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नेपाल संकट और भारत पर इसके प्रभाव

Lokesh Pal September 13, 2025 02:36 109 0

संदर्भ

हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे युवाओं के मुद्दों के कारण उत्पन्न संकट के मद्देनजर नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

  • नेपाल में उत्पन्न हुआ यह राजनीतिक संकट दक्षिण एशिया में पीढ़ीगत आक्रोश और क्षेत्रीय अस्थिरता को दर्शाता है।

नेपाल संकट के बारे में 

  • विरोध प्रदर्शनों का कारण: सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स) को बंद करने के सरकार के आदेश को नेपाल के युवाओं ने अपने पहुँच, आजीविका और स्वतंत्रता के अधिकार पर सीधा हमला माना, जिससे नेपाल में आक्रोश फैल गया।
  • युवाओं के नेतृत्व में विद्रोह: प्रदर्शनकारियों में से कई स्कूल और कॉलेज की यूनिफॉर्म में थे। उनके आक्रोश ने हिंसक प्रदर्शनों का रूप ले लिया, जिनमें संसद पर हमला, ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान, पुलिस के साथ झड़पें, कर्फ्यू और जनहानि शामिल रही।
  • अंतर्निहित कारण: गहन राजनीतिक भ्रष्टाचार, ‘नेपोकिड्स’ की अपव्ययी जीवनशैली, दो दशकों में सत्रह प्रधानमंत्रियों के साथ बार-बार उत्पन्न हुई राजनीतिक अस्थिरता तथा वर्ष 2015 के संविधान के अधूरे वादों ने पहले ही जनता का विश्वास क्षीण कर दिया था।
  • आर्थिक ठहराव: युवाओं में उच्च बेरोजगारी, धन प्रेषण पर निर्भरता (GDP का 33%), और बढ़ती असमानता ने नेपाल की युवा पीढ़ी का राजनीतिक वर्ग से मोहभंग कर दिया है।
  • संस्थागत परिवर्तन: के. पी. ओली के इस्तीफे के बाद, सेना प्रमुख ने बातचीत की सुविधा प्रदान की जिसके परिणामस्वरूप पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने अंतरिम कार्यकारी के रूप में कार्यभार सँभाला।
  • पीढ़ीगत संदेश: नेपाल की जेन जी आबादी (मध्य आयु 25 वर्ष) प्रणालीगत सुधार, जवाबदेही और समावेशी शासन की माँग कर रही है, जो इस बात का संकेत है कि राजनीति की पुरानी व्यवस्था अपनी वैधता खो चुकी है।

PWOnlyIAS विशेष

नेपाल- भौगोलिक स्थिति

  • स्थलरुद्ध देश: दक्षिण एशिया में स्थित नेपाल, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में भारत और उत्तर में तिब्बत से घिरा हुआ है।
  • हिमालयी क्षेत्र: बर्फ से आच्छादित, विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट नेपाल में अवस्थित है।
  • तराई क्षेत्र: दक्षिण में समतल मैदान, कृषि और जनसंख्या घनत्व के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • रणनीतिक स्थिति: भारत और चीन के मध्य एक बफर राष्ट्र के रूप में कार्य करता है, जिसकी भारत के साथ 1,751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है।
    • उत्तराखंड: नेपाल, उत्तराखंड के साथ 275 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो नेपाल के उत्तर-पश्चिम में अवस्थित है।
    • उत्तर प्रदेश: नेपाल और उत्तर प्रदेश के मध्य 599 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो इसे नेपाल और किसी भी भारतीय राज्य के मध्य सबसे लंबी सीमा बनाती है।
    • बिहार: बिहार, नेपाल के साथ 344 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो देश के पूर्व में स्थित है।
    • पश्चिम बंगाल: नेपाल पूर्वी क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के साथ 181 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जो भारत-बांग्लादेश सीमा के करीब है।
    • सिक्किम: नेपाल और सिक्किम के मध्य 65 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है।

