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खामियों को दूर करें: राहुल गांधी के ‘चुनावों की चोरी’ के आरोप और भारतीय चुनाव आयोग

Lokesh Pal August 09, 2025 05:15 10 0

संदर्भ:

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के विरुद्ध “आपराधिक धोखाधड़ी” के हालिया आरोपों के कारण मौजूदा खामियों की गहन जांच और तत्काल प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है।

चुनावी कदाचार के आरोप:

  • भारत के चुनाव आयोग पर “आपराधिक धोखाधड़ी” के गंभीर आरोप लगाये गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख से अधिक फर्जी वोट बनाए गए।

कथित चुनावी कदाचार के मुख्य बिंदु:

  • एक ही निर्वाचन क्षेत्र में कई पंजीकरण: कई मतदाता कथित तौर पर एक ही निर्वाचन क्षेत्र में कई बार पंजीकृत थे, तथा अलग-अलग बूथ नंबरों पर दिखाई दे रहे थे
    • जो “एक व्यक्ति, एक वोट” सिद्धांत का गंभीर उल्लंघन है।
  • विभिन्न राज्यों में समान मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) संख्याएं: महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों में एक ही विशिष्ट मतदाता पहचान संख्याएं पाई गईं, जो नहीं होनी चाहिए, क्योंकि EPIC संख्याएं विशिष्ट होती हैं
    • हालांकि, निर्वाचन आयोग ने पहले भी इन्हें पूर्ण डिजिटलीकरण के अभाव के कारण उत्पन्न विसंगतियों के रूप में संबोधित किया है, लेकिन इसकी पुनरावृत्ति चिंताजनक है।
  • एकल पते पर मतदाताओं की अत्यधिक संख्या: एकल आवासीय पते पर मतदाताओं की असामान्य रूप से अत्यधिक संख्या सूचीबद्ध, जो संयुक्त परिवारों के लिए भी असंभव है।
  • बूथ पर्चियों पर एक ही व्यक्ति द्वारा एक से अधिक वोट: पार्टी कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर बूथ पर्चियां मिलीं, जिनसे पता चला कि रिकार्ड में दोहराव के कारण एक ही व्यक्ति ने एक ही बूथ पर कई वोट डाले थे।
    • यह आरोप लगाया गया है कि ये विसंगतियां केवल महादेवपुरा तक ही सीमित नहीं थीं

भारत निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया और प्रणालीगत मुद्दे

  • शपथ के तहत साक्ष्य की मांग: ECI ने मांग की है कि साक्ष्य “शपथ के तहत” प्रस्तुत किया जाए, एक ऐसी आवश्यकता जिसे अनावश्यक रूप से रक्षात्मक माना जाता है।
  • राजनीतिक दलों को दोषी ठहराना: चुनाव आयोग ने चुनावी विसंगतियों के लिए मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा चिंताओं को उठाने में विफलता को जिम्मेदार ठहराया।
    • हालाँकि, ECI मतदाता जानकारी को एक लंबी, स्कैन की गई छवि पीडीएफ में उपलब्ध कराता है, जिसे राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों के लिए सत्यापित करना या खोजना कठिन होता है।
  • स्व-घोषणा पर निर्भरता: ECI की वर्तमान मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया स्व-घोषणा पर बहुत अधिक निर्भर करती है, तथा इसमें मजबूत डोर-टू-डोर सत्यापन का अभाव है, जिसे सटीक मतदाता सूची बनाए रखने के लिए सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है।
  • विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित समस्याएं: बिहार में ECI की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया, जिसका उद्देश्य घर-घर जाकर सत्यापन के माध्यम से मतदाता सूची की सटीकता में सुधार करना था, को जल्दबाजी में लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप इसका क्रियान्वयन सही रूप से नहीं किया जा सका।
    • पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं के नाम असमान रूप से अधिक संख्या में हटाए जाने जैसे मुद्दे सामने आए, संभवतः इसका कारण:
      • बिहार में महिलाओं की साक्षरता दर कम है (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 55%) और
      • दस्तावेज उपलब्ध कराने में कठिनाइयां।

चुनावी प्रशासन में व्यापक चुनौतियाँ

विशिष्ट आरोपों के अलावा, ECI प्रशासन के भीतर कई प्रणालीगत मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता हैं:

  • शिथिल प्रवर्तन: चुनाव प्रचार खर्च और आदर्श आचार संहिता से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता। इसके कारण उम्मीदवार निर्धारित सीमा से कहीं अधिक खर्च करते हैं, घृणास्पद/आपतिजनक भाषण देते हैं या मुफ्त उपहार बाँटते हैं।
  • सीमित संख्या में VVPAT मिलान: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) रिकॉर्ड के साथ मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का सत्यापन वर्तमान में प्रति निर्वाचन क्षेत्र केवल पांच बूथों के एक बहुत छोटे, यादृच्छिक रूप से चुने गए मतदान पत्र से किया जाता है
    • यह मतदान पत्र संख्या व्यापक विश्वास सुनिश्चित करने के लिए अपर्याप्त है
  • VVPAT के लिए अपर्याप्त तकनीकी सुरक्षा उपाय: VVPAT मशीनों में प्रतीक लोड करने के लिए अपर्याप्त तकनीकी सुरक्षा उपाय हैं, तथा इस प्रक्रिया में स्वतंत्र ऑडिटिंग का अभाव है
    • ECI, EVM की तकनीकी सुरक्षा के स्वतंत्र विशेषज्ञ सत्यापन का भी विरोध करता है।
  • मतदान केन्द्रों के फुटेज और मतदान आंकड़ों में पारदर्शिता का अभाव: भारत निर्वाचन आयोग मतदान केन्द्रों के सीसीटीवी फुटेज को अपने पास रखने या जनता को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं है।
    • अंतिम मतदाता आंकड़े प्रकाशित करने में अक्सर देरी होती है, जिससे पारदर्शिता खत्म हो जाती है।
  • संस्थागत विश्वास का क्षरण: आलोचना को सुधार के अवसर के बजाय अपनी ईमानदारी पर हमले के रूप में देखने की ECI की प्रवृत्ति, इसकी निष्पक्षता और पारदर्शिता में जनता के विश्वास को कमजोर करती है।
  • चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की वर्तमान प्रक्रिया ने नियुक्ति पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने की सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश को दरकिनार कर दिया है, जिससे निष्पक्षता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

भारत के चुनावी लोकतंत्र को मजबूत करने के उपाय:

  • व्यापक मतदाता सूची लेखा परीक्षा: मतदाता सूचियों के लिए मजबूत, निरंतर और नियमित स्तर पर घर-घर जाकर सत्यापन अभियान चलाना ताकि डुप्लिकेट या गलत प्रविष्टियों की पहचान की जा सके और उन्हें हटाया जा सके, साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र मतदाता सूची से बाहर न रह जाए।
  • उन्नत डेटा पारदर्शिता: ECI को मतदाता सूचना और अन्य प्रासंगिक चुनावी डेटा को स्कैन की गई छवि पीडीएफ के बजाय संरचित, खोज योग्य पाठ प्रारूपों में जारी करना चाहिए, ताकि राजनीतिक दलों और नागरिक समाज द्वारा सत्यापन आसान हो सके।
  • उन्नत तकनीकी सुरक्षा और लेखा परीक्षा:
    • प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में पांच से अधिक यादृच्छिक रूप से चुने गए बूथों पर VVPAT पर्चियों की गिनती और EVM वोटों के साथ मिलान किया जाना चाहिए।
    • VVPAT मशीनों में प्रतीक लोडिंग की स्वतंत्र ऑडिटिंग सुनिश्चित करें।
    • EVM कमांडों का व्यापक ऑडिट ट्रेल विकसित करना तथा सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना।
  • चुनावी नियमों का सख्त प्रवर्तन: चुनाव आयोग को चुनाव के दौरान अत्यधिक खर्च, घृणास्पद भाषणों और अवैध प्रलोभनों पर अंकुश लगाने के लिए अभियान वित्त नियमों और आदर्श आचार संहिता को सख्ती से लागू करना चाहिए।
  • समय पर और सुलभ जानकारी: अंतिम मतदाता आंकड़े शीघ्र जारी करना सुनिश्चित करें तथा मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज को मतदाताओं और जनता के लिए आसानी से उपलब्ध कराएं।
  • संवाद और प्रतिक्रिया के माध्यम से विश्वास को बढ़ावा देना: ECI को आरोपों के प्रति अधिक सक्रिय और उत्तरदायी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, तथा रक्षात्मक रुख अपनाने के बजाय विश्वास बनाने के लिए विस्तृत और पारदर्शी स्पष्टीकरण प्रदान करना चाहिए।

निष्कर्ष:

ECI को लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के साधन के रूप में जांच को अपनाना चाहिए, क्योंकि चुनावी प्रक्रियाओं में जनता के विश्वास का निरंतर क्षरण, किसी भी कदाचार के विशिष्ट आरोप की तुलना में लोकतांत्रिक शासन के लिए कहीं अधिक बड़ा खतरा पैदा करता है।

  • एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत का विकास इन खामियों को निर्णायक रूप से दूर करने पर निर्भर करता है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर विसंगतियों के हालिया आरोपों ने भारतीय चुनाव आयोग (ECI) की कार्यप्रणाली पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं। इस संदर्भ में, मतदाता सूची तैयार करने में आने वाली समस्याओं का परीक्षण कीजिए और चुनाव आयोग में जनता का विश्वास मज़बूत करने के लिए सुधार सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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