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Lokesh Pal
August 27, 2025 02:00
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हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया प्रभावितों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग, विशेषतः सुभेद्य समूहों (Vulnerable Groups) पर इसके प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश संवैधानिक नैतिकता के सार को दर्शाता है। अनुच्छेद-19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुच्छेद-21 के तहत गरिमा के अधिकार के साथ सामंजस्य बिठाना होगा। भारत में सुभेद्य समुदायों की सुरक्षा, समावेशिता को बनाए रखने और डिजिटल लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सोशल मीडिया का नैतिक विनियमन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
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