नेपाल संकट का भारत, दक्षिण एशिया और विश्व पर प्रभाव

  • भारत पर प्रभाव
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता शासन में त्रुटियाँ उत्पन्न करती है, जिसका विद्रोही समूह, अपराधी और उग्रवादी लाभ उठा सकते हैं।
      • 1,751 किलोमीटर खुली सीमा के साथ, अशांति सीधे तौर पर भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, जिससे बिहार, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जोखिम बढ़ रहा है।
    • आर्थिक प्रभाव: नेपाल के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में, भारत का वार्षिक रूप से 8.5 अरब डॉलर का व्यापार अस्थिरता के कारण बाधित है।
      • इससे आपूर्ति शृंखला और निवेश में बाधा उत्पन्न होती है तथा अनिश्चितता उत्पन्न होती है, जिससे चीन को नेपाल में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने का अवसर प्राप्त हो जाता है।
    • विकास सहयोग: नेपाल में भारत की 573 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएँ अस्थिरता के कारण खतरे में हैं, जिससे नेपाल के विकास में भारत की भूमिका कमजोर हो रही है।
      • इसके अतिरिक्त, चीन की BRI परियोजना का विस्तार हो सकता है, जिससे भारत की सहायता प्रक्रिया को चुनौती मिल सकती है।
    • जलविद्युत और ऊर्जा सहयोग: नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता अरुण-3 (Arun-3) और फुकोट करनाली (Phukot Karnali) जैसी प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं में देरी कर सकती है, जिससे ऊर्जा व्यापार बाधित होगा और भारत की क्षेत्रीय ऊर्जा सुरक्षा कमजोर होगी।
    • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: अस्थिरता, भारत-नेपाल सैन्य संबंधों, जिसमें नेपाली गोरखा और सूर्य किरण (Surya Kiran) जैसे संयुक्त अभ्यास शामिल हैं, के लिए खतरा है, जिससे बाहरी प्रभाव, विशेष रूप से चीन, के लिए नए मार्ग खुल रहे हैं।
  • दक्षिण एशिया पर प्रभाव
    • क्षेत्रीय अस्थिरता: श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) में अशांति के बाद, नेपाल का संकट दक्षिण एशिया की अस्थिरता को और बढ़ा रहा है।
      • यह सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) जैसे क्षेत्रीय सहयोग ढाँचों को कमजोर करता है, जिससे जलवायु परिवर्तन, व्यापार और सुरक्षा पर सामूहिक कार्रवाई में बाधा आ रही है।
    • भू-राजनीतिक परिणाम: भारत की उत्तरी सीमाओं पर नेपाल की रणनीतिक स्थिति चीन को ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) और सैन्य संबंधों के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है, जिससे भारत के रणनीतिक हितों को चुनौती मिलती है।
    • सीमा पार आवागमन और प्रवास: भारत में 35 लाख नेपाली प्रवासी दबाव को चिंता का विषय बनाते हैं।
      • नेपाल में अशांति असम और पश्चिम बंगाल में मानवीय मुद्दों और सामाजिक-राजनीतिक तनाव को बढ़ा सकती है, जो खुली सीमा के कारण और भी जटिल हो जाता है।
    • व्यापार व्यवधान: नेपाल में अस्थिरता क्षेत्रीय व्यापार, विशेष रूप से नेपाल की भारत पर निर्भरता को बाधित करती है।
      • इससे सीमा पार रसद प्रणाली बाधित होती है, जिससे भारतीय निर्यातक और नेपाली उपभोक्ता दोनों प्रभावित होते हैं तथा क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखला पर और अधिक दबाव पड़ता है।
  • विश्व पर प्रभाव
    • युवाओं के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर वैश्विक चिंताएँ: नेपाल का संकट भ्रष्टाचार, आर्थिक मंदी और असमानता से प्रेरित युवाओं के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के वैश्विक रुझान को दर्शाता है।
      • डिजिटल सक्रियता का उदय ऑनलाइन राजनीतिक लामबंदी की ओर एक बदलाव को दर्शाता है, जो जड़ जमाए राजनीतिक व्यवस्थाओं को चुनौती दे रहा है।
    • क्षेत्रीय सहयोग का कमजोर होना: नेपाल का संकट दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग, सार्क और बिम्सटेक जैसे ढाँचों को कमजोर करता है।
      • यह अस्थिरता जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास और सुरक्षा पर सामूहिक प्रयासों में बाधा डालती है, जिससे दक्षिण एशिया का वैश्विक स्तर पर एकीकृत रुख प्रभावित होता है।
    • वैश्विक आर्थिक और निवेश प्रभाव: नेपाल में जारी अस्थिरता विदेशी निवेश के प्रवाह को रोकती है और चीन जैसी बाहरी शक्तियों पर निर्भरता बढ़ाती है।
      • स्थिर शासन की कमी भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा को जोखिम में डालती है और वैश्विक निवेश का ध्यान दीर्घकालिक विकास से अल्पकालिक स्थिरीकरण की ओर स्थानांतरित करती है।
    • मानवीय और शरणार्थी चिंताएँ: नेपाल में लंबे समय तक अशांति रहने से शरणार्थी संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा।
      • इससे असम और पश्चिम बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में सामाजिक-राजनीतिक तनाव बढ़ेगा और स्थानीय संसाधनों पर दबाव पड़ेगा।

