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रक्षा मंत्री ने CDS को संयुक्त आदेश जारी करने का अधिकार दिया

Lokesh Pal June 27, 2025 02:59 9 0

संदर्भ 

रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) के सचिव को तीनों सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) के लिए संयुक्त निर्देश और संयुक्त आदेश जारी करने का अधिकार दिया है।

  • इससे पहले, दो या अधिक सेवाओं से जुड़े आदेश प्रत्येक सेवा द्वारा अलग-अलग जारी किए जाते थे।
  • यह पहल भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए संचालित प्रयासों के अनुरूप है, जिसमें अंतर-सेवा सहयोग और एकीकरण पर जोर दिया गया है।

‘रक्षा सुधारों का वर्ष’ – 2025

  • रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष घोषित किया है, जिसमें संयुक्तता बढ़ाने, एकीकृत थिएटर कमांड स्थापित करने और अंतर-सेवा सहयोग में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • इस पहल का उद्देश्य सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक बनाना और उन्हें उभरती सुरक्षा चुनौतियों के साथ जोड़ना है।

मुख्य बिंदु

  • संयुक्त आदेशों की शुरूआत: इससे अतिरेक कम होगा, संचालन सुव्यवस्थित होगा और ‘क्रॉस-सर्विस’ सहयोग बढ़ेगा।
  • पहला संयुक्त आदेश: 24 जून, 2025 को जारी किया गया पहला संयुक्त आदेश, संयुक्त निर्देशों और आदेशों की स्वीकृति, प्रख्यापन और क्रमांकन पर केंद्रित है।
  • दक्षता और समन्वय: इसके परिणामस्वरूप सभी डोमेन में अधिक सुसंगत संचालन और बेहतर संसाधन उपयोग होने की उम्मीद है।
  • रणनीतिक प्रभाव: यह कदम परिचालन और प्रशासनिक कार्यों के एकीकरण की नींव रखता है, यह सुनिश्चित करता है कि सभी सेवाएँ समग्र युद्ध प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए सामंजस्य में कार्य करना।
    • यह अधिक एकीकृत थिएटर कमांड और संयुक्त रसद संरचनाओं के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है।

संयुक्तता और एकीकरण

  • सेना में संयुक्तता का अर्थ है- सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच निर्बाध सहयोग, ताकि सामूहिक शक्ति को अधिकतम किया जा सके।
  • एकीकरण कमांड, खरीद और संचालन को पुनर्गठित करके इस पर आधारित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक सेवा सामान्य लक्ष्यों की दिशा में बेहतर ढंग से योगदान दे।

संयुक्तता के मुख्य पहलू

  • समन्वित संसाधन उपयोग: संयुक्तता बुनियादी ढाँचे, उपकरण और कर्मियों जैसे संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करने में मदद करती है, जिससे दोहराव कम होता है और प्रभाव बढ़ता है।
    • इसके परिणामस्वरूप अधिक लागत प्रभावी, सक्षम सेना का निर्माण होता है।
  • विशिष्टता का सम्मान करना: प्रत्येक सेवा अपनी ताकत, विशेषज्ञता और जरूरतों को बरकरार रखती है।
    • यह संतुलन सुनिश्चित करता है कि सेना, नौसेना और वायु सेना अपनी अद्वितीय क्षमताओं को बनाए रखें।
  • इष्टतम परिणाम: संयुक्तता परिचालन परिणामों को बढ़ाती है।
    • यह समन्वय, खुफिया जानकारी साझा करने और युद्ध प्रतिक्रिया में सुधार करती है, जिससे अधिक दक्षता और प्रभावशीलता होती है।
  • दोहराव से बचना: यह अनावश्यक कार्यों की पहचान करता है और उन्हें समाप्त करता है, जिससे अक्षमताएँ और अनावश्यक लागत कम होती है।
    • यह महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में संसाधनों को अधिक रणनीतिक रूप से आवंटित करने में मदद करता है।

