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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 21, 2025 04:52 19 0

UNHCR ने श्रीलंका में शरणार्थियों की वापसी पर रोक लगाई

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) ने श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों की स्वैच्छिक श्रीलंका वापसी को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के बारे में

  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड।
  • उत्पत्ति: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित। वर्ष 1951 में तीन वर्ष के अस्थायी कार्यकाल के साथ इसका संचालन शुरू हुआ, जिसे बाद में स्थायी कर दिया गया।
  • उद्देश्य: संघर्ष एवं उत्पीड़न के कारण अपने घरों से भागने को मजबूर लोगों के अधिकारों की रक्षा करना तथा उनके बेहतर भविष्य का निर्माण करना।
  • नेतृत्व: महासभा द्वारा निर्वाचित संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त द्वारा नेतृत्व।
    • वर्तमान उच्चायुक्त: फिलिपो ग्रांडी (इटली), वर्ष 2016 से कार्यरत।
  • वित्त पोषण: पूरी तरह से स्वैच्छिक, सरकारों, निजी दाताओं एवं संगठनों द्वारा समर्थित।
  • कार्य एवं शक्तियाँ
    • संरक्षण: शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करता है, जिसमें गैर-वापसी का सिद्धांत (असुरक्षित देशों में जबरन वापसी नहीं) भी शामिल है।
    • मानवीय सहायता: विस्थापित लोगों को आश्रय, भोजन, स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा प्रदान करता है।
    • स्थायी समाधान: स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन, स्थानीय एकीकरण, या तीसरे देशों में पुनर्वास को बढ़ावा देता है।
    • समर्थन: शरणार्थियों के अधिकारों एवं शरण प्रणालियों में सुधार के लिए सरकारों के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • उपलब्धि: वर्ष 1954 एवं वर्ष 1981 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित।
    • वर्तमान में 137 से अधिक देशों में कार्यरत।

IT 2.0 – उन्नत डाक प्रौद्योगिकी

हाल ही में डाक विभाग (DoP) ने IT 2.0- उन्नत डाक प्रौद्योगिकी (APT) को सफलतापूर्वक लागू किया है।

IT 2.0- उन्नत डाक प्रौद्योगिकी के बारे में

  • पृष्ठभूमि
    • T 1.0 (2012): सक्षम कोर बैंकिंग समाधान (Enabled Core Banking Solutions-CBS), कोर बीमा समाधान (Core Insurance Solutions-CIS), एवं डाकघरों की बुनियादी डिजिटल नेटवर्किंग।
    • IT 2.0 (APT, 2025): IT 1.0 पर आधारित, स्वदेशी माइक्रोसर्विसेज-आधारित एप्लिकेशन प्रस्तुत करता है, जो सरकार के मेघराज 2.0 क्लाउड पर होस्ट किए जाते हैं, एवं BSNL की राष्ट्रव्यापी कनेक्टिविटी द्वारा समर्थित होते हैं।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • आर्किटेक्चर एवं डिजाइन: माइक्रोसर्विसेज एवं ओपन API-आधारित आर्किटेक्चर।
      • सभी सेवाओं में एकीकृत एकल-उपयोगकर्ता इंटरफेस।
      • क्लाउड-रेडी डिप्लॉयमेंट मापनीयता सुनिश्चित करता है।
    • सेवा वितरण: बुकिंग से लेकर डिलीवरी तक, संपूर्ण डिजिटल समाधान।
      • अगली पीढ़ी की सुविधाएँ, QR-कोड भुगतान, OTP-आधारित डिलीवरी।
      • DIGIPIN (10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक), वितरण सटीकता को बढ़ाता है।
    • कनेक्टिविटी एवं समावेशिता: एक ओपन नेटवर्क सिस्टम ग्रामीण क्षेत्रों में भी विश्वसनीय पहुँच सुनिश्चित करता है।
      • डाकघरों, मेल कार्यालयों एवं प्रशासनिक इकाइयों सहित 1.70 लाख से अधिक कार्यालय कार्यरत हैं।
    • विश्लेषण एवं निगरानी: दक्षता के लिए बेहतर रियल-टाइम रिपोर्टिंग एवं विश्लेषण।
      • धोखाधड़ी का पता लगाना एवं परिचालन निगरानी।
    • प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण: “प्रशिक्षण – पुनःप्रशिक्षण – नवीनीकरण” के सिद्धांत के तहत 4.6 लाख से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया।
      • मास्टर प्रशिक्षकों, यूजर चैम्पियंस एवं अंतिम उपयोगकर्ताओं के माध्यम से प्रशिक्षण।
  • महत्त्व
    • नागरिक-केंद्रित: तीव्र, विश्वसनीय एवं उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएँ।
    • वित्तीय समावेशन: डाक नेटवर्क के साथ इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) का निर्बाध एकीकरण।
    • डिजिटल इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत: डाक प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केंद्र (CEPT) द्वारा पूर्णतः स्वदेशी विकास।
    • आर्थिक प्रोत्साहन: MSMEs के लिए लॉजिस्टिक्स एवं ई-कॉमर्स को मजबूत करता है।
    • वैश्विक मानक: इंडिया पोस्ट को एक विश्वस्तरीय सार्वजनिक लॉजिस्टिक्स संगठन के रूप में स्थापित करता है।

