100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत-यू.के. व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA)

Lokesh Pal July 26, 2025 04:40 40 0

संदर्भ

हाल ही में भारत और यूनाइटेड किंगडम ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (Comprehensive Economic and Trade Agreement- CETA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो उनके द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

  • समझौते का मुख्य उद्देश्य: वर्ष 2030 तक दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना।

व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA)

  • यह एक प्रकार का FTA है, जो वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और गैर-टैरिफ बाधाओं सहित आर्थिक सहयोग की एक विस्तृत शृंखला को कवर करता है।

भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार और निवेश

  • भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार (वस्तुओं एवं सेवाओं दोनों) वर्ष 2024 तक लगभग 43 बिलियन पाउंड का हो जाएगा, जिसमें आयात लगभग 17 बिलियन पाउंड और निर्यात लगभग 26 बिलियन पाउंड होगा।
  • वर्ष 2024 में वस्तुओं का कुल द्विपक्षीय व्यापार लगभग 18 बिलियन पाउंड और सेवाओं का व्यापार लगभग 25 बिलियन पाउंड होगा।
  • ब्रिटेन, भारत में छठा सबसे बड़ा आवक निवेशक (Inward Investor) है, जिसका सितंबर 2024 तक कुल इक्विटी निवेश 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • मार्च 2024 तक भारत का ब्रिटेन में बाह्य निवेश (Outward Investment) 19 बिलियन डॉलर था।

CETA की मुख्य विशेषताएँ

  • टैरिफ उन्मूलन और बाजार पहुँच: भारतीय निर्यात के लिए 100% व्यापार मूल्य को कवर करते हुए 99% टैरिफ उन्मूलन करना।
    • संरक्षित संवेदनशील क्षेत्र: डेयरी, सेब, जई, खाद्य तेलों पर टैरिफ लागू रहेंगे।

  • दोहरा अंशदान अभिसमय (Double Contribution Convention- DCC): भारतीय श्रमिकों के लिए UK सामाजिक सुरक्षा अंशदान पर 3 वर्ष की छूट प्रदान की जाएगी।
    • दोहरे कराधान को रोकता है, टेक होम वेतन और लागत प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।

क्षेत्रवार संभावित लाभ

  • कृषि एवं समुद्री क्षेत्र
    • शुल्क मुक्त पहुँच: फल, सब्जियाँ, मसाले, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (95% कृषि उत्पाद 0% शुल्क पर)।
    • प्रमुख लाभार्थी राज्य: महाराष्ट्र (अंगूर, प्याज), गुजरात (मूँगफली, कपास)।
      • पंजाब/हरियाणा (बासमती चावल), केरल (मसाले), पूर्वोत्तर राज्य (बागवानी)।
    • समुद्री क्षेत्र: झींगा, टूना, मछली के खाद्य पर UK के बाजार में 0% शुल्क लागू।
      • आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु मत्स्य निर्यात का विस्तार करेंगे (वर्तमान हिस्सेदारी 2.25% है)।
  • कपड़ा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स
    • वस्त्र: 1,100+ श्रेणियों पर 0% शुल्क (पूर्व में 12% था)।
      • RMG, घरेलू वस्त्र और कालीन बांग्लादेश/पाकिस्तान से प्रतिस्पर्द्धा करेंगे।
      • लक्ष्य: ब्रिटेन की बाजार हिस्सेदारी में 5% की वृद्धि (वर्तमान निर्यात: ब्रिटेन के 26.95 अरब डॉलर के आयात में से 1.79 अरब डॉलर)।
    • इंजीनियरिंग: 0% शुल्क (18% से घटाकर 0% कर दिया गया) वर्ष 2029-2030 तक निर्यात को दोगुना करके 7.5 अरब डॉलर तक पहुँचाने के लिए।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स/सॉफ्टवेयर: स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर, इनवर्टर पर 0% शुल्क।
    • IT/ITES: UK की पहली महत्त्वाकांक्षी सेवा प्रतिबद्धता (वित्त, दूरसंचार, शिक्षा)।
  • फार्मा और रसायन
    • फार्मा: जेनेरिक दवाओं पर 0% शुल्क।
      • चिकित्सा उपकरण (शल्य चिकित्सा उपकरण, ECG मशीनें) भी शुल्क-मुक्त।
    • रसायन: निर्यात में 30-40% वृद्धि की उम्मीद।
  • अन्य क्षेत्र
    • प्लास्टिक और खेल के सामान: फिल्म, पाइप, पैकेजिंग पर 0% शुल्क; वर्ष 2030 तक 187 मिलियन डॉलर का लक्ष्य।
      • खिलौने/खेल उपकरण (क्रिकेट, सॉकर बॉल) चीन/वियतनाम से प्रतिस्पर्द्धा करेंगे।
    • रत्न और आभूषण: 2-3 वर्षों में निर्यात दोगुना करने के लिए शुल्क में कटौती।
    • चमड़ा: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 0% शुल्क (16% से)।
      • MSME केंद्रों (आगरा, कानपुर, चेन्नई) को लाभ होगा।
  • नवाचार एवं MSME समर्थन: तकनीकी व्यापार एवं अनुसंधान एवं विकास सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • MSME
      • GI संरक्षण (जैसे- कानपुर चमड़ा उद्योग, आगरा फुटवियर)।
      • निर्यात मार्गदर्शन के लिए सरलीकृत मानक और डिजिटल पोर्टल।

