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भारत-संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास सहयोग रूपरेखा 2023-2027

Lokesh Pal September 12, 2025 02:38 83 0

संदर्भ

नीति आयोग ने भारत–संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास सहयोग रूपरेखा (UNSDCF), 2023–2027 के अंतर्गत परिणाम समूह 2 (पोषण और खाद्य सुरक्षा) की समीक्षा एवं संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने हेतु एक बैठक आयोजित की।

भारत-संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास सहयोग रूपरेखा, 2023-2027 के बारे में

  • अवलोकन: यह भारत सरकार के प्रति संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • यह लैंगिक समानता, युवा सशक्तीकरण और मानवाधिकारों को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप भी है।
  • सहयोग: यह रूपरेखा नीति आयोग के नेतृत्व में तैयार की गई है, जिसमें संबंधित मंत्रालयों, राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी रही है।
  • रणनीतिक स्तंभ: वर्ष 2030 एजेंडा के चार प्रमुख स्तंभों – जन, समृद्धि, ग्रह और भागीदारी – से संबंधित।
  • कार्यान्वयन: कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग का प्रबंधन भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक संयुक्त संचालन समिति के माध्यम से संयुक्त रूप से किया जाएगा।
  • परिणाम क्षेत्र: चार परस्पर जुड़े स्तंभ छह प्राथमिकता आधारित परिणाम क्षेत्रों में परिवर्तित होते हैं:
    • स्वास्थ्य एवं कल्याण
    • पोषण एवं खाद्य सुरक्षा
    • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा; 
    • आर्थिक विकास और सभ्य कार्य
    • पर्यावरण, जलवायु, जल–स्वच्छता (WASH) एवं लचीलाप
    • लोगों, समुदायों और संस्थानों का सशक्तीकरण

समीक्षा का मुख्य ध्यान

  • सहयोग और संरेखण: सत्र में सहयोग को मजबूत करने, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को वैश्विक लक्ष्यों के साथ संरेखित करने और पोषण एवं खाद्य सुरक्षा पहलों के प्रभाव को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • नीतिगत हस्तक्षेप: मध्यावधि समीक्षा में साक्ष्य-आधारित नीतिगत हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
  • हितधारक समन्वय: हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया गया।
  • सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्य: समीक्षा में वर्ष 2027 तक पोषण और खाद्य सुरक्षा पर सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासों में तेजी लाने पर जोर दिया गया।

SDG 2 – शून्य भूखमरी: भूखमरी को समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, पोषण में सुधार करना और सतत् कृषि को बढ़ावा देना।

  • लक्ष्य 2.1: सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन तक वर्ष भर सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • लक्ष्य 2.2: सभी प्रकार के कुपोषण को समाप्त करना, विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और कमजोर समूहों में।
  • लक्ष्य 2.3: वर्ष 2030 तक छोटे पैमाने के खाद्य उत्पादकों की उत्पादकता और आय को दोगुना करना।
  • लक्ष्य 2.4: खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए टिकाऊ, लचीली कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
  • लक्ष्य 2.5: संरक्षण और उचित पहुँच के माध्यम से बीजों, फसलों और पशुधन की आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करना।
  • लक्ष्य 2.6: ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, कृषि अनुसंधान और नवाचार में निवेश बढ़ाएँ।
  • लक्ष्य 2.7: वैश्विक कृषि बाजारों में व्यापार प्रतिबंधों और निर्यात सब्सिडी को समाप्त करना।
  • लक्ष्य 2.8: स्थिर खाद्य वस्तु बाजार की जानकारी तक समय पर पहुँच सुनिश्चित करना।

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भारत में पोषण संबंधी योजनाएँ

  • पोषण अभियान: बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार हेतु एक प्रमुख कार्यक्रम।
  • मध्याह्न भोजन / प्रधानमंत्री पोषण: स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य और सीखने के परिणामों में सुधार हेतु उन्हें पौष्टिक भोजन प्रदान करता है।
  • एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (Integrated Child Development Services- ICDS): छह वर्ष से कम आयु के बच्चों और उनकी माताओं को पूरक पोषण, पूर्वस्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA): खाद्य और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पात्र परिवारों को रियायती खाद्यान्न सुनिश्चित करता है।

कुछ राज्य स्तरीय पहल

  • तमिलनाडु: मुख्यमंत्री नाश्ता योजना
  • उत्तर प्रदेश: संभव अभियान
  • आंध्र प्रदेश: शून्य गरीबी – पृष्ठ 4 (‘सार्वजनिक-निजी-जन भागीदारी’)

सतत विकास लक्ष्य 2 में भारत की प्रगति

  • SDG प्रदर्शन सुधार: लक्ष्य 2 के लिए भारत का समग्र समग्र स्कोर SDG इंडिया इंडेक्स 3 (वर्ष 2020-21) में आकांक्षी श्रेणी से बढ़कर SDG इंडिया इंडेक्स 4 (वर्ष 2023-24) में प्रदर्शनकर्ता श्रेणी में पहुँच गया।
  • खाद्य सुरक्षा कवरेज: 99.01% पात्र लाभार्थी अब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के अंतर्गत आते हैं।
  • कृषि उत्पादकता: चावल और गेहूँ की उत्पादकता वर्ष 2018-19 में 2,995.21 किग्रा/हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 3,052.25 किग्रा/हेक्टेयर हो गई।
  • कृषि आय वृद्धि: प्रति कृषि श्रमिक सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) वर्ष 2018-19 में ₹0.71 लाख से बढ़कर वर्ष 2022-23 में ₹0.86 लाख हो गया।

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