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जेंडर बजटिंग: उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ

Lokesh Pal June 25, 2025 03:17 13 0

संदर्भ 

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) द्वारा जेंडर बजटिंग पर पहली बार राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया गया इसके साथ ही मंत्रालय ने ‘जेंडर बजटिंग नॉलेज हब’ पोर्टल भी लॉन्च किया।

जेंडर बजटिंग नॉलेज हब

  • जेंडर बजटिंग प्रक्रियाओं से संबंधित सभी जानकारी के लिए एक वेब-आधारित डिजिटल भंडार है।
  • उद्देश्य
    • इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों/विभागों तथा अन्य हितधारकों को सहायता प्रदान करना है।
    • केंद्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर सार्वजनिक नीति एवं बजट में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत करने में सहायता करने के लिए एक केंद्रीकृत ज्ञान मंच के रूप में कार्य करता है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • नीतिगत संक्षिप्त विवरण, सर्वोत्तम अभ्यास और केस स्टडी।
  • लैंगिक रूप से विभाजित डेटा।
  • क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण सामग्री और उपकरण।

जेंडर बजटिंग की समझ: वैश्विक और भारतीय दृष्टिकोण

  • OECD परिभाषा: जेंडर बजटिंग एक ऐसा नीतिगत उपकरण है जिसका उपयोग सरकारें लैंगिक असमानताओं को दूर करने हेतु करती हैं, जिसके अंतर्गत बजटीय प्रक्रियाओं में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत किया जाता है।
  • कार्यक्षमता एवं तर्क
    • मुख्यधारा संबंधी उपकरण: जेंडर बजटिंग, लैंगिक मुख्यधारा की दिशा में एक प्रमुख उपकरण है, जो पूरी नीति प्रक्रिया में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत करता है, और बजट को एक प्रभावी प्रवेश बिंदु (Entry Point) के रूप में उपयोग करता है।
    • समानता एवं दक्षता: लैंगिक असमानताओं को संबोधित करने के लिए संसाधनों का आवंटन सुनिश्चित करके समानता को बढ़ावा देता है और आर्थिक दक्षता को बढ़ाता है।
    • महिला-विशिष्ट बजटिंग: बजट में महिलाओं और लड़कियों को सीधे लक्षित करके आवंटन का अनुमान लगाया जाता है।

भारत में जेंडर बजटिंग

  • वर्ष 2005-06 में शुरू की गई भारत में जेंडर बजटिंग की शुरुआत एक राजकोषीय सूचना तंत्र के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लैंगिक संवेदनशील शासन उपकरण के रूप में विकसित हो गई है।
  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी बजट और नीतियाँ सभी जेंडरों, विशेषकर महिलाओं की आवश्यकताओं और हितों को समुचित रूप से प्रतिबिंबित करें।

भारत में जेंडर बजट के घटक

  • भाग A: महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं को दर्शाता (महिलाओं के लिए 100% आवंटन) है।
  • भाग B: महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं को दर्शाता (बजट का कम-से-कम 30% महिलाओं को आवंटित किया जाता है)  है।

जेंडर बजट 2025-26 से प्राप्त मुख्य आँकड़े

  • कुल जेंडर बजट आवंटन: पिछले 11 वर्षों में जेंडर बजट आवंटन में साढ़े चार गुना वृद्धि हुई है जो वर्ष 2014-15 में 0.98 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2025-26 में 4.49 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

जेंडर बजटिंग में वैश्विक उदाहरण

  • ऑस्ट्रेलिया (1984): महिलाओं पर राष्ट्रीय बजट के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए पहली बार जेंडर बजटिंग की शुरुआत की गई।
  • संयुक्त राष्ट्र (1995): बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन ने सरकारी बजट में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत करने का आह्वान किया।
  • सतत् विकास लक्ष्य (2015): SDG5 ने लैंगिक-संबंधी बजट आवंटन की निगरानी करने के लिए पर्याप्त संसाधनों और उपकरणों का आह्वान किया।
  • G20 (2020): G20 देशों ने वर्ष 2020 में COVID-19 के पश्चात आर्थिक पुनर्स्थापन के संदर्भ में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने हेतु राजकोषीय नीतियों में जेंडर बजटिंग में निवेश पर विशेष जोर दिया।

जेंडर बजटिंग के प्रमुख उदाहरण

  • PMAY रिपोर्टिंग: प्रधानमंत्री आवास योजना अब पूरी तरह से भाग A के अंतर्गत है, जो अधिक समावेशी लैंगिक रिपोर्टिंग की ओर बदलाव को दर्शाता है।
  • क्षेत्रीय योगदान: केंद्रीय गृह मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालयों से उल्लेखनीय वृद्धि।
  • मंत्रालयों/विभागों में जेंडर बजटिंग प्रकोष्ठ (GBC) जैसे संस्थागत तंत्र।
  • बजट प्रक्रिया में लैंगिक-विभाजित डेटा, लैंगिक ऑडिट और प्रभाव मूल्यांकन का एकीकरण।

