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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संप्रभुता

Lokesh Pal August 21, 2025 04:14 7 0

संदर्भ

प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में संप्रभुता पर जोर दिया गया, प्रौद्योगिकी, रक्षा, अर्थव्यवस्था, कृषि में आत्मनिर्भरता और नागरिकों को स्वायत्तता के संरक्षक के रूप में प्रोत्साहित किया गया, साथ ही राष्ट्रीय मजबूती के लिए AI, साइबर सुरक्षा, गहन तकनीक और स्वदेशी प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बारे में

  • परिभाषा: ऐसे कंप्यूटर सिस्टम का विकास जो आमतौर पर मानवीय बुद्धि की आवश्यकता वाले कार्य कर सकें। इन कार्यों में सीखना, तर्क करना, समस्या-समाधान, बोध, वाक् पहचान और भाषा समझ शामिल हैं।
  • AI में प्रमुख घटक और तकनीकें: AI के अंतर्गत पाँच महत्त्वपूर्ण घटक हैं: सीखना, तर्क, समस्या-समाधान, धारणा और भाषा।
    • मशीन लर्निंग (ML): AI का एक उपसमूह, मशीन लर्निंग (ML) में ऐसे एल्गोरिदम विकसित करना शामिल है, जो कंप्यूटरों को डेटा से सीखने और बिना किसी स्पष्ट प्रोग्रामिंग के समय के साथ प्रदर्शन में सुधार करने की अनुमति देते हैं।
      • इसके प्रकारों में पर्यवेक्षित शिक्षण, अपर्यवेक्षित शिक्षण और सुदृढीकरण शिक्षण शामिल हैं।

    • डीप लर्निंग: मशीन लर्निंग का एक उपक्षेत्र, डीप लर्निंग में कई चरणों वाले तंत्रिका नेटवर्क (डीप न्यूरल नेटवर्क) शामिल होते हैं।
      • इमेज रिकॉग्निशन और स्पीच रिकॉग्निशन में प्रभावी है।
    • न्यूरल नेटवर्क: AI और ML, विशेष रूप से डीप लर्निंग के लिए मूलभूत आधार हैं।
      • मानव मस्तिष्क से प्रेरित कंप्यूटेशनल मॉडल, जिसमें विभिन्न चरणों में व्यवस्थित परस्पर जुड़े नोड्स (कृत्रिम न्यूरॉन्स) होते हैं।
    • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing- NLP): कंप्यूटर और मानव भाषाओं के बीच अंतःक्रिया पर केंद्रित है।
      • मानव-समान टेक्स्ट को समझने, व्याख्या करने और उत्पन्न करने में सक्षम बनाता है, जो चैटबॉट तथा अनुवाद के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • कंप्यूटर विजन: मशीनों को छवियों या वीडियो जैसे दृश्य डेटा की व्याख्या करने में सक्षम बनाता है।
      • अनुप्रयोगों में वस्तु पहचान और छवि वर्गीकरण शामिल हैं।
    • रोबोटिक्स: AI एकीकरण रोबोटों को स्वायत्त कार्य करने में सक्षम बनाता है।
      • इसमें भौतिक रोबोट और सॉफ्टवेयर-आधारित रोबोट शामिल हैं।
    • विशेषज्ञ प्रणालियाँ: किसी विशेष क्षेत्र में मानव विशेषज्ञ निर्णय लेने की प्रक्रिया की नकल करने के लिए डिजाइन की गई कंप्यूटर प्रणालियाँ हैं।
      • पूर्व-निर्धारित नियमों के आधार पर निर्णय लेने के लिए नियम-आधारित प्रणालियों का उपयोग करना।
      • सर्जरी में सहायता करने वाले रोबोट से लेकर आपके अगले गीत का पूर्वानुमान लगाने वाले एल्गोरिदम तक, AI का भविष्य अनंत संभावनाओं से भरा है।
  • उदाहरण
    • गूगल सर्च: प्रासंगिक क्वेरी परिणाम देने के लिए AI का उपयोग करता है।
    • यूट्यूब, अमेजन, नेटफ्लिक्स: व्यक्तिगत अनुशंसाओं के लिए AI का उपयोग करना।
    • गूगल असिस्टेंट, बिक्सबी, सिरी, एलेक्सा: आवाज पहचान और प्रतिक्रिया के लिए AI का उपयोग करना।
    • Waymo: AI-संचालित स्वचालित कारें।
    • ChatGPT: OpenAI भाषा मॉडल, जो मानव जैसा टेक्स्ट और क्रिएटिव कंटेंट उत्पन्न करता है।
    • Bing: NLP, इमेज पहचान और मशीन लर्निंग वाला AI सर्च इंजन।
    • Bard: टेक्स्ट, ऑडियो, इमेज, वीडियो और कोड में मल्टीमॉडल रीजनिंग के लिए Gemini का उपयोग करने वाला Google चैटबॉट।
    • Gemini: Google का उन्नत AI मॉडल, जो मल्टीटास्क लैंग्वेज अंडरस्टैंडिंग (Multitask Language Understanding-MMLU) और HumanEval (पायथन कोड जनरेशन) में मनुष्यों से आगे है।

