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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 11, 2025 03:47 13 0

स्टारफिश 

हाल ही में, वैज्ञानिकों ने सी स्टार वेस्टिंग डिजीज (Sea Star Wasting Disease- SSWD) नामक एक रोग के पीछे विब्रियो पेक्टेनिसिडा बैक्टीरिया का पता लगाया है, यह रोग वर्ष 2013 से उत्तरी अमेरिका के प्रशांत तट पर 5 अरब से अधिक स्टारफिश की मृत्यु का कारण बना है।

सी स्टार वेस्टिंग डिजीज (SSWD) के बारे में

  • एक घातक स्थिति, जो विभिन्न स्टारफिश (सी स्टार) प्रजातियों को प्रभावित करती है, जिससे घाव, अंगों का क्षय, ऊतक विघटन एवं अंततः मृत्यु हो जाती है।
  • लक्षण: शरीर पर घाव, ऊतक क्षय, भुजाओं का मुड़ना, अंगों का क्षय एवं अंततः शरीर का विघटन।
  • कारण: हाल ही में इसकी पहचान विब्रियो पेक्टेनिसिडा बैक्टीरिया  के रूप में हुई है, जिससे इसके वायरल कारण संबंधी पूर्ववर्ती धारणाएँ परिवर्तित हो गई हैं।
  • क्रियाविधि
    • यह जीवाणु ऐसे एंजाइम उत्पन्न करता है जो स्टारफिश के ऊतकों को पचाते हैं, जिससे शरीर का तेजी से क्षय होता है।
      • एंजाइम जैविक उत्प्रेरक होते हैं—विशिष्ट प्रोटीन (या कभी-कभी RNA) जो जीवित जीवों में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को इस प्रक्रिया में उपभोग किए बिना तेज करते हैं।
    • यह संक्रमण तेजी से फैलता है एवं प्रायः कुछ ही दिनों में जानलेवा साबित होता है।
  • प्रभाव: यह रोग कई स्टारफ़िश प्रजातियों को प्रभावित करता है, लेकिन सनफ्लावर स्टारफिश’ सबसे अधिक प्रभावित प्रजातियों में से एक है।

सनफ्लावर स्टारफिश के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम: पाइक्नोपोडिया हेलियनथोइड्स
  • आकार एवं गति: विश्व के सबसे बड़े एवं सबसे तेज समुद्री स्टारफिश में से एक।
  • आवास: अलास्का से बाजा कैलिफोर्निया तक प्रशांत महासागर के तटीय जल।
    • विविध आधारों पर पाया जाता है – कीचड़, रेत, बजरी, शिलाखंड एवं चट्टान।
    • अंतर्ज्वारीय तटीय जल से लेकर 435 मीटर दूरी तक, लेकिन अधिकतर 120 मीटर के भीतर।
  • विशेषताएँ: 1 मीटर (3 फीट) तक चौड़ा हो सकता है एवं 24 भुजाओं तक हो सकता है।
  • पारिस्थितिक भूमिका
    • समुद्री अर्चिन का प्रमुख शिकारी, केल्प वन को बनाए रखने में मदद करता है।
    • उनकी कमी के कारण अर्चिन की आबादी में भारी वृद्धि हुई है, जिससे केल्प आवास नष्ट हो गए हैं।
  • संरक्षण स्थिति: अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के तहत गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध।

भारत में पहली बार निकल-तांबा-प्लैटिनम समूह सल्फाइड की खोज

हाल ही में, डेक्कन गोल्ड माइंस लिमिटेड (Deccan Gold Mines Ltd.- DGML) ने भारत में पहली बार निकल-तांबा-प्लेटिनम समूह तत्व (Nickel–Copper–Platinum Group Element- Ni–Cu–PGE) सल्फाइड खनिजीकरण की घोषणा की, जो छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के भालुकोना-जमनीडीह ब्लॉक में स्थित है।

निकल-तांबा-प्लेटिनम समूह तत्व (Ni-Cu-PGE) के बारे में:

