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राष्ट्रीय खेल नीति, 2025

Lokesh Pal July 03, 2025 05:47 13 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय खेल नीति (National Sports Policy- NSP) 2025 को मंजूरी दी।

राष्ट्रीय खेल नीति (National Sports Policy- NSP) 2025 के बारे में 

  • नई नीति मौजूदा राष्ट्रीय खेल नीति, 2001 का स्थान लेगी।
  • यह भारत को वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने तथा वर्ष 2036 ओलंपिक खेलों सहित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में उत्कृष्टता के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित करने के लिए एक दूरदर्शी और रणनीतिक रोडमैप तैयार करती है।

NSP 2025 की मुख्य विशेषताएँ 

यह नीति पाँच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है।

  1. वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता: प्रतिभाओं को पोषित करके और खेल अवसंरचना में सुधार करके भारत को खेलों में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में विकसित करना।
    • जमीनी स्तर पर विकास: युवा प्रतिभाओं की पहचान और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रणाली स्थापित करना।
    • खेल अवसंरचना: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएँ विकसित करना।
    • खेल विज्ञान और प्रौद्योगिकी: एथलीट के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए खेल विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना।
    • खेल महासंघों की क्षमता निर्माण: राष्ट्रीय खेल महासंघों (National Sports Federations – NSF) के प्रशासन और परिचालन क्षमताओं में सुधार करना।
  2. आर्थिक विकास के लिए खेल: विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए खेलों की आर्थिक क्षमता का उपयोग करना।
    • खेल पर्यटन: भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के केंद्र के रूप में बढ़ावा देना।
    • खेल निर्माण: खेल उपकरण और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना।
    • स्टार्ट-अप और उद्यमिता: खेल से संबंधित स्टार्ट-अप और क्षेत्र में नवाचार का समर्थन करना।
    • निजी क्षेत्र की भागीदारी: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnerships- PPP) और कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) के माध्यम से निजी निवेश में वृद्धि करना।
  3. सामाजिक विकास के लिए खेल: सामाजिक समावेशन और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए खेलों का उपयोग करना।
    • समावेशी भागीदारी: महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, आदिवासी समुदायों और दिव्यांगों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देना: पारंपरिक खेलों और स्वदेशी खेलों को पुनर्जीवित करना।
    • खेलों में कॅरियर के अवसर: खेलों को एक व्यवहार्य कॅरियर विकल्प बनाना, इसे शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करना।
    • प्रवासी जुड़ाव: खेल विकास में भारतीय प्रवासियों को शामिल करना।
  4. खेल एक जन आंदोलन के रूप में: जन भागीदारी के माध्यम से खेलों को राष्ट्र के सांस्कृतिक ताने-बाने का हिस्सा बनाना।
    • फिटनेस संस्कृति: फिटनेस और स्वस्थ जीवन के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन संचालित करना।
    • राष्ट्रव्यापी अभियान: सभी स्तरों पर खेलों में भागीदारी बढ़ाने के लिए अभियान शुरू करना।
    • फिटनेस सूचकांक: स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों के लिए फिटनेस ट्रैकिंग शुरू करना।
    • खेल सुविधाओं तक पहुँच: खेल के बुनियादी ढाँचे तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  5. शिक्षा के साथ एकीकरण (NEP 2020): कम आयु से ही शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए खेल विकास को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP),  2020 के साथ संरेखित करना।
    • पाठ्यक्रम एकीकरण: शारीरिक गतिविधियों और खेल जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल के पाठ्यक्रम में खेल शामिल करना।
    • शिक्षक प्रशिक्षण: खेल को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को आवश्यक कौशल से युक्त करना।
    • कार्यान्वयन रणनीति: NSP, 2025 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक कार्यान्वयन रणनीति।
  • शासन: प्रभावी खेल प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी और नियामक ढाँचा स्थापित करना।
    • निजी क्षेत्र का समर्थन: नवीन वित्तपोषण तंत्रों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ उठाना।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार: प्रदर्शन निगरानी और कार्यक्रम कार्यान्वयन के लिए AI और डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती हुई तकनीकों का उपयोग करना।
  • राष्ट्रीय निगरानी ढाँचा: प्रगति को ट्रैक करने के लिए बेंचमार्क, प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (Key Performance Indicators- KPI) और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करना।
  • राज्य-स्तरीय नीतियाँ: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को NSP-2025 के अनुरूप नीति निर्माण के लिए प्रोत्साहित करना।
  • पूर्ण सरकार आधारित दृष्टिकोण: सभी मंत्रालयों और विभागों की गतिविधियों में खेलों को एकीकृत करना।

