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ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक 2025

Lokesh Pal July 21, 2025 02:50 19 0

संदर्भ

हाल ही में रामसर कन्वेंशन के सचिवालय द्वारा ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक 2025 रिपोर्ट जारी की गई है।

ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक (Global Wetland Outlook-GWO) के बारे में

  • ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक एक आवधिक मूल्यांकन है, जो वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमियों की स्थिति, प्रवृत्तियों और चुनौतियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

ग्लोबल वेटलैंड आउटलुक, 2025 की मुख्य विशेषताएँ

  • आर्द्रभूमि का वैश्विक वितरण: वैश्विक स्तर पर, आर्द्रभूमि का क्षेत्रफल 1,425 से 1,800 मिलियन हेक्टेयर के बीच विस्तृत है, जो पृथ्वी की सतह का लगभग 6% है।
  • क्षरण: वर्ष 1970 के बाद से, विश्व भर में लगभग 411 मिलियन हेक्टेयर आर्द्रभूमि का क्षरण हो चुका है, जो वैश्विक आर्द्रभूमि विस्तार में 22% की गिरावट को दर्शाता है।
  • प्रमुख कारक: अनियोजित शहरीकरण, तीव्र औद्योगिक विकास और बुनियादी ढाँचे का विकास अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में आर्द्रभूमि के ह्रास के प्रमुख कारण हैं।
  • क्षेत्रीय खतरे: जहाँ यूरोप में सूखा मुख्य खतरा है, वहीं उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया में आक्रामक प्रजातियाँ समस्या बनी हुई हैं, जो आर्द्रभूमि के स्वास्थ्य पर क्षेत्र-विशिष्ट दबाव दर्शाती हैं।
  • आर्थिक संबंध: आर्द्रभूमि की स्थिति देश की आय से संबंधित होती है।
    • अफ्रीकी आर्द्रभूमि, जिसका मूल्य 825.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, वैश्विक मानकों की तुलना में खराब स्थिति में है।

आर्द्रभूमि क्या है?

  • आर्द्रभूमि वह भूमि क्षेत्र है, जो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से जल से संतृप्त रहता है, जिससे जलीय और अर्द्ध-जलीय प्रजातियों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।
  • भारत में, आर्द्रभूमियाँ कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 4.6% भाग कवर करती हैं।
  • प्रमुख आर्द्रभूमियों में चिल्का (ओडिशा), लोकटक (मणिपुर) और वुलर (जम्मू और कश्मीर) शामिल हैं।

आर्द्रभूमि क्षरण के बारे में

  • प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से आर्द्रभूमियों की गुणवत्ता और पारिस्थितिकीय कार्यों में गिरावट आना। जिसके परिणामस्वरूप जैव विविधता की हानि, जल की गुणवत्ता में कमी तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में कमी आती है।

आर्द्रभूमि क्षरण के लिए उत्तरदायी कारक

  • अफ्रीका और एशिया: तीव्र शहरीकरण और अनियमित औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास आर्द्रभूमि क्षरण के प्रमुख कारण हैं।
  • यूरोप: लंबे समय तक सूखे की स्थिति आर्द्रभूमि क्षरण और पारिस्थितिकी क्षरण का प्रमुख कारण है।
  • उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया: आक्रामक प्रजातियाँ आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरी हैं।
  • अन्य कारक: विश्व भर में कृषि विस्तार, जल वियोजन, प्रदूषण, बाँध निर्माण, जलवायु परिवर्तन, अतिक्रमण और असंपोषणीय पर्यटन जैसे अतिरिक्त कारक आर्द्रभूमि क्षरण में योगदान देते हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए वैश्विक पहल

  • रामसर कन्वेंशन: रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमि के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए वर्ष 1971 में अपनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसमें भारत वर्ष 1982 में एक अनुबंधकारी पक्ष बना।
    • जुलाई 2025 तक, भारत में 91 रामसर स्थल हैं, जिनमें फलौदी में खीचन और राजस्थान के उदयपुर में मेनार शामिल हैं।
  • मॉन्ट्रिक्स रिकॉर्ड: मॉन्ट्रिक्स रिकॉर्ड, रामसर कन्वेंशन के तहत बनाए रखा जाने वाला एक रजिस्टर है, जिसमें उन आर्द्रभूमियों की सूची रखी जाती है, जो अपने पारिस्थितिकी स्वरूप के लिए खतरों का सामना कर रही हैं।
    • भारत में इस सूची में दो आर्द्रभूमियाँ शामिल हैं: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) और लोकटक झील (मणिपुर)।
  • अनुबंधकारी पक्षकारों का सम्मेलन (COP): रामसर कन्वेंशन के अनुबंधकारी पक्षों के सम्मेलन (COP-15) की 15वीं बैठक जिम्बाब्वे में आयोजित होने वाली है, जिसमें वैश्विक आर्द्रभूमि संरक्षण प्राथमिकताओं पर आगे चर्चा की जाएगी।
  • अन्य प्रमुख पहल
    • जैव विविधता पर अभिसमय (CBD) अंतर्देशीय जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
    • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य (SDG), विशेष रूप से लक्ष्य 6, 13 और 15, आर्द्रभूमि संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए भारत की पहल

  • आर्द्रभूमि नीति: भारत ने आर्द्रभूमि को कानूनी संरक्षण प्रदान करने के लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 को लागू किया है।
  • जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय योजना (NPCA): यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जो आर्द्रभूमियों और झीलों के संरक्षण के लिए राज्य सरकारों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
    • राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के मार्गदर्शन में राज्य स्तर पर स्थल-विशिष्ट संरक्षण की देख-रेख करते हैं।
  • अमृत धरोहर योजना: केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित, यह समुदाय आधारित दृष्टिकोणों के माध्यम से रामसर स्थलों के संरक्षण को बढ़ावा देती है।
  • नमामि गंगे कार्यक्रम का एक भाग: नदी बेसिन क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के अंतर्गत आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन परियोजनाएँ भी क्रियान्वित की जा रही हैं।

अनुशंसाएँ

  • संरक्षण में निवेश: आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन और संरक्षण पहलों में सार्वजनिक तथा निजी निवेश बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
  • सहयोग: ज्ञान साझाकरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और समन्वित संरक्षण रणनीतियों को सक्षम बनाने के लिए क्षेत्रीय तथा सीमा पार सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए।
  • बेहतर मूल्यांकन: आर्द्रभूमि द्वारा प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के आर्थिक मूल्य को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय लेखा प्रणालियों में सुधार किया जाना चाहिए।
  • प्राकृतिक समाधान: प्रकृति आधारित समाधानों को बढ़ावा देने से जलवायु अनुकूलन बढ़ाने और आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।

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