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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal July 14, 2025 03:05 34 0

अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा11-13 सितंबर 2025 तक नई दिल्ली में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पांडुलिपि विरासत सम्मेलन (International Manuscript Heritage Conference) का आयोजन किया गया।

संबंधित तथ्य

  • यह संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपि परंपरा को पुनर्जीवित, संरक्षित एवं बढ़ावा देना है।
    • यह ‘ज्ञान भारतम मिशन’ (Gyan Bharatam Mission) के शुभारंभ के एक भाग के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
    • यह स्वामी विवेकानंद के शिकागो संबोधन (1893) की वर्षगांठ का प्रतीक है।
  • प्रमुख प्रतिभागी: वैश्विक विद्वान, शोधकर्ता, सांस्कृतिक संरक्षक एवं विचारक।
  • फोकस क्षेत्र
    • प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण, डिजिटलीकरण एवं प्रसार।
    • आधुनिक तकनीक के साथ पारंपरिक ज्ञान का एकीकरण।
    • पांडुलिपि अध्ययन में अनुसंधान, शिक्षा एवं क्षमता निर्माण के लिए समर्थन।

ज्ञान भारतम मिशन (GBM) के बारे में

  • इसे केंद्रीय बजट वर्ष 2025-26 में घोषित किया गया था।
  • उद्देश्य: भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण एवं संरक्षण करना।
  • मुख्य क्षेत्र: यह मिशन मुख्य रूप से शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों एवं निजी संग्रहकर्ताओं द्वारा संरक्षित पांडुलिपियों को लक्षित करता है ताकि उनका व्यवस्थित संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
  • लक्ष्य: एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को शामिल करना, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए उनके दीर्घकालिक संरक्षण एवं सुलभता की गारंटी मिल सके।
  • राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का पुनरुद्धार: इस मिशन के माध्यम से, सरकार राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (National Manuscripts Mission- NMM) को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है, जिसे वर्ष 2003 में शुरू किया गया था, लेकिन यह काफी हद तक निष्क्रिय रहा।
  • बजट आवंटन: ‘ज्ञान भारतम मिशन’ को समायोजित करने के लिए केंद्रीय बजट वर्ष 2025-26 में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (NMM) के लिए वित्तीय आवंटन ₹3.5 करोड़ से बढ़कर ₹60 करोड़ हो गया है।
  • कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इस पहल के कार्यान्वयन एवं निगरानी के लिए जिम्मेदार है।

भारत की पांडुलिपियों की स्थिति

  • भारत में अनुमानित 1 करोड़ प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं। 
  • इसमें विभिन्न विषयों की पांडुलिपियाँ शामिल हैं:-
    • दर्शन, वैदिक अनुष्ठान, साहित्य, विज्ञान, गणित, चिकित्सा, ज्योतिष, कला, दर्शन, वास्तु, आदि।
  • मंदिरों, मठों, जैन भंडारों, अभिलेखागारों, पुस्तकालयों एवं निजी संग्रहों की पांडुलिपियां शामिल  है।

अर्थ इंटेलिजेंस 

विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक अर्थ इंटेलिजेंस 20 अरब डॉलर के बाजार में विकसित हो जाएगा, एवं उद्यम पृथ्वी अवलोकन समाधानों पर खर्च करने में सरकारों से आगे निकल जाएँगे।

अर्थ इंटेलिजेंस क्या है?

  • अर्थ इंटेलिजेंस, पृथ्वी अवलोकन डेटा (उपग्रहों, सेंसरों, ड्रोनों से) पर लागू AI-संचालित विश्लेषण के उपयोग को संदर्भित करता है ताकि कार्रवाई योग्य जानकारी प्राप्त की जा सके।
  • घटक: इसमें डेटा संग्रह (उपग्रहों के माध्यम से), डेटा रूपांतरण एवं AI तथा डोमेन-विशिष्ट अनुप्रयोगों का उपयोग करके जानकारी प्राप्त करना शामिल है।
  • उपयोग के उदाहरण: वैश्विक ‘मेटल रिफाइनरी’ संबंधी तापमान की निगरानी, रेल पटरियों पर तूफान से संबंधित बाधाओं की पहचान, यातायात पैटर्न का विश्लेषण एवं समुद्रीवस्तुओं की निगरानी करना

अर्थ इंटेलिजेंस से प्रभावित क्षेत्र

  • भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी: अर्थ इंटेलिजेंस बुनियादी ढाँचे, रसद एवं कृषि के लिए भू-स्थानिक मानचित्रण, वास्तविक समय इमेजिंग तथा स्थानिक विश्लेषण पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता: AI आपदा प्रतिक्रिया, जलवायु पूर्वानुमान, शहरी नियोजन एवं संसाधन प्रबंधन में उपयोग किए जाने वाले पूर्वानुमान मॉडल को बढ़ावा देता है।।
  • उपग्रह एवं सुदूर संवेदन: उपग्रह आधारभूत आँकड़े प्रदान करते हैं, जिससे भू-भाग, जलवायु परिवर्तन, फसल स्वास्थ्य एवं बुनियादी ढाँचे के विकास की निगरानी संभव हो पाती है।
  • उद्योग उपयोग: खनन, नौवहन, विनिर्माण, कृषि, शहरी नियोजन एवं बीमा जैसे उद्योग दक्षता तथा लचीलेपन में सुधार के लिए अर्थ इंटेलिजेंस को अपना रहे हैं।

