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सामाजिक सुरक्षा संहिता

Lokesh Pal July 11, 2025 01:45 18 0

संदर्भ

केंद्र सरकार के साथ वार्ता के बाद, उबर इंडिया वर्ष 2025 के अंत तक अपने ड्राइवरों के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता लागू कर सकती है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता के बारे में

  • विधायी पृष्ठभूमि: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 संसद द्वारा कई मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों को एक व्यापक ढाँचे में समेकित और सुव्यवस्थित करने के लिए पारित की गई थी।
  • दायरा एवं लाभार्थी: यह औपचारिक, अनौपचारिक, असंगठित, गिग एवं प्लेटफॉर्म श्रमिकों जैसे सभी श्रेणियों के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करती है, जिससे पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों से परे समावेशन सुनिश्चित होता है।
  • यह सरकार को श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाने में सक्षम बनाता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा।
    • कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के माध्यम से सेवानिवृत्ति लाभ।
    • महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व लाभ।
  • संस्थागत ढाँचा: संहिता में कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण करने और कार्यान्वयन की देख-रेख के लिए गिग प्लेटफॉर्म, श्रमिकों, सरकारी अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के प्रतिनिधित्व के साथ एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड के निर्माण का प्रावधान है।

सामाजिक सुरक्षा क्या है?

  • सामाजिक सुरक्षा एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली है, जो व्यक्तियों एवं परिवारों को आर्थिक जोखिमों और सुभेद्यताओं से बचाने के लिए बनाई गई है।
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा, ‘विशेष रूप से वृद्धावस्था, बेरोजगारी, बीमारी, दिव्यांगता, कार्यस्थल पर चोट लगने, मातृत्व या कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के मामलों में व्यक्तियों तथा परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करने एवं आय सुरक्षा की गारंटी देने के लिए प्रदान की जाने वाली सुरक्षा है।’

सामाजिक सुरक्षा के प्रमुख घटक

  • स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा
  • वृद्धावस्था सुरक्षा
  • बेरोजगारी लाभ
  • दिव्यांगता और कार्यस्थल पर चोट लगने पर लाभ
  • मातृत्व और पारिवारिक लाभ
  • उत्तरजीविता लाभ

सामाजिक सुरक्षा संहिता का महत्त्व

  • गिग वर्कर्स के लिए अंतरसंचालनीयता: इस संहिता के तहत, उबर ड्राइवरों जैसे गिग वर्कर्स को अंतरसंचालनीयता संबंधी लाभ प्राप्त होंगे, जिसका अर्थ है कि ओला या रैपिडो जैसे प्लेटफॉर्म पर जाने पर भी उनकी सामाजिक सुरक्षा जारी रहेगी।
  • व्यापक सुरक्षा: संहिता में जीवन और दिव्यांगता कवर, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा, शिक्षा आदि सहित केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए लाभों को अनिवार्य किया गया है।
  • सह-योगदान मॉडल: इन योजनाओं के लिए धन केंद्र एवं राज्य सरकारों और एग्रीगेटर्स (जैसे- उबर) से आएगा, जिससे श्रमिक कल्याण के लिए साझा जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी।
  • अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ संरेखण: भारत द्वारा सामाजिक सुरक्षा संहिता को अपनाना ILO की सिफारिशों और आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अनुबंध के तहत इसकी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा स्थिति के संबंध में चिंताएँ

  • अनौपचारिक कार्यबल का उच्च अनुपात: भारत में लगभग 85 प्रतिशत कार्यबल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है।
    • इन श्रमिकों के पास लिखित अनुबंध, सामाजिक सुरक्षा या औपचारिक कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच का अभाव है।
  • निम्न सामाजिक सुरक्षा कवरेज: भारत में वर्तमान में 40 करोड़ कार्यबल में से केवल लगभग 3.5 करोड़ के पास वृद्धावस्था आय सुरक्षा के रूप में औपचारिक सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच है।
    • गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए, नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों में कमी के कारण कवरेज और भी कम है।
  • बीमा पहुँच अपर्याप्त है: IRDAI के आँकड़ों (2024) के अनुसार, भारत में जीवन बीमा पहुँच सकल घरेलू उत्पाद के 3.2% से भी कम है, जबकि स्वास्थ्य बीमा पहुँच 0.9% से कम है, जो कमजोर आबादी के लिए अपर्याप्त जोखिम कवरेज को उजागर करता है।
  • खंडित कल्याण वितरण: अधिकांश सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ [जैसे- प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (PM-SYM), आयुष्मान भारत, आदि] अलग-अलग तरीके से संचालित होती हैं, यह व्यवस्था दोहराव और अकुशलता को जन्म देती है, जिससे बार-बार प्रवास करने वाले अथवा पेशा बदलने वाले श्रमिकों के लिए लाभों की संचालनीयता सीमित हो जाती है।

आगे की राह 

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता का त्वरित कार्यान्वयन: सुनिश्चित करना कि सभी हितधारक, विशेष रूप से गिग और प्लेटफॉर्म एग्रीगेटर, निर्धारित समय-सीमा के भीतर संहिता का अनुपालन करने तथा लाभ वितरण को क्रियान्वित करने के लिए ‘रियल-टाइम वर्कर डेटाबेस’ का निर्माण करें।
  • डिजिटल पोर्टेबिलिटी और इंटरलिंकिंग को बढ़ावा देना: प्रवासी और गिग श्रमिकों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए विभिन्न राज्यों एवं प्लेटफॉर्मों पर लाभों की पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने हेतु डिजिटल पहचान प्रणाली या श्रमिक रजिस्ट्री (जैसे- ई-श्रम) का विकास आवश्यक है।
  • एग्रीगेटर अनुपालन और जागरूकता को प्रोत्साहित करना: सामाजिक सुरक्षा में योगदान देने वाली प्लेटफॉर्म कंपनियों के लिए कर या नीतिगत प्रोत्साहन प्रदान करना और नामांकन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए श्रमिकों के बीच जागरूकता अभियान संचालित करना।

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