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संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय आयात पर 25% टैरिफ

Lokesh Pal August 01, 2025 05:30 17 0

संदर्भ

हाल ही में, डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की।

  • रूस से भारत की सैन्य और ऊर्जा खरीद के कारण अतिरिक्त दंड पर विचार किया जा रहा है, जिससे दोनों देशों, विशेषकर भारत के लिए नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

अंतर्निहित मुद्दे

  • उच्च टैरिफ बाधाओं का आरोप: ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट में भारत की उच्च टैरिफ संरचना और गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाओं की आलोचना की गई, तथा यह दावा किया गया कि अमेरिका को भारत के साथ पर्याप्त व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।
  • आर्थिक व्यवहार्यता पर टिप्पणी: उन्होंने यहां तक कहा कि रूस की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था भी ध्वस्त हो सकती है, उन्होंने इसे “मृत अर्थव्यवस्थाएं” का नाम दिया।

भारत पर टैरिफ लगाने का आर्थिक प्रभाव

टैरिफ केवल आयात पर कर नहीं हैं – वे प्रभावी रूप से एक उपभोग कर हैं। जिस प्रकार यह भारतीय निर्यातकों के लाभ मार्जिन को कम करता है, उसी प्रकार यह अमेरिका में भारतीय आयात की कीमतों को भी बढ़ाता है।

  • व्यापार असंतुलन और निर्भरता: वर्ष 2024 में, अमेरिका ने भारत से 87.4 बिलियन डॉलर मूल्य का सामान आयात किया, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका का व्यापार घाटा 45.7 बिलियन डॉलर हो गया।
    • हालाँकि भारत कुल अमेरिकी आयात का केवल 3% ही आयात करता है, भारत के कुल निर्यात का लगभग 20% अमेरिकी बाजार को जाता है।
    • इस असमानता का अर्थ यह है कि दोनों देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा, लेकिन भारत को अमेरिकी बाजार पर अपनी अधिक निर्भरता के कारण कहीं अधिक खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारी टैरिफ वृद्धि: भारत को पहले अमेरिका को अपने निर्यात पर केवल 2.2% की औसत टैरिफ दर का सामना करना पड़ता था, जबकि भारत में प्रवेश करने वाले अमेरिकी सामानों को लगभग 12% की टैरिफ दर का सामना करना पड़ता था।
  • तुलनात्मक लाभ का उन्मूलन: 25 % टैरिफ रातोंरात श्रम-प्रधान वस्तुओं में भारत के तुलनात्मक लाभ को कम कर सकता है
    • कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्र, जो सीमित लाभ मार्जिन पर निर्भर हैं, उनका पूरा लाभ मार्जिन इस टैरिफ द्वारा समाप्त हो जाएगा, जिससे उत्पादन और रोजगार में भारी नुकसान देखना पड़ सकता है।
  • महत्वपूर्ण आर्थिक मंदी: यदि इन टैरिफ के कारण भारतीय वस्तुओं का अमेरिका में मांग आधे हो जाते हैं, तो भारतीय वस्तुओं का निर्यात 40 बिलियन डॉलर तक गिर जाएगा, जिससे वर्ष 2025-26 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में प्रभावी रूप से 1% की कमी आएगी
    • यह अप्रत्यक्ष टैरिफ बिल 22 बिलियन डॉलर अनुमानित है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 0.5% से अधिक के बराबर है।
  • रणनीतिक क्षेत्रों पर प्रभाव – स्मार्टफोन: भारत हाल ही में अमेरिका का स्मार्टफोन का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है, जिसने चीन को पीछे छोड़ दिया है, जो कि मुख्य रूप से भारत में एप्पल के निर्माण में वृद्धि के कारण हुआ है।
    • प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना ने एप्पल जैसी विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में उत्पादन, निर्यात और रोजगार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • 25% टैरिफ प्रभावी रूप से भारत के 1.97 लाख करोड़ रुपये के PLI बजट के लाभों को सीमित कर देता है।
    • ऐसी आशंका है कि एप्पल भारत में उत्पादन कम कर सकता है और अमेरिका लौट सकता है।
  • मुद्रा अवमूल्यन और मुद्रास्फीति: टैरिफ घोषणा के कारण रुपया पहले ही कमजोर हो चुका है।
    • रुपये में गिरावट से वैश्विक स्तर पर निर्यात सस्ता हो जाता है, विनिमय दर समायोजन अमेरिकी बाजार में 25% मूल्य वृद्धि की भरपाई नहीं कर सकता।
    • इसके अलावा, कमजोर रुपया भारत की आयात लागत बढ़ाएगा, जिससे घरेलू मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।
  • रोजगार का नुकसान और विदेशी मुद्रा में कमी: भारतीय निर्माताओं और उत्पादकों को अमेरिका को माल निर्यात करने में कठिनाई होगी, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार खत्म होंगी और भारत की विदेशी मुद्रा आय में कमी आएगी।
  • व्यापार विपथन का जोखिम: अमेरिका अन्य देशों से अधिक आयात कर सकता है: वस्त्र या समुद्री खाद्य के अमेरिकी आयातक वियतनाम, इंडोनेशिया, इक्वाडोर या अन्य देशों के आपूर्तिकर्ताओं की ओर रुख कर सकते हैं, जहां कम टैरिफ लागू हैं, जिससे भारतीय निर्यातक बाहर हो जाएंगे।