प्रमुख व्यापार समझौतों की परिभाषाएँ

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA): दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क तथा कोटा जैसी व्यापार बाधाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए किया गया एक समझौता है।
    • बाजार पहुँच को आसान बनाकर और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement-CEPA): एक उन्नत मुक्त व्यापार समझौता, जिसमें वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी एवं बौद्धिक संपदा जैसे व्यापक सहयोग में व्यापार शामिल है।
  • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (Comprehensive Economic Cooperation Agreement-CECA): एक प्रकार का मुक्त व्यापार समझौता है, जो केवल शुल्क कम करने से आगे बढ़कर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के प्रावधान शामिल करता है।
  • द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaty-BIT): दो देशों के मध्य निवेश को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने, निष्पक्ष व्यवहार तथा विवाद समाधान सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता है।
  • स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय (Sanitary and Phytosanitary Measures-SPS): व्यापार में मानव, पशु या पादप स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मानक, जिनमें अक्सर खाद्य और कृषि उत्पादों के लिए प्रमाणन शामिल होते हैं।
    • सुरक्षा सुनिश्चित करता है लेकिन गैर-शुल्क बाधाओं (NTB) के रूप में कार्य कर सकता है।
  • गैर-टैरिफ बाधा (Non-Tariff Barrier- NTB): टैरिफ के अलावा व्यापार पर प्रतिबंध, जैसे कोटा, मानक या लाइसेंसिंग आवश्यकताएँ गैर-टैरिफ बाधाएँ कहलाती हैं।

