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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal August 28, 2025 03:27 17 0

आरंभ योजना (Aarambh Scheme)

हाल ही में दिल्ली छावनी बोर्ड ने रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) के तत्त्वावधान में बाल कल्याण पहल, ‘आरंभ’ की शुरुआत की।

आरंभ योजना के बारे में

  • आरंभ एक शिक्षण एवं सहायता केंद्र पहल है, जिसका उद्देश्य छावनी क्षेत्र में निर्माण श्रमिकों के बच्चों के समावेशी विकास तथा कल्याण को सुनिश्चित करना है।
  • इसे दिल्ली छावनी बोर्ड द्वारा शुरू किया गया है।
  • उद्देश्य: ‘आरंभ’ का प्राथमिक उद्देश्य प्रवासी निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में अंतराल को पाटना तथा उनका समग्र विकास सुनिश्चित करना है।
  • मुख्य क्षेत्र
    • शिक्षा तक पहुँच: ‘आरंभ’ का उद्देश्य निर्माण श्रमिकों के बच्चों को स्थानीय स्कूलों में दाखिला दिलाना है एवं साथ ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा स्थिर कक्षा सहायता तक मुफ्त पहुँच प्रदान करना है।
    • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ: यह पहल नियमित स्वास्थ्य जाँच प्रदान करती है एवं स्थानीय स्वास्थ्य इकाइयों के सहयोग से चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करती है।
    • समग्र विकास: यह कार्यक्रम पोषण, परामर्श सहायता एवं जीवन कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से एक पोषणकारी वातावरण सुनिश्चित करता है, जिससे बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा मिलता है।
    • आवश्यक सुविधाएँ: नामांकित बच्चों को विद्यालय जाने में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए यूनिफॉर्म, जूते, बैग, बोतलें, टिफिन, किताबें, स्टेशनरी, दोपहर का भोजन, परिवहन सुविधाएँ एवं समय-समय पर स्वास्थ्य जाँच की सुविधा प्रदान की जाती है।
  • लाभार्थी एवं विस्तार: वर्तमान में, 32 बच्चे ‘आरंभ’ से लाभान्वित हो रहे हैं।
    • दिल्ली छावनी के सभी बच्चों को इस योजना में शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं।

फिजी के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा

फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका 24-26 अगस्त, 2025 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर रहे, जो वर्तमान पद पर रहते हुए उनकी पहली यात्रा थी।

परिणामों की सूची

  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग।
  • फिजी स्थित भारतीय उच्चायोग में रक्षा अताशे पद का सृजन।
  • वर्ष 2025 में एक भारतीय नौसेना पोत का फिजी बंदरगाह पर आगमन।
  • फिजी के सैन्य बलों को एंबुलेंस उपहार स्वरूप प्रदान की गईं।
  • फिजी में एक साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ (Cyber Security Training Cell- CSTC) की स्थापना।

स्वास्थ्य सेवा

  • फिजी में सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल के लिए समझौता ज्ञापन- डिजाइन, निर्माण, संचालन एवं रखरखाव।
  • जन औषधि योजना के तहत दवाओं की आपूर्ति के लिए HLL लाइफकेयर लिमिटेड एवं फिजी के बीच समझौता हुआ है।
  • हील इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में विशिष्ट चिकित्सा उपचार।
  • फिजी में दूसरा जयपुर फुट कैंप।

व्यापार एवं वाणिज्य

  • CII एवं फिजी वाणिज्य एवं नियोक्ता संघ (Fiji Commerce & Employers Federation- FCEF) के बीच समझौता ज्ञापन।
  • NABARD एवं फिजी विकास बैंक के बीच समझौता ज्ञापन।
  • फिजी में भारतीय ‘घी’ के लिए बाजार तक पहुँच।
  • त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ (Quick Impact Projects- QIPs)- भारतीय अनुदान सहायता।
  • BIS (भारत) एवं DNTMS (फिजी) के बीच मानकीकरण सहयोग पर समझौता ज्ञापन।

कृषि एवं ग्रामीण विकास

  • फिजी के चीनी उद्योग मंत्रालय को मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की आपूर्ति।
  • फिजी के चीनी अनुसंधान संस्थान को कृषि ड्रोन की आपूर्ति।
  • फिजी चीनी निगम में ITEC विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति एवं चीनी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण।

ऊर्जा एवं जलवायु

  • फिजी हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में शामिल हुआ।

शिक्षा एवं क्षमता निर्माण

  • IT प्रशिक्षण के लिए NIELIT (भारत) एवं पैसिफिक पॉलीटेक (फिजी) के मध्य समझौता ज्ञापन।
  • भारत में फिजी के शोधार्थियों के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  • फिजी विश्वविद्यालय में हिंदी-संस्कृत शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।
  • भारत से क्रिकेट कोच की क्रिकेट फिजी में प्रतिनियुक्ति की जाएगी।

