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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 11, 2025 02:47 82 0

वेरा सी. रुबिन वेधशाला

चिली स्थित वेरा सी. रुबिन वेधशाला ने अपनी पहली तस्वीरें जारी की हैं, जो इसके 3,200 मेगापिक्सेल डिजिटल कैमरे की क्षमता को दर्शाती हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा कैमरा है।

वेरा सी. रुबिन वेधशाला के बारे में

  • इसे ‘सदर्न सेलेस्टियल हेमिस्फीयर’ के 10 वर्षीय सर्वेक्षण, लिगेसी सर्वे ऑफ स्पेस एंड टाइम (LSST) करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • इसका नाम खगोलशास्त्री वेरा रुबिन के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने डार्क मैटर के लिए महत्त्वपूर्ण प्रमाण प्रदान किए थे।
  • वेरा सी. रुबिन वेधशाला एक अगली पीढ़ी की खगोलीय वेधशाला है।
  • उद्देश्य: डार्क मैटर, डार्क एनर्जी एवं क्षुद्रग्रहों के खतरों सहित ब्रह्मांडीय रहस्यों का पता लगाना।
  • अवस्थिति: सेरो पचोन, चिली एंडीज (समुद्र तल से 8,684 फीट ऊपर)
  • विकास: राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (NSF) एवं अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE)।

मुख्य विशेषताएँ

वेधशाला का मुख्य आकर्षण सिमोनी सर्वे टेलिस्कोप है। यह उपकरण निम्नलिखित कारणों से अद्वितीय है:

  • विस्तृत दृश्य क्षेत्र: कुशल प्रकाश संग्रहण के लिए त्रि-दर्पण डिजाइन का उपयोग करते हुए, यह एक ही चित्र में 40 पूर्ण चंद्रमाओं के समतुल्य क्षेत्र को कैप्चर करता है, जो कि क्षेत्र कवरेज सीमा में हबल और जेम्स वेब टेलिस्कोप से आगे है।
  • विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा: 3,200 मेगापिक्सेल कैमरा (एक छोटी कार के आकार का) से युक्त, यह पराबैंगनी से लेकर अवरक्त तक छह फिल्टरों का उपयोग करके, नग्न आँखों से दिखाई देने वाली वस्तुओं से 10 करोड़ गुना धुंधली वस्तुओं का पता लगा सकता है।
  • तेज पुनर्स्थापन एवं इमेजिंग: विश्व का सबसे तेज पुनर्स्थापन टेलिस्कोप, यह केवल 5 सेकंड में घूमता एवं स्थिर होता है, एक रात्रि में 1,000 तक इमेज कैप्चर करता है तथा प्रत्येक 72 घंटे में पूरे दृश्यमान आकाश को स्कैन करता है।
  • स्वचालित पहचान सॉफ्टवेयर: परिवर्तनों का पता लगाने के लिए वर्तमान एवं पिछली इमेज की निरंतर तुलना करता है, प्रतिरात्रि 1 करोड़ अलर्ट उत्पन्न करता है; परीक्षण में, इसने केवल 10 घंटों में 2,100 से अधिक नए क्षुद्रग्रहों की पहचान की, जिनमें 7 पृथ्वी के निकटवर्ती पिंड शामिल हैं।
  • व्यापक डेटा प्रबंधन: यह प्रत्येक रात्रि में 20 टेराबाइट डेटा एकत्र करता है एवं एक दशक में 5 मिलियन से अधिक क्षुद्रग्रहों तथा 1,00,000 पृथ्वी के निकटवर्ती पिंडों को सूचीबद्ध करने की उम्मीद है, जिसमें त्वरित वैज्ञानिक प्रतिक्रिया के लिए वास्तविक समय डेटा प्रसंस्करण शामिल है।