CETA के प्रमुख चालक

  • भारत के उद्देश्य: ब्रिटेन के 46.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि बाजार और 5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समुद्री बाजार तक शुल्क मुक्त पहुँच प्राप्त करना।
    • सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना, विशेष रूप से IT/ITeS  में (भारत का यू.के. को सेवा निर्यात: वर्ष 2024 में £14.7 बिलियन)।
    • पेशेवर गतिशीलता को सुगम बनाना और दोहरे अंशदान सम्मेलन (DCC) के माध्यम से भारतीय श्रमिकों को यू.के. के सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट देना।
    • डेयरी, खाद्य तेल और मिल्ड चावल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करना।
  • यू.के. के उद्देश्य
    • व्हिस्की, ऑटोमोबाइल और साल्मन जैसी वस्तुओं के लिए भारत के बढ़ते बाज़ार (1.4 अरब की आबादी, बढ़ता मध्यम वर्ग) तक पहुँच बनाना।
    • ब्रिटेन के वित्तीय और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों (जैसे- फिनटेक, हरित ऊर्जा) में भारतीय निवेश आकर्षित करना।
    • भारत को ब्रिटेन से होने वाले 90% निर्यात पर टैरिफ कम करना, जो व्यापार मूल्य का 70% है।
  • भू-राजनीतिक प्रेरणाएँ
    • ब्रिटेन की ब्रेक्सिट-पश्चात् रणनीति: ब्रेक्सिट-पश्चात् आर्थिक सुधार और उच्च मुद्रास्फीति (2022-23) ने ब्रिटेन को भारत जैसे स्थिर व्यापार भागीदारों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया।
      • ब्रेक्सिट-पश्चात्, ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ और चीन पर अपनी निर्भरता कम करने करने का प्रयास किया है और भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार समझौतों को प्राथमिकता दी।
      • CETA ब्रिटेन के वैश्विक ब्रिटेन दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में इसके प्रभाव को बढ़ाता है और चीन के आर्थिक प्रभुत्व का मुकाबला करता है।
    • भारत की वैश्विक व्यापार महत्वाकांक्षाएँ: भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है, जिसमें मुक्त व्यापार समझौते (FTA) एक प्रमुख प्रेरक होंगे।
      • CETA, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों और यूरोपीय संघ के साथ चल रही वार्ताओं का पूरक है, जो भारत को एक वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
      • CETA भारत के मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और निर्यात संवर्द्धन पहलों के साथ संरेखित है, जिससे विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलता है।
    • हिंद-प्रशांत संरेखण: दोनों देश एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रुचि रखते हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करते हैं और प्रौद्योगिकी एवं रक्षा सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

पूर्व-CETA  व्यापार और निवेश

  • व्यापार की मात्रा: द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2021-2022 में 50.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2024-2025 में 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो इंजीनियरिंग, वस्त्र और रत्नों में भारत के निर्यात के कारण संभव हुआ।
  • निवेश: यू.के. भारत का छठा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश स्रोत है, जहाँ सितंबर 2024 तक 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जा चुका है। भारत ने यू.के. में 19 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
    • यू.के. में 971 भारतीय कंपनियाँ कार्यरत हैं, जो 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं। भारत में 667 ब्रिटिश कंपनियाँ हैं, जो 5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं।
  • MSME योगदान: भारतीय MSME सकल घरेलू उत्पाद (वर्ष 2022-23) में 30.1% और निर्यात (वर्ष 2024-25) में 45.8% का योगदान देते हैं, जिससे वे CETA के समावेशिता उपायों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन जाते हैं।

भारत-यू.के. विजन 2035

भारत और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्रियों ने जुलाई 2025 में नए भारत-यू.के. विजन 2035’ (‘रोडमैप 2030’ के स्थान पर) का समर्थन किया, जो पुनर्सक्रिय साझेदारी की पूरी क्षमता को प्राप्त करने के लिए उनकी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

  • रणनीतिक साझेदारी: इसमें वैश्विक परिवर्तन के बीच पारस्परिक विकास, समृद्धि और एक स्थायी भविष्य को आकार देने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी शामिल है।
  • आर्थिक विकास और व्यापार: इसमें व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA), द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT), संयुक्त आर्थिक और व्यापार समिति (JETCO) और भारत-यू.के. वित्तीय साझेदारी (India-UK Financial Partnership- IUKFP) शामिल हैं।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार: इसका मुख्य फोकस यू.के.-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल, यू.के.-भारत अनुसंधान और नवाचार गलियारा तथा महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं पर है।

  • जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा: इसमें जलवायु साझेदारी, ऊर्जा सहयोग और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन, एक सूर्य एक विश्व एक ग्रिड (OSOWOG) पर गहन सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • रक्षा और सुरक्षा: यह रक्षा औद्योगिक रोडमैप, उन्नत प्रौद्योगिकियों पर सहयोग और हिंद-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans’ Initiative- IPOI) पर केंद्रित है।
  • शिक्षा और कौशल विकास: इसमें भारत-यू.के. शिक्षा संवाद, हरित कौशल साझेदारी और युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम शामिल हैं।
  • लोगों के बीच संबंध: इसमें सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान तथा प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी शामिल है।
  • बहुपक्षवाद के प्रति प्रतिबद्धता: यह नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सुधार पर केंद्रित है।

