100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 18, 2025 05:33 12 0

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

हाल ही में देश के विभाजन की त्रासदी को याद करते हुए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के बारे में

  • विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस प्रत्येक वर्ष 14 अगस्त को मनाया जाता है।
  • उत्पत्ति: भारत सरकार ने वर्ष 2021 में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया।
  • महत्त्व: यह दिन उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने अपनी जान गँवाई या विस्थापित हुए, एवं यह सुनिश्चित करता है कि आने वाली पीढ़ियाँ उस दर्द से अवगत रहें, जो भारत के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म के साथ जुड़ा था।

विभाजन के बारे में

  • ब्रिटिश संसद द्वारा पारित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने ब्रिटिश भारत के विभाजन का प्रावधान किया, जिससे 15 अगस्त, 1947 से दो डोमिनियन भारत एवं पाकिस्तान के निर्माण को अधिकृत किया गया।
  • इसने रियासतों पर ब्रिटिश आधिपत्य को समाप्त कर दिया, जिससे उन्हें किसी भी डोमिनियन में शामिल होने की अनुमति मिल गई।
  • इसमें दोनों देशों के मध्य परिसंपत्तियों, सशस्त्र बलों एवं प्रशासनिक मशीनरी के विभाजन का प्रावधान किया गया।

विभाजन का प्रभाव

  • बड़े पैमाने पर पलायन: वर्ष 1947 में नई भारत-पाकिस्तान सीमा के पार लगभग 1.2-1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए एवं यह पलायन मुख्यतः धार्मिक पहचान के आधार पर हुआ, जिसमें हिंदू तथा सिख भारत चले गए, जबकि मुसलमान पाकिस्तान चले गए।
  • हिंसा एवं अत्याचार: विभाजन के कारण 10 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई, व्यापक सांप्रदायिक हिंसा हुई एवं लगभग 75,000 महिलाओं का अपहरण हुआ, जिससे समाज पर अमिट छाप छोड़ी गई।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: परिवारों का विखंडन हुआ, आजीविकाएँ नष्ट हो गईं और समुदाय बिखर गए; इसका आघात पीढ़ियों तक बना रहा।।

AITIGA संयुक्त समिति

हाल ही में भारत ने वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में ASEAN-भारत वस्तु व्यापार समझौता (ASEAN–India Trade in Goods Agreement- AITIGA) संयुक्त समिति की 10वीं बैठक की मेजबानी की।

समिति के बारे में

  • उद्देश्य: AITIGA की समीक्षा एवं उसे सुदृढ़ बनाना, व्यापार सुगमता, सुगम्यता तथा प्रभावशीलता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना तथा पिछले आठ वार्ता दौरों की प्रगति को आधार बनाना।
  • उप-समितियाँ: सात उप-समितियों की बैठकें हुईं
    • सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ एवं व्यापार सुगमता (Customs Procedures and Trade Facilitation- SC-CPTF)
    • कानूनी एवं संस्थागत मुद्दे (Legal and Institutional Issues- SC-LII)
    • राष्ट्रीय उपचार एवं बाजार पहुँच (National Treatment and Market Access- SC-NTMA)
    • स्वच्छता एवं फाइटोसैनिटरी (Sanitary and Phytosanitary- SC-SPS)
    • उत्पत्ति के नियम (Rules of Origin- SC-ROO)
    • मानक, तकनीकी विनियम एवं अनुरूपता मूल्यांकन प्रक्रियाएँ (Standards, Technical Regulations and Conformity Assessment Procedures- SC-STRACAP)
    • व्यापार उपचार (Trade Remedies- SC-TR)
  • इन उप-समितियों ने व्यापक समीक्षा प्रक्रिया के अनुरूप विस्तृत चर्चाएँ कीं।

ASEAN-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA) के बारे में

  • परिचय: AITIGA भारत एवं आसियान के मध्य एक व्यापक व्यापार समझौता है, जो उनकी आर्थिक साझेदारी का एक केंद्रीय स्तंभ है।
  • स्थापना: इस समझौते पर वर्ष 2009 में हस्ताक्षर किए गए एवं जनवरी 2010 से इसे लागू किया गया, जो किसी क्षेत्रीय समूह के साथ भारत का पहला प्रमुख मुक्त व्यापार समझौता था।
  • उद्देश्य: AITIGA का उद्देश्य टैरिफ को समाप्त करना, बाजार पहुँच का विस्तार करना एवं व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाना है, जिससे आर्थिक एकीकरण गहरा हो तथा क्षेत्रीय मूल्य शृंखलाओं को बढ़ावा मिले।

भारत-ASEAN व्यापार के बारे में

  • व्यापार मात्रा: ASEAN भारत के वैश्विक व्यापार का लगभग 11% हिस्सा है, एवं वर्ष 2024-25 तक द्विपक्षीय व्यापार 123 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • व्यापार की प्रकृति: प्रमुख क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, वस्त्र, कृषि उत्पाद, पेट्रोलियम एवं फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं, जो भारत तथा ASEAN अर्थव्यवस्थाओं की पूरक शक्तियों को दर्शाते हैं।

