ईरान संघर्ष पर विभाजन देखा गया, जिसमें अमेरिका ने अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाया, जिससे समूह की सुसंगतता कमजोर हुई।

G-7 के लिए भारत क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • आर्थिक शक्ति और विकास: भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वैश्विक विकास का एक प्रमुख चालक है।
    • भारत की GDP में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता में योगदान देगा।
  • अधिक जनसंख्या एवं उपभोक्ता बाजार: भारत के 1.4 बिलियन लोग इसे वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली उपभोक्ता बाजारों में से एक बनाते हैं।
  • ‘ग्लोबल साउथ’ के मुद्दे: भारत विकासशील देशों के हितों का समर्थन करते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ का प्रतिनिधित्व करता है।
    • वर्ष 2025 के G7 शिखर सम्मेलन में, भारत ने इस बात पर जोर दिया कि ‘ग्लोबल साउथ’ भू-राजनीतिक संकटों, आर्थिक अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रहा है।
  • वैश्विक सुरक्षा में रणनीतिक स्थिति: भारत विशेषतः इंडो-पैसिफिक में वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है,।
    • क्वाड (अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ) के सदस्य के रूप में, भारत इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • तकनीकी और डिजिटल नेतृत्व: भारत प्रौद्योगिकी और डिजिटल नवाचार में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता है।
    • भारत में AI टैलेंट पूल तेजी से बढ़ रहा है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग, AI और ऊर्जा दक्षता जैसे क्षेत्रों में नवाचारों को आगे बढ़ा रहा है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु नेतृत्व: भारत जलवायु कार्रवाई और नवीकरणीय ऊर्जा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का एक प्रमुख प्रस्तावक है और उसने अपने पेरिस जलवायु लक्ष्यों को समय से पहले पूरा कर लिया है।
    • अक्टूबर 2024 तक, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता इसकी कुल स्थापित क्षमता का 46.3% है, जो सतत् ऊर्जा में इसके नेतृत्व को दर्शाता है।

भारत के लिए G7 का महत्त्व

  • आर्थिक सुधारों के लिए वैश्विक मंचों का लाभ उठाना: G7 भारत को आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने और वैश्विक नीतिगत ढाँचे के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • बहुपक्षीय प्रभाव और साझेदारी का विस्तार: G7 भारत के लिए BRICS और G20 जैसे पारंपरिक समूहों के बाहर बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
    • G7 सदस्यों के साथ भारत का जुड़ाव सामाजिक-आर्थिक मुद्दों और भू-राजनीतिक चुनौतियों पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • व्यापार नीति में रणनीतिक आर्थिक हितों को सुरक्षित करना: G7 भारत को अपने व्यापार हितों को सुरक्षित करने और वैश्विक बाजार तक अपनी पहुँच का विस्तार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों एवं महामारी की तैयारियों को आकार देना: G7 भारत को वैश्विक स्वास्थ्य और महामारी की तैयारियों पर सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है, ऐसे क्षेत्र, जहाँ इसने नेतृत्व का प्रदर्शन किया है।
    • वैश्विक स्वास्थ्य अवसंरचना और वैक्सीन इक्विटी पर G7 चर्चाएँ दवाओं और महामारी की तैयारियों तक पहुँच सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका के साथ संरेखित होती हैं।
  • भारत की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने में G7 की भूमिका: G7 मंच भारत को वैश्विक सुरक्षा चिंताओं को दूर करने और आतंकवाद एवं साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की अनुमति देता है।
    • भारत को अपनी आतंकवाद विरोधी रणनीतियों को G7 देशों के साथ जोड़कर और साइबर सुरक्षा पर वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को मजबूत करके लाभ होता है।
  • सुरक्षा और भू-राजनीतिक सहयोग: G7 भारत को वैश्विक सुरक्षा मुद्दों, जैसे कि इंडो-पैसिफिक, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर सहयोग करने का अवसर प्रदान करता है।
    • G7 का स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए समर्थन चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में भारत के हितों के अनुरूप है।