भारत-यू.के. CETA का महत्त्व

  • आर्थिक मील का पत्थर
    • वैश्विक आर्थिक स्थिति: विश्व की छठी (यू.के., सकल घरेलू उत्पाद लगभग 3.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) और चौथी (भारत, सकल घरेलू उत्पाद लगभग 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, CETA द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करता है और दोनों देशों को वैश्विक व्यापार में प्रमुख हितधारकों के रूप में स्थापित करता है।
    • भारत की मुक्त व्यापार समझौता रणनीति: यह भारत का 16वाँ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है और G-7 राष्ट्र के साथ इसका सबसे व्यापक समझौता है, जो वर्ष 2030 तक निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2024-25 में 776 बिलियन अमेरिकी डॉलर से) तक बढ़ाने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • व्यापार विस्तार
    • द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य: वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य, जिससे व्यापार मात्रा में सालाना अनुमानित 34 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी।
    • बाजार पहुँच: भारत को 99% टैरिफ लाइनों पर शून्य-शुल्क पहुँच प्राप्त होगी, जो ब्रिटेन को निर्यात के लगभग 100% व्यापार मूल्य को कवर करती है।
      • ब्रिटेन ने 10 वर्षों में भारत के लिए अपनी 90% टैरिफ लाइनों (व्यापार मूल्य का 70%) पर टैरिफ में कमी सुनिश्चित की है।
  • सामरिक और भू-राजनीतिक प्रभाव
    • रणनीतिक साझेदारी
      • हिंद-प्रशांत संरेखण: भू-राजनीतिक तनावों (जैसे- चीन के प्रभाव का मुकाबला) के मध्य एक स्वतंत्र और खुले क्षेत्र का समर्थन करते हुए, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-यू.के. सहयोग को मजबूत करता है।
      • प्रौद्योगिकी और रक्षा: भारत-यू.के. रोडमैप 2030 के तहत मौजूदा सहयोग को पूरक बनाता है और वित्तीय प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा तथा रक्षा निर्माण में नवाचार को बढ़ावा देता है।
    • समावेशिता और स्थिरता
      • भारत के आत्मनिर्भर भारत और सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप, MSME, महिला उद्यमियों, किसानों, मछुआरों तथा युवाओं को सशक्त बनाकर समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
      • पेटेंट में पारंपरिक ज्ञान पर प्रावधानों और अंतरराष्ट्रीय मानकों (जैसे- ISO, Codex) के साथ संरेखण के माध्यम से सतत् प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।
    • हिंद-प्रशांत स्थिरता
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत-ब्रिटेन के बीच समन्वय को मजबूत करना, चीन के आर्थिक और सामरिक प्रभाव का मुकाबला करना।
      • भारत-यू.के. रोडमैप 2030 के अंतर्गत रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग को पूरक बनाता है।
    • वैश्विक व्यापार स्थिति
      • भारत की FTA रणनीति को मजबूत करना (जैसे- संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, चल रही यूरोपीय संघ वार्ता), वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में इसकी भूमिका को बढ़ाना।
      • ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन के व्यापार विविधीकरण का समर्थन करता है, जिससे यूरोपीय संघ के बाजारों पर निर्भरता कम हो जाती है।
    • नवाचार और प्रौद्योगिकी
      • फिनटेक, हरित ऊर्जा और चिकित्सा प्रौद्योगिकी में सहयोग को बढ़ावा देता (उदाहरण के लिए, MedTech पर शुल्क 15% से घटाकर 3% कर दिया गया है) है।
      • टिकाऊ प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास तथा निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • स्थिरता और नियामक प्रभाव
    • सतत् व्यवहार: प्रावधान पेटेंट (जैसे- आनुवंशिक संसाधन) में पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करते हैं और अंतरराष्ट्रीय मानकों (ISO,  कोडेक्स, IEC) के अनुरूप हैं।
      • पारदर्शिता (नियमों की 60-दिन की अग्रिम सूचना) और प्रमाण-पत्रों (जैसे- बासमती चावल, आम) की पारस्परिक मान्यता के माध्यम से गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करता है।
    • व्यापार सुविधा: एकल खिड़की और अधिकृत आर्थिक संचालक प्रणालियों के माध्यम से सुव्यवस्थित सीमा शुल्क सुनिश्चित करता है।
      • तकनीकी मुद्दों के समाधान हेतु द्विपक्षीय एसपीएस समिति, सुचारू कृषि निर्यात सुनिश्चित करेगी।