वैश्विक स्तर पर AI का विकास

  • AI मॉडल का विकास: वर्ष 2018 में, सबसे बड़े AI मॉडल में लगभग 340 मिलियन पैरामीटर थे।
    • वर्ष 2025 तक, चैटजीपीटी (1.8 ट्रिलियन पैरामीटर), गूगल जेमिनी (1.5 ट्रिलियन), और चीन की डीपसीक (240 बिलियन) जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ घातीय वृद्धि दर्शाएँगी।
    • पैरामीटर का महत्त्व: पैरामीटर AI की ‘नॉलेज यूनिट्स’ (knowledge Units) के रूप में कार्य करते हैं।
      • वे मॉडल की सटीकता, बहुमुखी प्रतिभा और संज्ञानात्मक शक्ति का निर्धारण करते हैं।
    • संसाधन आवश्यकताएँ: अग्रणी AI के विकास के लिए आवश्यक है:-
      • प्रशिक्षण के लिए विशाल डेटासेट।
      • अपार कंप्यूटिंग शक्ति (सुपरकंप्यूटर, GPU, क्वांटम प्रयोग)।
      • अरबों डॉलर का निवेश।
  • वैश्विक AI प्रभुत्व: उच्च प्रवेश बाधाओं के कारण, केवल कुछ ही देश और कार्पोरेट AI क्षेत्र में प्रभुत्व रखते हैं।
    • इसका केंद्रीकरण मुख्यतः अमेरिका, चीन और कुछ तकनीकी दिग्गजों में है।
  • भू-राजनीतिक निहितार्थ: संप्रभु AI प्रणालियाँ बनाने में सफल होने वाले देशों को लाभ होता है:
    • डिजिटल शासन में रणनीतिक लाभ।
    • व्यापार वार्ताओं में बेहतर सौदेबाजी की शक्ति।
    • उभरती हुई तकनीकी व्यवस्था में बढ़ा हुआ भू-राजनीतिक प्रभाव।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संप्रभुता के बारे में

  • परिभाषा: संप्रभु AI किसी राष्ट्र की विदेशी निगमों या राज्यों पर अत्यधिक निर्भरता के बिना, स्वतंत्र रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणालियों को डिजाइन, नियंत्रित और तैनात करने की क्षमता को संदर्भित करता है।
  • मुख्य आयामों में शामिल हैं:-
    • डेटा संप्रभुता: यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकों का डेटा भारतीय क्षेत्राधिकार में संगृहीत, संसाधित और संरक्षित हो।
    • एल्गोरिदमिक नियंत्रण: इसका अर्थ है ऐसे AI मॉडल का निर्माण करना, जो भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों, सांस्कृतिक मूल्यों और लोकतांत्रिक लोकाचार को प्रतिबिंबित करना।
    • अवसंरचना स्वतंत्रता: सेमीकंडक्टर, कंप्यूटिंग शक्ति, सॉवरेन क्लाउड और सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं में स्वदेशी क्षमता को मजबूत करना।
    • नीति स्वायत्तता: यह रक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वित्त और शासन में AI के उपयोग को नियंत्रित करने वाले नियमों पर राष्ट्रीय नियंत्रण रखने से संबंधित है।