PWOnlyIAS विशेष

भारत के पड़ोसी देशों में हालिया राजनीतिक अस्थिरता  

  • नेपाल, श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) के बाद हिंसक विद्रोहों का सामना कर रहा है, जिसने सरकारों को हटाकर दक्षिण एशिया में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। ये संकट भारत की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय शक्ति के लिए खतरा हैं।
  • श्रीलंका संकट (2022): वर्ष 2022 में, श्रीलंका को एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, जिसका मुख्य कारण ऋण वृद्धि, मुद्रास्फीति, खाद्य और ईंधन की कमी और कुशासन था।
    • इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और अंततः राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। इस संकट ने श्रीलंका की आर्थिक दुर्बलता और विदेशी ऋणों व सहायता पर उसकी निर्भरता को उजागर कर दिया।
    • भारत पर प्रभाव: भारत ने आपातकालीन सहायता और ऋण उपलब्ध कराकर क्षेत्र में एक प्रमुख स्थिरताकर्ता के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत किया।
      • हालाँकि, चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से भी अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की, जिससे भू-राजनीतिक गतिरोध शुरू हो गया।
  • बांग्लादेश संकट (2024): प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन राजनीतिक संकट में बदल गए, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
    • बढ़ती बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राजनीतिक जवाबदेही की कमी ने इन विरोध प्रदर्शनों को और भड़का दिया।
    • भारत पर प्रभाव: बांग्लादेश भारत के साथ खुली सीमा साझा करता है और वहाँ किसी भी तरह की अस्थिरता सीमा सुरक्षा, व्यापार और शरणार्थी प्रबंधन को प्रभावित करती है।
      • यद्यपि भारत बांग्लादेश के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखता है, राजनीतिक अस्थिरता राजनयिक संबंधों पर दबाव डालती है और भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित करती है।
  • नेपाल संकट (2025): वर्ष 2025 में, नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद तथा आर्थिक मंदी जैसे मुद्दों के कारण हिंसक विद्रोह हुए। इन विरोध प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और उसके बाद देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया गया।
    • भारत के लिए निहितार्थ: नेपाल की अस्थिरता न केवल भारत की सीमा सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि दोनों देशों के मध्य प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं और विकास सहयोग को भी बाधित करती है।