भारत की खेल नीति यात्रा

  • वर्ष 1947 के बाद प्रारंभिक खेल विकास: स्वतंत्रता के बाद, भारत का प्राथमिक ध्यान राष्ट्र निर्माण पर था, जिसमें गरीबी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया गया, जिससे खेल विकास को दरकिनार कर दिया गया।
    • मुख्य कार्यक्रम: भारत ने वर्ष 1951 में नई दिल्ली में पहले एशियाई खेलों की मेजबानी की, जो इसकी क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दर्शाता है। हालाँकि, खेलों का विकास अल्प रहा।
    • AICS की स्थापना (1954): अखिल भारतीय खेल परिषद (All-India Council of Sports- AICS) की स्थापना खेल मामलों पर सलाह देने के लिए की गई थी, लेकिन इसमें पर्याप्त धन की कमी थी, जिससे भारत के एथलीट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने से वंचित रह गए।
  • वर्ष 1982 एशियाई खेल और नीतिगत बदलाव
    • खेल विभाग का निर्माण (1982): वर्ष 1982 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत खेल विभाग का निर्माण एक महत्त्वपूर्ण बिंदु सिद्ध हुआ।
    • राष्ट्रीय खेल नीति (National Sports Policy- NSP) 1984: इसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचे में सुधार करना और शिक्षा के साथ खेलों को एकीकृत करने के साथ-साथ उच्च-स्तरीय प्रतिस्पर्द्धाओं में जन भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देना था।
    • भारतीय खेल प्राधिकरण (Sports Authority of India- SAI) (1986): खेल नीति को लागू करने और एथलीट विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्थापित किया गया।
  • वर्ष 1986- 2000 के बीच स्थिरता: इस अवधि के दौरान वैश्विक खेल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होने के बावजूद, भारत की खेल नीति निम्नलिखित कारणों से धीमी रही:

संवैधानिक संदर्भ

  • सातवीं अनुसूची में खेल को राज्य विषय के रूप में शामिल किया गया है।
  • राज्य सूची और भारतीय संविधान की प्रविष्टि 33।

    • सीमित राज्य स्तरीय भागीदारी: भारतीय संविधान के तहत खेल राज्य का विषय था।
    • कमजोर नीति क्रियान्वयन: नीतियाँ कमजोर रहीं तथा क्रियान्वयन असंगत रहा।
    • आर्थिक उदारीकरण (1991) के कारण वैश्विक स्तर पर खेल के प्रति जागरूकता बढ़ी और खेलों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आया, लेकिन NSP मसौदा (1997) गति पकड़ने में विफल रहा।
  • वर्ष 2000 के बाद का खेल विकास
    • MYAS का निर्माण (2000): भारत ने खेल विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए युवा कार्य और खेल मंत्रालय ( Ministry of Youth Affairs and Sports- MYAS) बनाया।
    • NSP 2001: संशोधित राष्ट्रीय खेल नीति ने जन भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए। हालाँकि, वित्तपोषण सीमित रहा।
    • मुख्य उपलब्धियाँ
      • ओलंपिक पदक: राज्यवर्धन राठौर (रजत, 2004), अभिनव बिंद्रा (स्वर्ण, 2008), तथा विजेंदर सिंह और मैरी कॉम (क्रमशः वर्ष 2008 और 2012 में कांस्य)।
      • NSDC, 2011: खेल महासंघों को विनियमित करने के लिए शुरू किया गया, जिसमें शासन, डोपिंग विरोधी और आयु धोखाधड़ी तथा लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

