100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

गलत तरीके से कारावास संबंधी सजा प्राप्त व्यक्तियों को मुआवजा देने का कानून

Lokesh Pal July 18, 2025 04:39 8 0

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्यु दंड की सजा प्राप्त एक कैदी को मुक्त कर दिया तथा संसद से आग्रह किया कि वह लंबी कैद के बाद बरी हुए कैदियों के लिए कानूनी मुआवजे पर विचार करे।

देवकर बनाम तमिलनाडु राज्य मामले के बारे में

  • दोषपूर्ण जाँच के कारण दोषसिद्धि रद्द: सर्वोच्च न्यायालय ने केरल में वर्ष 2011 में हुए दोहरे हत्याकांड के लिए मृत्यु दंड की सजा प्राप्त कट्टावेल्लई उर्फ देवकर को दोषपूर्ण जाँच और अविश्वसनीय साक्ष्यों का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
  • फोरेंसिक प्रक्रियाओं में व्यावसायिकता का अभाव: निर्णय में कथित हथियार पर खून का न होना, DNA नमूनों का गलत प्रयोग और प्रमुख गवाहों से पूछताछ न करना जैसी गंभीर खामियों का उल्लेख किया गया।

‘कारावास’ के बारे में

  • कारावास, अर्थात् कैद होने की स्थिति, उन व्यक्तियों के लिए सजा या नजरबंदी का एक रूप है, जिन्हें अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है या जो मुकदमे में संलग्न हैं।
  • इसमें किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करना और उसे जेल या अन्य सुधारात्मक सुविधा में सीमित करना शामिल है।
  • गलत कारावास से तात्पर्य उन व्यक्तियों के कारावास से है, जो बाद में उन अपराधों के लिए निर्दोष साबित होते हैं, जिनके लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था।

गलत तरीके से कारावास संबंधी सजा के लिए जिम्मेदार कारक

  • मीडिया ट्रायल: मीडिया कवरेज से प्रभावित जनमत, जैसे कि रिया चक्रवर्ती-सुशांत सिंह राजपूत मामले में, जाँच और न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है।
  • अनुचित जाँच: पुलिस जाँच में उचित प्रशिक्षण का अभाव, प्रक्रियागत खामियाँ और अपर्याप्त फोरेंसिक संसाधन, गलत पहचान तथा झूठे आरोपों का कारण बन सकते हैं।
  • कड़े कानून: गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम जैसे कानून समय पर सुनवाई के बिना व्यक्ति को लंबे समय तक हिरासत में रखने की अनुमति देते हैं, जिससे निर्दोष लोगों के जेल में रहने का खतरा बढ़ जाता है।
  • न्यायिक विलंब: मुकदमों और प्रक्रियात्मक अक्षमताओं के कारण अदालती कार्यवाही में विलंब के परिणामस्वरूप, बिना दोषसिद्धि के भी विचाराधीन व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ता है।

गलत तरीके से कारावास संबंधी सजा प्राप्त व्यक्तियों के लिए मुआवजे की आवश्यकता

  • बिना दोष सिद्ध हुए लंबी अवधि का कारावास: कई लोग दोषपूर्ण मुकदमों के आधार पर वर्षों जेल में बिताते हैं और बाद में निर्दोष पाए जाते हैं, फिर भी उन पर हुए अन्याय के लिए कोई मुआवजा नहीं मिलता।
    • दिसंबर 2001 में, UAPA के तहत 127 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था; 19 वर्ष बाद, सूरत की एक अदालत ने अभियोजन पक्ष के अपर्याप्त और अविश्वसनीय साक्ष्यों के कारण उन्हें बरी कर दिया।
  • भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक आघात: गलत तरीके से कैद करने से मनोवैज्ञानिक क्षति, सामाजिक उपेक्षा, आजीविका का नुकसान और पारिवारिक संबंध टूटते हैं और पुनर्वास या क्षतिपूर्ति का कोई औपचारिक साधन नहीं होता।
  • वैधानिक उपायों का अभाव: भारत में वर्तमान में बरी हुए व्यक्तियों को जेल में बिताए गए वर्षों के लिए मुआवजा देने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है, जबकि कई विकसित देश वैधानिक राहत प्रदान करते हैं।
  • विधायी कार्रवाई का आह्वान: सर्वोच्च न्यायालय ने संसद को विदेशी मुआवजा ढाँचों पर विचार करने और ऐसे कानून बनाने पर विचार करने का सुझाव दिया, जो बरी होने के बाद भी न्याय सुनिश्चित करें।