जेंडर बजटिंग का महत्त्व

  • सूचित नीति विकल्प: नीति निर्माताओं को उनके निर्णयों के लैंगिक निहितार्थों को समझने में मदद करता है।
  • संसाधनों का बेहतर उपयोग: जेंडर बजटिंग सार्वजनिक निधियों के उपयोग को अनुकूलित करता है, लैंगिक अंतराल को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करता है।
    • साक्ष्य-आधारित योजना बनाने और सभी क्षेत्रों में लैंगिक संबंधी चिंताओं को मुख्यधारा में लाने की सुविधा प्रदान करता है,
  • सामाजिक दृष्टिकोण पर प्रभाव: सामाजिक व्यवहार और धारणाओं को प्रभावित करके लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करता है।
  • पारदर्शिता एवं जवाबदेही: यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं के लिए आवंटित धन को अपेक्षित रूप से खर्च किया जाए, जिससे जवाबदेही में सुधार हो।
  • सतत् और समावेशी विकास: SDG 5 (लैंगिक समानता) और SDG 10 (असमानताओं में कमी) का समर्थन करता है।

जेंडर बजटिंग में चुनौतियाँ

  • तकनीकी और कार्यान्वयन संबंधी मुद्दे
    • विशेषज्ञता की कमी: चुनौतियों में जेंडर बजटिंग का प्रबंधन करने वाले कर्मियों के बीच अपर्याप्त मार्गदर्शन और समन्वय शामिल है।
    • असंगत कार्यान्वयन: जेंडर बजटिंग का सभी क्षेत्रों या योजनाओं में समान रूप से अभ्यास नहीं किया जाता है।
  • डेटा संबंधी समस्याएँ
    • लैंगिक-विभाजित आँकड़ों का अभाव: आँकड़ों का अभाव जेंडर बजटिंग नीतियों और पहलों की प्रभावशीलता को सीमित करता है।
  • विसंगतियों की रिपोर्टिंग
    • अति-रिपोर्टिंग: पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम (PM Employment Generation Programme- PMEGP) जैसी कुछ योजनाओं में महिलाओं को बिना किसी पर्याप्त औचित्य के अनुपातहीन रूप से उच्च आवंटन की रिपोर्ट की जाती है।
  • कम रिपोर्टिंग: मनरेगा जैसी योजनाएँ महिलाओं पर अपने प्रभाव को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं करती हैं, इनके बजट का केवल एक हिस्सा ही जेंडर बजट विवरण में आवंटित किया जाता है।

भारत में जेंडर बजटिंग के संबंध में आगे की राह

  • आवंटन के लिए स्पष्टीकरण शामिल करना: जेंडर बजट स्टेटमेंट (GBS) में प्रविष्टियों के लिए विस्तृत स्पष्टीकरण जोड़ने से बेहतर पारदर्शिता एवं सटीकता सुनिश्चित होगी।
  • जेंडर बजटिंग अधिनियम: नीति आयोग, मंत्रालयों और राज्यों में जेंडर बजटिंग को संस्थागत बनाने के लिए एक कानूनी ढाँचे का सुझाव देता है।
  • बेहतर डेटा संग्रह: लैंगिक रूप से उत्तरदायी नीति निर्माण और उसके प्रभाव की निगरानी हेतु बेहतर जेंडर-विभाजित डेटा संग्रह तंत्र का विकास आवश्यक है, जिससे नीति-निर्माताओं को सटीक और समावेशी निर्णय लेने में सहायता मिल सके।
  • राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करना: नीति आयोग राज्य सरकारों को महिला कल्याण और विकास कार्यक्रमों के लिए आवंटन बढ़ाने की सिफारिश करता है।
  • निगरानी एवं मूल्यांकन: यह सुनिश्चित करने के लिए बेहतर निगरानी तंत्र लागू करना कि लैंगिक अंतराल को कम करने के लिए धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।

निष्कर्ष 

जेंडर बजटिंग, राजकोषीय नीतियों के माध्यम से लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए एक परिवर्तनकारी उपकरण है। जेंडर बजटिंग आवंटन को बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता लैंगिक असमानताओं को संबोधित करने के महत्त्व की बढ़ती मान्यता को दर्शाती है।

  • डेटा अंतराल, तकनीकी मुद्दों और असंगत कार्यान्वयन जैसी चुनौतियों पर नियंत्रण स्थापित कर, जेंडर बजट पूरे देश में महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और सशक्तिकरण प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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