नेपाल ने रूबेला का उन्मूलन किया

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नेपाल को रूबेला मुक्त घोषित किया है। यह एक जन स्वास्थ्य समस्या है।

  • नेपाल, WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश है।

रूबेला के बारे में

  • यह एक संक्रामक वायरल संक्रमण है, जो अपने विशिष्ट लाल चकत्ते के लिए जाना जाता है। इसे जर्मन खसरा या तीन दिवसीय खसरा भी कहा जाता है।
  • रूबेला संक्रमण उन अजन्मे शिशुओं के लिए विशेष रूप से गंभीर होता है, जिनकी माताएँ गर्भावस्था के दौरान संक्रमित हो जाती हैं।
    • गर्भवती महिलाओं में रूबेला संक्रमण से मृत्यु या जन्मजात दोष हो सकते हैं, जिन्हें कंजेनिटल रूबेला सिंड्रोम (Congenital Rubella Syndrome-CRS) कहा जाता है।
  • उपचार: खसरा-कंठमाला-रूबेला (Measles-Mumps-Rubella- MMR) का टीका रूबेला से बचाव में सुरक्षित एवं अत्यधिक प्रभावी है।
    • यह टीका रूबेला से आजीवन सुरक्षा प्रदान करता है।
  • वैश्विक बोझ: दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष लगभग 1,00,000 शिशु CRS के साथ पैदा होते हैं।

रूबेला एवं खसरा के बीच अंतर

स्वरूप रूबेला (जर्मन खसरा) खसरा (रूबेला)
कारक वायरस रूबेला वायरस (टोगाविरिडे)। खसरा वायरस (पैरामाइक्सोविरिडे)।
लक्षण हल्का बुखार, गुलाबी दाने, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, जोड़ों में दर्द। तेज बुखार, लाल चकत्ते, खाँसी, नाक बहना, कोप्लिक स्पॉट्स।
गंभीरता हल्का; गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर (CSR  जोखिम)। गंभीर; निमोनिया, एन्सेफलाइटिस जैसी जटिलताएँ।
संक्रामकता कम संक्रामक; हवा में फैलने वाली बूँदें। अत्यधिक संक्रामक; बूँदों के माध्यम से तेजी से फैलता है।
जटिलताओं नवजात शिशुओं में जन्मजात रूबेला सिंड्रोम। निमोनिया, एन्सेफलाइटिस, SSPE, उच्च मृत्यु दर।
टीका MMR टीका (दो खुराक, आजीवन सुरक्षा)। MMR टीका (दो खुराक, आजीवन सुरक्षा)।

कैबिनेट ने कोटा-बूँदी ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे को मंजूरी दी

हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने राजस्थान के कोटा-बूँदी में ₹1,507 करोड़ की ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा परियोजना को मंजूरी दी है।

परियोजना विवरण

  • कार्यकारी एजेंसी: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India- AAI) अपने आंतरिक स्रोतों से इस परियोजना का वित्तपोषण एवं विकास करेगा।

ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा क्या है?

  • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा एक नई विमानन सुविधा है, जो पहले से अविकसित भूमि पर नए सिरे से बनाई जाती है।
  • ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा (GFA) नीति, 2008 द्वारा विनियमित होता है।

ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के बीच अंतर

विशेषता ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा ब्राउनफील्ड हवाई अड्डा
परिभाषा अविकसित भूमि पर शून्य से निर्मित। पहले से उपयोग की गई भूमि पर विकसित।
भूमि उपयोग पहले से अप्रयुक्त भूमि। पहले विकसित भूमि।
निर्माण पूर्णतः नया निर्माण। मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन/विस्तार।
डिजाइन डिजाइन में अधिक लचीलापन। मौजूदा बुनियादी ढाँचे के कारण डिजाइन में बाधा आ सकती है।
पर्यावरणीय प्रभाव शुरू से ही आधुनिक पर्यावरण मानकों को शामिल करने का अवसर। इसमें मौजूदा पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करना शामिल हो सकता है।
योजना पूर्व बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण अधिक जटिल योजना। अपेक्षाकृत कम जटिल योजना।
उदाहरण नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (भारत), नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (भारत)। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली, विस्तार), छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (मुंबई, विस्तार)

मेड इन इंडिया लेबल योजना

मेक इन इंडिया (2014) एवं आत्मनिर्भर भारत (2020) का एक हिस्सा, मेड इन इंडिया लेबल योजना, वैश्विक तथा घरेलू स्तर पर भारतीय उत्पादों की प्रतिष्ठा को बढ़ाती है।

मेड इन इंडिया लेबल योजना के बारे में

  • उद्देश्य: भारतीय उत्पादों के लिए एक मजबूत, विश्वसनीय ब्रांड पहचान बनाना, उनकी प्रामाणिकता एवं गुणवत्ता की गारंटी देना।
  • उत्पत्ति: दो प्रमुख पहलों पर आधारित
    • मेक इन इंडिया (2014): भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने पर केंद्रित एक अग्रदूत।
    • आत्मनिर्भर भारत (मई 2020): आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई; यह योजना इसका एक प्रमुख स्तंभ है।

योजना के उद्देश्य

  • किसी उत्पाद को उसके भारतीय मूल के आधार पर एक स्पष्ट पहचान प्रदान करना।
  • भारतीय मूल के उत्पादों को योग्य बनाने एवं ब्रांड करने के लिए एक तंत्र विकसित करना।
  • घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में भारतीय उत्पादों की पहचान बढ़ाना।
  • प्रतिस्पर्द्धी बाजारों में भारतीय उत्पादों की स्थिति को मजबूत करना।
  • भारतीय वस्तुओं की गुणवत्ता एवं प्रामाणिकता में उपभोक्ता विश्वास का निर्माण करना।

योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रकृति: निर्माताओं के लिए एक स्वैच्छिक प्रमाणन योजना।
  • लेबल विवरण: इसमें एक लोगो एवं एक क्यूआर कोड होता है।
    • QR कोड विनिर्माण स्थान, लेबल की वैधता एवं उत्पाद-विशिष्ट विवरण प्रदान करता है।
  • पात्रता: उत्पाद भारत में निर्मित एवं /या स्थानीय कच्चे माल से तैयार किए जाने चाहिए।
  • लक्षित लाभार्थी
    • बड़े पैमाने के उद्यम एवं MSMEs।
    • कृषि, मत्स्यपालन, जलीय कृषि, बागवानी एवं संबद्ध गतिविधियों में उद्यमी।
    • प्रशासनिक संरचना।
  • नोडल एजेंसी: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) (वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन)।
  • सलाहकार एवं सहयोगी निकाय: भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India- QCI) एवं इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (India Brand Equity Foundation- IBEF)।

आदि कर्मयोगी अभियान

हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आदि कर्मयोगी अभियान की आधिकारिक शुरुआत की है। यह जनजातीय गौरव वर्ष का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जनजातीय सशक्तीकरण एवं शासन पर केंद्रित है।