वेधशाला का महत्त्व

  • डार्क मैटर एवं डार्क एनर्जी का खुलासा: ब्रह्मांड का सबसे विस्तृत त्रि-आयामी मानचित्र तैयार करेगा, जिससे वैज्ञानिकों को अदृश्य पदार्थ के गुरुत्वाकर्षण प्रभावों का अध्ययन करने एवं ब्रह्मांड के त्वरित विस्तार को समझने में मदद मिलेगी।
  • प्रारंभिक खतरे का पता लगाना: संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहों की निगरानी कर वैश्विक तैयारियों को बढ़ाता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय ग्रह रक्षा प्रयासों में योगदान मिलता है।
  • वैज्ञानिक उपलब्धियाँ: आकाशगंगा निर्माण एवं ब्रह्मांडीय विकास पर मौजूदा सिद्धांतों की पुष्टि या उन्हें नया रूप देने की क्षमता प्रदान करता है, साथ ही शोधकर्ताओं तथा जनता दोनों के लिए रात्रि के समय आकाश का एक गतिशील, रियल टाइम मानचित्र प्रदान करता है।

नामीबिया गणराज्य

भारतीय प्रधानमंत्री को अफ्रीका में भारत के संचालित राजनयिक एवं आर्थिक प्रयासों के तहत नामीबिया की अपनी पहली यात्रा के दौरान नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस’ प्रदान किया गया।

  • इस पुरस्कार का नाम वेल्वित्चिया मिराबिलिस  के नाम पर रखा गया है, जो नामीब रेगिस्तान का एक प्राचीन पौधा है।

नामीबिया के बारे में

  • नामीबिया को आधिकारिक तौर पर नामीबिया गणराज्य के रूप में जाना जाता है, जिसकी राजधानी एवं सबसे बड़ा शहर विंडहोक है, जो औआस पर्वत के निकट अवस्थित है।
  • अवस्थिति: नामीबिया अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी तट पर अवस्थित है, जो दक्षिणी एवं पूर्वी गोलार्द्ध में अवस्थित है।
  • सीमाएँ: यह उत्तर में अंगोला एवं जांबिया, पूर्व में बोत्सवाना, दक्षिण तथा पूर्व में दक्षिण अफ्रीका एवं ज़ांबेजी नदी द्वारा विभाजित जिम्बाब्वे के साथ एक सँकरी सीमा साझा करता है।
    • अटलांटिक महासागर इसकी पश्चिमी सीमा बनाता है।

नामीबिया की भौगोलिक विशेषताएँ

  • नामीब मरुस्थल: यह एक संकीर्ण तटीय मरुस्थल है, जिसमें चट्टानी और रेतीले, दोनों प्रकार के भू-भाग शामिल हैं। अटलांटिक तट के साथ विस्तृत इस मरुस्थल में विश्व के कुछ सबसे ऊँचे बालूका स्तूप पाए जाते हैं, जो मुख्यतः सोसुस्वेली क्षेत्र में स्थित हैं।
    • ‘स्केलेटन कोस्ट’ घने कोहरे के कारण जहाजों के डूबने की घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
  • मध्य पठार: अंतर्देशीय पठार है एवं इसकी ऊँचाई 975 से 1,980 मीटर के बीच है। यह क्षेत्र नामीबिया की अधिकांश कृषि का आधार है तथा इसमें सवाना, झाड़ियाँ एवं वनभूमि शामिल हैं।
  • कालाहारी मरुस्थल: पूर्व में अवस्थित, यह रेगिस्तानी क्षेत्र नामीब से अधिक वनस्पतियों से युक्त क्षेत्र है।
  • उच्चावच: नामीबिया का सबसे उच्च बिंदु 2,573 मीटर ऊँचा माउंट ब्रैंडबर्ग है, जो पठार के पश्चिमी किनारे पर अवस्थित है।
  • नदियाँ: प्रमुख नदियों में कुनेने, ओकावांगो, ऑरेंज, स्वाकोप, कुइसेब एवं फिश नदियाँ शामिल हैं।

MALE क्लास ड्रोन

भारत ने स्थानीय निर्माताओं से 87 मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (Medium Altitude Long Endurance- MALE) ड्रोन की खरीद में तेजी ला दी है।