आर्थिक और सामाजिक विकास में खेलों का महत्त्व

  • राजस्व सृजन और आर्थिक विकास: खेल आयोजन मीडिया अधिकारों, प्रायोजनों और पर्यटन के माध्यम से महत्त्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करते हैं।
    • उदाहरण के लिए, टोक्यो 2020 ओलंपिक ने जापान की अर्थव्यवस्था में लगभग 8 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास और रोजगार सृजन: प्रमुख आयोजनों की मेजबानी के लिए बुनियादी ढाँचे के उन्नयन की आवश्यकता होती है, जिससे दीर्घकालिक लाभ होता है।
    • कतर की सरकार ने वर्ष 2022 फीफा विश्व कप के लिए राजमार्ग और हवाई अड्डे के विस्तार सहित बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं पर $300 बिलियन से अधिक खर्च किए हैं।
    • ब्राजील के वर्ष 2014 फीफा विश्वकप ने 3 मिलियन से अधिक नौकरियों का सृजन किया और स्टेडियम निर्माण तथा परिवहन प्रणालियों में निवेश किया।
  • स्वास्थ्य लाभ और स्वास्थ्य सेवा लागत में कमी: खेलों के माध्यम से नियमित शारीरिक गतिविधियाँ पुरानी बीमारियों के जोखिम को कम करती है और स्वास्थ्य सेवा लागत में कटौती करती है।
    • WHO शारीरिक निष्क्रियता के कारण वार्षिक रूप से 5 मिलियन से अधिक मौतों का कारण बनता है, जो ऐसी स्थितियों को रोकने में खेलों के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • सामाजिक सामंजस्य और एकीकरण: खेल विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाकर एकता को बढ़ावा देते हैं।
    • दक्षिण अफ्रीका में वर्ष 2010 का फीफा विश्व कप रंगभेद नीति के बाद राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण घटना थी।
  • युवा विकास और शिक्षा: खेलों में भागीदारी संज्ञानात्मक कौशल, अनुशासन और शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ाती है।
    • खेलो इंडिया ने जमीनी स्तर के एथलीटों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने वाले 1,000 से अधिक केंद्र स्थापित किए हैं।
  • सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना और भेदभाव को कम करना: खेल हाशिए पर स्थित समूहों को भाग लेने और मान्यता प्राप्त करने के अवसर प्रदान करते हैं।
    • टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में अवनी लेखारा के स्वर्ण पदक ने वैश्विक खेलों में पैरा-एथलीटों के बढ़ते समावेशन को प्रदर्शित किया।

  • पर्यटन और अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देना: वैश्विक खेल आयोजनों की मेजबानी अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करती है और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देती है।
    • वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक ने पर्यटन राजस्व में £2.1 बिलियन उत्पन्न किया, जो दर्शाता है कि कैसे खेल आयोजन आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं।

भारतीय खेलों में चुनौतियाँ

  • अविकसित बुनियादी ढाँचा: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं की कमी जमीनी स्तर पर विकास में बाधा डालती है।
    • अपर्याप्त प्रशिक्षण केंद्र, खेल संबंधी बुनियादी ढाँचा और खेल विज्ञान सुविधाएँ एथलीट के प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं।
  • प्रतिभा की पहचान और पोषण: जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की पहचान प्रायः सीमित रह जाती है, जिसका प्रमुख कारण अपर्याप्त ‘स्काउटिंग’ प्रणाली और स्थानीय स्तर पर सहयोग एवं संसाधनों की कमी है। इसके परिणामस्वरूप अनेक होनहार एथलीट उपेक्षित रह जाते हैं।
    • खेलो इंडिया जैसी पहल के बावजूद, विशेषतः मुख्यधारा से इतर खेलों में प्रतिभा पहचान और विकास प्रणाली कमजोर बनी हुई है।
  • वित्तपोषण और प्रायोजन: अधिकांश खेलों के लिए वित्तपोषण सीमित है, जिसमें क्रिकेट को प्रायोजन का बड़ा हिस्सा प्राप्त है तथा अन्य खेलों को वित्तपोषण की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    • क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी की कमी के कारण खेल अवसंरचना और पेशेवर लीगों का विकास सीमित हो जाता है।