डिजिटल युग में संप्रभुता और आत्मनिर्भरता

  • पारंपरिक आयाम: ऐतिहासिक रूप से, संप्रभुता का अर्थ राजनीतिक नियंत्रण और क्षेत्रीय अखंडता था।
  • समकालीन आयाम: आज के युग में, इसका विस्तार डिजिटल संप्रभुता, डेटा प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता, डिजिटल अवसंरचना और समाज को आकार देने वाली एल्गोरिदम तक है।
  • AI में आत्मनिर्भरता
    • तकनीकी आत्मनिर्भरता
      • आवश्यकता: आयात पर निर्भर रहने के बजाय महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का निर्माण और स्वामित्व।
      • तर्क: उभरती प्रौद्योगिकियों में दीर्घकालिक रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करना।
    • डिजिटल उपनिवेशवाद को रोकना
      • चुनौती: वैश्विक तकनीकी दिग्गज भारतीय डेटा का उपयोग करके भारतीय बाजारों पर अपना प्रभुत्त्व बना सकते हैं।
      • प्रतिक्रिया: राष्ट्रीय डिजिटल संसाधनों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए स्वदेशी AI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना।
    • संवैधानिक मूल्यों की रक्षा
      • चिंता: एल्गोरिदम अब अधिकारों, सम्मान और अवसरों की मध्यस्थता करती हैं।
      • उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि डिजिटल युग में AI प्रणालियाँ न्याय, स्वायत्तता और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप हों।

भारत की स्वदेशी AI क्षमताओं की आवश्यकता

  • राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता: स्वदेशी AI क्षमताओं का विकास रक्षा, शासन, बुनियादी ढाँचे, साइबर-रक्षा, निगरानी, सीमा सुरक्षा और स्वायत्त हथियारों जैसे महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोगों में सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उन्हें प्रतिबंधों, बाहरी बदलाव या साइबर खतरों से बचाता है।
    • उदाहरण: उन्नत AI चिप्स पर अमेरिकी निर्यात नियंत्रण भारत की AI प्रगति को बाधित कर सकता है, जिससे विदेशी निर्भरता को रोकने के लिए घरेलू विकल्पों की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है।
  • आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और विकास: आधारभूत AI मॉडल का निर्माण भारत को एक वैश्विक AI नवप्रवर्तक के रूप में स्थापित करता है, निवेश आकर्षित करता है और स्टार्ट-अप्स तथा व्यवसायों के लिए एक मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है।
    • महत्त्व: अनुमान है कि वर्ष 2030 तक AI वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में खरबों डॉलर जोड़ेगा; संप्रभु AI भारत को विदेशी प्लेटफॉर्मों का निष्क्रिय उपभोक्ता बनने के बजाय घरेलू स्तर पर इस मूल्य को प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
      • भारतीय आवश्यकताओं और सामाजिक समावेशन के लिए स्थानीयकृत समाधान: संप्रभु AI मॉडल भारत की भाषायी, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विविधता को पूरा कर सकते हैं, और 22 से अधिक अनुसूचित भाषाओं और विभिन्न बोलियों के लिए सटीक, सुलभ समाधान प्रदान कर सकते हैं।
    • उदाहरण: AI4Bharat की इंडिकट्रांस2 परियोजना दर्शाती है कि कैसे स्थानीयकृत AI उपकरण भारत की बहुभाषी आबादी की विशिष्ट आवश्यकताओं को प्रभावी और किफायती तरीके से पूरा करते हैं।
  • प्रतिभा और नवाचार को बढ़ावा देना: स्वदेशी AI मॉडल विकसित करने से भारत का अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है, प्रतिभाओं का पोषण होता है और देश AI में आत्मनिर्भर बनता है, जिससे यह वैश्विक AI अनुसंधान का केंद्र बन जाता है।
    • उदाहरण: भारत-विशिष्ट AI उपकरण बनाने में IIT मद्रास और AI4Bharat का सहयोग दर्शाता है कि कैसे घरेलू अनुसंधान पहल प्रतिभा और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी समाधान तैयार करती हैं।
  • रणनीतिक लाभ और वैश्विक प्रभाव: संप्रभु AI मॉडल भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनूठे समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं, विदेशी AI पर निर्भरता कम करते हैं और भारत को एक प्रौद्योगिकी अग्रणी के रूप में स्थापित करते हैं।
    • उदाहरण: सीमित संसाधनों के साथ AI के निर्माण में अलीबाबा की सफलता दर्शाती है कि कैसे स्थानीयकृत AI में रणनीतिक निवेश वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी समाधान तैयार कर सकता है।