MALE क्लास  ड्रोन के बारे में

  • MALE ड्रोन मानवरहित हवाई यान हैं, जिन्हें मध्यम ऊँचाई (35,000 फीट तक) एवं 30 घंटे की लंबी उड़ानों के लिए डिजाइन किया गया है।
  • सामरिक महत्त्व: ये ड्रोन भारतीय सेना को बेहतर निगरानी एवं खुफिया जानकारी जुटाने की क्षमता प्रदान करते हैं, खासकर चीन तथा पाकिस्तान जैसी संवेदनशील सीमाओं पर।
  • रक्षा उन्नयन: ये ड्रोन सटीक हमला करने की क्षमता से लैस हैं, जिससे इस क्षेत्र में भारत की निवारक शक्ति में वृद्धि होती है।
    • भारत ने DRDO के ‘रुस्तम’ जैसे स्वदेशी MALE ड्रोन विकसित किए हैं, जिनसे रक्षा रणनीति के लिए विविध आयातित ड्रोन के पूरक निर्माण की संभावना है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: MALE ड्रोन बाजार अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी है, जिसमें अमेरिका, चीन एवं इजरायल जैसे देश प्रौद्योगिकी तथा विकास में अग्रणी हैं।
    • MQ-9 रीपर (अमेरिका) एवं विंग लूंग शृंखला (चीन) MALE ड्रोन के उदाहरण हैं।

ब्लूटूथ मेश नेटवर्क

ट्विटर के सह-संस्थापक जैक डोर्सी, ब्लूटूथ मेश नेटवर्किंग का उपयोग करके इंटरनेट के बिना ‘ऑफलाइन संचार’ को सक्षम करने वाला एक मैसेजिंग ऐप, बिटचैट विकसित कर रहे हैं।

बिटचैट के बारे में

  • संदर्भ: बिटचैट एक पीयर-टू-पीयर मैसेजिंग ऐप है।
  • कनेक्टिविटी: यह सर्वर, इंटरनेट या मोबाइल नेटवर्क पर निर्भर हुए बिना ऑफलाइन संचार की अनुमति देता है।
  • उद्देश्य: लचीला, निजी एवं विकेंद्रीकृत संचार प्रदान करना।

ब्लूटूथ मेश नेटवर्किंग के बारे में

  • प्रौद्योगिकी: ब्लूटूथ लो एनर्जी (BLE) मेश नेटवर्किंग उपकरणों को एक मल्टी-हॉप, मेनी-टू-मेनी (Many-to-many) संचार प्रणाली निर्माण में सक्षम बनाती है।
  • कार्यप्रणाली: सीमा के भीतर के उपकरण नोड्स के रूप में कार्य करते हैं, जो नेटवर्क के माध्यम से संदेशों को रिले करते हैं।
  • लचीलापन: यह संरचना सुनिश्चित करती है कि यदि एक उपकरण विफल भी हो जाए, तो भी नेटवर्क कार्यात्मक बना रहे।
  • डेटा प्रबंधन: इसमें कोई केंद्रीय सर्वर शामिल नहीं है, जो संदेश स्थानीय रूप से संगृहीत होते हैं एवं थोड़े समय बाद स्वतः हटा दिए जाते हैं।
    • उदाहरण: व्यक्ति A का संदेश व्यक्ति D तक B और C के माध्यम से पहुँचता है, भले ही D, A की प्रत्यक्ष पहुँच से बाहर हो।

बिटचैट की मुख्य विशेषताएँ

  • मेश रिले के माध्यम से 300 मीटर से अधिक की ऑफलाइन संदेश भेजने की सीमा।
  • ‘एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन’ संदेशों की पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित करता है।
  • किसी पंजीकरण या खाते की आवश्यकता नहीं साथ ही किसी ईमेल या फोन नंबर की आवश्यकता नहीं।
  • कोई डेटा संग्रह नहीं।
  • इनके लिए समर्थन
    • टॉपिक बेस्ड  चैट रूम
    • पासवर्ड-प्रोटेक्टेड चैट रूम
    • उल्लेखनीय और पसंदीदा (Mentions and favourites)।
  • कोडिंग या इंटरनेट रिले चैट (IRC) जैसे इंटरफेस वाला न्यूनतम यूजर इंटरफेस (UI)

बिटचैट में ब्लूटूथ मेश के लाभ

  • गोपनीयता: संदेश मेश नेटवर्क से बाहर नहीं जाते।
  • नेटवर्क लचीलापन: कुछ नोड्स के विफल होने पर भी कार्य करता है।
    • डेटा किसी केंद्रीय डेटाबेस पर संगृहीत नहीं होता है।
  • कम ऊर्जा खपत: मोबाइल एवं IoT परिवेशों के लिए आदर्श।
  • गोपनीयता: ऐप से उपयोगकर्ता की कोई पहचान नहीं जुड़ी है।