  • लैंगिक असमानता: पी.वी. सिंधु और मैरी कॉम जैसे एथलीटों की सफलता के साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन अभी भी सांस्कृतिक और संस्थागत पूर्वाग्रह मौजूद है।
    • सामाजिक और सांस्कृतिक पूर्वाग्रह महिलाओं की खेलों में भागीदारी को प्रतिबंधित करते हैं।
  • खराब खेल प्रशासन: खेल महासंघों में पेशेवर प्रबंधन और पारदर्शिता की कमी के कारण खराब निर्णय लेने और जवाबदेही की कमी होती है।
    • खेल संगठनों में भ्रष्टाचार और अकुशलता खेल पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में देरी करती है।
    • राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) को प्रायः खराब प्रबंधन और व्यावसायिकता की कमी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है।

प्रमुख राज्य स्तरीय पहल

  • हरियाणा मॉडल (एथलेटिक्स और कुश्ती): एथलेटिक्स और कुश्ती में हरियाणा की सफलता को राज्य द्वारा खेल अकादमियों और बुनियादी ढाँचे में किए गए मजबूत निवेश से समर्थन मिला है।
  • केरल की ‘एक पंचायत, एक खेल का मैदान’ पहल: प्रति पंचायत एक खेल का मैदान उपलब्ध कराने की केरल की पहल खेल सुविधाओं तक जमीनी स्तर पर पहुँच सुनिश्चित करती है और स्थानीय भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
  • राजस्थान के ग्रामीण ओलंपिक: राजस्थान के ग्रामीण ओलंपिक पारंपरिक और आधुनिक दोनों खेलों को बढ़ावा देते हैं, ग्रामीण समुदायों को जोड़ते हैं और युवा प्रतिभाओं की पहचान करते हैं।
  • तेलंगाना: पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर, हैदराबाद को विशेष प्रशिक्षण और बुनियादी ढाँचे के साथ ‘बैडमिंटन राजधानी’ के रूप में विकसित किया है।

  • खेल संस्कृति का अभाव: खेल संस्कृति सीमित है, विशेषतः शिक्षा के क्षेत्र में, जहाँ खेल को प्रायः शिक्षाविदों के मुकाबले गौण माना जाता है।
    • सामाजिक दृष्टिकोण प्रायः इंजीनियरिंग या चिकित्सा जैसे पारंपरिक कॅरियर माध्यमों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे खेल एक व्यवहार्य कॅरियर के रूप में दरकिनार हो जाते हैं।

  • अन्य चुनौतियाँ
    • सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ: कई प्रतिभाशाली भारतीय एथलीट, विशेष रूप से गैर-मुख्यधारा के खेलों में, सामाजिक-आर्थिक बाधाओं का सामना करते हैं, जो उनके प्रशिक्षण, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिेस्पर्द्धा करने और पेशेवर कोचिंग प्राप्त करने के अवसरों को सीमित करते हैं।
    • कुछ खेलों पर सीमित ध्यान: भारत में क्रिकेट, खेल परिदृश्य पर हावी है और अधिकांश संसाधन तथा ध्यान उसी पर केंद्रित है।
    • मानसिकता और खेल मनोविज्ञान की कमी: खेल मनोविज्ञान विकसित देशों में एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो एथलीटों को दबाव को सँभालने और मानसिक दृढ़ता विकसित करने में मदद करता है।
      • भारत में पारंपरिक रूप से शारीरिक प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाता रहा है तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा के लिए मानसिक तैयारी पर बहुत कम जोर दिया जाता है।

