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Lokesh Pal
August 07, 2025 05:30
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तमिलनाडु और कर्नाटक में फॉक्सकॉन की आईफोन 17 इकाइयों से 300 से अधिक चीनी इंजीनियरों का हाल ही में पलायन एक सोचा-समझा कदम प्रतीत होता है, न कि केवल एक कॉर्पोरेट निर्णय।
चीन का आक्रामक आर्थिक रुख़ सिर्फ़ भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का ही प्रतिबिंब नहीं है; यह गहन घरेलू बाध्यता का भी निर्विवाद प्रतिबिंब है। वर्तमान में बीजिंग को गंभीर आंतरिक दबावों का सामना करना पड़ रहा है, जो निर्यात राजस्व की उसकी अथक खोज को प्रेरित करते हैं:
भारत को इन वास्तविकताओं को आत्मसात करना होगा और चीन का विकल्प बनने के जुमलेबाज़ी से आगे बढ़ना होगा। अपनी बुनियादी कमज़ोरियों को दूर करने और वास्तविक रणनीतिक स्वायत्तता बनाने की ज़िम्मेदारी भारत पर है।
अगर भारत वाकई वैश्विक मंच पर “प्रतिस्पर्धा” करने की महत्वाकांक्षा रखता है, तो उसे अपने बुनियादी विकास पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करना होगा। चीन के व्यवहार ने भारत को यही सिखाया है: ज़िम्मेदारी हम भारतीयों की है।
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