भारत के लिए रणनीतिक उपाय और आगे की राह

  • बाज़ार विविधीकरण: अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम करना बेहद ज़रूरी है। भारत को यूरोपीय संघ, खाड़ी देशों और अन्य उभरते बाज़ारों के साथ नए व्यापार समझौतों पर सक्रियता से कार्य करना चाहिए और उन्हें अतिशीघ्र लागू करने चाहिए।
  • बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धात्मकता: भारतीय उत्पादकों को वस्तुओं का अधिक सस्ते उत्पादन करके अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • इससे उन्हें अतिरिक्त टैरिफ बोझ के बावजूद अमेरिकी बाजार में व्यवहार्य बने रहने में मदद मिलेगी।
  • प्रभावित क्षेत्रों की सुरक्षा: सरकार को टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को तत्काल और लक्षित सहायता प्रदान करनी चाहिए
    • इन उद्योगों का परिचालन जारी रखने और अल्पकालिक आघात का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए त्वरित, अस्थायी कर रिफंड, सस्ते ऋण या अन्य प्रकार की सब्सिडी जैसी सहायता योजना को लागू किया जा सकता है।
    • यद्यपि टैरिफ से दीर्घकालिक नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन तात्कालिक नुकसान इतना अधिक है कि उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
  • संगठन में कानूनी सहारा: भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO ) में अमेरिका के विरुद्ध मामला दायर करने पर विचार करना चाहिए। इससे टैरिफ की वैधता और निष्पक्षता को चुनौती देने का एक औपचारिक रास्ता मिल जाएगा।
  • संतुलित बातचीत/व्यवहार: संतुलित बातचीत आवश्यक है। अमेरिका को एक निष्पक्ष व्यापार समझौते की आवश्यकता को समझना चाहिए जो दोनों देशों के लिए लाभकारी हो, जिससे रोजगार की रक्षा हो सके और आपूर्ति श्रृंखलाओं को स्थिर किया जा सके।
  • अल्टीमेटम जैसी दबाव की रणनीतियां रचनात्मक बातचीत के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

निष्कर्ष

ट्रम्प का 25% टैरिफ एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जो निर्यात और GDP से लेकर रोजगार और मुद्रा स्थिरता तक भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है।

  • रणनीतिक रूप से बाजारों में विविधता लाकर, घरेलू प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर, प्रभावित उद्योगों को समर्थन देकर, तथा कूटनीतिक और कानूनी रास्ते अपनाकर, भारत इस आर्थिक स्थिति से निपट सकता है और दीर्घावधि में और अधिक मजबूत होकर उभर सकता है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय आयातों पर हाल ही में 25% टैरिफ वृद्धि भारत के लिए गंभीर आर्थिक और सामरिक चुनौतियाँ उत्पन्न करती है। इस कदम के निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए और भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता की रक्षा के लिए एक व्यापक नीतिगत उपाय सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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