G-7 देशों के साथ भारत की भागीदारी में चुनौतियाँ

  • वैश्विक मुद्दों पर हितों का टकराव: जलवायु परिवर्तन और व्यापार नीति जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत के हित प्रायः G7 देशों के हितों से टकराते हैं।
    • भारत का ऊर्जा सुरक्षा और सतत् विकास पर जोर कभी-कभी G7 देशों के अधिक कठोर पर्यावरणीय नियमों के आह्वान से टकराता है।
  • पश्चिमी सहयोगियों के साथ भू-राजनीतिक मतभेद: भारत की रणनीतिक स्वायत्तता प्रायः इसे G7 के साथ, विशेष रूप से रूस और चीन से जुड़े मुद्दों पर अमेरिका और यूरोप के साथ मतभेद उत्पन्न करती है।
    • रूस के साथ भारत के निरंतर रक्षा और ऊर्जा संबंधों (जैसे- S400 मिसाइलों की खरीद) ने पश्चिमी सहयोगियों के साथ तनाव को जन्म दिया है जो रूस को अलग-थलग करने के पक्ष में हैं।
  • व्यापार और आर्थिक नीतियों पर दबाव: भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को व्यापार उदारीकरण और बाजार पहुँच पर G7 देशों से दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो इसकी घरेलू नीतियों के साथ टकराव कर सकता है।
    • भारत को प्रायः कृषि, फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अधिक बाजार पहुँच के आह्वान का सामना करना पड़ता है, जो घरेलू उद्योगों और श्रम नीतियों को खतरे में डाल सकता है।
  • सुरक्षा मुद्दों पर एकजुट होने का दबाव: वैश्विक आतंकवाद और आतंकवाद-निरोध जैसे मुद्दों पर G7 का ध्यान केंद्रित करने के लिए कभी-कभी भारत को पश्चिमी-केंद्रित दृष्टिकोणों के साथ जुड़ना पड़ता है, जो भारत की विशिष्ट सुरक्षा चिंताओं को संबोधित नहीं करते हैं।
    • G7 देश पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद या आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों जैसे मुद्दों के साथ भारत की चिंताओं को पूरी तरह से प्राथमिकता नहीं देते हैं।
  • पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ घरेलू प्रतिक्रिया: G7 के साथ अधिक जुड़ाव के लिए भारत में घरेलू राजनीतिक प्रतिरोध गहरे संबंधों को सीमित कर सकता है।
    • खालिस्तानी मुद्दे और विदेशी हस्तक्षेप से संबंधित अन्य घरेलू चिंताओं ने G7 देशों, विशेष रूप से कनाडा और यू.के. की आलोचना की है, जिससे भारत की गहराई से जुड़ने की इच्छा प्रभावित हुई है।

G7 के साथ भारत की आगे की राह

  • बहुपक्षीय जुड़ाव को मजबूत करना: भारत को G7 के साथ जुड़ना जारी रखना चाहिए, साथ ही BRICS, G20 और क्वाड जैसे अन्य बहुपक्षीय समूहों के साथ संबंधों को भी मजबूत करना चाहिए।
    • यह वैश्विक हितों को संतुलित करने और प्रमुख चुनौतियों का समाधान करते हुए भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा करने में मदद करेगा।
  • ‘ग्लोबल साउथ’ मुद्दों का समर्थन: भारत को जलवायु कार्रवाई, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक समानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए G7 में ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को आगे बढ़ाना चाहिए।
    • भारत एक अधिक समावेशी वैश्विक नीति ढाँचे के लिए जोर दे सकता है जो यह सुनिश्चित करता है कि विकासशील देशों को दरकिनार न किया जाए।
  • आर्थिक सहयोग बढ़ाना: भारत को डिजिटल व्यापार, महत्त्वपूर्ण खनिजों और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में G7 सदस्यों के साथ आर्थिक साझेदारी को गहरा करना चाहिए।
    • भारत को उन्नत तकनीकों तक पहुँच सुनिश्चित करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने में मदद करना।
  • सतत् विकास पर ध्यान देंना: भारत को जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और सतत् कृषि पर G7 के साथ कार्य करना चाहिए।
    • भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण के लक्ष्यों के साथ संरेखित करना और जलवायु कार्रवाई में भारत को अग्रणी के रूप में स्थापित करना।
  • सुरक्षा सहयोग को मजबूत: भारत को आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर G7 देशों के साथ संरेखित करना चाहिए।
    • इससे भारत की वैश्विक सुरक्षा स्थिति मजबूत होगी और साथ ही हिंद-प्रशांत एवं उससे आगे के क्षेत्रों में उसके हितों की रक्षा होगी।
  • तकनीकी और डिजिटल संप्रभुता सुनिश्चित करना: भारत को डेटा संप्रभुता और तकनीकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हुए AI, क्वांटम तकनीक और साइबर सुरक्षा में साझेदारी विकसित करनी चाहिए।
    • इससे महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए G-7 देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी और घरेलू नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

निष्कर्ष 

G-7 शिखर सम्मेलन भारत के लिए कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने, ‘ग्लोबल साउथ’ मुद्दों की वकालत करने और वैश्विक आर्थिक, सुरक्षा एवं तकनीकी नीतियों को आकार देने के लिए एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है। हालाँकि, भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए भू-राजनीतिक विचलन और आर्थिक दबाव जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.