भारत-यू.के. CETA की चुनौतियाँ

  • आर्थिक चुनौतियाँ
    • टैरिफ कटौती असंतुलन: ब्रिटेन टैरिफ लाइन में 100% उदारीकरण की पेशकश करता है। भारत 90% उदारीकरण प्रदान करता है, जिससे निर्यात लाभ सीमित हो सकता है।
    • MSME प्रतिस्पर्द्धात्मकता: MSME (GDP का 30.1%, निर्यात का 45.8%) को ब्रिटिश मानकों के साथ संघर्ष करना पड़ सकता है। अनुपालन लागत लाभ को सीमित कर सकती है।
  • नियामक और गैर-टैरिफ बाधाएँ
    • गैर-शुल्क बाधाएँ (NTB): ब्रिटेन के सख्त SPS और TBT उपाय निर्यात में बाधा डाल सकते हैं। कृषि और समुद्री उत्पादों के लिए प्रमाणन अभी भी महँगा बना हुआ है।
      • ब्रिटेन के 63.4 अरब अमेरिकी डॉलर के कृषि बाजार (1.7%) और 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर के समुद्री बाजार (2.25%) में भारत की हिस्सेदारी अनुपालन संबंधी बाधाओं का सामना कर रही है।
    • SPS समिति की प्रभावशीलता: द्विपक्षीय SPS समिति की बैठक वर्ष में दो बार होती है। मानकों से संबंधित विवादों के समाधान में देरी से नष्ट होने वाली वस्तुओं के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
  • सामाजिक और रोजगार संबंधी चिंताएँ
    • नौकरी जाने का जोखिम: ब्रिटिश वस्तुओं (जैसे- व्हिस्की पर 150% से 40%, कारों पर 100% से 10% तक) पर टैरिफ में कमी से भारतीय उद्योगों पर असर पड़ सकता है।
      • ऑटोमोटिव और व्हिस्की जैसे क्षेत्रों में नौकरियाँ कम हो सकती हैं।
    • MSME के लिए कौशल का अभाव: कारीगरों और MSME में ब्रिटिश गुणवत्ता मानकों के अनुरूप कौशल की कमी है। इससे कपड़ा और चमड़ा क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा सीमित हो जाती है।
  • व्यावसायिक गतिशीलता और DCC चुनौतियाँ
    • वीजा कार्यान्वयन: भारतीय पेशेवरों (जैसे- आईटी कर्मचारी, योग प्रशिक्षक) के लिए सरलीकृत वीजा ब्रिटेन की आव्रजन नीतियों पर निर्भर करते हैं।
      • नौकरशाही संबंधी देरी से आवाजाही सीमित हो सकती है।
    • दोहरा अंशदान अभिसमय (Double Contribution Convention- DCC): DCC भारतीय कर्मचारियों को तीन वर्षों के लिए ब्रिटेन की सामाजिक सुरक्षा से छूट देता है। पात्रता या पारस्परिकता को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
  • भू-राजनीतिक और सामरिक चिंताएँ
    • ब्रिटेन की आर्थिक अस्थिरता: ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन की चुनौतियाँ (जैसे- मुद्रास्फीति) CETA प्रतिबद्धताओं को सीमित कर सकती हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (11.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर, 2000-2023) की वृद्धि धीमी हो सकती है।
    • चीन का प्रभाव: CETA चीन के आर्थिक प्रभुत्व का मुकाबला करता है। भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव व्यापार रणनीति को जटिल बना सकते हैं।
  • कार्यान्वयन और निगरानी चुनौतियाँ
    • कार्यान्वयन में देरी: टैरिफ में कटौती, वीजा सरलीकरण और SPS तंत्रों का समय पर कार्यान्वयन आवश्यक है। देरी से व्यापार लाभ कम हो सकते हैं।
    • विवाद समाधान: स्पष्ट विवाद समाधान तंत्रों के अभाव से व्यापार संघर्ष हो सकते हैं। मानकों या टैरिफ जैसे मुद्दे और भी गंभीर हो सकते हैं।
  • घरेलू राजनीतिक और सार्वजनिक धारणा
    • हितधारक विरोध: डेयरी और ऑटोमोटिव क्षेत्र ब्रिटेन से आयात का विरोध कर सकते हैं। शहरी पूर्वाग्रह के कारण किसानों का विरोध प्रदर्शन हो सकता है।
      • डेयरी (GDP का 5%), ऑटोमोटिव (GDP का 7%) संवेदनशील क्षेत्र हैं।
    • राजनीतिक बदलाव: ब्रिटेन या भारत सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव CETA के प्रवर्तन को प्रभावित कर सकते हैं। संरक्षणवाद बढ़ सकता है।

भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संबंधों का अवलोकन

  • रणनीतिक साझेदारी और विजन 2030
    • व्यापक रणनीतिक साझेदारी: अगले दशक में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत-यू.के. शिखर सम्मेलन (2021) के दौरान घोषित।
    • भारत-यू.के. रोडमैप 2030: व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने हेतु एक रूपरेखा।
  • नियुक्ति
    • प्रधानमंत्री मोदी की यू.के. यात्रा (COP26 शिखर सम्मेलन 2021): सौर ऊर्जा के लिए ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ (OSOWOG) कार्यक्रम और आपदा-रोधी बुनियादी ढाँचे के लिए IRIS का शुभारंभ किया।
  • रक्षा सहयोग
    • संयुक्त सैन्य अभ्यास: अभ्यास कोंकण 2023, कोबरा वॉरियर 2023 और अजेय वॉरियर 2023
    • समुद्री सहयोग: हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) के तहत सहयोग बढ़ाना।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग
    • भारत-यू.के. विज्ञान एवं नवाचार परिषद (SIC): क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, एआई और मशीन लर्निंग पर ध्यान केंद्रित करना।
    • नेट जीरो इनोवेशन वर्चुअल सेंटर: औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन और हरित हाइड्रोजन पहलों के लिए मंच।
  • स्वास्थ्य क्षेत्र सहयोग
    • कोविड-19 वैक्सीन सहयोग: एस्ट्राजेनेका और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने संयुक्त रूप से कोविड-19 वैक्सीन विकसित की है।
    • स्वास्थ्य कार्यबल समझौता (2022): NHS भर्ती और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित, जिसमें भारतीय स्वास्थ्य सेवा पेशेवर यू.के. में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
  • शैक्षिक और लोगों-से-लोगों के बीच आदान-प्रदान
    • ब्रिटेन में भारतीय छात्र: 1,70,000 से अधिक भारतीय छात्र ब्रिटेन में अध्ययनरत हैं।
    • योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता (2022): दोनों देशों के मध्य शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
    • प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी (2021): पेशेवरों के लिए आसान आवागमन की सुविधा प्रदान करता है।
    • युवा पेशेवर योजना (2022): स्नातकों को एक-दूसरे के देश में कार्य करने और रहने के लिए सालाना 3000 वीजा प्रदान किये जा रहे हैं।
    • भारत में ब्रिटेन के विश्वविद्यालय: नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत छह ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर खोलने के लिए कार्य कर रहे हैं।
      • साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय, जिसने वर्ष 2025 में गुरुग्राम में अपना परिसर खोला, NEP के तहत भारत में अपना परिसर खोलने वाला पहला विदेशी विश्वविद्यालय है।
  • ब्रिटेन में प्रवासी भारतीय
    • भारतीय प्रवासी (वर्ष 2021 की जनगणना): भारतीय मूल के 1.864 मिलियन लोग, जो ब्रिटेन की जनसंख्या का 2.6% हैं।
    • आर्थिक योगदान: भारतीय प्रवासियों का व्यवसाय में महत्त्वपूर्ण प्रभाव है, 65,000 कंपनियाँ 36.84 बिलियन पाउंड का राजस्व उत्पन्न कर रही हैं और 1,74,000 नौकरियाँ उत्पन्न कर रही हैं।