मुख्य सीमाएँ

  • मल्टी-हॉप संदेश रूटिंग के कारण उच्च विलंबता।
  • कम डेटा स्थानांतरण दर।
  • नोड्स की संख्या बढ़ने पर जटिल नेटवर्क प्रबंधन।

AI फॉर गुड ग्लोबल समिट

हाल ही में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में ‘AI फॉर गुड ग्लोबल समिट’ का आयोजन किया गया।

संबंधित तथ्य

  • इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाना था।

AI फॉर गुड ग्लोबल समिट के बारे में

  • अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा 40 से अधिक संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ साझेदारी में आयोजित एवं स्विस परिसंघ द्वारा सह-आयोजित यह शिखर सम्मेलन विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं तथा उद्योग जगत के अभिकर्ताओं को एक साथ लाता है।
  • उद्देश्य: सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की दिशा में प्रगति में तेजी लाने के लिए AI के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की पहचान करना एवं AI समाधानों को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने के लिए AI नवप्रवर्तकों को सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के निर्णय निर्माताओं से जोड़ना।

फोकस क्षेत्र

  • स्वास्थ्य सेवा (रोग निदान एवं उपचार), पर्यावरणीय स्थिरता (जलवायु मॉडलिंग), तथा शिक्षा (व्यक्तिगत शिक्षा) जैसे क्षेत्रों में AI अनुप्रयोग।
  • यह AI के नैतिक उपयोग पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें डेटा गोपनीयता, एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह एवं AI द्वारा असमानताओं को बढ़ाने की क्षमता जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाता है।
  • यह आयोजन ‘रिस्पांसिबल AI’ के उपयोग के लिए नीतियाँ एवं ढाँचे बनाने के लिए सरकारों, निजी क्षेत्र तथा नागरिक समाज के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।

अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के बारे में

  • ITU सबसे पुराने अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक है एवं संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है, जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) पर केंद्रित है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1865 में हुई थी।
  • उद्देश्य: विकासशील देशों में ICT की पहुँच एवं क्षमता को बढ़ाकर ‘डिजिटल डिवाइड’ को कम करना।
  • मुख्यालय: जेनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • सदस्यता: इसमें 194 सदस्य देश, निजी कंपनियाँ, शैक्षणिक निकाय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठन क्षेत्रीय सदस्य तथा सहयोगी के रूप में शामिल हैं।

निस्तार (NISTAR)

हाल ही में भारत ने नौसेना को अपना पहला स्वदेश निर्मित ‘डाइविंग सपोर्ट वेसल’ (Diving Support Vessel- DSV) ‘निस्तार’ सौंपा।

निस्तार के बारे में

  • संस्कृत में ‘निस्तार’ का अर्थ मुक्ति/बचाव होता है एवं इसे आपात अवस्था में जल के भीतर बचाव एवं गोताखोरी कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
  • विकासकर्ता: इस पोत का डिजाइन एवं निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा भारतीय नौवहन रजिस्टर (IRS) वर्गीकरण मानदंडों के तहत किया गया है।

निस्तार की मुख्य विशेषताएँ

  • बचाव सहायता: गहरे जलमग्न बचाव पोत (DSRV) के लिए एक मुख्य पोत के रूप में कार्य करता है।
  • उन्नत उपकरण: 1,000 मीटर की गहराई तक निगरानी एवं बचाव कार्यों के लिए दूर से संचालित वाहन (ROVs) शामिल हैं।

महत्त्व

  • यह भारत की जल के भीतर बचाव क्षमता को बढ़ाता है, जो विश्व स्तर पर कुछ ही नौसेनाओं तक सीमित है।
  • आपात स्थितियों के दौरान पनडुब्बी सुरक्षा का समर्थन करता है एवं रणनीतिक समुद्री तैयारियों को मजबूत करता है।
  • इसमें लगभग 75% सामग्री स्वदेशी है, जो आत्मनिर्भर भारत एवं मेक इन इंडिया पहल के साथ रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।

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