श्री अरबिंदो घोष

15 अगस्त, 2025 को, भारतीय प्रधानमंत्री ने श्री अरबिंदो घोष को उनकी 153वीं जन्म जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की एवं आध्यात्मिकता, दर्शन तथा राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को याद किया।

श्री अरबिंदो घोष के बारे में

  • प्रारंभिक जीवन: श्री अरबिंदो का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था।
    • उन्होंने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त करने से पूर्व दार्जिलिंग के एक ईसाई कॉन्वेंट स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
  • भारत वापसी: वे वर्ष 1893 में भारत लौट आए एवं वर्ष 1893 से 1906 तक बड़ौदा राज्य में विभिन्न प्रशासनिक तथा प्राध्यापकीय पदों पर रहे।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

  • वर्ष 1902 से 1910 के बीच, अरबिंदो ने भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया तथा ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की।
  • वर्ष 1906 में वे कलकत्ता के नेशनल कॉलेज के प्राचार्य बने, लेकिन वर्ष 1907 में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
  • उन्होंने राष्ट्रवादी समाचार पत्र बंदे मातरम् (वर्ष 1905) का संपादन किया एवं युवाओं को क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित किया।
  • उन्होंने अपनी मातृभूमि के उत्थान के लिए ‘लोटस एंड डैगर’ नामक एक गुप्त संस्था का गठन किया।
  • उनकी राजनीतिक गतिविधियों के कारण उन्हें अलीपुर बम प्रकरण (वर्ष 1908) के संदर्भ में कारावास हुआ।
  • वर्ष 1910 में, वे पांडिचेरी (तत्कालीन एक फ्राँसीसी उपनिवेश) चले गए, जहाँ उन्होंने आध्यात्मिक साधना एवं अपने एकात्म योग दर्शन के विकास के लिए सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया।

आध्यात्मिक योगदान

  • वर्ष 1926 में, उन्होंने पांडिचेरी में श्री अरबिंदो आश्रम की स्थापना की, जिसने आध्यात्मिक परिवर्तन के साधकों को आकर्षित किया।
  • उन्होंने एकात्म योग के दर्शन का प्रतिपादन किया, जिसका उद्देश्य पदार्थ, प्राण, मन एवं अतिमानस के उच्च सिद्धांत का सामंजस्य स्थापित करके पृथ्वी पर दिव्य जीवन प्राप्त करना था।

साहित्यिक योगदान

  • वंदे मातरम् (समाचार पत्र, 1905)
  • योग के आधार
  • भगवद् गीता एवं उसका संदेश
  • मनुष्य का भावी विकास
  • पुनर्जन्म एवं कर्म
  • सावित्री: एक किंवदंती एवं एक प्रतीक
  • ईश्वर का समय

विरासत

श्री अरबिंदो का 5 दिसंबर, 1950 को पांडिचेरी में निधन हो गया एवं वे अपने पीछे दर्शन, काव्य तथा राष्ट्रवादी विचारों की एक ऐसी विरासत छोड़ गए, जो आज भी भारत एवं विश्व को प्रेरित करती है।

सम्मान

  • रोमेन रोलाँ ने उन्हें पूर्व एवं पश्चिम की प्रतिभा का सर्वोच्च संश्लेषण तथा ‘भारतीय विचारकों में राजकुमार’ माना।
  • रबींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का मसीहा’ बताया।
  • सी.आर. दास ने अरबिंदो को ‘देशभक्ति का कवि, राष्ट्रवाद का पैगंबर एवं मानवता का प्रेमी’ कहा।

आर्कटिक रेनडियर

एक नए अध्ययन (वर्ष 2025) में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण आर्कटिक रेनडियर या उत्तरी अमेरिकी कारिबू की आबादी वर्ष 2100 तक 80% तक कम हो सकती है।

आर्कटिक रेनडियर के बारे में

  • रेनडियर (रैंगिफर टारनडस) बड़े शाकाहारी स्तनधारी हैं, जो प्रजातियाँ ठंडे वातावरण के अनुकूल हैं, वे आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र में स्थित हैं।
  • अनुकूलनशीलता: वे ठंड के प्रति अत्यधिक अनुकूलित होते हैं।
  • उनके खोखले बाल वायु के प्रवाह को रोकते हैं, नाक आने वाली वायु को गर्म कर देती है, सर्दियों में चेहरे के बाल थूथन को ढकने के लिए लंबे हो जाते हैं और शरीर की ऊष्मा संरक्षित रखने हेतु वे अपने अंगों का तापमान घटा देते हैं (जिससे उनके पैर ठंडे हो जाते हैं)।
  • विशिष्ट विशेषताएँ: उनके सींगों पर अधिकतम 44 पॉइंट हो सकते हैं, और नर के सींगों की लंबाई 1.4 मीटर तक पहुँच सकती है।
    • यह एकमात्र हिरण प्रजाति है, जिसमें मादाओं के भी सींग होते हैं।
  • आवास: वे उत्तरी अमेरिका, यूरोप एवं यूरेशिया के टुंड्रा तथा बोरियल वनीय क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व: बारहसिंगा आर्कटिक पारिस्थितिकी में पादप विविधता को नियंत्रित करके एवं पोषक चक्रों को प्रभावित करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • खतरे: जलवायु परिवर्तन भोजन की उपलब्धता, हिम आवरण एवं प्रवास मार्गों को बदलकर सबसे बड़ा खतरा उत्पन्न करता है।
    • तापमान में वृद्धि से आवास में परिवर्तन होता है, जिससे जीवित रहने की दर कम हो जाती है।
    • बर्फ एवं पर्माफ्रॉस्ट का तेजी से क्षरण, मृदा में कार्बन मुक्त करके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा उत्पन्न करता है।
    • तेल अन्वेषण, खनन एवं बुनियादी ढाँचे सहित मानवीय गतिविधियाँ आवासों को विखंडित करती हैं।