  • परिभाषा: एक प्रकार का खनिज भंडार, जिसमें सल्फाइड के रूप में निकल (Ni), तांबा (Cu), एवं प्लैटिनम समूह तत्व (PGE) होते हैं, जो आमतौर पर मैफिक-अल्ट्रामैफिक चट्टानों में पाए जाते हैं।
  • प्लेटिनम समूह तत्व (PGE): छह दुर्लभ धातुएँ – प्लैटिनम (Pt), पैलेडियम (Pd), रोडियम (Rh), रूथेनियम (Ru), ऑस्मियम (Os), एवं इरिडियम (Ir) – अक्सर एक साथ पाई जाती हैं तथा निकल एवं तांबे के भंडारों से जुड़ी होती हैं।
  • प्रमुख वैश्विक स्रोत: दक्षिण अफ्रीका, रूस एवं कनाडा में बड़े पैमाने पर Ni-Cu-PGE भंडारों का खनन किया जाता है।

Ni-Cu-PGE के अनुप्रयोग

  • निकेल: स्टेनलेस स्टील एवं उच्च-शक्ति मिश्र धातुओं में प्रयुक्त।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बैटरियों (लिथियम-निकेल-मैंगनीज-कोबाल्ट प्रकार) में महत्त्वपूर्ण।
    • एयरोस्पेस मिश्र धातुओं एवं इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए महत्त्वपूर्ण।
  • ताँबा: विद्युत तारों, मोटरों, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के लिए महत्त्वपूर्ण।
    • प्लंबिंग एवं ताप विनिमायक में प्रयुक्त।
  • PGEs: उत्प्रेरक परिवर्तकों (वाहन उत्सर्जन नियंत्रण) के लिए आवश्यक।
    • सामरिक महत्त्व: Ni-Cu-PGE निक्षेप उच्च तकनीक उद्योगों, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन एवं महत्त्वपूर्ण खनिज सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों तथा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में इनकी माँग बढ़ रही है।

एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी ‘रुद्रस्त्र’

हाल ही में, भारतीय रेलवे ने एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी ‘रुद्रस्त्र’ का सफलतापूर्वक परीक्षण करके एक नई उपलब्धि हासिल की है।

रुद्रस्त्र के बारे में

  • यह भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी है, जो एक ही बार में भारी माल ढोने के लिए छह BOXN रेकों को जोड़कर बनाई गई है।
    • BOXN (Bogies Open High Sided with Air Brakes) (N – Improved Design)(N – बेहतर डिजाइन) रेक ब्रॉड-गेज के खुले वैगन हैं जिनका उपयोग भारतीय रेलवे मुख्य रूप से कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर एवं अन्य खनिजों जैसी भारी वस्तुओं को ढोने के लिए करता है।
  • लंबाई: लगभग 4.5 किमी।
  • संरचना: 7 इंजन, छह खाली BOXN रेकों को जोड़कर बनाए गए 354 वैगन।
  • दूरी: 5 घंटे में 200 किमी, औसत गति 40 किमी/घंटा।
  • मार्ग: डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर गंजख्वाजा, उत्तर प्रदेश से सोननगर, झारखंड तक शुरू हुई, फिर भारतीय रेलवे के नियमित ट्रैक पर जारी रहेगी।
  • उद्देश्य: मुख्यतः कोयले एवं अन्य थोक वस्तुओं का कुशलतापूर्वक परिवहन करना।
  • महत्त्व
    • भारी माल ढुलाई संचालन एवं विभागीय समन्वय में भारतीय रेलवे की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
    • तेज व व्यापक माल ढुलाई को सक्षम बनाकर, यह अधिक ट्रेनों के लिए स्थान प्रदान करता है और भीड़भाड़ को कम करताहै।
    • छह रेकों के लिए अलग-अलग परिचालन से बचकर समय, श्रमशक्ति एवं परिचालन लागत बचाता है।
    • माल ढुलाई क्षमता एवं ट्रैक उपयोग में सुधार करता है।
    • भारत की लाजिस्टिक दक्षता को बढ़ाता है एवं ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं को सहयोग प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत लक्षित LPG सब्सिडी को ₹12,000 करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ जारी रखने को मंजूरी दी है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के बारे में

