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राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक: लोकसभा में पेशी

Lokesh Pal July 31, 2025 05:30 14 0

संदर्भ

23 जुलाई 2025 को लोकसभा में पेश किया गया राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, भारत में खेल प्रशासन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

  • राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) का गठन: इस बोर्ड के पास नियम स्थापित करने और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) सहित विभिन्न खेल महासंघों के कामकाज की देखरेख करने की व्यापक शक्तियां होंगी।
    • राष्ट्रीय खेल बोर्ड की परिकल्पना सेबी के समान नियामक संस्था के रूप में की गई है, ठीक उसी तरह जैसे सेबी शेयर बाजार को नियंत्रित करता है और शेयरधारकों की सुरक्षा करता है।
  • राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) की स्थापना: इस न्यायाधिकरण के पास सिविल न्यायालय के समान शक्तियां होंगी तथा यह विभिन्न विवादों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार होगा।
    • इन विवादों में एथलीट चयन, महासंघ चुनाव और अन्य खेल-संबंधी विवाद शामिल हो सकते हैं।
    • न्यायाधिकरण के निर्णयों के विरुद्ध अपील सीधे सर्वोच्च न्यायालय में की जाएगी।

विधेयक के प्रस्तुतीकरण का औचित्य

  • 2007 में पहली बार उल्लेख : एक समर्पित खेल नियामक की आवश्यकता को एक दशक से अधिक समय से मान्यता दी जा रही है, तथा व्यापक राष्ट्रीय खेल नीति 2007 के मसौदे में पहली बार इस आवश्यकता का उल्लेख किया गया है।
  • कमजोर नियामक क्षमता: वर्तमान प्रणाली कमजोर नियामक क्षमता से ग्रस्त है।
    • खेल मंत्रालय, जिसके पास पहले महासंघों की देखरेख करने की शक्तियां थीं, अपनी जिम्मेदारियों की व्यापकता के कारण संघर्ष करता रहा, जिसके कारण पारदर्शिता की कमी हो गई।
    • इस नियामक विफलता के परिणामस्वरूप खेल निकायों के मामलों में बार-बार और व्यापक न्यायिक हस्तक्षेप देखा गया है।

राष्ट्रीय खेल बोर्ड (NSB) के लाभ

  • समर्पित संसाधन: राष्ट्रीय खेल बोर्ड के पास अपना बजट होगा और कानूनी और लेखा परीक्षा विशेषज्ञों सहित विशेष कर्मचारियों को नियुक्त करने की क्षमता होगी
    • ये विशेषज्ञ देश भर के सभी 56 राष्ट्रीय खेल महासंघों और उनके संबद्ध निकायों की गहन और अधिक विस्तृत निगरानी करने में सक्षम होंगे।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही में बढ़त: एक वैधानिक सार्वजनिक संस्था के रूप में कार्य करते हुए,राष्ट्रीय खेल बोर्ड को अपनी शक्तियों के प्रयोग के संबंध में बढ़ी हुई सार्वजनिक जांच का सामना करना पड़ेगा
    • इससे महासंघों के कामकाज में अधिक पारदर्शिता आएगी।
  • मानक-निर्धारण और रूपरेखा संरेखण: विधेयक में प्रस्ताव है कि राष्ट्रीय खेल बोर्ड राष्ट्रीय खेल महासंघों की सभी संबद्ध इकाइयों को पंजीकृत करेगा।
    • यह ‘सूचना के माध्यम से शासन’ बोर्ड को महासंघों के लिए मानक निर्धारित करने और यह सुनिश्चित करने में सक्षम बनाएगा कि संपूर्ण खेल प्रणाली एकजुट होकर काम करे।

राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण (NST) के लाभ

  • कुशल विवाद समाधान: राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण खेल-संबंधी विवादों को शीघ्रता और सटीकता से सुलझाने में सक्षम होगा।
    • यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि खेल से संबंधित मामलों में अदालती मामले अक्सर वर्षों तक चलते रहते हैं, क्योंकि न्यायाधीशों के पास खेलों में विशिष्ट विशेषज्ञता का अभाव होता है, जिससे खेल प्रशासन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
  • विशिष्ट विशेषज्ञता: सामान्य कोर्ट के विपरीत, राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण में खेलों में विशेषज्ञता वाले सदस्य शामिल होंगे।
    • इस विशेषज्ञता से विवादों का अधिक प्रभावी, कुशल और समय पर समाधान संभव हो सकेगा।
  • वैश्विक मॉडल: स्वतंत्र विवाद समाधान कक्ष और न्यायाधिकरण खेल प्रशासन के लिए वैश्विक मॉडल के रूप में कार्य करेंगे
    • उदाहरण के लिए; फीफा में खेल पंचाट न्यायालय (CAS) शामिल है, जो खेल के प्रति जागरूक व्यक्तियों द्वारा समयबद्ध प्रक्रियाओं और निर्णयों को सुनिश्चित करता है।

विशिष्ट प्रावधान और उनका प्रभाव

  • खेल प्रशासकों के लिए आयु सीमा: विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि खेल प्रशासकों के लिए आयु सीमा बढ़ाकर 75 वर्ष की जाएगी।
    • पक्ष में तर्क: यह भारतीय अधिकारियों को दीर्घकालिक अनुभव प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय खेल निकायों में पदों के लिए उनकी पात्रता बढ़ेगी।
    • चिंताएं: इससे संस्थागत कब्जा, सत्ता का केन्द्रीकरण, तथा युवा पेशेवरों के लिए स्थान में कमी हो सकती है।
  • BCCI विधेयक के दायरे में: सरकार BCCI को प्रस्तावित कानून के दायरे में ला सकती है।
    • BCCI अब तक सरकारी मान्यता के बाहर काम करता रहा है और यह राष्ट्रीय खेल महासंघ नहीं है।
    • निहितार्थ: इससे BCCI की मौजूदा आयु और कार्यकाल संबंधी शर्तों पर गहरा असर पड़ सकता है, जो वर्तमान में पदाधिकारियों के लिए अधिकतम तीन साल के तीन कार्यकाल की सीमा तय करती हैं। इससे BCCI की भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) में सदस्यता पर भी सवाल उठता है, खासकर क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किए जाने के बाद यह और भी गंभीर हो जाता है।
  • खिलाड़ियों की शिकायत निवारण: इस विधेयक में खिलाड़ियों की शिकायतों के निवारण के लिए एक स्पष्ट पदानुक्रम की रूपरेखा दी गई है। जिसमें निम्न प्रावधान किए गए हैं:
    • आंतरिक विवाद समाधान: संबंधित खेल महासंघ के भीतर।
    • न्यायाधिकरण अपील: अनसुलझे आंतरिक मामलों के लिए।
    • सर्वोच्च न्यायालय अपील: अंतिम उपाय के लिए।
  • अतः यह प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों (जैसे, फीफा खेल पंचाट न्यायालय (CAS) को अंतिम मध्यस्थ के रूप में मान्यता देता है ) पर आधारित है, ताकि एथलीटों की शिकायत के समाधान में पहुंच, सामर्थ्य और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

निष्कर्ष

वर्तमान समय में पेश किया गया खेल प्रशासन विधेयक भारत में खेल प्रशासन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है।

  • यह खेल प्रशासन के प्रति अधिक परिपक्व और पेशेवर दृष्टिकोण की ओर एक ऐसा अहम कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय खेलों का भविष्य मजबूत, विनियमित नींव पर निर्मित हो।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025, राष्ट्रीय खेल बोर्ड और न्यायाधिकरण के माध्यम से खेल प्रशासन में सुधार का प्रयास करता है। इस विधेयक के प्रमुख प्रावधानों और इसके द्वारा रेखांकित चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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