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भारत-चीन संबंध और पर्यटक वीजा का मुद्दा

Lokesh Pal July 25, 2025 05:30 14 0

संदर्भ:

चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा जारी करने का भारत का निर्णय दोनों देशों के मजबूत संबंधों का संकेत है। इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध और 2020 के गलवान संघर्ष से बिगड़े संबंधों को बहाल करने की कूटनीति सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है।

संबंधों में संघर्ष का ऐतिहासिक संदर्भ:

  • गलवान घाटी संघर्ष: जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद संबंधों में गिरावट देखी गई, इस झड़प में 20 से अधिक भारतीय सैनिक मारे गए
  • LAC पर चीनी घुसपैठ: इस घटना में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ सात बिंदुओं पर भारतीय क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखा गया था
  • भारत की सैन्य प्रतिक्रिया: भारत ने भी समान सैन्य तैनाती के साथ इस संघर्ष का जवाब दिया, जिससे सैन्य तनाव और भी बढ़ गया।
  • भारत द्वारा आर्थिक प्रतिकार: इसके बाद, भारत ने चीनी निवेश और अनुप्रयोगों पर प्रतिबंध लगा दिए। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्थिति स्पष्ट थी: सीमा पर शांति के बिना व्यापार और अन्य गतिविधियाँ आगे नहीं बढ़ सकती थी।

संबंधों का सामान्यीकरण और कार्यात्मक संवाद की दिशा में कदम:

सीमा पर तनाव के चरम पर पहुँचने के बाद, दोनों देशों ने कूटनीतिक और सैन्य वार्ताएँ कीं, जिनका मुख्य उद्देश्य तनाव कम करना था। हाल के उपाय सामान्यीकरण की दिशा में एक सतर्क कदम को रेखांकित करते हैं:

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा का पुनः आरंभ: चीन ने जून 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा की अनुमति पुनः प्रदान की है, जिस पर पहले प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • वीज़ा जारी करना: वर्तमान समय में, भारत सरकार ने चीनी नागरिकों को पर्यटन वीज़ा देने का निर्णय लिया है, जो बेहतर संबंधों की इच्छा का संकेत है।
  • सीधी उड़ानें प्रारंभ: दोनों देश सीधी उड़ानें पुनः शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गए हैं।
  • पत्रकार वीज़ा: ऐसी उम्मीद है कि जल्दी ही भारत चीनी पत्रकारों को वीज़ा प्रदान करेगा, और चीन भी भारतीय पत्रकारों को वीज़ा प्रदान करेगा।
  • संयुक्त वार्ता को महत्त्व: एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया, जिसमें कुछ मुद्दों पर कार्यात्मक वार्ता के लिए सहमति दर्शाई गई।

विशिष्ट आर्थिक चिंताओं पर सहमति का इंतजार:

  • चीनी निवेश: चीन ने भारत द्वारा चीनी निवेश पर लगाए गए प्रतिबंधों पर चिंता व्यक्त की।
  • महत्वपूर्ण खनिज और उर्वरक: भारत को महत्वपूर्ण खनिजों और उर्वरकों के निर्यात पर चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से भारत पर काफी प्रभाव पड़ा है
    • ये महत्वपूर्ण खनिज भारत के रक्षा, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनकी कमी के कारण भारत में कार्यरत जापानी और दक्षिण कोरियाई ऑटोमोटिव कंपनियां भी चिंतित हैं।

सीमा विवाद समाधान के लिए प्रभावी तंत्र:

  • परामर्श एवं समन्वय हेतु कार्य तंत्र (WMCC): यह भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत को सुविधाजनक बनाने के लिए एक समर्पित राजनयिक मंच है।
    • पिछली मोदी-शी बैठक के बाद से, WMCC की बैठक तीन बार आयोजित की जा चुकी है।
    • ये बैठकें सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए नियुक्त विशेष प्रतिनिधियों के बीच उच्च स्तरीय चर्चा के लिए आधार तैयार करती हैं।
  • सांगपो (ब्रह्मपुत्र) पर चीन के बांध पर भारत की चिंताएं: चीन सांगपो नदी (भारत में ब्रह्मपुत्र) पर एक बड़ा बांध बना रहा है, जिससे भारत में सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गई है।
    • अन्य प्रमुख चिंताएँ: नीचे की ओर पानी की उपलब्धता में कमी, संभावित पारिस्थितिक क्षति, बाढ़ का बढ़ता जोखिम आदि।
    • हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय ने इन सभी चिंताओं को स्वीकार किया है तथा उन पर चर्चा करने की इच्छा व्यक्त की है परंतु भारत को त्वरित कार्यवाही की जरूरत है।

सीमा सामान्यीकरण की स्थिति में चुनौतियाँ:

कूटनीतिक बातचीत के बावजूद, यह दावा कि सीमा पर “शांति” है, भ्रामक है। हालांकि कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी हुई है, लेकिन:

  • वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों पक्षों की ओर से सैनिकों की तैनाती असामान्य रूप से अधिक बनी हुई है।
  • वर्ष 2020 के गतिरोध के दौरान निर्मित सैन्य बुनियादी ढाँचा अभी भी मौजूद है।
  • ये तथ्य वास्तविक सामान्यीकरण की धारणा को कमजोर करते हैं तथा गहरे अविश्वास को दर्शाते हैं।

मूलभूत प्रश्नों का अनुत्तरित रहना:

  • मूल कारण: इसका कोई स्पष्ट स्पष्टीकरण या समाधान नहीं है कि चीनी सैनिक सात बिंदुओं पर किस उद्देश्य से आगे बढ़े।
  • भविष्य की गारंटी: इस बात की चिंता है कि चीनी सेना भविष्य में फिर से आगे बढ़ सकती है।
  • सतहीपन: आलोचकों का तर्क है कि वर्तमान सामान्यीकरण केवल लक्षणों को संबोधित करता है, जैसे वीजा और यात्रा, को संबोधित करता है।
  • विश्वास की कमी: हालांकि केवल तंत्र बनाने से शांति या विश्वास नहीं बढ़ सकता है। अतः इसके लिए ठोस कार्रवाई और पारदर्शिता की आवश्यकता है। गलवान घाटी की घटना से जुड़ी पारदर्शिता की कमी विश्वास की कमी को और बढ़ा देती है।

निष्कर्ष:

हालांकि हाल की कूटनीतिक बातचीत से भारत-चीन संबंधों में नरमी का संकेत मिलता है, लेकिन सीमा विवाद की अंतर्निहित जटिलताएं, अनसुलझे मुद्दे और पारदर्शिता की कमी से संकेत मिलता है कि व्यापक और स्थिर सामान्यीकरण अभी भी एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है जिसकी निकट भविष्य में संपन्नता एक चुनौती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: हाल के कूटनीतिक प्रयासों और कुछ द्विपक्षीय तंत्रों की बहाली के बावजूद, भारत-चीन सीमा गतिरोध के मूल मुद्दे अभी भी बने हुए हैं। इस मुद्दे के आलोक में, हाल के सकारात्मक घटनाक्रमों और अनसुलझी चिंताओं, दोनों को ध्यान में रखते हुए, भारत-चीन संबंधों को पूर्णतः सामान्यीकृत करने की संभावनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

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