संस्कृति एवं लोगों के बीच संबंध

  • वर्ष 2026 में फिजी से संसदीय प्रतिनिधिमंडल एवं ‘ग्रेट काउंसिल ऑफ चीफ्स’ के प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरा।
  • फिजी पक्ष द्वारा सुवा में भारतीय चांसरी भवन का पट्टा विलेख (Lease Deed of Indian Chancery Building) सौंपना।
  • भारत-फिजी संयुक्त वक्तव्य: वेइलोमनी दोस्ती (Veilomani Dosti) अर्थात् ‘मित्रता और करुणा’ की भावना में साझेदारी।

प्रोजेक्ट ‘आरोहण’

NHAI ने टोल प्लाजा कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा के लिए ‘प्रोजेक्ट आरोहण’ शुरू किया है।

प्रोजेक्ट आरोहण के बारे में

  • उद्देश्य: कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले टोल प्लाजा कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा में सहयोग प्रदान करना।
  • लक्ष्य: वित्तीय बाधाओं को दूर करना, सामाजिक-आर्थिक अंतरालों को पाटना एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच प्रदान करना।
  • सहयोग: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) एवं वर्टिस इन्फ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट
  • कार्यान्वयन: SMEC ट्रस्ट के भारत केयर्स द्वारा।
  • निधि आवंटन: चरण I (जुलाई 2025-मार्च 2026) के लिए ₹1 करोड़।
  • लक्ष्य समूह: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, छात्राएँ, पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी।
  • लाभार्थी
    • 500 छात्र (कक्षा 11 से स्नातक तक)- ₹12,000 वार्षिक छात्रवृत्ति।
    • 50 छात्र (स्नातकोत्तर/उच्च अध्ययन)- ₹50,000 छात्रवृत्ति।
  • सहायता मॉडल
    • वित्तीय सहायता + मार्गदर्शन
    • कौशल निर्माण कार्यशालाएँ
    • कॅरियर मार्गदर्शन (उच्च शिक्षा, नौकरी, उद्यमिता)।
  • आवेदन प्रक्रिया: ऑनलाइन पोर्टल।

पार्किंसंस रोग 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) के अंतर्गत नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Institute of Nano Science and Technology- INST), मोहाली के शोधकर्ताओं ने पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease- PD) का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने के लिए गोल्ड नैनोक्लस्टर (AuNCs) का उपयोग करके एक नैनो-प्रौद्योगिकी-आधारित बायोसेंसर विकसित किया है।

पार्किंसंस रोग के बारे में

  • यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव मूवमेंट डिसऑर्डर है, जिसमें निरंतर वृद्धि होती है।
  • यह रोग क्रमशः व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता को क्षीण करता है, जिसके परिणामस्वरूप वह अंततः गतिहीन हो जाता है और कई मामलों में मनोभ्रंश भी विकसित हो जाता है।
  • आमतौर पर इसका निदान काफी न्यूरोडीजेनरेशन के बाद होता है, जिससे उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं।

गोल्ड नैनोक्लस्टर के बारे में

  • ये स्वर्ण परमाणुओं के अति-छोटे समूह होते हैं।
  • आकार: आमतौर पर 2 नैनोमीटर से कम आकार के, जिनमें सामान्य से लेकर कुछ सौ परमाणु होते हैं।

विकास का महत्त्व

  • लक्षणों के प्रकट होने से पहले पार्किंसंस का शीघ्र पता लगाना संभव बनाता है।
  • स्वास्थ्य देखभाल की लागत कम करता है, उपचार के परिणामों एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • अन्य प्रोटीन मिसफोल्डिंग रोगों (जैसे- अल्जाइमर) में संभावित विस्तार।
  • पहचान-मुक्त, कम लागत वाला, एवं नैदानिक/पॉइंट-ऑफ-केयर परीक्षण के लिए अनुकूल बनाया गया है।

टाइफून काजिकी 

166 किमी/घंटा की तीव्र पवनों के साथ टाइफून काजिकी (Typhoon Kajiki) वियतनाम के मध्य तटीय क्षेत्र की तरफ अग्रसर है। 

टाइफून काजिकी (Typhoon Kajiki) के बारे में

  • परिचय: टाइफून काजिकी पश्चिमी प्रशांत महासागर में निर्मित एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
  • स्थान: मध्य वियतनाम की ओर बढ़ रहा है एवं थान होआ एवं न्घे आन प्रांतों के बीच टकराने की संभावना है।
  • विशेषताएँ
    • वायु की गति 166 किमी./घंटा (103 मील प्रति घंटा) तक।
    • भारी वर्षा, बाढ़, भूस्खलन एवं समुद्री तरंगें उठने की संभावना।

