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प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा में परिवर्तन

Lokesh Pal August 01, 2025 05:15 17 0

संदर्भ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) ने भारत के शैक्षिक परिदृश्य में, विशेष रूप से प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ECCE) के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव स्थापित किए हैं।

आंगनवाड़ी प्रणाली के बारे में

  • ICDS के तहत आंगनवाड़ी प्रणाली की उत्पत्ति (1975): एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना के तहत वर्ष 1975 में स्थापित आंगनवाड़ी प्रणाली का उद्देश्य 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को सहायता प्रदान करना था।
  • सीमित शैक्षिक उद्देश्य: हालाँकि, इसका प्राथमिक उद्देश्य पोषण, स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण पर रहा।
    • यद्यपि कुछ पूर्व-विद्यालयी गतिविधियां शामिल की गईं, लेकिन शिक्षा पर मुख्य रूप से जोर नहीं दिया गया।
  • प्रारंभिक शिक्षा में विभाजन: निजी स्कूलों में दीर्घकाल से ही नर्सरी कक्षा का आयोजन किया जाता हैं, जबकि सरकारी स्कूलों में केवल कक्षा 1 से बच्चों को प्रवेश दिया जाता है।
    • इससे औपचारिक स्कूली शिक्षा शुरू होने से पहले ही बच्चों की शैक्षिक यात्रा में असमानता के बीज बो दिए गए।
  • सार्वजनिक ECCE अवसंरचना में ठहराव: सार्वजनिक क्षेत्र की ECCE अवसंरचना लंबे समय तक लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों तकही सीमित रही।

NEP 2020: संरचनात्मक परिवर्तन की शुरुआत

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक नई 5 + 3 + 3 + 4 शैक्षिक संरचना प्रस्तुत करती है, जिसमें पहले पांच वर्षों को आधारभूत चरण के रूप में नामित किया गया है।
  • इस आधारभूत चरण को निम्नलिखित रूप से विभाजित किया गया है:
    • प्रारंभिक तीन वर्ष (3-6 वर्ष की आयु) प्री-स्कूलिंग के लिए होंगे।
    • अगले दो वर्ष (6-8 वर्ष) कक्षा एक और कक्षा दो को सम्मिलित करेंगे।
  • इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चे को तीन वर्ष की प्री-स्कूलिंग सुविधा प्राप्त हो
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार सरकारी स्कूलों में ‘बालवाटिका’ स्थापित की जा रही है।
  • बालवाटिका को खेल-आधारित नर्सरी कक्षाओं के रूप में डिजाइन किया गया है, जो सरकारी स्कूलों में नर्सरी के समकक्ष सुविधाएं प्रदान करेंगी, जिससे ऐतिहासिक असमानताएं कम होंगी।
    • अंतिम लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2030 तक 3-6 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा उपलब्ध हो, विशेष रूप से बालवाटिकाओं के माध्यम से।