संरक्षण स्थिति

  • IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य।

आर्कटिक के बारे में

  • आर्कटिक पृथ्वी का सबसे उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र है।
    • इसमें आर्कटिक महासागर, आस-पास के समुद्र एवं अलास्का (अमेरिका), कनाडा, फिनलैंड, ग्रीनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस तथा स्वीडन के कुछ हिस्से शामिल हैं।
  • भारत ने वर्ष 1920 में स्वालबार्ड संधि पर हस्ताक्षर करके आर्कटिक के साथ जुड़ाव स्थापित किया।

बायोएक्टिव पेप्टाइड्स

हालिया अध्ययन से पता चलता है कि किण्वित खाद्य पदार्थों में मौजूद बायोएक्टिव पेप्टाइड्स भारत की विविध आबादी के लिए व्यक्तिगत पोषण प्रदान कर सकते हैं, जो आनुवंशिक एवं आहार संबंधी कारकों पर निर्भर करता है।

बायोएक्टिव पेप्टाइड्स क्या हैं?

  • बायोएक्टिव पेप्टाइड्स (Bioactive Peptides- BAPs) छोटे प्रोटीन अंश होते हैं, जो आमतौर पर 2-20 अमीनो एसिड लंबे होते हैं, जो खाद्य किण्वन, पाचन या एंजाइमी हाइड्रोलिसिस के दौरान बनते हैं।
  • स्रोत: बायोएक्टिव पेप्टाइड्स से भरपूर आम किण्वित खाद्य पदार्थों में दही, इडली, मिसो, नट्टो, किमची, ढोकला एवं किण्वित मछली शामिल हैं, जिनका विभिन्न संस्कृतियों में व्यापक रूप से सेवन किया जाता है।

बायोएक्टिव पेप्टाइड्स का महत्त्व

  • स्वास्थ्य नियमन: BAPs रक्तचाप, रक्त शर्करा, प्रतिरक्षा एवं सूजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
  • कार्यात्मक गुण: ये रोगाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट, उच्च रक्तचाप रोधी एवं प्रतिरक्षा-संशोधक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।
  • आबादी-विशिष्ट लाभ: आनुवंशिक बहुरूपता, आँत माइक्रोबायोटा संरचना, आहार संबंधी आदतों एवं स्वास्थ्य स्थितियों के कारण इनकी प्रभावशीलता विभिन्न आबादी में भिन्न होती है।
  • सटीक पोषण क्षमता: वे भारत के विविध आनुवंशिक एवं सांस्कृतिक खाद्य पैटर्न के साथ संरेखित, व्यक्तिगत आहार हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं।

हुमायूँ का मकबरा

हाल ही में दिल्ली में हुमायूँ के मकबरे के पास स्थित दरगाह शरीफ पट्टे शाह की छत एवं दीवार गिरने से छह लोगों की मौत हो गई।

हुमायूँ के मकबरे के बारे में

  • वर्ष 1570 में निर्मित, हुमायूँ का मकबरा भारतीय उपमहाद्वीप का पहला प्रमुख उद्यान मकबरा था, जिसने ताजमहल सहित मुगलोत्तर स्मारकों को प्रभावित किया।
  • निर्माता: इस मकबरे का निर्माण हुमायूँ की पहली पत्नी, महारानी बेगा बेगम (हाजी बेगम) ने करवाया था।
  • डिजाइन: फारसी वास्तुकार मिर्जा गियास एवं उनके बेटे सैय्यद मुहम्मद द्वारा।

विशिष्ट विशेषताएँ

  • इसने सममित चतुर्भुजों एवं जलमार्गों के साथ चारबाग उद्यान शैली की शुरुआत की।
  • यह मकबरा संगमरमर से युक्त दोहरे गुंबद वाले एक ऊँचे सीढ़ीदार प्लेटफॉर्म पर स्थित है।
  • ‘मुगलों के शयनगृह’ के रूप में प्रसिद्ध, इसमें मुगल परिवार के सदस्यों की 150 से अधिक कब्रें हैं।
  • यह नीला गुंबद एवं ईसा खान के मकबरे जैसे कई स्मारकों से घिरा हुआ है।
  • यूनेस्को विरासत का दर्जा: वर्ष 1993 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित।
  • इस मकबरे का जीर्णोद्धार भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) एवं आगा खान संस्कृति ट्रस्ट द्वारा किया गया है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.