आगे की राह 

  • संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा: पीएम किसान और PLI योजनाओं के माध्यम से डेयरी (5% GDP, 80 मिलियन रोजगार) और ऑटोमोटिव (7% GDP) क्षेत्र को मजबूत करना।
    • किसानों की सुरक्षा के लिए संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (JETCO) के माध्यम से ब्रिटेन की लॉबिंग पर नजर रखना।
  • टैरिफ में कटौती को संतुलित करना: आर्थिक और वित्तीय संवाद (EFD) के माध्यम से टैक्सटाइल (1,143 टैरिफ लाइनें) जैसे भारतीय निर्यातों के लिए टैरिफ में कटौती में तेजी लाना।
    • समान व्यापार लाभ सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि (Bilateral Investment Treaty- BIT) पर बातचीत करना।
  • MSME प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाना: MSME मंत्रालय के माध्यम से SME (30.1% GDP, 45.8% निर्यात) के लिए यू.के. प्रमाणन हेतु सब्सिडी प्रदान करना।
    • यू.के. के मानकों को पूरा करने के लिए भारत-यू.के. विजन 2035 के तहत प्रशिक्षण शुरू करना।
  • गैर-टैरिफ बाधाओं का समाधान: कृषि (63.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का 1.7%) और समुद्री निर्यात (5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाजार का 2.25%) के लिए मानकों की पारस्परिक मान्यता को तीव्र गति से लागू करना।
    • NTB के समाधान हेतु द्विवार्षिक बैठकों के साथ SPS समिति को सुदृढ़ करना।
  • व्यावसायिक गतिशीलता सुनिश्चित करना: IT कर्मचारियों (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात) के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने हेतु एक वीजा टास्कफोर्स का गठन करना।
    • 3-वर्षीय छूट के लिए जेटको के माध्यम से दोहरे अंशदान सम्मेलन (Double Contribution Convention- DCC) की पात्रता को स्पष्ट करना।
  • भू-राजनीतिक जोखिमों से निपटना: विश्व व्यापार संगठन और संयुक्त राष्ट्र सुधारों के माध्यम से चीन के साथ संबंधों को संतुलित करना।
    • क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र के माध्यम से हिंद-प्रशांत सुरक्षा को सुदृढ़ करना।
  • कार्यान्वयन को सुदृढ़ करना: वार्षिक मंत्रिस्तरीय वार्ता के माध्यम से टैरिफ कटौती और वीजा के लिए स्पष्ट समय सीमा निर्धारित करना।
    • पारदर्शी संघर्ष समाधान के लिए CETA विवाद समाधान पैनल की स्थापना करना।

निष्कर्ष 

भारत-यू.के. CETA तथा विजन 2035 एक परिवर्तनकारी साझेदारी का प्रतीक हैं, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी और रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देगा। प्रभावी कार्यान्वयन, MSME समर्थन और भू-राजनीतिक संतुलन, पारस्परिक समृद्धि को साकार करने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। CETA यूरोपीय संघ जैसे अन्य मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) के लिए एक आदर्श के रूप में भी कार्य कर सकता है, जिससे व्यापार और आर्थिक साझेदारी को और मजबूत किया जा सकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.