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मोटापा: एक बढ़ती स्वास्थ्य समस्या

Lokesh Pal July 25, 2025 04:02 17 0

संदर्भ

भारत में मोटापा (Obesity) एक व्यापक और तात्कालिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जिसमें घरेलू स्तर पर मोटापा बढ़ रहा है और कैंसर के खतरे से इसका गहरा संबंध है।

अधिक वजन वाला (Overweight) किसे कहा जाता है?

  • अधिक वजन (Overweight): किसी व्यक्ति को अधिक वजन वाला तब कहा जाता है जब उसका बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index-BMI) 25 और 29.9 के बीच हो। इसका अर्थ है कि उसके शरीर का वजन उसकी लंबाई के हिसाब से स्वस्थ वजन से अधिक है।

मोटापा (Obesity) के बारे में 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के अनुसार, मोटापे को असामान्य या अत्यधिक वसा संचय के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए जोखिम उत्पन्न करता है।
  • मोटापे को वर्गीकृत करने के लिए आमतौर पर प्रयोग किया जाने वाला पैमाना बॉडी मास इंडेक्स (BMI) है, जहाँ 30 या उससे अधिक BMI को मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है।
  • BMI वजन और ऊँचाई से गणना की गई एक संख्या है। [BMI = वजन (किलोग्राम) / ऊँचाई (वर्ग मीटर)]
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी व्यक्ति का BMI 18.5 से 24.9 के बीच होने पर उसे सामान्य माना जाता है।
  • कम वजन (Underweight) तब माना जाता है जब BMI 18.5 से कम हो, जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक न्यूनतम वजन से भी कम होने का संकेत देता है।

वैश्विक और भारतीय रुझान

  • वैश्विक
    • बचपन में मोटापा (5-19 वर्ष की आयु) 2% (1990) से बढ़कर 8% (2022) हो गया।
    • इसी अवधि में वयस्क मोटापा 7% से बढ़कर 16% हो गया।
  • भारत-विशिष्ट डेटा (NFHS-5)
    • 24% महिलाएँ और 23% पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।
    • 15-49 आयु वर्ग की 6.4% महिलाएँ और 4.0% पुरुष मोटे हैं।
    • 5 वर्ष से कम आयु के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या 2.1% (NFHS-4) से बढ़कर 3.4% (NFHS-5) हो गई है।

भारत में घरेलू स्तर पर मोटापा

  • राष्ट्रीय प्रसार: लगभग 20% भारतीय परिवारों में सभी वयस्क सदस्य अधिक वजन वाले हैं और 10% परिवारों में सभी वयस्क मोटे हैं।
  • राज्य स्तरीय समूह: तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में पाँच में से दो परिवारों में सभी वयस्क मोटे हैं।
  • शहरी संकेंद्रण: शहरी परिवारों में मोटापे का समूहन ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दोगुना है, जो शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव के प्रभाव को दर्शाता है।
  • जोखिम चक्र: मोटापे से ग्रस्त परिवारों में प्रायः बच्चों का पालन-पोषण ऐसे वातावरण में होता है, जहाँ खराब आहार और निष्क्रिय आदतें सामान्य हो जाती हैं, जिससे पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न होते हैं।

भारत में बढ़ते मोटापे के प्रमुख कारण

  • आहार परिवर्तन: प्रसंस्कृत, उच्च-कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।
  • ऊर्जा असंतुलन: अत्यधिक कैलोरी सेवन बनाम कम शारीरिक गतिविधियाँ।
  • अस्वास्थ्यकर आहार: वसा, शर्करा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की अधिकता।
  • शारीरिक निष्क्रियता: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गतिहीन जीवनशैली और सीमित गतिविधियाँ।
  • मोटापा उत्पन्न करने वाला वातावरण: स्वस्थ भोजन और सक्रिय गतिशीलता संबंधी स्थलों तक पहुँच की कमी।
  • व्यवहार संबंधी कारक: तनाव, भावनात्मक भोजन, खराब नींद।
  • आनुवंशिक कारक: चयापचय और भूख को प्रभावित करने वाले वंशानुगत लक्षण।
  • आहारजनित कारक: चिकित्सा उपचार या प्रक्रियाओं के कारण वजन बढ़ना।