भारत में एक संप्रभु AI मॉडल विकसित करने में चुनौतियाँ

  • हार्डवेयर की कमी और चिप निर्माण की सीमाएँ: भारत में अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर निर्माण सुविधाओं का अभाव है, और यह आयातित ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (Graphics Processing Units – GPU) और प्रोसेसर पर बहुत अधिक निर्भर है, जिससे आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और भू-राजनीतिक दबावों के प्रति भारत संवेदनशील हो जाता है।
    • उदाहरण: हुआवेई के हाईसिलिकॉन चिप्स का उपयोग वैश्विक स्तर पर किया जाता है, जबकि भारत का ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company – TSMC) के साथ पुरानी पीढ़ी के चिप्स के लिए भी कोई अनुबंध नहीं है, जिससे बड़े AI मॉडलों का घरेलू प्रशिक्षण सीमित हो जाता है।
  • विकास की उच्च लागत: आधारभूत AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिए करोड़ों डॉलर की आवश्यकता होती है, जिससे भारत के सीमित अनुसंधान एवं विकास बजट और अन्य प्राथमिकताओं पर दबाव पड़ता है।
    • उदाहरण: डीपसीक V3 के प्रशिक्षण की लागत प्रति रन $5.6 मिलियन है, जबकि वैश्विक तकनीकी कंपनियाँ इस पर $80 बिलियन का वार्षिक खर्च करती हैं।
  • विखंडित संसाधन आवंटन: GPU क्लस्टर और कंप्यूटेशनल अवसंरचना स्टार्ट-अप्स, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक संस्थानों में बिखरी हुई है, जिससे आधारभूत मॉडल प्रशिक्षण की दक्षता कम हो जाती है।
    • उदाहरण: AI4Bharat जैसे स्टार्ट-अप अक्सर साझा शैक्षणिक क्लस्टरों पर निर्भर रहते हैं, जिससे मॉडल प्रयोग धीमा हो जाता है।
  • स्वामित्व और खुले मॉडलों पर निर्भरता: संप्रभु विकल्पों की कमी के कारण भारत ओपन-सोर्स मॉडलों पर निर्भर है, जो वास्तविक स्वतंत्रता को सीमित करता है।
    • उदाहरण: यदि वैश्विक प्रतिबंध पहुँच को सीमित करते हैं, तो भारत को संशोधित ओपन-सोर्स AI मॉडलों पर निर्भर रहना पड़ सकता है, जिससे नवाचार धीमा हो सकता है।
  • कमजोर अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र और सार्वजनिक प्रणाली की अकुशलता: भारत की सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास प्रणाली अपर्याप्त वित्तपोषण, नौकरशाही कठोरता और कम त्रुटि सहनशीलता से ग्रस्त है, जिससे AI में सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण परीक्षण-और-त्रुटि प्रयोग धीमा हो जाता है।
    • उदाहरण: डीपमाइंड या OpenAI के विपरीत, जिनके पास लचीले उच्च-जोखिम वाले बजट होते हैं, बड़ी परियोजनाओं को अक्सर अनुमोदन में देरी का सामना करना पड़ता है।