  • यह पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) की एक प्रमुख योजना है, जिसे मई 2016 में शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य: स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन को बढ़ावा देने एवं घर के अंदर के वायु प्रदूषण को कम करने के लिए गरीबी रेखा से नीचे (Below-Poverty-Line- BPL) जीवन यापन करने वाले परिवारों की महिलाओं को मुफ्त LPG कनेक्शन प्रदान करना।
  • पात्रता: बिना LPG कनेक्शन वाले गरीब परिवार की वयस्क महिला, जो निम्न से संबंधित हो:
    • सामाजिक आर्थिक एवं जाति जनगणना (SECC) 2011-चिह्नित गरीब परिवार।
    • SC/ST परिवार, PMAY लाभार्थी, अंत्योदय अन्न योजना (AAY) परिवार, वनवासी, अति पिछड़ा वर्ग (MBC), चाय एवं पूर्व चाय बागान जनजातियाँ, नदी द्वीप निवासी।
    • यदि उपरोक्त सूचियों में नहीं हैं, तो गरीब परिवार की स्थिति साबित करने वाला 14-सूत्रीय स्व-घोषणा पत्र प्रस्तुत करके आवेदन कर सकते हैं।
      • बहिष्करण: पुरुष सदस्य आवेदन नहीं कर सकते।
  • लक्षित सब्सिडी
    • LPG की सामर्थ्य एवं निरंतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए PMUY लाभार्थियों के लिए सब्सिडी: ₹300 प्रति LPG सिलेंडर (प्रति वर्ष 12 सिलेंडर तक)
  • माध्यम: लाभार्थी के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)।
  • महत्त्व:
    • बायोमास ईंधन पर निर्भरता कम करता है, जिससे विशेषतः महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार होता है।
    • ऊर्जा पहुँच एवं पर्यावरणीय स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है।
    • सतत् विकास लक्ष्य 7 (सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा) तथा सतत् विकास लक्ष्य 3 (उत्तम स्वास्थ्य एवं कल्याण) का पूरक है।

तुवालू

प्रशांत महासागर का एक छोटा सा द्वीपीय देश, तुवालु, बढ़ते समुद्र स्तर के कारण विश्व के पहले नियोजित प्रवास की तैयारी कर रहा है। कई अध्ययनों के अनुसार, तुवालु की अधिकांश भूमि 25 वर्षों के भीतर जलमग्न हो सकती है।

तुवालु के बारे में

  • पूर्व नाम: एलिस द्वीप समूह।
  • अवस्थिति: यह पश्चिम-मध्य प्रशांत महासागर में स्थित एक पॉलिनेशियाई देश है, जो 9 छोटे प्रवाल द्वीपों द्वारा निर्मित है।
    • भौगोलिक रूप से यह पृथ्वी के दक्षिणी एवं पूर्वी दोनों गोलार्धों में अवस्थित है।
    • यह हवाई एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच, पश्चिम-मध्य प्रशांत महासागर में स्थित है।
  • सीमावर्ती देश: यह सांता क्रूज द्वीप समूह के पूर्व-उत्तर-पूर्व में, वानुअतु के उत्तर-पूर्व में, नाउरू के दक्षिण-पूर्व में; किरिबाती के दक्षिण में, टोकेलाऊ के पश्चिम में, वालिस एवं फ्यूचूना तथा समोआ के उत्तर-पश्चिम में; एवं फिजी के उत्तर में अवस्थित है।
  • राजधानी: फनाफुटी एटोल पर स्थित वैयाकू, इसकी राजधानी है।
  • प्रमुख द्वीप: नानुमंगा निउताओ एवं निउलाकिता
  • समूहीकरण: तुवालु प्रशांत द्वीप समूह फोरम का सदस्य है।
  • भूगोल
    • इसमें 9 द्वीप (4 रीफ द्वीप एवं 5 प्रवाल द्वीप) शामिल हैं।
    • निचला क्षेत्र: समुद्र तल से 4.5 मीटर से अधिक ऊँचा कोई बिंदु नहीं है एवं कोई नदियाँ नहीं।
    • जलवायु: गर्म एवं मानसूनी।
  • जनसांख्यिकी: लगभग 11,000 (वेटिकन सिटी के बाद दूसरा सबसे छोटा स्वतंत्र राष्ट्र)।
  • अर्थव्यवस्था
    • निर्वाह कृषि एवं मत्स्य पालन
    • विदेशी श्रमिकों से प्राप्त धन।
    • खोपरा निर्यात, स्टाम्प बिक्री एवं मछली पालन के लाइसेंस से सामान्य राजस्व प्राप्त होता है।
  • राजनीतिक स्थिति
    • स्वतंत्रता: वर्ष 1978 में ब्रिटेन से।
    • व्यवस्था: एक संवैधानिक राजतंत्र के अधीन संसदीय लोकतंत्र।
  • संवेदनशीलता: समुद्र तल से औसत ऊँचाई 2 मीटर, बाढ़, चक्रवात एवं समुद्र तल में वृद्धि से खतरा।
  • आँकड़े
    • वर्ष 2023 में तुवालु में समुद्र का स्तर 30 वर्ष पहले की तुलना में 15 सेमी अधिक था (NASA)।
    • 9 में से 2 प्रवाल द्वीप पहले से ही अधिकांशतः जलमग्न हैं।
    • देश 80 वर्षों के भीतर आवास योग्य नहीं रह जाएगा; वर्ष 2050 तक नदी मात्र में भूमि क्षरण होगा।