संयुक्तता और एकीकरण की आवश्यकता

  • जटिल सुरक्षा वातावरण: आज के खतरे भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस तक विस्तृत हैं।
    • सभी सेवाओं से एकीकृत प्रतिक्रिया महत्त्वपूर्ण है, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में देखा गया है।
  • कुशल संसाधन उपयोग: एकीकरण संसाधनों का अनुकूलन करता है, दोहराव को कम करता है, और समन्वित उद्देश्यों को सुनिश्चित करता है।
    • यह लागत प्रबंधन करते हुए परिचालन तत्परता में सुधार करता है।
  • परिचालन प्रभावशीलता में वृद्धि: संयुक्तता सैन्य अभियानों में भूमि, वायु, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबर जैसे सभी क्षेत्रों के बीच समन्वय को सुदृढ़ करती है, जिससे समग्र रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
  • उभरते खतरों के लिए बेहतर प्रतिक्रिया: एकीकरण से त्वरित निर्णय लेने और लचीली प्रतिक्रिया की अनुमति मिलती है।
    • तकनीकी और भू-राजनीतिक परिवर्तनों की तेज गति इस एकीकृत दृष्टिकोण की मांग करती है।

संयुक्तता और एकीकरण की चुनौतियाँ

  • सांस्कृतिक अंतराल: प्रत्येक सेवा की अपनी अनूठी संस्कृति, मूल्य और संचालन पद्धतियाँ होती हैं।
    • ये अंतर एकीकरण और संयुक्त संचालन के विरुद्ध प्रतिरोध को जन्म दे सकते हैं।
  • संगठनात्मक संरचना: मौजूदा सेवा-विशिष्ट कमांड संरचना एकीकरण को जटिल बनाती है।
    • सभी सेवाओं में इन संरचनाओं को संरेखित करने के लिए महत्त्वपूर्ण सुधारों और समन्वय की आवश्यकता होती है।
  • संसाधन आवंटन: विभिन्न सैन्य सेवाओं के बीच संसाधनों का समान वितरण एक जटिल चुनौती हो सकता है, विशेषकर जब प्रत्येक सेवा की अपनी विशिष्ट परिचालन आवश्यकताएँ, रणनीतिक प्राथमिकताएँ और क्षमतागत अपेक्षाएँ हों।
  • अंतर-सेवा प्रतिद्वंद्विता: संसाधनों, नेतृत्व की भूमिकाओं और मान्यता के लिए प्रतिस्पर्द्धा घर्षण पैदा कर सकती है, प्रभावी एकीकरण के लिए आवश्यक विश्वास और सहयोग को कम कर सकती है।
  • मानकीकरण की कमी: सेवाओं में उपकरण, प्रशिक्षण और प्रक्रियाओं में भिन्नता अंतर-संचालन में बाधा डालती है, संयुक्त संचालन में देरी करती है और दक्षता को प्रभावित करती है।
  • तकनीकी एकीकरण: सेवाओं में विविध तकनीकी प्रणालियों और प्लेटफॉर्म को एकीकृत करना जटिल बना हुआ है, जिसमें निर्बाध संचार और डेटा-साझाकरण सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ हैं।
  • रसद और नौकरशाही समन्वय: विभिन्न सेवाओं में रसद का समन्वय करना और राजनीतिक या नौकरशाही प्रतिरोध पर नियंत्रण पाना संयुक्तता सुधारों के कार्यान्वयन को धीमा कर सकता है।

CDS की प्रमुख भूमिकाएँ (PYQ: 2024)

  • सेना, नौसेना, वायु सेना और प्रादेशिक सेना की देख-रेख करना।
  • खरीद, प्रशिक्षण, स्टाफिंग और कमांड पुनर्गठन में संयुक्तता को बढ़ावा देना।
  • साइबर और अंतरिक्ष कमांड सहित तीनों सेनाओं के संगठनों का नेतृत्व करना।
  • परमाणु कमान प्राधिकरण को सलाह देना और रक्षा नियोजन निकायों में भाग लेना।
  • संसाधनों का अनुकूलन करने, युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने और अपव्यय को कम करने के लिए सुधारों को आगे बढ़ाना।
  • बहु-वर्षीय रक्षा अधिग्रहण योजनाओं को लागू करना और अंतर-सेवा आवश्यकताओं को प्राथमिकता देना।