भारत के लिए पड़ोसी अशांति के परिणाम

  • सुरक्षा जोखिम
    • सीमा पार घुसपैठ में वृद्धि: श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के कारण भारत की सीमाएँ उग्रवादियों, सीमा पार अपराधियों और उग्रवादी घुसपैठ के लिए खुली हुई हैं। विशेष रूप से नेपाल और बांग्लादेश के साथ संलग्न सीमाएँ, सुरक्षा के लिए सीधा खतरा उत्पन्न करती हैं।
    • बाधित सीमा प्रबंधन: पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता सीमा नियंत्रण में बाधा डालती है, जिससे अवैध तस्करी, मानव तस्करी और उग्रवादी गतिविधियों में वृद्धि होती है।
  • आर्थिक प्रभाव
    • व्यापार में व्यवधान: भारत अपने पड़ोसियों, विशेषकर नेपाल और बांग्लादेश के साथ मजबूत आर्थिक संबंध साझा करता है। राजनीतिक अस्थिरता के कारण रसद संबंधी व्यवधान, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और सीमा पार व्यापार में देरी होती है, जिसका असर भारतीय निर्यातकों और नेपाली उपभोक्ताओं, दोनों पर पड़ता है।
      • भारत, नेपाल का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, जिसने वित्त वर्ष 2025 में नेपाल को 7.32 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया।
    • सामरिक कमजोरी: अस्थिरता चीन को भारत के पड़ोस में, विशेष रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के माध्यम से, अपने आर्थिक प्रभाव को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है, जबकि भारत का क्षेत्रीय प्रभाव कम होता जाता है।
    • निवेश में हिचकिचाहट: राजनीतिक संकट विदेशी निवेश को रोकते हैं, जिससे भारत का क्षेत्रीय आर्थिक प्रभाव कमजोर होता है।
  • भू-राजनीतिक परिणाम
    • सामरिक कमजोरियाँ: नेपाल की चीन की पश्चिमी थिएटर कमान से निकटता इसे एक महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक क्षेत्र बनाती है।
      • नेपाल में बढ़ता चीनी प्रभाव, विशेषतः राजनीतिक अस्थिरता के मध्य, इस क्षेत्र में भारत के सामरिक प्रभुत्व को चुनौती देता है।
    • क्षेत्रीय अस्थिरता: नेपाल और बांग्लादेश में भारत और चीन के मध्य भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाती है। श्रीलंका और बांग्लादेश में चीन की BRI जैसी परियोजनाएँ भारत के लिए दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बनाए रखना कठिन बना देती हैं।
  • विकास और मानवीय असफलताएँ
    • विकास सहयोग में देरी: नेपाल में स्वास्थ्य, शिक्षा और विद्युतीकरण से जुड़ी भारत की उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएँ (High Impact Community Development Projects- HICDP) राजनीतिक अस्थिरता के कारण विलंबित हो गई हैं।
      • ये व्यवधान एक विकास भागीदार के रूप में भारत की भूमिका में बाधा डालते हैं और चीन को नेपाल में अपनी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का विस्तार करने का अवसर प्रदान करते हैं।
    • जलविद्युत परियोजनाएँ जोखिम में: नेपाल की अरुण-3 और लोअर अरुण जैसी जलविद्युत परियोजनाएँ भारत के ऊर्जा दृष्टिकोण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। अस्थिरता इन परियोजनाओं के लिए खतरा उत्पन्न करती है और क्षेत्र में भारत की ऊर्जा सुरक्षा को कमजोर करती है।
  • शरणार्थी और प्रवासन संबंधी चिंताएँ
    • मानवीय संकट: नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों में अस्थिरता के कारण भारत में शरणार्थियों का आगमन बढ़ रहा है, विशेषतः असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जिससे सामाजिक-सांस्कृतिक तनाव और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न हो रही है।
    • संसाधनों पर दबाव: भारत द्वारा शरणार्थियों को प्रदत्त सहायता और समर्थन, विशेषकर व्यापक संकट की परिस्थितियों में, उसके घरेलू अवसंरचना पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न करता है।
  • कूटनीतिक तनाव
    • सामरिक प्रभाव का क्षरण: नेपाल जैसे देशों में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण भारत की अपने पड़ोस को प्रभावित करने की क्षमता सीमित है। अस्थिरता, सार्क और बिम्सटेक जैसे क्षेत्रीय मंचों के प्रभाव को कमजोर करती है, जिससे भारत की कूटनीतिक पहल कम प्रभावी हो जाती है तथा चीन जैसी बाहरी शक्तियों को अपने एजेंडे आगे बढ़ाने का मौका मिल जाता है।
    • आंतरिक राजनीतिक चुनौतियाँ: भारत की छवि इस धारणा से प्रभावित होती है कि वह अपने पड़ोसियों के मुद्दों में, विशेषतः बांग्लादेश में हालिया संकट के मामले में, हस्तक्षेप कर रहा है। भारत स्थिरता का लक्ष्य रखता है, लेकिन उसे अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को नुकसान न पहुँचाने के प्रति सतर्क रहना चाहिए।

संभावित प्रयास

  • सीमा और सीमा पार प्रबंधन में सुधार: भारत को नेपाल में अस्थिरता के जोखिमों को कम करने और सुचारू सीमा पार व्यापार सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे में निवेश करने, एकीकृत चौकियों और डिजिटल सीमा शुल्क प्रणालियों जैसे सुरक्षा तंत्रों को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • व्यापक सुरक्षा और रक्षा सहयोग: भारत को क्षेत्रीय संकट प्रबंधन ढाँचे बनाने के लिए सार्क और बिम्सटेक के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
    • संयुक्त सैन्य अभ्यासों का विस्तार और समुद्री जागरूकता बढ़ाने से क्षेत्र में भारत की रक्षा और सुरक्षा उपस्थिति मजबूत होगी।
  • क्षेत्रीय संपर्क और बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना: भारत को भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और नेपाल में बुनियादी ढाँचे की पहल में तेजी लानी चाहिए।
    • इससे सीमा पार व्यापार बढ़ेगा और आर्थिक परस्पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता कम होगी।
  • आर्थिक और संपर्क-संचालित कूटनीति: भारत को नेपाल की आवश्यकताओं के अनुरूप रियायती ऋण, विकास सहायता और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के माध्यम से चीन की ऋण-जाल कूटनीति के विश्वसनीय विकल्प पेश करने चाहिए।
    • यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि भारत नेपाल का प्राथमिक आर्थिक साझेदार बना रहे।
  • सॉफ्ट पॉवर और लोगों के मध्य संबंधों का लाभ उठाना: शिक्षा, छात्रवृत्ति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से लोगों के मध्य संबंधों को मजबूत करने से भारत की एक सहयोगी साझेदार के रूप में स्थिति मजबूत होगी।
    • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (Indian Technical and Economic Cooperation- ITEC) जैसे कार्यक्रम आपसी विश्वास उत्पन्न कर सकते हैं और दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर सकते हैं।