  • डेटा अंतराल और स्थानीयकरण चुनौतियाँ: प्रभावी AI के लिए बड़े, एनोटेटेड डेटासेट की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से भारतीय भाषाओं, बोलियों और स्थानीय संदर्भों में।
    • उदाहरण: AI4Bharat का इंडिकट्रांस2 भाषाओं के अनुवाद को संबोधित करता है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक डेटासेट सीमित हैं।
    • भारत की बहुभाषी आबादी (22 आधिकारिक भाषाएँ) व्यापक डेटासेट तैयार करना महँगा और समय लेने वाला बना देती है।
    • डेटा स्थानीयकरण नियमों के तहत भारत में भंडारण अनिवार्य है, जिससे छोटी कंपनियों के लिए बुनियादी ढाँचे की लागत बढ़ जाती है।
  • प्रतिभा पलायन: कई कुशल AI शोधकर्ता और इंजीनियर बेहतर वेतन और शोध के अवसरों के लिए विदेश चले जाते हैं, जिससे भारत का घरेलू प्रतिभा आधार कमजोर हो जाता है।
    • उदाहरण: भारतीय AI स्नातक अक्सर अमेरिका, यूरोप या चीन की कंपनियों में शामिल हो जाते हैं, जिससे संप्रभु AI परियोजनाओं के लिए उपलब्धता कम हो जाती है।
  • नियामक रिक्तता और नैतिक चिंताएँ: भारत में एक व्यापक AI कानून का अभाव है, जिससे नैतिक, जवाबदेही और दायित्व संबंधी मुद्दे अनसुलझे रह जाते हैं।
    • उदाहरण: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA), 2023 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) नियम 2025 का मसौदा डेटा स्थानीयकरण तथा प्रत्ययी जिम्मेदारियों को संबोधित करने का प्रयास करता है, लेकिन AI-विशिष्ट शासन अभी भी अनुपस्थित है।
  • ऊर्जा की माँग और बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: बड़े AI मॉडलों के लिए बिजली और शीतलन बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है, जिसका भारत में वर्तमान में अभाव है।
    • उदाहरण: इंडियाAI मिशन के तहत आने वाले AI सुपरकंप्यूटरों को गीगावाट स्तर की बिजली और उन्नत शीतलन प्रणालियों की आवश्यकता होती है।
      • छोटे डेटा केंद्रों को निरंतर AI प्रशिक्षण के लिए निर्बाध विद्युत और ताप प्रबंधन बनाए रखने में कठिनाई होती है।
  • विषय विशेषज्ञ (Subject Matter Expert- SME) बहिष्करण और असमान पहुँच: जबकि बड़ी कंपनियाँ डेटा स्थानीयकरण, बुनियादी ढाँचे और अनुपालन की लागत को वहन कर सकती हैं, छोटी कंपनियाँ अक्सर ऐसा नहीं कर पाती हैं, जिससे समावेशी नवाचार सीमित हो जाता है।
    • उदाहरण: रिलायंस जियो और माइक्रोसॉफ्ट AI-तैयार डेटा सेंटर बना रहे हैं, जबकि कई भारतीय स्टार्ट-अप AI मॉडल के प्रशिक्षण के लिए स्थानीय बुनियादी ढाँचे का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
      • सब्सिडी और पट्टे मददगार होते हैं, लेकिन इनका आकार और लागत अभी भी छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों की तुलना में बड़े उद्योगों के पक्ष में हैं।