फलेपिली संघ संधि (2023) के बारे में

  • इस संकट के जवाब में, तुवालु एवं ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2023 में फलेपिली संघ संधि पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता एक अभूतपूर्व कार्यक्रम है जो तुवालुवासियों के ऑस्ट्रेलिया में नियंत्रित तथा सम्मानजनक प्रवास की अनुमति देता है।
  • प्रावधान: जलवायु प्रवास मार्ग।
  • कोटा: 280 तुवालुवासियों को प्रति वर्ष ऑस्ट्रेलिया में स्थायी निवास मिलेगा।
  • अधिकार: स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास एवं नौकरियों तक पहुँच।
  • लक्ष्य: जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बीच तुवालुवासियों कोसम्मान के साथ” प्रवास करने की अनुमति देना।
  • पहला चरण: जून-जुलाई 2025 में, लगभग 8,750 पंजीकरण; पहले 280 प्रवासियों का चयन 25 जुलाई 2025 को मतदान द्वारा किया जाएगा।
  • दीर्घकालिक अनुमान: प्रति वर्ष 4% तक जनसंख्या प्रवास कर सकती है → एक दशक के भीतर लगभग 40%।

कर्तव्य भवन

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने दिल्ली में कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया।

कर्तव्य भवन क्या है?

  • सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नियोजित 10 कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (Common Central Secretariat- CCS) भवनों में से प्रथम।
  • प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के लिए एक आधुनिक, हरित मुख्यालय के रूप में डिजाइन किया गया है ताकि शासन की दक्षता में सुधार हो सके।

मुख्य विशेषताएँ

  • आकार: 150,000 वर्ग मीटर, 7 मंजिलें + 2 बेसमेंट।
  • हरित तकनीक
    • रूफटॉप सोलर पैनल (534,000 यूनिट/वर्ष)।
    • वर्षा जल संचयन, शून्य-निर्वहन अपशिष्ट प्रसंस्करण।
    • ऊर्जा-कुशल HVAC, ध्वनि प्रदूषण-रोधी ग्लास, सेंसर-नियंत्रित प्रकाश व्यवस्था।
  • डिजिटल एवं सुरक्षा
    • स्मार्ट ID एक्सेस, CCTV, डिजिटल कार्यक्षेत्र।
    • केंद्रीकृत कमांड सेंटर।
    • GRIHA-4 स्थिरता रेटिंग लक्ष्य।

महत्त्व

  • शासन दक्षता: मंत्रालयों का केंद्रीकरण, दशकों से चले आ रहे प्रशासनिक विस्तार का अंत।
  • आर्थिक: एक बार सभी 10 CCS भवन कार्यात्मक हो जाएँ (वर्ष 2027 तक) तो किराए एवं रखरखाव में प्रति वर्ष 1,500 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत होगी।

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