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STEM क्षेत्र में महिलाएँ और महिला सशक्तीकरण

Lokesh Pal July 10, 2025 05:15 85 0

संदर्भ:

नीतिगत हस्तक्षेपों, कॉर्पोरेट विविधता पहलों और शैक्षिक सुधारों के बावजूद, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में महिलाओं का वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधित्व बहुत कम है।

STEM में महिलाओं की वर्तमान स्थिति

  • निम्न समग्र प्रतिनिधित्व: यूनेस्को की 2023 वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, STEM स्नातकों में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 35% है और पिछले दशक में उनकी भागीदारी में नगण्य वृद्धि देखी गई है।
  • उभरते क्षेत्रों में दयनीय स्थिति: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग जैसे उच्च माँग वाले क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व और भी गिरकर मात्र 12% से 26% रह गया है।
  • आत्मविश्वास की कमी: शुरुआती स्कूली शिक्षा के दौरान लड़कियाँ विज्ञान और गणित में लड़कों के बराबर प्रदर्शन करती हैं। आरंभिक सफलता के बावजूद, जैसे-जैसे वे बड़ी होती हैं, उनका आत्मविश्वास कम होता जाता है, जिससे वे STEM करियर से दूर हो जाती हैं।
  • सांस्कृतिक रूढ़िवादिता: STEM क्षेत्रों को प्रायः “पुरुष प्रधान” क्षेत्र माना जाता है, जो महिलाओं की भागीदारी को हतोत्साहित करता है। लड़कियों को यह सिखाया जाता है, कि तकनीकी और विश्लेषणात्मक कौशल उनके लिए नहीं हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित होता है।
  • शिक्षा प्रणाली की भूमिका:
    • पक्षपातपूर्ण करियर परामर्श: परामर्श पद्धतियाँ प्रायः पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को चुनौती देने की बजाय उन्हें मजबूत बनाती हैं।
    • आदर्श मॉडल का अभाव: महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की स्पष्ट अनुपस्थिति लड़कियों को महत्त्वाकांक्षी व्यक्तियों से वंचित करती है।
    • असंबद्ध शिक्षण पद्धति: STEM में शिक्षण विधियाँ व्यावहारिक शिक्षण के माध्यम से लड़कियों को शायद ही कभी सक्रिय रूप से शामिल करती हैं, जिससे विषय अप्राप्य लगते हैं।
  • करियर विकल्पों पर प्रभाव: इन संयुक्त कारकों के कारण कई लड़कियाँ इस धारणा को आत्मसात कर लेती हैं, और वे STEM क्षेत्र में नहीं आती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उच्चतर शिक्षा और व्यावसायिक STEM क्षेत्रों में नामांकन और भागीदारी कम हो जाती है

भारत में चुनौतियाँ: लीक पाइपलाइन प्रभाव

  • उच्च महिला स्नातक, कम कार्यबल प्रतिधारण:
    • भारत में STEM स्नातकों में महिलाओं का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक 43% है।
    • हालाँकि, इससे कार्यबल की सतत भागीदारी सुनिश्चित नहीं होती।
    • भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र के कर्मचारियों में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 26% है।
    • वरिष्ठ नेतृत्व की भूमिकाओं में उनकी संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • कार्यस्थल की प्रणालीगत बाधाएँ: कार्यस्थल की संस्कृतियाँ एक बड़ी बाधा हैं, जिनकी विशेषताएँ हैं- अनम्य कार्यक्रम, अपर्याप्त मातृत्व और शिशु देखभाल सहायता, नियुक्ति और पदोन्नति में अंतर्निहित पूर्वाग्रह।
    • ये कारक उस स्थिति में योगदान करते हैं, जिसे शोधकर्ता लीकी पाइपलाइन प्रभाव कहते हैं, जहाँ महिलाएँ असमान रूप से उच्च दरों पर STEM व्यवसायों से बाहर निकलती हैं।
  • भारतीय संदर्भ में अद्वितीय जटिलताएँ:
    • क्षेत्रीय असमानताएँ: उत्तरी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में महिला सशक्तीकरण अधिक है।
    • जातिगत और सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ: जातिगत गतिशीलता और सामाजिक-आर्थिक कारक महिलाओं के लिए चुनौतियाँ बढ़ाते हैं।
    • ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी चुनौतियाँ: ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में, गुणवत्तापूर्ण STEM शिक्षा तक सीमित पहुँच और विवाह एवं देखभाल से संबंधित सामाजिक अपेक्षाएँ करियर विकल्पों को और सीमित कर देती हैं।
    • शहरी दबाव: शहरी, शिक्षित महिलाओं को भी करियर की बजाय परिवार को प्राथमिकता देने के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण अक्सर वे बीच में ही करियर छोड़ देती हैं।
    • नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में लैंगिक असंतुलन: भारत का विकसित स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र, नवाचार पर केंद्रित होने के बावजूद, अभी भी पुरुष-प्रधान बना हुआ है।