प्रमुख खेल पहल

  • खेलो इंडिया योजना (वर्ष 2016- वर्ष 2017 में शुरू): जमीनी और उच्च स्तरीय स्तर पर खेलों में जन भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देना।
    • जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण के लिए 1,045 खेलो इंडिया केंद्र (Khelo India Centres- KIC) स्थापित किए गए।
    • 34 खेलो इंडिया राज्य उत्कृष्टता केंद्र (Khelo India State Centres of Excellence- KISCE) और 306 मान्यता प्राप्त अकादमियाँ।
    • 2,845 एथलीटों को कोचिंग, चिकित्सा देखभाल और भत्ते के लिए सहायता।
  • खेलो इंडिया गेम्स (Khelo India Games- KIG) (2018): युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं का एक समूह।
    • आयोजन
      • खेलो इंडिया यूथ गेम्स (Khelo India Youth Games- KIYG)। 
      • खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (Khelo India University Games- KIUG)। 
      • खेलो इंडिया पैरा गेम्स और खेलो इंडिया विंटर गेम्स (Khelo India Para Games and Khelo India Winter Games- KIWG)। 
    • विकास
      • KIYG की शुरुआत वर्ष 2018 में 18 खेलों के साथ हुई थी, जिसे वर्ष 2025 में 27 खेलों तक विस्तारित किया गया। 
      • 50,000 से अधिक एथलीटों के साथ 17 संस्करण आयोजित किए गए।
    • वर्ष 2023 और वर्ष 2025 में पैरा खेलों में 1,300 से अधिक एथलीट शामिल होंगे।
  • खेलो इंडिया उभरती प्रतिभा की पहचान (Khelo India Rising Talent Identification- KIRTI) (वर्ष 2024): भारत की भावी ओलंपिक उम्मीदों के लिए खेल प्रतिभाओं की पहचान करना और उनका पोषण करना।
    • विशेष ध्यान: 9-18 वर्ष की आयु के बच्चे।
    • कार्यप्रणाली: पारदर्शी चयन के लिए AI और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करने वाले प्रतिभा मूल्यांकन केंद्र (Talent Assessment Centres- TAC)।
    • लक्ष्य: वर्ष 2036 तक शीर्ष-10 वैश्विक रैंकिंग के लिए लक्ष्य रखते हुए एक स्थायी एथलीट शृंखला का निर्माण करना।

  • लक्ष्य ओलंपिक पोडियम योजना (Target Olympic Podium Scheme- TOPS) (वर्ष 2014): भारत के शीर्ष एथलीटों को वित्तीय सहायता और उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • सहायता: प्रशिक्षण, कोचिंग और नियमित योजनाओं द्वारा कवर न की जाने वाली अतिरिक्त आवश्यकताओं के लिए वित्तपोषण।
    • भत्ते: कोर ग्रुप एथलीटों को ₹50,000/माह मिलते हैं; विकास समूह में जूनियर एथलीटों को ₹25,000/माह मिलते हैं।
    • मुख्य योगदान: टोक्यो 2020 और पेरिस 2024 ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन।
  • फिट इंडिया मूवमेंट (वर्ष 2019): देश भर में फिटनेस और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देना)।
    • गतिविधियाँ
      • फिट इंडिया कार्निवल (2025), एक फिटनेस और वेलनेस फेस्टिवल।
      • फिट इंडिया-स्वस्थ हिंदुस्तान टॉक शो।
      • फिट इंडिया फैमिली सेशन और राष्ट्रव्यापी प्लॉग रन।
  • जम्मू और कश्मीर में खेल अवसंरचना के विकास के लिए विशेष पैकेज (2015): जम्मू और कश्मीर राज्य में खेल अवसंरचना के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज वर्ष 2015 में स्वीकृत किया गया था।
  • नेहरू युवा केंद्र संगठन (Nehru Yuva Kendra Sangathan- NYKS) (1972): विश्व के सबसे बड़े युवा संगठनों में से एक, NYKS निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करता है:
    • युवा सहभागिता: साक्षरता, स्वास्थ्य, स्वच्छता, महिला सशक्तीकरण और कौशल विकास।

वैश्विक सहभागिता और कूटनीति

  • फीफा अंडर-17 महिला फुटबॉल विश्व कप, 2022 में भुवनेश्वर में आयोजित किया गया था। यह पिछले पाँच वर्षों में आयोजित दूसरा प्रमुख फुटबॉल आयोजन था।
  • भारत ने खेलों से संबंधित कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों की मेजबानी की, जिनमें शामिल हैं:
    • अक्टूबर 2023 में मुंबई में 141वाँ अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee- IOC) सत्र।
    • वर्ष 2022 में चेन्नई में फिडे शतरंज ओलंपियाड।
    • वर्ष 2024 में नई दिल्ली में बिम्सटेक एक्वेटिक्स चैंपियनशिप।
    • वर्ष 2023 में नोएडा में MotoGP भारत।
  • वर्ष 2023 में, सचिव (खेल) के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने यूनेस्को द्वारा बाकू, अजरबैजान में आयोजित शारीरिक शिक्षा और खेल के लिए ‘जिम्मेदार मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के सातवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ (Ministers and Senior Officials responsible for Physical Education and Sports – MINEPS VII) में भाग लिया।
    • भारत की भागीदारी महत्त्वपूर्ण रही, जिसमें प्रतिनिधियों के लिए एक विशेष योग सत्र का आयोजन किया गया।

