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विद्युत मध्य-वार्षिक अद्यतन 2025

Lokesh Pal August 02, 2025 02:41 23 0

 संदर्भ

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) द्वारा जारी विद्युत मध्य-वर्ष अपडेट 2025 के अनुसार, वैश्विक विद्युत माँग वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान पिछले दशक की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ेगी।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी  (International Energy Agency- IEA)

  • स्थापना: वर्ष 1973- 1974 के तेल संकट के बाद वर्ष 1974 में।
  • प्रकार: OECD ढाँचे के अंतर्गत स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन।
  • उद्देश्य: शुरुआत में तेल आपूर्ति में व्यवधानों के प्रबंधन के लिए बनाया गया; अब यह व्यापक ऊर्जा मुद्दों पर केंद्रित है।
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस।
  • सदस्यता: 31 सदस्य देश (OECD सदस्य होना आवश्यक है)।
    • इसमें 11 सहयोगी देश शामिल हैं, जिनमें भारत भी शामिल है, जो वर्ष 2017 में सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल हुआ।
  • कार्य
    • वैश्विक ऊर्जा प्रवृत्ति की निगरानी और विश्लेषण करता है।
    • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और नवाचार को बढ़ावा देता है।
    • ऊर्जा परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
  • प्रमुख प्रकाशन
    • विश्व ऊर्जा परिदृश्य
    • विश्व ऊर्जा संतुलन
    • ऊर्जा प्रौद्योगिकी परिप्रेक्ष्य
    • वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य
    • बिजली मध्य-वर्ष अद्यतन (वर्ष 2025)
    • कोयला मध्य-वर्ष अद्यतन।

बिजली की माँग में वृद्धि के प्रमुख कारक

  • माँग में तीव्र वृद्धि: वर्ष 2025 में माँग में 3.3% और वर्ष 2026 में 3.7% की वृद्धि का अनुमान है, जो वर्ष 2015- वर्ष 2023 के 2.6% के औसत से अधिक है।
  • माँग में योगदान देने वाले प्रमुख कारक: एयर कंडीशनर का बढ़ता उपयोग, डेटा सेंटर का विस्तार, वाहनों का विद्युतीकरण और औद्योगिक एवं उपकरणों के उपयोग में वृद्धि।
  • खपत का नया रिकॉर्ड: वर्ष 2026 में वैश्विक बिजली उपयोग 29,000 टेरावाट-घंटे (Terawatt-hours- TWh) से अधिक हो जाएगा।
  • हीटवेब का प्रभाव: आर्थिक मंदी के बावजूद, वर्ष 2024-25 में हीटवेब के कारण बिजली की माँग में वृद्धि हुई है।

बिजली की खपत में क्षेत्रीय प्रवृत्ति

  • चीन और भारत: वर्ष 2024 में भीषण गर्मी और आर्थिक गतिविधियों के कारण हुई तीव्र वृद्धि के बाद, वर्ष 2025 में माँग में और भी अधिक बढोतरी देखने को मिलेगी।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: डेटा सेंटरों में बिजली की खपत में वृद्धि के कारण, वर्ष 2025 में वर्ष 2024 की तुलना में तीव्र वृद्धि देखने को मिलेगी।
  • यूरोपीय संघ: औद्योगिक क्षेत्र के पूरी तरह से उबर न पाने के कारण माँग में मध्यम वृद्धि जारी है।

कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के रुझान

  • वर्ष 2025 में कोयला उत्पादन
    • मध्यम माँग और मजबूत नवीकरणीय ऊर्जा विकास के कारण चीन तथा भारत में गिरावट आई।
    • अमेरिका एवं यूरोपीय संघ में वृद्धि देखी गई- अमेरिका में गैस की ऊँची कीमतों के कारण गैस से कोयले पर स्थानांतरण हुआ, जबकि यूरोपीय संघ में यह वृद्धि पवन एवं जलविद्युत उत्पादन में कमी के परिणामस्वरूप हुई।
  • नवीकरणीय बनाम कोयला: नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन वर्ष 2025 तक अथवा अधिकतम वर्ष 2026 तक, कोयला आधारित उत्पादन से अधिक हो सकता है।

वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में परिवर्तन

  • कोयले का हिस्सा: वैश्विक बिजली उत्पादन में 33% से नीचे गिरावट का अनुमान—एक सदी में सबसे कम।
  • सौर और पवन ऊर्जा में वृद्धि
    • उनका संयुक्त हिस्सा वर्ष 2024 में 15% से बढ़कर वर्ष 2025 में 17% तथा वर्ष 2026 में लगभग 20% होने का अनुमान है।
    • यह एक दशक पहले के 4% से पाँच गुना वृद्धि दर्शाता है।
    • वर्ष 2025 में माँग में 90% से अधिक की वृद्धि को कवर करने की उम्मीद है।
  • कोयला आधारित उत्पादन: वर्ष 2024 में 1.3% वृद्धि के बाद वर्ष 2025 में थोड़ी गिरावट आने की उम्मीद है।

परमाणु ऊर्जा विस्तार

  • रिकॉर्ड ऊँचाई का पूर्वानुमान: वैश्विक परमाणु उत्पादन वर्ष 2025 में एक नए शिखर पर पहुँचने वाला है, और वर्ष 2026 में भी इसमें वृद्धि जारी रहेगी।
  • प्रमुख योगदानकर्ता: जापान में संयंत्रों का पुनः संचालन, अमेरिका एवं फ्राँस में सुदृढ़ उत्पादन, तथा चीन, भारत, कोरिया एवं अन्य देशों में नए रिएक्टरों की स्थापना।।
  • विकास दर: वर्ष 2025- वर्ष 2026 तक औसतन 2% वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है।

कार्बन उत्सर्जन और जलवायु प्रभाव

  • उत्सर्जन पठार: बिजली उत्पादन से होने वाले CO₂ उत्सर्जन में वर्ष 2025 तक वृद्धि रुकने और स्थिर रहने तथा वर्ष 2026 में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका: नवीकरणीय ऊर्जा के तीव्र उपयोग ने जीवाश्म ईंधन उत्पादन में वृद्धि को सीमित करने में मदद की है, लेकिन चरम मौसमी घटनाएँ (गर्मी, ठंड, कम वर्षा) अभी भी वर्ष-दर-वर्ष उत्सर्जन परिवर्तनशीलता को प्रभावित करती हैं।

बिजली सुरक्षा और बुनियादी ढाँचे की चुनौतियाँ

  • ग्रिड निवेश अनिवार्य: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) इस बात पर जोर देती है कि ‘नवीकरणीय और परमाणु ऊर्जा का मजबूत विस्तार बिजली बाजारों को लगातार नया आकार दे रहा है, लेकिन इसके साथ ही ग्रिड और भंडारण क्षेत्र में अधिक निवेश जरूरी है।
  • हाल ही में हुई ब्लैकआउट
    • चिली (फरवरी, 2025): ग्रिड फेल होने से 2 करोड़ निवासियों में से 99%, 17 घंटे तक बिना बिजली के रहे।
    • स्पेन और पुर्तगाल (अप्रैल, 2025): जटिल विफलताओं के कारण 10 घंटे से अधिक समय तक व्यापक ब्लैकआउट।
  • IEA की सिफारिशें
    • मजबूत ग्रिड अवसंरचना और सुरक्षित आपूर्ति शृंखलाओं में निवेश करना।
    • ग्रिड कोड, आरक्षित आवश्यकताओं और नियामक ढाँचों को बेहतर बनाना।
    • बिजली प्रणाली की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए लचीले संसाधनों (भंडारण, माँग-प्रतिक्रिया आदि) का उपयोग करना।

भारत का ऊर्जा परिदृश्य

  • जून 2025 तक भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 476 गीगावाट तक पहुँच गई, जिसमें 240 गीगावाट तापीय, 110.9 गीगावाट सौर और 51.3 गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल है।
  • बिजली की कमी वर्ष 2013-वर्ष 2014 में 4.2% से घटकर वर्ष 2024-2025 में 0.1% हो जाएगी।
  • गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत अब कुल क्षमता में 235.7 गीगावाट (49%) का योगदान करते हैं, जिसमें 226.9 गीगावाट नवीकरणीय और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है।
  • ताप विद्युत का प्रभुत्व बना हुआ है, जो स्थापित क्षमता का 50.52% है।

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