संचार मित्र योजना

हाल ही में, दूरसंचार विभाग (भारत सरकार) ने संचार मित्र योजना का देशव्यापी विस्तार किया है, जिसके तहत असम लाइसेंस प्राप्त सेवा क्षेत्र (Licensed Service Area- LSA) ने अपने पहले प्रयास में 18 शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ साझेदारी की गई है।

संचार मित्र योजना के बारे में

  • संचार मित्र अपने समुदायों में डिजिटल साक्षरता एवं जागरूकता अभियान चलाएँगे।
  • उद्देश्य: दूरसंचार सेवाओं, साइबर सुरक्षा, डिजिटल धोखाधड़ी, EMF विकिरण एवं ज़िम्मेदार मोबाइल उपयोग के बारे में ज़मीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाना।
  • नोडल निकाय: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा कार्यान्वित, राष्ट्रीय संचार अकादमी – प्रौद्योगिकी (NCA-T) एवं दूरसंचार विभाग के मीडिया विंग से प्रशिक्षण सहायता के साथ।
  • लक्षित समूह: भाग लेने वाले संस्थानों द्वारा नामित दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान एवं साइबर सुरक्षा जैसे विषयों के छात्र।
  • तीन स्तंभ: नागरिकों एवं दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के मध्य सेतु के रूप जुड़ना, शिक्षित करना तथा नवाचार करना।

संचार मित्रों के लिए अवसर

  • उन्हें 5G, 6G, AI एवं साइबर सुरक्षा जैसी उभरती तकनीकों में संरचित प्रशिक्षण मिलेगा। 
  • प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन जैसे इंटर्नशिप, इंडिया मोबाइल कांग्रेस में भागीदारी एवं अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार मंचों का अनुभव मिलेगा।

अस्त्र मिसाइल

हाल ही में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एवं भारतीय वायु सेना ने ओडिशा में बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल’ (BVRAAM) अस्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

अस्त्र मिसाइल के बारे में

  • अस्त्र भारत की पहली स्वदेशी ‘बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल’ (Beyond Visual Range Air-to-Air Missile- BVRAAM) है, जिसे दुश्मन के विमानों को उस स्थिति में भी लक्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है जब वे पायलट को दिखाई नहीं दे रहे हों।
  • विकसितकर्ता: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा भारतीय वायु सेना (IAF) तथा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ साझेदारी में विकसित किया गया।

अस्त्र मिसाइल की मुख्य विशेषताएँ

  • रेंज: 100 किमी. से अधिक।
  • प्रौद्योगिकी: स्वदेशी सीकर, उन्नत मार्गदर्शन एवं नेविगेशन प्रणाली।
  • उद्देश्य: बियांड विजुअल रेंज (BVR) लंबी दूरी पर दुश्मन के विमानों को मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया।

ऑपरेशन शिवा 2025

हाल ही में, भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन शिवा 2025’ शुरू किया है।

ऑपरेशन शिवा के बारे में

  • अमरनाथ यात्रा वर्ष 2025 की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना द्वारा शुरू किया गया एक उच्च-गहनता वाला सुरक्षा अभियान है।
  • संचालन: भारतीय सेना, नागरिक अधिकारियों एवं केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के समन्वय में शुरू किया गया।
    • जम्मू एवं कश्मीर में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 8,500 से अधिक सैनिक तैनात किये गए हैं।
  • मार्ग की निरंतर निगरानी: 38-दिवसीय यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलती है। इसमें दो मुख्य मार्ग शामिल हैं:-
    • नुन्वान-पहलगाम मार्ग (48 किमी.): अनंतनाग जिला।
    • बालटाल मार्ग (14 किमी.): गंदेरबल जिला।
    • दोनों मार्ग निरंतर निगरानी में हैं।

ऑपरेशन शिवा की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रौद्योगिकी-संचालित आतंकवाद-रोधी उपाय: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बहु-स्तरीय आतंकवाद-रोधी ढाँचा लागू।
    • प्रमुख घटक
      • काउंटर-UAS ग्रिड: 50 से अधिक ड्रोन निष्क्रियीकरण प्रणालियाँ एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक।
      • निगरानी: लाइव ड्रोन फीड एवं उच्च-रिजॉल्यूशन वाले PTZ कैमरा से निगरानी।
      • लोगों पर नजर: जम्मू से तीर्थस्थल तक वास्तविक समय की निगरानी।
  • आपदा तैयारी एवं तीर्थयात्री सहायता- इंजीनियरिंग टास्क फोर्स: मार्ग चौड़ीकरण, पुल निर्माण, भूस्खलन के लिए त्वरित प्रतिक्रिया।
    • चिकित्सा अवसंरचना: 150 से अधिक डॉक्टर/पैरामेडिक्स, 100 बिस्तरों वाला अस्पताल, 26 ऑक्सीजन बूथ (2 लाख लीटर), 9 सहायता चौकियाँ।
    • आपातकालीन रसद: बम निरोधक दस्ते, निर्बाध संचार, तकनीकी इकाइयाँ, बुलडोज़र, 25,000 तीर्थयात्रियों के लिए राशन।
  • हवाई एवं भूमिगत आपातकालीन उपाय: आपात स्थिति के लिए हेलीकॉप्टरों की तैनती।
    • त्वरित प्रतिक्रिया दल (Quick Reaction Teams- QRTs), जल केंद्र, टेंट सिटी एवं सिग्नल कंपनियाँ तैनात।

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