भारतीय खेलों के लिए आगे की राह

  • उन्नत अवसंरचना विकास: सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएँ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना। समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एथलेटिक्स, फुटबॉल और हॉकी जैसे क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के लिए अवसंरचना पर विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
    • विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में सतत् विकास सुनिश्चित करके अवसंरचना की कमी को दूर करना।
  • सुधारित प्रतिभा पहचान और जमीनी स्तर के कार्यक्रम: मुख्यधारा के अलावा अन्य खेलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कम उम्र में एथलीटों की पहचान करने के लिए खेलो इंडिया योजना और कीर्ति (प्रतिभा पहचान) को मजबूत करना।
    • युवा प्रतिभाओं के लिए जमीनी स्तर से अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में संक्रमण के लिए एक संरचित मार्ग बनाएँ।
  • बढ़ी हुई फंडिंग और प्रायोजन: क्रिकेट के अतिरिक्त प्रायोजन में विविधता लाना और अन्य खेलों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
    • अधिक संतुलित फंडिंग मॉडल बनाना, जो खेलों और एथलीटों की एक विस्तृत शृंखला का समर्थन कर सके।
  • लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन: आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए समर्पित कार्यक्रमों के साथ, महिला एथलीटों और हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए समान अवसर तथा सुविधाएँ सुनिश्चित करना।
    • भारत में खेलों के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता और समावेश को बढ़ावा देना, यह सुनिश्चित करना कि सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं के कारण कोई भी खिलाड़ी पीछे न छूट जाए।
  • खेल प्रशासन और जवाबदेही में सुधार: पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर खेल संघों के भीतर शासन ढाँचे को मजबूत करना।
    • प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करना, भ्रष्टाचार को कम करना तथा खेल संगठनों में व्यावसायिकता बढ़ाएँ, उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना।
    • खेलों में सुशासन के लिए राष्ट्रीय संहिता, 2017 के मसौदे को मंजूरी दी जानी चाहिए।
  • खेल संस्कृति को बढ़ावा देना: स्कूलों में खेल-केंद्रित पाठ्यक्रम शुरू करना, बचपन से ही शारीरिक शिक्षा को एकीकृत करना और खेलों को कॅरियर विकल्प के रूप में बढ़ावा देना।
    • एक राष्ट्रीय खेल संस्कृति विकसित करना, जहाँ शारीरिक गतिविधियों का जश्न मनाया जाता है और शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी प्राथमिकता दी जाती है।
  • वैश्विक खेल निकायों के साथ सहयोग: भारत को वैश्विक प्रदर्शन और सीखने के अवसरों को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों और एथलीटों के नेटवर्क के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
    • विश्व मंच पर भारतीय एथलीटों के लिए प्रशिक्षण, कोचिंग और प्रतिस्पर्द्धी प्रदर्शन की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • संवैधानिक सुधार: खेलों को समवर्ती सूची में शामिल करने से केंद्र और राज्य की नीतियों का निर्बाध एकीकरण संभव होगा, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक समानता के साथ समन्वित विकास को बढ़ावा मिलेगा।
    • अनुच्छेद-21 के तहत ‘खेल के अधिकार’ को सुनिश्चित करने से यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक नागरिक को खेलों में भाग लेने का संवैधानिक अधिकार है, जिससे पूरे भारत में समान पहुँच की सुविधा होगी।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय खेल नीति, 2025 भारत को वैश्विक खेल नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करने के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करती है। वर्ष 2036 ओलंपिक में उत्कृष्टता प्राप्त करने और दीर्घकालिक खेल विकास को सशक्त बनाने के लिए भारत को अपने खेल पारिस्थितिकी तंत्र में, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे, वित्तीय निवेश, संस्थागत शासन और सामाजिक समावेशिता में व्यापक सुधार लाने की आवश्यकता है।

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