ECCE परिवर्तन को प्रेरित करने वाले तीन प्रमुख संरचनात्मक बदलाव

  • ECCE क्षेत्र का विस्तार:
    • सरकारी स्कूलों में बालवाटिका (तीन प्री-स्कूल कक्षाएं) खोलने से सार्वजनिक ECCE कक्षाओं की उपलब्धता में काफी वृद्धि होगी।
    • इस विस्तार से कार्मिक प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थों की आवश्यकता है, जिसमें वित्तपोषण, भर्ती, प्रशिक्षण और कुशल ECCE प्रदाताओं का परिनियोजन भी शामिल है।
    • शिक्षा मंत्रालय पहले से ही ECCE के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत बजट आवंटित कर रहा है
    • हरियाणा, ओडिशा और गुजरात जैसे कुछ राज्य इन निधियों का उपयोग बालवाटिका कक्षाएं स्थापित करने के लिए प्रभावी ढंग से कर रहे हैं।
    • हालाँकि, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अन्य राज्य इन प्रावधानों को पूरी तरह से लागू करने में पिछड़ रहे हैं या आवंटित धनराशि का कम उपयोग कर रहे हैं।
  • आंगनवाड़ियों से पलायन और शिक्षा का बढ़ता महत्त्व:
    • स्वास्थ्य और पोषण पर प्रमुख ध्यान देने के स्थान पर शिक्षा पर अधिक बल दिए जाने की प्रवृत्ति स्पष्ट दिखाई दे रही है।
    • यह बदलाव दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव जैसे क्षेत्रों में स्पष्ट है, जहां प्राथमिक विद्यालयों में प्री-स्कूल कक्षाएं शुरू होने से 4-6 वर्ष के बच्चों का आंगनवाड़ी से स्कूलों की ओर व्यापक स्तर पर पलायन हुआ है
    • माता-पिता आंगनवाड़ी की तुलना में स्कूल-आधारित प्री-स्कूल कक्षाओं को अधिक पसंद कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि स्कूल बेहतर शैक्षिक अवसर प्रदान करते हैं। इस प्रवृत्ति से आंगनवाड़ियों के खाली होने का खतरा है, जिससे उनका मुख्य कार्य, मुख्यतः पोषण सुधार प्रभावित हो सकता है।
    • आंगनवाड़ी प्रणाली के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी सेवाओं के मुख्य भाग के रूप में शिक्षा पर जोर देते हुए अनुकूलन करे।
    • मंत्रालय की ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ पहल इस आवश्यकता की समयोचित पूर्ति है।
    • इसकी सफलता जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा शैक्षणिक गतिविधियों के लिए समर्पित समय को बढ़ाने पर निर्भर करती है।
    • साथ ही, स्कूलों को प्री-स्कूलिंग का अत्यधिक ‘स्कूलीकरण’ करने से बचना चाहिए। इसका अर्थ है कि 3-6 साल के बच्चों पर पाठ्यपुस्तकों या परीक्षा के दबाव का बोझ न डाला जाए।
    • इसके बजाय, खेल-आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • आंगनवाड़ी प्रणाली का पुनर्विन्यास और गृह भ्रमण की महत्वपूर्ण भूमिका:
    • संभवतः सबसे परिवर्तनकारी बदलाव आंगनवाड़ी प्रणाली का संभावित पुनर्विन्यास है, जिसमें केन्द्रों पर 3-6 वर्ष के बच्चों को सेवा प्रदान करने के बजाय, घरेलू दौरों के माध्यम से 0-3 वर्ष की आयु के बच्चों पर मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
    • ऐतिहासिक रूप से, आंगनवाड़ियों को गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं और शिशुओं (0-3 वर्ष) पर पर्याप्त ध्यान देने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, क्योंकि उनका अधिकांश समय केंद्रों में आने वाले 3-6 वर्ष के बच्चों पर व्यतीत होता था।
    • अमेरिका में ‘पेरी प्रीस्कूल एट 50’ अध्ययन और ओडिशा में येल विश्वविद्यालय के अध्ययन सहित कई अन्य शोध, प्रारंभिक बाल विकास कार्यक्रमों में गृह भ्रमण की महत्वपूर्ण भूमिका पर लगातार प्रकाश डालते हैं। बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि 80% मस्तिष्क विकास इसी अवधि में होता है।
    • सरकारी स्कूलों द्वारा 3-6 साल के बच्चों की ज़िम्मेदारी लेने के साथ, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए एक अनूठा अवसर सामने आया है। अब वे अधिक गहन गृह भ्रमण के माध्यम से 0-3 साल के बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं की देखभाल पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर नई माताओं को पोषण, स्तनपान, स्वच्छता और शिशुओं के लिए मस्तिष्क उत्तेजना गतिविधियों पर महत्वपूर्ण परामर्श दे सकती हैंयह मॉडल क्यूबा और ब्राज़ील जैसे देशों में पहले ही सफल साबित हो चुका है।

निष्कर्ष

NEP 2020 द्वारा संचालित प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा में परिवर्तन, प्रत्येक भारतीय बच्चे के लिए समान और समग्र विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 द्वारा संचालित प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) में प्रमुख संरचनात्मक बदलावों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। आंगनवाड़ियों से सरकारी स्कूलों में बच्चों के स्थानांतरण और आंगनवाडी प्रणाली के पुनर्विन्यास से जुड़े संभावित अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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