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एशिया में जलवायु की स्थिति 2024 रिपोर्ट

Lokesh Pal June 25, 2025 03:46 13 0

संदर्भ

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ‘एशिया में जलवायु की स्थिति, 2024 रिपोर्ट’ के अनुसार, वर्ष 2024 एशिया का अब तक का सबसे गर्म वर्ष था, जिसमें व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेब प्रभाव में रहीं।

‘एशिया में जलवायु की स्थिति रिपोर्ट’ के बारे में

  • इसमें सतह के तापमान, ग्लेशियर द्रव्यमान और समुद्र स्तर जैसे प्रमुख जलवायु संकेतकों में परिवर्तन पर प्रकाश डाला गया है, जिसका क्षेत्र के समाज, अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी प्रणालियों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। 

एशिया में जलवायु की स्थिति रिपोर्ट के बारे में

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • उद्देश्य: संपूर्ण एशिया में जलवायु स्थितियों और प्रवृत्तियों की वर्तमान स्थिति का आकलन और प्रस्तुत करना।
  • दायरा: इसमें तापमान पैटर्न, वर्षा के स्तर, चरम मौसम की घटनाओं और पारिस्थितिकी तंत्र, कृषि और मानव आबादी पर उनके प्रभावों जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO)

  • स्थापना: विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO), जिसकी स्थापना वर्ष 1873 में हुई थी, के स्थान पर की गई थी।
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विटजरलैंड।
  • स्थिति: संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी।
  • फोकस: मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान और संबंधित क्षेत्र।

महत्त्वपूर्ण कार्य

  • अंतरराष्ट्रीय समन्वय: मौसम, जलवायु और जल विज्ञान में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • मानकीकरण: मौसम विज्ञान और जल विज्ञान संबंधी डेटा और प्रथाओं के लिए वैश्विक मानक निर्धारित करता है।
  • अवलोकन प्रणाली: डेटा संग्रह के लिए ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच (GAW) और वर्ल्ड क्लाइमेट रिसर्च प्रोग्राम (WCRP) जैसी प्रणालियों का प्रबंधन करता है।
  • पूर्वानुमान एवं चेतावनियाँ: चरम घटनाओं (जैसे- बाढ़, चक्रवात) के लिए मौसम पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को स्थापित करता है।
  • जलवायु निगरानी: वैज्ञानिक और नीतिगत प्रतिक्रियाओं का समर्थन करने के लिए जलवायु परिवर्तन और परिवर्तनशीलता की निगरानी करता है।

शासन संरचना

  • विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस (WMC): सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था; नीतियाँ निर्धारित करने और नेतृत्व चुनने के लिए प्रत्येक 4 वर्ष में बैठक होती है।
  • कार्यकारी परिषद: कांग्रेस सत्रों के बीच नीति कार्यान्वयन की देखरेख करती है; इसमें विभिन्न क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
  • सचिवालय: महासचिव और 200 कर्मचारियों की एक टीम के नेतृत्व में दैनिक कार्यों का प्रबंधन करता है।
  • क्षेत्रीय संघ (6): क्षेत्रीय मौसम और जलवायु संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए भौगोलिक आधार पर देशों को समूहीकृत करता है।

मुख्य निष्कर्ष

एशिया संबंधी प्रवृत्ति

  • एशिया वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है, जिसके कारण भीषण गर्मी, चक्रवाती गतिविधि और असामान्य वर्षा पैटर्न देखने को मिल रहे हैं।
  • वर्ष 2024 में एशिया का औसत तापमान वर्ष 1991-2020 के औसत से 1.04 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो इसे रिकॉर्ड पर सबसे गर्म या दूसरा सबसे गर्म वर्ष बनाता है।
  • पूर्वी एशिया में अप्रैल से नवंबर तक गर्मी का प्रकोप रहा है।
  • जापान ने अपने यहाँ सबसे गर्म गर्मियों का रिकॉर्ड दर्ज किया, जहाँ राष्ट्रीय औसत तापमान सामान्य से 1.76 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
  • कोरिया, चीन और रूस ने भी कई मासिक तापमान रिकॉर्ड का अनुभव किया।

भारत-विशिष्ट मुख्य अंश

  • उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुँच गया, जिससे व्यापक हीटवेब की स्थिति उत्पन्न हुई।
  • वर्ष 2024 का जून से सितंबर तक का दक्षिण-पश्चिम मानसून कुल मिलाकर सामान्य रहा, जो दीर्घकालिक औसत (1971–2020) का 108% रिकॉर्ड किया गया।
    • हालाँकि, केरल के वायनाड में भारी वर्षा के कारण भूस्खलन हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 350 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
  • भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के दौरान वर्षा सामान्य से अधिक रही, तथा दक्षिण एशिया में इसकी तीव्रता बढ़ गई।

समुद्री सतह तापमान (Sea Surface Temperature-SST) और समुद्र स्तर में वृद्धि

  • एशिया क्षेत्र में समुद्री सतह तापमान (SST) अब तक दर्ज किए गए सर्वाधिक स्तर पर पहुँच गया।
  • एशिया में SST वार्मिंग दर: 0.24 डिग्री सेल्सियस/दशक, वैश्विक औसत 0.13 डिग्री सेल्सियस/दशक से लगभग दोगुना।
  • प्रशांत और हिंद महासागर के तटों पर समुद्र का स्तर वैश्विक औसत से अधिक हो गया, जिससे तटीय समुदायों को खतरा पैदा हो गया।
  • एशिया के महासागर क्षेत्रों में लगातार सतही गर्मी देखी गई, विशेषकर उत्तरी अरब सागर और प्रशांत के कुछ हिस्सों में।
  • विशेषतः उत्तरी हिंद महासागर, यलो सी और पूर्वी चीन सागर में अत्यधिक तीव्रता वाली समुद्री हीटवेब ने वर्ष 1993 के बाद से सबसे बड़े क्षेत्र को प्रभावित किया।

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) से तात्पर्य ग्लेशियल झीलों से जल एवं अवसाद के अचानक प्रस्फुटन से है, जो प्राकृतिक रूप से हिमोढ़ (बर्फ, रेत और कंकड़ का मलबा) या ग्लेशियर बर्फ जैसी बाधाओं से अवरुद्ध हो जाती हैं।

ग्लेशियर का ह्रास

  • मध्य हिमालय और तियान शान के 24 में से 23 ग्लेशियरों का द्रव्यमान कम हो गया।
  • इससे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF), भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है और जल सुरक्षा को खतरा होता है।

चक्रवाती गतिविधि

  • उत्तरी हिंद महासागर में चार उष्णकटिबंधीय चक्रवात बने:
    • बंगाल की खाड़ी में तीन: रेमल, दाना, फेंगल
    • अरब सागर में एक: आसना (एक दुर्लभ घटना, वर्ष 1891 के बाद से केवल चौथा ऐसा मामला)।
  • मई 2024 में चक्रवात ‘रेमल’ बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों से टकराया, जिससे लगभग 2.5 मीटर ऊँची झंझा महोर्मि (Storm Surge) की स्थिति उत्पन्न हुई और 111 किलोमीटर प्रति घंटे तक की तीव्र हवाएँ चलीं, जिससे व्यापक क्षति हुई।
  • चक्रवात आसना के कारण 5 मीटर ऊँची लहरों से ओमान के तटीय क्षेत्रों प्रभावित हुए।
  • श्रीलंका में भारी वर्षा और भूस्खलन के बाद चक्रवात फेंगल (30 नवंबर, 2024) ने भारत में उत्तर तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच तट से टकराया।

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