आदि कर्मयोगी अभियान के बारे में

  • आदि कर्मयोगी अभियान एक विकेंद्रीकृत जनजातीय नेतृत्व एवं शासन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु एक राष्ट्रीय आंदोलन है।
  • मार्गदर्शक सिद्धांत: सेवा, संकल्प एवं समर्पण पर आधारित, जो “सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास” को दर्शाता है।
  • नेतृत्व के तीन स्तंभ
    • आदि कर्मयोगी – सरकारी अधिकारी – राज्य, जिला, ब्लॉक एवं पंचायत स्तर पर शासन के प्रमुख संचालक। वे योजनाओं के अभिसरण, संस्थागत समर्थन तथा उत्तरदायी वितरण को सुनिश्चित करते हैं।
    • आदि सहयोगी – युवा, शिक्षक, डॉक्टर-प्रेरित सेवा प्रदाता एवं शिक्षित जनजातीय युवा जो शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता तथा नवाचार तक पहुँच को जोड़ते हैं।
    • आदि साथी – स्वयं सहायता समूह के सदस्य (NRLM), ग्रामीण, जनजातीय बुजुर्ग – जमीनी स्तर के परिवर्तनकर्ता एवं सामुदायिक मार्गदर्शक, जो लोगों को संगठित करते हैं, परंपराओं का संरक्षण करते हैं तथा स्थानीय ज्ञान को कायम रखते हैं।

भागीदारी एवं पहुँच

  • यह अभियान 1 लाख से अधिक आदिवासी बहुल गाँवों तक पहुँचेगा एवं 550 जिलों तथा 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 20 लाख परिवर्तनकारी नेताओं को संगठित करेगा।
  • यह प्रमुख सरकारी योजनाओं के सफल कार्यान्वयन पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
    • धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान
    • प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (Pradhan Mantri Janjati Adivasi Nyaya Maha Abhiyan- PM  JANMAN)
    • राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन।

केरल को पूर्णतः डिजिटल साक्षर घोषित किया जाएगा

डिजी केरल परियोजना के माध्यम से, केरल को 21 अगस्त, 2025 को भारत का पहला पूर्ण डिजिटल साक्षर राज्य घोषित किया जाएगा। यह वर्ष 1991 के अपने पूर्ण साक्षरता के लक्ष्य के बाद, 99% से अधिक डिजिटल साक्षरता प्राप्त करेगा।

डिजिटल साक्षरता क्या है?

  • इसका अर्थ है सूचना खोजने, उसका मूल्यांकन करने, उसे बनाने एवं संप्रेषित करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी एवं जिम्मेदारी से उपयोग करने की क्षमता।
  • इसमें तकनीकी कौशल (जैसे- उपकरणों एवं सॉफ्टवेयर का संचालन) तथा संज्ञानात्मक कौशल (जैसे- आलोचनात्मक सोच एवं समस्या-समाधान) दोनों शामिल हैं।

डिजी केरल परियोजना के बारे में

  • उत्पत्ति: डिजिटल विभाजन के स्थानीय समाधान के रूप में वर्ष 2021 में पुल्लमपारा पंचायत (तिरुवनंतपुरम) में शुरू किया गया।
  • कार्यप्रणाली
    • डिजिटल रूप से निरक्षर लोगों की पहचान के लिए जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण।
    • एक मानकीकृत मॉड्यूल पर आधारित प्रशिक्षण।
    • स्वयंसेवकों द्वारा संचालित शिक्षण, विशेष रूप से युवा पीढ़ी को शामिल करते हुए।
  • प्रशिक्षण सामग्री: इसमें वॉइस/वीडियो कॉल करना, व्हाट्सऐप का उपयोग करना, सोशल मीडिया का उपयोग करना एवं सबसे महत्त्वपूर्ण, सरकारी डिजिटल सेवाओं का उपयोग करना शामिल था।
  • विस्तार: वर्ष 2022 में पुल्लमपारा की सफलता के बाद, इस मॉडल को पूरे राज्य में लागू किया गया।
  • डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना सीधे तौर पर केरल प्रशासनिक सुधार एवं परिवर्तन प्रबंधन समाधान (Kerala Solution for Managing Administrative Reformation and Transformation- KSMART) प्लेटफॉर्म से जुड़ा है।

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