संयुक्तता और एकीकरण के लिए सरकारी पहल

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का गठन: वर्ष 2019 में बनाया गया CDS सेना, नौसेना, वायु सेना और प्रादेशिक सेना की देखरेख करके एकजुटता को बढ़ावा देता है।
    • CDS समन्वय सुनिश्चित करता है और एकीकरण के लिए सुधारों का नेतृत्व करता है।
  • एकीकृत थिएटर कमांड (ITC): ITC बनाने के प्रयास संचालित हो रहे हैं जो सेना, नौसेना और वायु सेना को एक ही कमांड संरचना के तहत एकजुट करेंगे।
    • इससे परिचालन दक्षता में सुधार होगा और निर्बाध सेवा सहयोग सुनिश्चित होगा।
  • सैन्य मामलों का विभाग (DMA): वर्ष 2020 में स्थापित, DMA सैन्य कमांडों का पुनर्गठन करके, परिचालन आवश्यकताओं को एकीकृत करके और खरीद प्रयासों का समन्वय करके संयुक्तता को बढ़ावा देता है।
  • अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023: यह अधिनियम तीनों सेनाओं के कमांडरों को तीनों सेनाओं के कर्मियों को कमांड करने की अनुमति देता है।
    • यह परिचालन सामंजस्य को बढ़ाता है और एकीकृत कमांड संरचना का समर्थन करता है।
  • संयुक्त लॉजिस्टिक्स नोड्स (JLN): मुंबई, गुवाहाटी और पोर्ट ब्लेयर में JLN लॉजिस्टिक्स संचालन को सुव्यवस्थित करते हैं, संसाधन आवंटन और परिचालन तत्परता में सुधार करते हैं।
    • वे लागत कम करते हैं और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार करते हैं।
  • संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम और अभ्यास: ‘त्रि-सेवा भविष्य युद्ध पाठ्यक्रम’ जैसे कार्यक्रम तथा ‘प्रचंड प्रहार 2025’ जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता (Interoperability) को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पहलें जटिल, बहु-आयामी युद्ध परिदृश्यों में समन्वित प्रतिक्रिया की तैयारी को सुनिश्चित करती हैं।
    • ये कार्यक्रम संयुक्त अभियानों के दौरान समन्वय में सुधार करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध: रक्षा संचार नेटवर्क (DCN) और एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) जैसी उन्नत प्रणालियाँ वास्तविक समय संचार को सक्षम बनाती हैं।
    • ये प्रणालियाँ सभी क्षेत्रों में समन्वय को बढ़ाती हैं।

वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • एकीकृत कमान संरचनाएँ: US खाड़ी युद्ध (1990-91): US गोल्डवाटर-निकोल्स अधिनियम (1986) ने एकीकृत लड़ाकू कमांडों, जैसे कि सेंटकॉम को तीनों सेनाओं के संचालन में समन्वय स्थापित करने में सक्षम बनाया, जिससे खाड़ी युद्ध में तेजी से सफलता मिली।
  • संयुक्त सिद्धांत विकास: NATO ऑपरेशन यूनिफाइड प्रोटेक्टर (2011): NATO के सहयोगी संयुक्त सिद्धांत (AJP-01) ने लीबिया में ऑपरेशन यूनिफाइड प्रोटेक्टर के दौरान निर्बाध वायु, नौसेना और जमीनी समन्वय सुनिश्चित करते हुए संचालन को मानकीकृत किया।
  • संयुक्त प्रशिक्षण और शिक्षा: ऑस्ट्रेलिया टैलिसमैन सेबर (2023): ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल के संयुक्त प्रशिक्षण, टैलिसमैन सेबर 2023 द्वारा उदाहरणित, ने भूमि, समुद्र, वायु और साइबर डोमेन में 30,000 सैनिकों को एकीकृत किया।
  • नेटवर्क-केंद्रित युद्ध के लिए प्रौद्योगिकी एकीकरण: चीन थिएटर कमांड (2015): चीन के युद्ध क्षेत्र अभियान सिद्धांत को वर्ष 2015 में लागू किया गया, जिसने पाँच थिएटर कमांडों में C4ISR प्रणालियों को एकीकृत किया, जिससे मल्टी-डोमेन संचालन में वृद्धि हुई।
    • C4ISR: कमांड, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, खुफिया, निगरानी और टोही।

निष्कर्ष

संयुक्तता और एकीकरण की ओर बदलाव भारत के सशस्त्र बलों को बदल रहा है। सेना, नौसेना और वायु सेना की विशिष्ट क्षमताओं का समेकित रूप से लाभ उठाते हुए, भारत अतिरेक को समाप्त करने, कार्यात्मक तालमेल को बढ़ावा देने और एक अधिक सक्षम एवं सशक्त सैन्य संरचना के निर्माण की दिशा में अग्रसर है। सरकारी सुधार और पहल समन्वय, दक्षता और परिचालन उत्कृष्टता पर केंद्रित भविष्य के लिए तैयार सेना के लिए मंच तैयार कर रहे हैं।

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