AI और डेटा संप्रभुता में भारत की पहल

  • इंडिया AI मिशन (2024): कंप्यूटर अवसंरचना, डेटा प्लेटफॉर्म और AI नवाचार केंद्र बनाने के लिए ₹10,372 करोड़ का कार्यक्रम है।
  • सेमीकंडक्टर मिशन (2021): चिप्स और प्रोसेसर के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): आधार, UPI, ONDC और CoWIN जैसे प्लेटफॉर्म AI अपनाने के लिए मापनीय आधार के रूप में कार्य करते हैं।
  • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: भारतGPT (BharatGPT), सर्वम् AI (Sarvam AI) और कृत्रिम AI (Krutrim AI) जैसी पहल भारत-केंद्रित बड़े भाषा मॉडल विकसित कर रही हैं।
  • कॉरपोरेट प्रोत्साहन: टाटा और रिलायंस जैसी कंपनियाँ AI अवसंरचना और सॉवरेन क्लाउड समाधानों में भारी निवेश कर रही हैं।
  • कौशल पहल: कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए IIT, NIT और व्यावसायिक संस्थानों में AI से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।
  • भारत की डेटा संप्रभुता रणनीति
    • प्रतिबंध रणनीति: इसमें डेटा स्थानीयकरण अनिवार्यताएँ, विरोधी ऐप्स (टिकटॉक, वीचैट) पर प्रतिबंध और वर्ष 2022 के VPN रिकॉर्ड-कीपिंग नियम शामिल हैं।
    • संचय रणनीति: भारतीय AI प्रणालियों को प्रशिक्षित करने के लिए घरेलू डेटा पूल का निर्माण करना।
    • DPDP अधिनियम (2023): अतिरिक्त अनुपालन आवश्यकताओं के साथ महत्त्वपूर्ण डेटा फिड्यूशरीज (Significant Data Fiduciaries- SDFs) की श्रेणी की शुरुआत की गई।
    • DPDP नियमों का मसौदा (2025): सरकार को विदेश में डेटा स्थानांतरण को प्रतिबंधित करने का अधिकार दिया गया है, जिसके लिए विदेशी स्थानांतरण के लिए स्पष्ट अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
    • बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा: कंप्यूट लोकलाइजेशन सुनिश्चित करने के लिए रिलायंस, AWS और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा नए डेटा केंद्र और AI-तैयार क्लाउड सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं।

वैश्विक दृष्टिकोण

  • यूरोपीय संघ AI अधिनियम (2023): जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाता है, उच्च-जोखिम वाली AI प्रणालियों को अधिक कठोरता से विनियमित करता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: नवाचार और बाजार नेतृत्व को प्राथमिकता देते हुए एक क्षेत्रीय नियामक मॉडल का पालन करता है।
  • चीन: बुनियादी ढाँचे और सैन्य अनुप्रयोगों में भारी निवेश के साथ, राज्य-नेतृत्व वाले AI विकास को आगे बढ़ाता है।
  • यूनेस्को AI एथिक्स फ्रेमवर्क (2021): पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही के सिद्धांत प्रदान करता है।
  • वैश्विक AI समझौता (प्रस्तावित): साझा AI संसाधनों और तकनीकी लाभों के समान वितरण का आह्वान करता है।
  • वैश्विक AI संप्रभुता पहल के उदाहरण
    • अमेरिका: स्टारगेट परियोजना (Stargate Project) ($500 बिलियन का AI इन्फ्रास्ट्रक्चर), एनवीडिया AI नेशंस इनिशिएटिव (Nvidia AI Nations Initiative) (इकोसिस्टम और कार्यबल विकास)।
    • फ्राँस: GAIA-X (फेडरेटेड सिक्योर डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर), मिस्ट्रल-एनवीडिया AI डेटा सेंटर (Mistral-Nvidia AI Data Center)।
    • जर्मनी: AI गिगाफैक्ट्रीज (AI Gigafactories) ($20 बिलियन का यूरोपीय संघ पहल, जर्मनी केंद्र)।
    • यू. के.: राष्ट्रीय AI रणनीति (National AI Strategy) (कंप्यूटिंग पॉवर और AI इन्फ्रास्ट्रक्चर में £1 बिलियन का निवेश)।
    • सिंगापुर: विशेषज्ञों को आकर्षित करने और घरेलू इकोसिस्टम बनाने के लिए AI टैलेंट वीजा प्रोग्राम (AI Talent Visa Program)।
    • दक्षिण कोरिया: चिप रिसर्च हब (Chip Research Hub) ($2.1 बिलियन का AI के लिए उन्नत सेमीकंडक्टर के लिए)।

