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कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए सकल मूल्य उत्पादन (GVO) पर रिपोर्ट

Lokesh Pal July 01, 2025 02:17 9 0

संदर्भ

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) ने वर्ष 2011-2012 से वर्ष 2023-2024 तक कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए सकल मूल्य उत्पादन (Gross Value of Output- GVO) पर रिपोर्ट जारी की, जिसमें क्षेत्रीय योगदान में बदलाव पर प्रकाश डाला गया।

उत्पादन का सकल मूल्य (Gross Value of Output- GVO) एक विशिष्ट अवधि के दौरान किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है, जिसमें मध्यवर्ती इनपुट की लागत घटा दी जाती है।

सकल मूल्य वर्द्धन (Gross Value Added- GVA) किसी अर्थव्यवस्था, क्षेत्र या उद्योग में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है, जिसमें से इनपुट की लागत घटा दी जाती है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

समग्र कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र उत्पादन

  • वर्तमान मूल्यों पर सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) में ~225% की वृद्धि हुई, जबकि स्थिर (वर्ष 2011- 2012) मूल्यों पर सकल उत्पादन मूल्य (GVO) में वित्त वर्ष 2012 से वित्त वर्ष 2024 तक ~54.6% की वृद्धि हुई।
  • GVO वृद्धि 12 वर्ष की अवधि में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्थिर विस्तार को दर्शाती है।

फसल क्षेत्र

  • फसल क्षेत्र सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना हुआ है, जिसकी वर्ष 2023-24 में कुल GVO में 54.1% की हिस्सेदारी है।
  • अनाज और फल एवं सब्जियाँ मिलकर वित्त वर्ष 2023-24 में कुल फसल GVO का 52.5% हिस्सा हैं।
  • अनाजों में, धान और गेहूँ अकेले अनाज GVO का 85% हिस्सा हैं।
  • शीर्ष अनाज उत्पादक (2023-24)
    • उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और हरियाणा ने कुल अनाज GVO में लगभग 53% का योगदान दिया।
    • 18.6% से 17.2% तक हिस्सेदारी में गिरावट के बावजूद उत्तर प्रदेश ने अपनी बढ़त बनाए रखी।
  • फल
    • वर्ष 2023-24 में, सकल मूल्य उत्पाद (GVO) के संदर्भ में केला शीर्ष फल बन गया, जिससे उसने आम को पीछे छोड़ दिया।

पुष्पकृषि बागवानी की एक शाखा है, जो विभिन्न प्रयोजनों जैसे भू-दृश्य, उद्यान और पुष्प उद्योग के लिए फूलों सहित सजावटी पौधों की खेती, प्रसंस्करण और विपणन से संबंधित है।

    • वर्ष 2011- 2012 से वर्ष 2021- 2022 तक फलों की श्रेणी में आम का शीर्ष योगदान रहा।
  • सब्जियाँ: आलू शीर्ष सब्जी बना रहा।
  • फूलों की खेती: GVO में लगभग दोगुना वृद्धि हुई, जो ₹17.4 से बढ़कर ₹28.1 हजार करोड़ हो गई, जो बढ़ती वाणिज्यिक रुचि को दर्शाता है।
  • मसाले और मसाले: मध्य प्रदेश वित्त वर्ष 2023-24 में 19.2% हिस्सेदारी के साथ शीर्ष योगदानकर्ता बन गया, उसके बाद कर्नाटक (16.6%) और गुजरात (15.5%) का स्थान रहा।

पशुधन क्षेत्र

  • कुल कृषि GVO में पशुधन का हिस्सा 25.6% (वर्ष 2011- 2012) से बढ़कर 31.2% (वर्ष 2023- 2024) हो गया, जिससे यह सबसे तेजी से बढ़ने वाले उप-क्षेत्रों में से एक बन गया।
  • पशुधन GVO में दुग्ध क्षेत्र अग्रणी रहा, लेकिन इसका हिस्सा 67.2% से थोड़ा कम होकर 65.9% हो गया।
  • कुल पशुधन GVO में मांस प्रसंस्करण समूह का हिस्सा 19.7% से बढ़कर 24.1% हो गया।

मत्स्यपालन तथा जलकृषि

  • GVO में मत्स्य क्षेत्र का योगदान उल्लेखनीय रूप से 4.2% से बढ़कर 7.0% हो गया।
  •  इस क्षेत्र में अंतर्देशीय मत्स्यन का हिस्सा 57.7% से घटकर 50.2% हो गया, जबकि समुद्री मत्स्यन का हिस्सा 42.3% से बढ़कर 49.8% हो गया। 
  • मत्स्यपालन GVO में राज्यवार बड़े बदलाव देखे गए, विशेषतः पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में वर्ष 2011- 2012 और वर्ष 2022- 2023 के बीच।
‘कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ’ क्षेत्र वर्तमान मूल्यों पर वित्त वर्ष 2024 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद में 16% का योगदान देती है और 46.1% आबादी का समर्थन करती है।


कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के लिए सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture- NMSA): वर्षा आधारित क्षेत्रों, एकीकृत खेती, जल उपयोग दक्षता और मृदा स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना।
  • प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana- PMKSY): सिंचाई अवसंरचना और जल उपयोग दक्षता में सुधार करके ‘हर खेत को पानी’ और ‘प्रति बूँद, अधिक फसल’ का लक्ष्य।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana- PKVY): कीटनाशक मुक्त, उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन करने और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए किसान समूहों के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: किसानों को मृदा की पोषक स्थिति और उत्पादकता में सुधार के लिए अनुकूलित उर्वरक सिफारिशें प्रदान करती है।
  • वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना (National Watershed Development Project for Rainfed Areas- NWDPRA): प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, उत्पादकता को बढ़ावा देने और पारिस्थितिकी संतुलन को बहाल करने के लिए एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • मत्स्यपालन एवं जलकृषि अवसंरचना विकास निधि (Fisheries & Aquaculture Infrastructure Development Fund- FIDF): समुद्री एवं अंतर्देशीय मत्स्यपालन के लिए बुनियादी ढाँचे में वृद्धि की जाएगी।
  • प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY): मत्स्यपालन क्षेत्र को औपचारिक एवं सुदृढ़ बनाना; सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों तथा मत्स्य प्रजनन केंद्रों, हैचरी जैसी अवसंरचना को समर्थन देना।
  • कृषि अवसंरचना निधि: भंडारण, शीत शृंखला और प्रसंस्करण सहित फसलोपरांत अवसंरचना को समर्थन प्रदान करती है।

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