अन्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति

  • जापान और दक्षिण कोरिया में महिलाओं की STEM स्नातक दर और भी कम है, जो क्रमशः 16% और 20% है।
  • यद्यपि चीन में लगभग 40% महिला STEM स्नातक हैं, तथापि वह भारत के ही समान है, जो महिलाओं के लिए रोजगार में सुगम परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करता है।
  • ये प्रतिरूप दर्शाते हैं, कि:
    • केवल नामांकन बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है।
    • STEM करियर में वास्तविक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए कार्यस्थल की असमानताओं को समानांतर रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।

संरचनात्मक क्रांति के लिए अनिवार्यता

  • STEM में लैंगिक अंतराल के परिणाम केवल प्रतिनिधित्व से कहीं अधिक व्यापक हैं।
  • इन क्षेत्रों से महिलाओं को बाहर रखने से नवाचार और आर्थिक विकास कमजोर होता है।
  • समरूप एआई और मशीन लर्निंग तकनीकी प्रायः ऐसी प्रणालियाँ विकसित करती हैं, जो पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण होती हैं।
  • विविध दृष्टिकोणों का अभाव न केवल असमानता को दर्शाता है, बल्कि यह हमारे भविष्य को आकार देने वाले उपकरणों और प्रौद्योगिकियों में भी भेदभाव को जन्म देता है।
  • समावेशी एआई विकास के लिए तकनीकी समाधानों में निष्पक्षता, समानता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए सभी लिंगों से विविध प्रतिनिधित्व और विचारों की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • प्रारंभिक शिक्षा सुधार: लिंग-संवेदनशील शिक्षण पद्धति को प्राथमिकता दें। पाठ्यक्रमों में STEM में महिलाओं के योगदान को उजागर किया जाना चाहिए और रूढ़िवादिता का सक्रिय रूप से प्रतिकार किया जाना चाहिए।
  • करियर मार्गदर्शन कार्यक्रम: इन कार्यक्रमों को लिंग-आधारित करियर पथों की पारंपरिक धारणाओं को दुहराने की बजाय, चुनौती देने के लिए पुनर्गठित करें। जहाँ लड़कियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, वहाँ उचित मार्गदर्शन प्रदान करें।
  • कार्यस्थल परिवर्तन: विश्वविद्यालयों और नियोक्ताओं को निम्नलिखित कार्य करना होगा:
    • लक्षित मेंटरशिप पहलें ;
    • लचीली कार्य व्यवस्था;
    • तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए पारदर्शी उन्नति मानदंड;
    • बीच करियर में पढ़ाई छोड़ने से रोकने के लिए क्रेच सहायता और मातृत्व अवकाश जैसी आवश्यक सुविधाएँ।
  • मजबूत नीतिगत हस्तक्षेप: भारत सहित कई देशों ने STEM शिक्षा पहल शुरू की है, लेकिन आधे से भी कम देशों ने लैंगिक समानता के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से शामिल किया है।
    • नीतियों के लिए आवश्यक है: प्रवर्तनीय अधिदेश, मापनीय परिणाम, प्रवर्तन में राज्य-स्तरीय भिन्नताओं पर ध्यान, मुद्दों की पहचान करने और उन्हें प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए लिंग-आधारित डेटा संग्रह।

निष्कर्ष

भारत, अपनी विशाल महिला STEM प्रतिभा और गतिशील तकनीकी क्षेत्र के साथ, इस परिवर्तन में अग्रणी बनकर उभर सकता है, बशर्ते हम उन बाधाओं को दूर करने के लिए सुविचारित, व्यवस्थित कार्रवाई करें जिन्होंने महिलाओं को लंबे समय तक हाशिए पर रखा है। क्रमिक परिवर्तन का समय बीत चुका है, अब आवश्यकता एक संरचनात्मक क्रांति की है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

तुलनात्मक शैक्षणिक प्रदर्शन के बावजूद, STEM करियर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी काफी कम है। उन प्रमुख संरचनात्मक और सांस्कृतिक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए, जो महिलाओं को STEM क्षेत्रों में दीर्घकालिक करियर बनाने से बाधित करती हैं।

(10 अंक, 150 शब्द)

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