आगे की राह

  • रणनीतिक प्राथमिकता: AI को रक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के समान एक महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के रूप में मानना, जिससे दीर्घकालिक राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित हो।
    • उदाहरण: चीन की राष्ट्रीय AI रणनीति AI को रक्षा, शासन और औद्योगिक नियोजन में एकीकृत एक रणनीतिक संसाधन के रूप में मानती है, जो दीर्घकालिक तकनीकी नेतृत्व का मार्गदर्शन करती है।
  • हार्डवेयर प्रोत्साहन: सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण क्षमता में तेजी लाना और विदेशी निर्भरता को कम करने के लिए सॉवरेन क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना।
    • उदाहरण: ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) घरेलू चिप निर्माण के माध्यम से राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देती है, जो दर्शाता है कि AI नेतृत्व के लिए सॉवरेन हार्डवेयर क्यों महत्त्वपूर्ण है।
  • कानूनी ढाँचा: नैतिकता, गोपनीयता और जवाबदेही के साथ नवाचार को संतुलित करने के लिए एक व्यापक AI अधिनियम लागू करना।
    • उदाहरण: यूरोपीय संघ AI अधिनियम एक ऐसा मॉडल प्रदान करता है, जहाँ जिम्मेदार नवाचार को बढ़ावा देते हुए दुरुपयोग को रोकने के लिए AI परिनियोजन को विनियमित किया जाता है।
  • अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से उच्च-जोखिम, उच्च-प्रतिफल अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, आधारभूत और अनुप्रयुक्त AI दोनों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • उदाहरण: OpenAI और Microsoft का GPT मॉडल पर सहयोग दर्शाता है कि कैसे रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास साझेदारियाँ वैश्विक प्रभाव वाली AI सफलताओं को गति प्रदान करती हैं।
  • प्रतिभा रणनीति: प्रतिभा पलायन को रोकने और घरेलू AI कार्यबल को मजबूत करने के लिए भारत में वैश्विक स्तर के अवसर सृजित करना।
    • उदाहरण: प्रतिभाओं को बनाए रखने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए IIT और NIT में AI-केंद्रित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना।
  • क्षेत्र-विशिष्ट AI: भारत की विशिष्ट स्थानीय आवश्यकताओं का लाभ उठाते हुए, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और स्थानीय शासन के अनुरूप AI मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना।
    • उदाहरण: AI4Bharat की IndicTrans2 परियोजना भारतीय भाषाओं का अनुवाद पर केंद्रित है, जो ChatGPT जैसे आधारभूत मॉडल के लिए आवश्यक विशाल बुनियादी ढाँचे के बिना भाषायी विविधता समाधान प्रदान करती है।
  • अन्य: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त उद्यमों के लिए वैश्विक तकनीकी फर्मों के साथ रणनीतिक साझेदारी स्थापित करना।
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता हासिल करने के लिए लागत-कुशल रणनीतियों का उपयोग करके, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत को संसाधन सीमाओं के भीतर नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

AI संप्रभुता आत्मनिर्भर भारत की कुंजी है, जो तकनीकी आत्मनिर्भरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान सुनिश्चित करती है। स्वदेशी AI विकास को चुनिंदा वैश्विक सहयोग के साथ जोड़कर, भारत लोकतंत्र और विकास के लिए सुरक्षित, नैतिक तथा समावेशी AI का निर्माण कर सकता है।

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