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दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण संकट को कम करने हेतु प्रभावी रोडमैप की तत्काल आवश्यकता

Lokesh Pal August 08, 2025 05:15 7 0

संदर्भ

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर बनता जा रहा है, जिसके आने वाले समय में और गंभीर होने की चिंता जताई जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवासियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होगा।

  • अतः प्रदूषण की इस चुनौती से निपटने के लिए एक स्पष्ट और निर्णायक रोडमैप आवश्यक है।

दिल्ली में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति:

  • दिल्ली की वायु गुणवत्ता चिंताजनक रूप से अपने सबसे खराब स्तर पर है
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम 2.5) की 5 इकाइयों को सुरक्षित मानता है; हालांकि, वर्ष 2021 में दिल्ली का पीएम 2.5 स्तर 126.5 इकाइयों पर पहुंच गया – जो सुरक्षित सीमा से 2.5 गुना अधिक है।
  • कभी-कभी यह आँकड़ा 300-400 तक बढ़ जाता है, और स्वास्थ्य आपातकाल के निकटतम स्तर तक पहुँच जाता है। अतः इस प्रकार अत्यधिक प्रदूषण से मनुष्य की औसत जीवन प्रत्याशा में 6.3 वर्ष की कमी आ सकती है।
  • वर्ष 2023 के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार, दिल्ली में प्रतिवर्ष 25,000 मौतें प्रदूषण के कारण होती हैं, जो कि चिंताजनक आंकड़ा है।
  • आर्थिक दृष्टि से, प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य लागत व उत्पादकता में कमी आती है।वहीं कार्य में व्यवधान के कारण सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 3% की हानि होती है, जिसका सबसे अधिक असर गरीबों पर पड़ता है।
  • स्वच्छ हवा एक मौलिक मानवाधिकार है, फिर भी राजधानी में लाखों लोगों को इससे वंचित रहना पड़ रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण हेतु सरकारी प्रयास व सीमाएँ:

  • हालांकि आँकड़े बताते हैं कि सरकार इस संकट से निपटने में काफी हद तक विफल रही है, तथा वह सम-विषम योजना या पटाखों पर प्रतिबंध जैसे आपातकालीन उपायों पर निर्भर रही है।
  • ये क्रियाएं केवल लक्षणों का प्रबंधन करती हैं और मूल कारण पर हमला नहीं करती हैं
  • नौकरशाही के अतिव्यापन से समस्या और भी जटिल हो जाती है, जिसके कारण विभिन्न एजेंसियों और राजनीतिक संस्थाओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाता है
    • दिल्ली का प्रदूषण कोई एक शहर की समस्या नहीं है ; यह पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जुड़ा एक क्षेत्रीय मुद्दा है, जिसके लिए समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है।

प्रदूषण निवारण हेतु व्यापक रोडमैप:

  • जैव ईंधन जलाने पर रोक: जैविक ईंधन, गोबर के उपले और फसल अवशेष (पराली) को जलाने से धुएं की मोटी चादर बनती है, जो एक मौसमी घटना है।
    • उठाए जाने योग्य कदम: एनसीआर के घरों में एलपीजी को लगभग 95 % तक बढ़ाना चाहिए और आवश्यक सब्सिडी प्रदान की जानी चाहिए।
      • फसल अवशेषों को बायोगैस में परिवर्तित करने के लिए सामुदायिक बायोमास संयंत्र स्थापित करना चाहिए। इसके लिए फतेहगढ़ साहिब जैसे सफल मॉडल को अपनाया जा सकता है।
  • औद्योगिक और ताप विद्युत संयंत्र उत्सर्जन पर अंकुश लगाना: दिल्ली एनसीआर में बारह ताप विद्युत संयंत्र (टीपीपी) संचालित हैं, जो अभी भी पुराने अर्थात वर्ष 2015 के पुराने उत्सर्जन मानकों का पालन कर रहे हैं, जिससे अत्यधिक प्रदूषक उत्सर्जित हो रहा हैं।
    • उठाए जाने योग्य कदम: दिल्ली के सभी ताप विद्युत संयंत्रों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) तकनीक को अनिवार्य किया जाना चाहिए
      • 35 वर्ष से अधिक पुराने ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करना तथा उनके स्थान पर स्वच्छ प्रौद्योगिकी वाले विकल्प अपनाना।
      • दिल्ली एनसीआर के सभी औद्योगिक क्षेत्रों के लिए त्रैमासिक उत्सर्जन रिपोर्टिंग लागू करना।
      • छतों पर सौर पैनल लगाने तथा इलेक्ट्रिक बॉयलरों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
  • ईंट भट्टों के संचालन में सुधार: एनसीआर में, विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, 4,600 से अधिक ईंट भट्टे संचालित होते हैं, जो ऊपरी मृदा के क्षरण का कारण बनते हैं और भूजल को दूषित करते हैं।
    • उठाए जाने योग्य कदम: ईंट उत्पादन के लिए जिगजैग प्रौद्योगिकी को अपनाना अनिवार्य किया जाए, जिससे उत्सर्जन में 60% की कमी आएगी तथा ईंधन दक्षता में सुधार होगा।
        • इस तकनीकी परिवर्तन को सुगम बनाने के लिए भट्ठा मालिकों को सब्सिडी या ब्याज मुक्त ऋण देकर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • वाहन बेड़े में परिवर्तन: दिल्ली में 10 मिलियन से अधिक पंजीकृत वाहन हैं, तथा इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की दर अभी काफी कम है।
    • उठाए जाने योग्य कदम: सर्वप्रथम यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि 2-3 वर्षों के भीतर सभी दोपहिया वाहन इलेक्ट्रिक हों।
      • 24 महीने के भीतर सड़कों से 10 वर्ष से अधिक पुराने सभी दोपहिया वाहनों को हटा दिया जाए/प्रतिबंधित कर दिया जाए।
      • 2 वर्षों के भीतर 8 वर्ष से अधिक पुरानी 300 से अधिक टैक्सियों को इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित कर दिया जाए।
      • तीन वर्षों के भीतर सार्वजनिक परिवहन बेड़े में 5,000 और इलेक्ट्रिक बसें शामिल कर दी जाए
  • अपशिष्ट प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव: दिल्ली में प्रतिदिन 11,000 टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से आधे से अधिक अपशिष्ट विशाल लैंडफिल पहाड़ों में समा जाता हैनालों से यमुना में प्रवाहित होने वाले 70% जल का उपचार नहीं किया जाता है।
    • उठाए जाने योग्य कदम: अपशिष्ट पृथक्करण के सूरत मॉडल को सख्ती से लागू किया जाए, तथा स्रोत पर ही जैविक, अजैविक, गीले और सूखे कचरे को अलग किया जाए।
      • डिजिटल निगरानी लागू करना और कचरे को अलग-अलग न करने वाले घरों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।
      • विकेन्द्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करना तथा मौजूदा पुराने संयंत्रों की मरम्मत करना।
      • कचरा बीनने वालों को औपचारिक क्षेत्र में एकीकृत करना।
      • मौजूदा लैंडफिल को पुनः प्राप्त करना और हरित स्थानों में परिवर्तित करना।
  • व्यापक कार्रवाई: दिल्ली के प्रदूषण का एक बड़ा हिस्सा (30-40%) पड़ोसी राज्यों से उत्पन्न होता है।
    • इसलिए, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को शामिल करते हुए एक संयुक्त स्वच्छ वायु कार्य योजना आवश्यक है
    • अनियोजित शहरी विकास, जो वर्ष 2019 से बिना किसी बुनियादी ढांचे के विकास के संपत्ति दरों में 57% की वृद्धि से स्पष्ट है, को रोका जाना चाहिए।
    • अतः नियमों का सख्ती से पालन करना, पैदल यात्री क्षेत्रों, मजबूत सार्वजनिक परिवहन और हरित आवरण को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है।
    • वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को और कम करने के लिए, निजी कार के उपयोग को उच्च पार्किंग दरों और भीड़भाड़ को प्रबंधित कर उचित कार्यान्वयन के माध्यम से हतोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • लक्षित पहल और भावी दृष्टिकोण: लक्ष्य 2023 के स्तर की तुलना में 2028 तक PM2.5 के स्तर को 40-50% तक कम करना।

निष्कर्ष:

अतः दिल्ली के प्रदूषण संकट को कम करने के लिए एक व्यवस्थित और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है

  • भारत की जनसंख्या वर्ष 2036 तक 1.5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, इसलिए अनियंत्रित शहरी विकास, विशेष रूप से दिल्ली जैसे शहरों में, अनिवार्य रूप से पर्यावरणीय पतन का कारण बन सकता है। अतः समय रहते इसका प्रबंधन किया जाना चाहिए।
  • केवल बहुआयामी व सम्मिलित प्रयासों से ही दिल्ली को एक सुखद भविष्य प्राप्त हो सकता है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: प्रत्येक वर्ष की सर्दी में, दिल्ली खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर के कारण ‘गैस चैंबर’ में बदल जाती है, जिससे जन स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। दिल्ली के प्रदूषण में योगदान देने वाले प्रमुख स्रोतों का विश्लेषण कीजिए और इसे अल्पावधि और दीर्घावधि में कम करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय रणनीति सुझाइए।

 (10 अंक, 150 शब्द)

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