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डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून बदलाव और चुनौतियाँ

Lokesh Pal July 15, 2025 05:30 25 0

संदर्भ:

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम 2023 भारत के डिजिटल शासन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धी हासिल करने का संकेत है।

  • इस कानून का उद्देश्य तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया में नागरिकों के डिजिटल अधिकारों की रक्षा करना है।
  • यद्यपि यह अधिनियम डिजिटल क्षेत्र हेतु एक आधारभूत ढांचा प्रदान करता है, लेकिन शीघ्र ही अधिसूचित किए जाने वाले नियम इसके व्यावहारिक कार्यान्वयन को निर्धारित करेंगे।

डेटा प्रिंसिपल को सशक्त बनाना:

  • अपने मूल में, डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम व्यक्तिगत डेटा प्रिंसिपल के सशक्तीकरण का समर्थन करता है।
  • इसका मतलब यह है कि जब कोई उपयोगकर्ता किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जानकारी साझा करता है – चाहे वह ई-कॉमर्स साइट हो या वित्तीय सेवा – तो वे उस डेटा पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखते हैं।
  • उपयोगकर्ताओं, जिन्हें डेटा प्रिंसिपल कहा जाता है, के पास अपने व्यक्तिगत डेटा के उपयोग के लिए सहमति देने और, महत्वपूर्ण रूप से, वापस लेने का अधिकार होता है।
  • इस सिद्धांत का मुख्य उद्देश्य एक मजबूत डेटा शासन तंत्र स्थापित करना है, जहां व्यक्तिगत डेटा केवल बड़े निगमों का स्वामित्व वाला डोमेन नहीं है, बल्कि समग्र वैश्विक कल्याण के लिए एक सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है।

कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों का समाधान:

  • सहमति को परिभाषित करना और लागू करना: सहमति की अवधारणा को सटीक परिभाषा की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति वित्तीय लेनदेन डेटा के लिए सहमति वापस ले लेता है, तो इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जैसी नियामक संस्थाओं को लेनदेन की निगरानी करने में बाधा आ सकती है, जिससे कर चोरी जैसे मुद्दे उभर सकते हैं।
    • ऐसी अस्पष्टताएं फिनटेक कंपनियों और अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों के संचालन को बाधित कर सकती हैं।
  • व्यक्तिगत अधिकारों और नियामक आवश्यकताओं में संतुलन:
    • व्यक्ति के निजता के अधिकार, जो स्वतंत्रतापूर्वक संविधान में प्रदत्त जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का एक भाग है, तथा विनियामक निरीक्षण की आवश्यकता के बीच एक मौलिक संघर्ष विद्यमान है।
    • क्रेडिट ब्यूरो, दूरसंचार कंपनियां और उपयोगिता प्रदाता जैसे संगठन वैध संचालन और विनियामक अनुपालन के लिए महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डेटा एकत्र करते हैं।
    • अतः नियमों में एक संवेदनशील संतुलन बनाना होगा जो आवश्यक विनियामक कार्यों में बाधा डाले बिना गोपनीयता की रक्षा करने में सहायक हो।
  • हितधारकों में सामंजस्य स्थापित करना:
    • प्रभावी डेटा संरक्षण के लिए व्यवसायों, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) जैसे नियामकों और उपभोक्ताओं के बीच समन्वित प्रयास की आवश्यकता होती है।
    • नियमों में स्पष्टता और एकरूपता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए तथा विभिन्न संस्थानों पर अनुपालन का बोझ कम करने के लिए अद्यतन दिशानिर्देश प्रदान किए जाने चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी में गोपनीयता को एकीकृत करना: अधिनियम गोपनीयता पर जोर देता है।
    • इसके लिए डेटा ट्रेसिबिलिटी सुनिश्चित करना, उपयोगकर्ताओं को उनके डेटा पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करना तथा सहमति को रद्द करने योग्य बनाना आवश्यक है।
    • अतः सबसे बड़ी चुनौती इन कठोर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विद्यमान, प्रायः विरासत में मिली, प्रौद्योगिकी प्रणालियों को अनुकूलित करने में निहित है।
  • सीमा पार डेटा स्थानांतरण का प्रबंधन:
    • केन्द्र सरकार के पास अन्य देशों, विशेषकर शत्रुतापूर्ण माने जाने वाले देशों को व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने की शक्ति है।
    • यह देखते हुए कि कई डिजिटल प्लेटफॉर्म विभिन्न देशों में क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और मुख्यालय वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उपयोग करते हैं, अचानक लागू किया गया कानून अत्यधिक विघटनकारी हो सकता है।
    • अतः इन बड़े पैमाने के ऑपरेटरों के लिए चरणबद्ध संक्रमण अवधि महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपनी डेटा भंडारण सुविधाओं को बदल सकें या स्थानीय बना सकें।
  • अनाम डेटा और एआई जोखिमों पर ध्यान देना: जबकि डेटा को अनाम (Anonymized) करने का उद्देश्य व्यक्तिगत पहचान की रक्षा करना है। इस संदर्भ में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उदय नई समस्याओं को जन्म दे सकता है।
    • एआई संभावित रूप से छद्म या अनाम डेटा से व्यक्तियों की पुनः पहचान कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप फर्जी प्रोफाइल का निर्माण हो सकता है या गलत सूचना और सार्वजनिक अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • नियमों में कृत्रिम बुद्धि के युग में अनाम डेटा के उपयोग के लिए मजबूत स्पष्टीकरण और विनियमन प्रदान किया जाना चाहिए ताकि इस तरह के दुरुपयोग को रोका जा सके।
  • डेटा उल्लंघन प्रोटोकॉल को स्पष्ट करना:
    • वर्तमान समय में इस अधिनियम में डेटा उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई के लिए विशिष्ट प्रावधानों का अभाव है।
    • नियमों में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए कि डेटा उल्लंघन क्या है, उल्लंघन की घोषणा करने में भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) जैसी एजेंसियों की भूमिका को चिन्हित किया जाना चाहिए, तथा आपातकालीन प्रावधानों की रूपरेखा तैयार की जानी चाहिए।
    • इसके अतिरिक्त जिन व्यक्तियों के डेटा के साथ समझौता किया गया है, उनके लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता है और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए संगठनात्मक प्रतिक्रियाओं की भी आवश्यकता है।
  • मुकदमेबाजी और प्रावधानों के दुरुपयोग को कम करना:
    • यह अधिनियम विवादों को सुलझाने के लिए एक डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना करता है।
    • हालांकि इन मामलों की सबसे प्रमुख समस्या यह है कि जहां व्यक्ति कम्पनियों को परेशान करने के लिए प्रावधानों का दुरुपयोग कर सकते हैं।
    • विवाद समाधान तंत्र पर अत्यधिक बोझ पड़ने और उसकी संभावित क्षति को रोकने के लिए, नियमों में फास्ट-ट्रैक डिजिटल न्यायाधिकरणों की स्थापना और अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के लिए दंड के प्रावधान पर विचार किया जाना चाहिए।
    • इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल गंभीर शिकायतें ही बोर्ड तक पहुंचेंगी और उसका अतिरिक्त भार कम हो सकेगा।

आगे की राह:

  • वैश्विक उदाहरण: भारत अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से सीख सकता है, जैसे कि सिंगापुर का डेटा संरक्षण अधिनियम, जिसने चरणबद्ध तरीके से परिवर्तन लागू किए, क्षेत्र-विशिष्ट नियम स्थापित किए और संगठनात्मक जवाबदेही पर जोर दिया।
  • उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम की वास्तविक सफलता के लिए, इसके नियमों में उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन शामिल होना चाहिए।
    • इसके लिए निरंतर संवाद और अनुकूलन के माध्यम से व्यवसायों, उपयोगकर्ताओं और नियामकों को शामिल करते हुए समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।
    • तेजी से बदलते तकनीकी परिदृश्य को देखते हुए नियमों को नियमित रूप से अद्यतित करना आवश्यक होगा।

निष्कर्ष:

अतः इस परिदृश्य हेतु कुछ व्यापक और अनुकूल उपायों के माध्यम से ही भारत अपने डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में गोपनीयता और विश्वास दोनों को सुनिश्चित कर सकता है, जिससे एक सुरक्षित और संपन्न डिजिटल अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त होगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: परीक्षण कीजिए कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 डेटा सिद्धांतों को सशक्त बनाकर भारत के डिजिटल परिदृश्य में व्यक्तिगत गोपनीयता को कैसे सुदृढ़ करता है। इसके कार्यान्वयन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए और व्यक्तिगत डेटा अधिकारों में संतुलन स्थापित करने के लिए प्रभावी उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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