भारत के लिए प्रमुख चुनौतियाँ

  • पीढ़ीगत परिवर्तन: 20 से 50 वर्ष आयु वर्ग के उभरते नेताओं को भी शामिल किया जाए, जिनमें से अनेक या तो अतीत के भारत-विरोधी आख्यानों से प्रभावित हैं अथवा नेपाल की पारंपरिक अभिजात्य राजनीति से कटे हुए हैं।
  • नेपाल से परे: राजनयिकता का विस्तार संघीय प्रांतों, विशेषकर मधेशी क्षेत्र तक करना, ताकि भारत के दृष्टिकोण में समावेशिता सुनिश्चित हो सके।
  • व्यक्तित्व की राजनीति से बचें: स्थिरता किसी एक नेता या रूढ़िवादी राजनीति की बहाली पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। एक बहुदलीय संघीय लोकतंत्र नेपाल और भारत दोनों के हितों की पूर्ति करता है।
  • धारणा प्रबंधन: हस्तक्षेप के बजाय शांत कूटनीति का उपयोग करते हुए और दीर्घकालिक विश्वास का निर्माण करके ‘आधिपत्य’ संबंधी अवधारणा से बचा जा सकता है।
  • आर्थिक परस्पर निर्भरता: नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता वित्तीय तनाव लाती है। सीमित बाहरी सहायता के साथ, भारत संपर्क, ऊर्जा सहयोग और व्यापार एकीकरण को एक अवसर के रूप में बढ़ा सकता है।

आगे की राह

  • संप्रभुता का सम्मान: बिना किसी प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के, मीडिया अभियानों या उपदेशात्मक लहजे से बचते हुए, शांत और दृढ़ कूटनीति अपनाना।
  • युवा-केंद्रित जुड़ाव: नेपाल की जेन Z से जुड़ने के लिए छात्रवृत्ति, डिजिटल आदान-प्रदान और सांस्कृतिक पहलों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • रणनीतिक धैर्य: नेपाल के लोकतंत्र को अपने आप विकसित होने देना, साथ ही यह दिखाना कि भारत संकट के समय में एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए तैयार है।
  • समावेशी कूटनीति: काठमांडू के अभिजात वर्ग से आगे बढ़कर, राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और उभरते युवा नेताओं को शामिल करना।
  • आर्थिक साझेदारी: जलविद्युत और सीमा पार ऊर्जा व्यापार (जैसे- भारत के माध्यम से बांग्लादेश को निर्यात) का विस्तार करना।
    • सीमा परिवहन, डिजिटल बुनियादी ढाँचे को उन्नत करना और नेपाली निर्यात के लिए बंदरगाहों तक पहुँच में सुधार करना।
    • प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से नेपाल के मध्यम-आय लक्ष्य का समर्थन करना।
  • थिक स्किन्ड कूटनीति (Thick-Skinned Diplomacy): भारत विरोधी टिप्पणियों की अपेक्षा करना, लेकिन दीर्घकालिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित रखना और नेपाल की संप्रभुता का सम्मान करना।
  • कुशल छवि निर्माण: इंडिया आउट’ संबंधी बयानबाजी से दूरी बनाना तथा ऐसे ठोस कदमों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है, जो आपसी विश्वास का निर्माण करें और भारत की एक सहयोगी पड़ोसी के रूप में छवि को सुदृढ़ करें।

निष्कर्ष

नेपाल में राजनीतिक संकट भारत के लिए एक सक्रिय, सहभागिता-आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। जैसा कि कोफी अन्नान ने कहा था—‘दुनिया हमारी है, इसे केवल बनाए रखने के लिए नहीं बल्कि बेहतर बनाने के लिए’—और यह विचार दीर्घकालिक सहयोग व स्थिरता के महत्त्व को स्पष्ट करता है।

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