मुआवजे की माँग करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के अन्य मामले

  • बबलू चौहान बनाम दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (वर्ष 2017): दिल्ली उच्च न्यायालय ने अनुच्छेद-21 (जीवन के अधिकार) के उल्लंघन का हवाला देते हुए, गलत तरीके से चलाए गए मुकदमा से प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजा देने के लिए एक कानून बनाने का संसद से आग्रह किया।
  • मोहम्मद अजमल आमिर कसाब मामला (वर्ष 2012): हालाँकि कसाब को दोषी ठहराया गया था, लेकिन इस मामले ने निष्पक्ष जाँच के दायित्व और इसके उल्लंघन से निर्दोष अभियुक्तों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चर्चाएँ प्रारंभ कर दीं।
  • रिनी जौहर बनाम मध्य प्रदेश राज्य (वर्ष 2016): सर्वोच्च न्यायालय ने गलत रूप से गिरफ्तारी और सत्ता के दुरुपयोग के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया तथा कानूनी प्रक्रियाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिए तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया।
  • जोगिंदर कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (वर्ष 1994): न्यायालय ने मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध सुरक्षा पर जोर दिया और गलत रूप से हिरासत को रोकने के लिए जवाबदेही तथा सुरक्षा उपायों का आह्वान किया।

गलत कारावास के लिए मुआवजा प्रदान करने के आधार

  • संविधान का अनुच्छेद-21 प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है, लेकिन व्यवहार में इस मूल अधिकार का बार-बार उल्लंघन किया जाता है, जो न केवल असंवैधानिक है बल्कि चिंताजनक भी है।
  • अनुच्छेद-14 कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित करता है, परंतु गलत तरीके से हिरासत में लिए गए लोगों के साथ असमान व्यवहार होता है।
  • भारतीय विधि आयोग (277वीं रिपोर्ट, 2018) ने ऐसे व्यक्तियों को शीघ्र मुआवजा और पुनर्वास प्रदान करने के लिए एक वैधानिक ढाँचे की सिफारिश की है।

मुआवजे की वैश्विक प्रथाएँ

  • जर्मनी: जर्मन आपराधिक क्षति कानून (आपराधिक अभियोजन के लिए मुआवजा संबंधी कानून) मानकीकृत मुआवजा सुनिश्चित करता है, जिसमें प्रतिदिन के मौद्रिक पुरस्कार और सामाजिक पुनर्एकीकरण उपाय शामिल हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: कई राज्यों में दोषमुक्त किए गए व्यक्तियों को मौद्रिक मुआवजा प्रदान करने संबंधी कानून हैं, जिनकी राशि कारावास की अवधि के अनुसार अलग-अलग होती है। कुछ राज्य शिक्षा और आवास जैसी सहायता सेवाएँ भी प्रदान करते हैं।
  • यूनाइटेड किंगडम: आपराधिक न्याय अधिनियम के तहत, गलत दोषसिद्धि के बाद बरी किए गए व्यक्तियों को कड़ी शर्तों के अधीन मुआवजा प्राप्त हो सकता है, जिसकी प्रायः राज्य सचिव द्वारा समीक्षा की जाती है।
  • फ्राँस: फ्राँसीसी कानून, सेशन कोर्ट के तहत मुआवजे के लिए एक सुपरिभाषित न्यायिक मार्ग प्रदान करता है, जो अन्यायपूर्ण हिरासत या न्यायिक निर्णयों में त्रुटियों के लिए निवारण सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारत में एक वैधानिक मुआवजा ढाँचे की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है। अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं से प्रेरित होकर, ऐसा कानून न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को मजबूत करेगा और अनुच्छेद-21 के तहत संवैधानिक गारंटियों को पूर्ण करेगा।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.