मोटापे के निहितार्थ

आर्थिक

  • दोहरी चुनौतियाँ: भारत में मोटापे की महामारी कुपोषण और स्वास्थ्य प्रणाली के अन्य दबावों के साथ-साथ मौजूद है।
  • आर्थिक भर: (ग्लोबल ओबेसिटी ऑब्जर्वेटरी के अनुसार)
    • वर्ष 2030 तक, मोटापे की लागत बढ़कर ₹6.7 लाख करोड़ (GDP का 1.57%, लगभग ₹4,700 प्रति व्यक्ति) होने का अनुमान है।
    • वर्ष 2060 तक, यह बोझ ₹69.6 लाख करोड़ (GDP का 2.5%, लगभग ₹44,200 प्रति व्यक्ति) तक पहुँच सकता है।
  • व्यापक आर्थिक परिणाम: इसमें आजीविका का नुकसान, अवसर लागत और सामाजिक समर्थन की कमी के कारण भावनात्मक क्षति शामिल है।

स्वास्थ्य

  • कैंसर से संबंध: WHO की अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (International Agency for Research on Cancer-IARC) ने शरीर के अधिक वजन को कम-से-कम 13 कैंसरों के जोखिम के रूप में वर्गीकृत किया है, जिनमें कोलोरेक्टल, स्तन (रजोनिवृत्ति के बाद), एंडोमेट्रियल, अग्नाशय और गुर्दे के कैंसर शामिल हैं।
  • सह-रुग्णता के साथ बढ़ा हुआ जोखिम: IARC के वर्ष 2023 के अध्ययन से पता चला है कि हृदय रोग के साथ उच्च BMI कैंसर के जोखिम को 17% तक बढ़ा देता है।
  • अमेरिकी अनुमान: महिलाओं में लगभग 11% और पुरुषों में 5% कैंसर शरीर के अधिक वजन के कारण होते हैं।

मोटापे की रोकथाम के लिए भारत सरकार का रणनीतिक ढाँचा

  • राष्ट्रीय गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (National Programme for Prevention and Control of NCDs- NP-NCD): मोटापे से जुड़ी प्रमुख गैर-संचारी बीमारियों पर ध्यान केंद्रित करता है: हृदय रोग (27%), कैंसर (9%), मधुमेह (3%), आदि।
  • आयुष मंत्रालय: पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ावा देना।
  • विशिष्ट आयुर्वेदिक देखभाल: अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (All India Institute of Ayurveda- AIIA) पंचकर्म, आहार मार्गदर्शन और योग के माध्यम से मोटापे की देखभाल प्रदान करता है।
  • फिट इंडिया मूवमेंट (2019): स्कूल प्रमाणन और सामुदायिक अभियानों के माध्यम से दैनिक फिटनेस को बढ़ावा देता है। फिट इंडिया, संडे ऑन साइकिल और सामूहिक योग सत्र जैसी पहल।
  • ईट राइट इंडिया मूवमेंट: सुरक्षित, सतत् और स्वस्थ भोजन प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • FSSAI द्वारा आज से थोड़ा कमअभियान: उपभोक्ताओं से वसा, चीनी और नमक का सेवन धीरे-धीरे कम करने का आग्रह।
  • उच्च वसा, नमक और चीनी (High Fat, Salt, and Sugar- HFSS) वाले खाद्य पदार्थों का विनियमन: उपभोक्ताओं को सूचित खाद्य विकल्प चुनने में मदद करने के लिए उच्च वसा, नमक और चीनी वाले खाद्य पदार्थों के लिए पैकेट के सामने लेबल लगाना अनिवार्य है।
  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: वर्ष 2027 तक सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र (Day Care Cancer Centres) स्थापित करने की योजना; वर्ष 2025-26 तक 200 केंद्र स्थापित होने की उम्मीद है, जिनमें रोकथाम के प्रयासों को एकीकृत किया जाना चाहिए।

सिफारशें

  • उच्च जोखिम वाले परिवारों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम का विस्तार करना।
  • लक्षित ध्यान क्षेत्र: दक्षिणी राज्यों, शहरी क्षेत्रों और संपन्न परिवारों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • नियामक हस्तक्षेप: वैश्विक उदाहरण शर्करा युक्त पेय पदार्थों पर कर लगाने, पैकेट के आगे पोषण लेबल और अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के विपणन पर प्रतिबंध लगाने के लाभों का सुझाव देते (उदाहरण के लिए, केरल का वर्ष 2016 का वसा कर) हैं।
  • नगर नियोजन: नगर नियोजन में प्राथमिकता ऐसे सक्रिय और पैदल चलने योग्य मार्गों को दी जानी चाहिए, जहाँ नई कृषि उपज तक सुगम पहुँच सुनिश्चित हो।
  • गतिहीन जीवनशैली को कम करना: गतिहीन जीवनशैली को सीमित करने हेतु ऐसे कार्य व सार्वजनिक स्थल विकसित करना, जो शारीरिक सक्रियता को प्रोत्साहित करें।

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