टाइफून के बारे में

  • टाइफून पश्चिमी प्रशांत महासागर में निर्मित एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो गर्म समुद्री सतह से गर्मी एवं आर्द्रता द्वारा संचालित होता है।
  • उत्पत्ति
    • तापमान: टाइफून गर्म समुद्री जल (26°C से अधिक) पर उत्पन्न होते हैं।
    • ऊर्जा स्रोत: जल वाष्प संघनन से निकलने वाली गुप्त ऊष्मा।
    • विशेषता: ये तीव्र पवनों एवं भारी वर्षा के साथ घूर्णन वाली निम्न-दाब प्रणालियाँ हैं।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का क्षेत्रीय नामकरण
    • हरिकेन: अटलांटिक एवं पूर्वी प्रशांत।
    • टाइफून: पश्चिमी प्रशांत।
    • चक्रवात: हिंद महासागर एवं ऑस्ट्रेलिया।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • सर्पिल आकार का एक बड़ा तूफान, जिसके केंद्र में स्थित ‘आँख’ शांत रहती है।
    • इससे झंझावात, महोर्मि, बाढ़ और भूस्खलन उत्पन्न होते हैं, जो बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनते हैं।
    • यह संक्षिप्त चक्रवात, या बड़े पैमाने पर चक्रवात (Synoptic Cyclones or Large-scale Cyclones) से भिन्न है, जो मौसम के मोर्चों पर निर्भर करते हैं।

भारत-कुवैत FOC बैठक

भारत एवं कुवैत के बीच विदेश कार्यालय परामर्श (Foreign Office Consultations- FOC) का 7वाँ दौर नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

  • छठा FOC, 24 जुलाई, 2024 को कुवैत में आयोजित किया गया था।

परिणाम

  • प्रधानमंत्री मोदी की वर्ष 2024 की कुवैत यात्रा (जब दोनों देशों के आपसी संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया था) के दौरान तैयार किए गए रोडमैप को लागू करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
  • संयुक्त सहयोग आयोग (Joint Commission for Cooperation- JCC) के तहत शीघ्रातिशीघ्र संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Groups- JWGs) बुलाने का निर्णय लिया गया।
  • FOC का अगला दौर कुवैत में आयोजित किया जाएगा।

भारत-कुवैत संबंध

  • राजनयिक संबंध: भारत कुवैत की स्वतंत्रता (1961) के बाद उसे मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक है।
  • रणनीतिक साझेदारी: प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा, दिसंबर 2024 के दौरान संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया।
  • आर्थिक संबंध: द्विपक्षीय व्यापार 10.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वित्त वर्ष 2024-25) है।
  • ऊर्जा सहयोग: कुवैत भारत का एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा साझेदार है।
    • छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है।
  • प्रवासी संबंध: कुवैत में 10 लाख से अधिक भारतीय निवास करते हैं, जिससे लोगों के बीच आपसी संबंध मजबूत होते हैं।

कुवैत के बारे में

  • अरब प्रायद्वीप में, फारस की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अवस्थित है।
  • सीमाएँ: इराक (उत्तर एवं पश्चिम), सऊदी अरब (दक्षिण तथा पश्चिम), ईरान (पूर्व)।
  • भौगोलिक विशेषताएँ
    • स्थलाकृति: मुख्यतः रेगिस्तानी; कुवैत की खाड़ी के पास उल्लेखनीय अल-जहरा मरुद्यान।
    • जलवायु: अत्यधिक विविधताओं वाली अति-शुष्क रेगिस्तानी जलवायु।
    • वैश्विक प्रमाणित तेल भंडार का लगभग 6% हिस्सा है।

सुपर गरुड़ शील्ड 2025

इंडोनेशिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका ने जकार्ता में सुपर गरुड़ शील्ड 2025 सैन्य अभ्यास शुरू किया है।

सुपर गरुड़ शील्ड के बारे में

  • उत्पत्ति एवं विकास: यह अभ्यास वर्ष 2009 में एक द्विपक्षीय अमेरिकी-इंडोनेशिया अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था एवं वर्ष 2022 में अन्य सहयोगियों को शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया।
  • वर्ष 2025 में भाग लेने वाले: अमेरिका, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, ब्रिटेन, फ्राँस, कनाडा, जर्मनी, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, ब्राजील एवं दक्षिण कोरिया के 6,500 से अधिक सैनिक।
  • उद्देश्य: अस्थिर सुरक्षा परिदृश्य में अंतर-संचालनीयता को मजबूत करना, त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार करना एवं क्षेत्रीय सैन्य संबंधों को बढ़ाना।
  • अवधि एवं गतिविधियाँ: 11-दिवसीय अभ्यास में संयुक्त युद्धाभ्यास, समन्वय अभ्यास शामिल हैं, एवं 4 सितंबर को एक संयुक्त ‘लाइव-फायर’ अभ्यास के साथ इसका समापन होगा।

अमेरिकी सामरिक हित

  • इंडो-पैसिफिक कमांड का दृष्टिकोण: विस्तारित भागीदारी साझेदारी के माध्यम से संप्रभुता की सुरक्षा एवं बलपूर्वक कार्रवाइयों के निवारण का प्रतीक है।
  • अमेरिकी रक्षा रणनीति: दक्षिण चीन सागर में चीनी दबाव का सामना कर रहे सहयोगियों को आश्वस्त करने के लिए अमेरिका गठबंधनों के एक नेटवर्क को मजबूत कर रहा है।

महत्त्व

सुपर गरुड़ शील्ड 2025, विकसित होते हिंद-प्रशांत सैन्य सहयोग, अमेरिका एवं चीन के मध्य इंडोनेशिया के संतुलन तथा क्षेत्र में प्रभाव के लिए व्यापक प्रतिस्पर्द्धा पर प्रकाश डालता है।

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