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ई-गवर्नेंस पर विशाखापत्तनम घोषणा

Lokesh Pal September 27, 2025 02:24 28 0

संदर्भ

विशाखापत्तनम में आयोजित ई-गवर्नेंस पर 28वें राष्ट्रीय सम्मेलन (28th National Conference on e-Governance – NCeG) में ‘विशाखापत्तनम घोषणा’ को अपनाया गया।

ई-गवर्नेंस पर राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on e-Governance- NCeG) के बारे में

  • यह भारत में ई-गवर्नेंस पर एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है।
  • सह-मेजबानी: प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms & Public Grievances- DARPG), केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics & IT- MeitY) और एक राज्य सरकार।
  • सम्मेलन का उद्देश्य: भारत में सुरक्षित और सतत् ई-सेवा वितरण सुनिश्चित करने हेतु नवीन और परिवर्तनकारी दृष्टिकोणों पर चर्चा करने हेतु सरकारी अधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों और शिक्षाविदों को एक साथ लाना।
  • महत्त्व: यह नीतिगत संवाद, सर्वोत्तम प्रथाओं के साझाकरण और डिजिटल नवाचारों के प्रदर्शन हेतु एक मंच के रूप में कार्य करता है।

ई-गवर्नेंस पर 28वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन (National Conference on e-Governance- NCeG), 2025

  • थीम: ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ (Minimum Government, Maximum Governance) के दृष्टिकोण के साथ ‘विकसित भारत: सिविल सेवा और डिजिटल परिवर्तन’ (Viksit Bharat: Civil Service and Digital Transformation)
  • राष्ट्रीय पुरस्कार: इस सम्मेलन के दौरान 19 अनुकरणीय पहलों हेतु ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार-2025 प्रदान किए गए।
  • नई श्रेणी का समावेश: केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) के साथ साझेदारी में DARPG द्वारा स्थापित ‘सेवा वितरण को गहन बनाने हेतु ग्राम पंचायतों में जमीनी स्तर की पहल’ (Grassroots-level initiatives in Gram Panchayats for deepening service delivery)।

विशाखापत्तनम घोषणा की मुख्य विशेषताएँ

  • राष्ट्रीय दृष्टिकोण: ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ (Minimum Government, Maximum Governance) के अनुरूप समावेशी, नागरिक-केंद्रित और पारदर्शी शासन का समर्थन करता है।
    • डिजिटल-प्रथम नागरिक सेवाओं के विकसित भारत 2047 विजन पर आधारित हैं।
  • प्रौद्योगिकी-संचालित शासन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, भौगोलिक सूचना प्रणाली, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाना पारदर्शी, सतत् और नागरिक-केंद्रित शासन को सक्षम बनाने में सहायक होना चाहिए।
    • उदाहरण: AI के नैतिक और पारदर्शी अपनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए बहुभाषी, वास्तविक समय और क्षेत्र-विशिष्ट नागरिक सेवाएँ प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया भाषिणी (Digital India BHASHINI) और डिजी यात्रा (Digi Yatra) जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित प्लेटफॉर्मों का विस्तार करना।
  • सफल मॉडलों का अनुकरण: मध्य प्रदेश में संपदा 2.0 (SAMPADA 2.0), बंगलूरू में ई-खाता (e-Khata), महाराष्ट्र में रोहिणी ग्राम पंचायत (Rohini Gram Panchayat) और NHAI द्वारा ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (DAMS) जैसी सफल परियोजनाओं को प्रौद्योगिकी-आधारित सेवा वितरण के सिद्ध मॉडलों के रूप में अनुकरण और विस्तारित करना।
    • उदाहरण: ई-खाता (e-Khata) ने बंगलूरू में संपत्ति विवादों में 30% की कमी की।
  • जमीनी और समावेशी विकास: NeSDA के तहत पूर्वोत्तर और लद्दाख में डिजिटल सेवाओं का विस्तार करना।
    • जमीनी स्तर पर, रोहिणी, पश्चिम मजलिशपुर, सुआकाटी और पलसाना के पंचायत मॉडलों का देश भर में विस्तार किया जाएगा, जबकि महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए डिजिटल साक्षरता पहल का उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना है।
  • साइबर सुरक्षा और लचीलापन: परिवहन, रक्षा और नागरिक सेवा प्लेटफॉर्म जैसे क्षेत्रों में साइबर लचीलापन विकसित करने के लिए जीरो-ट्रस्ट आर्किटेक्चर, पोस्ट-क्वांटम सुरक्षा तथा एआई-सक्षम निगरानी प्रणालियों सहित मजबूत उपायों को आवश्यक माना गया।
  • कृषि: किसान ऋण, परामर्श और बाजार पहुँच के लिए राष्ट्रीय कृषि स्टैक (National Agri Stack) के क्रियान्वयन में तेजी लाना, जिससे जलवायु-अनुकूल खेती को बढ़ावा मिले।
    • उदाहरण: कर्नाटक में कृषि स्टैक पायलटों (Agri Stack pilots) ने मृदा-स्वास्थ्य कार्ड-आधारित परामर्श में सुधार किया है।
  • सहयोग और क्षेत्रीय नवाचार केंद्र: व्यापक समाधानों के लिए सरकार-उद्योग-अकादमिक साझेदारी को बढ़ावा देना; विशाखापत्तनम को एक IT और नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना।
    • आंध्र प्रदेश वर्ष 2030 तक 50,000 युवाओं के लिए विशेष IT क्षेत्र और कौशल प्रशिक्षण की योजना बना रहा है।

छह श्रेणियाँ और उल्लेखनीय पुरस्कार विजेता

  • श्रेणी I: डिजिटल परिवर्तन हेतु प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा सरकारी प्रक्रिया का पुनर्रचना।
    • गोल्ड (केंद्रीय स्तर की पहल): माइनिंग टेनमेंट प्रणाली (Mining Tenement System): तेज और पारदर्शी प्रक्रिया के लिए खनन लाइसेंस अनुमोदन और प्रबंधन को डिजिटल बनाता है।
    • गोल्ड (राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर की पहल): संपदा 2.0 (SAMPADA 2.0) या  ‘संपत्ति और दस्तावेजों का स्टाम्प एवं प्रबंधन आवेदन’ (Stamps And Management of Property And Documents Application) 2.0: संपत्ति और दस्तावेज प्रबंधन को डिजिटल रूप से सुव्यवस्थित करता है, विवादों और देरी को कम करता है।
  • श्रेणी II: नागरिक केंद्रित सेवाएँ प्रदान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य आधुनिक तकनीकों के उपयोग द्वारा नवाचार को बढ़ावा देना।
    • गोल्ड (केंद्रीय स्तर की पहल): डिजिटल इंडिया भाषा विभाग और डिजी यात्रा।
  • श्रेणी III: साइबर सुरक्षा में सर्वोत्तम ई-गवर्नेंस पद्धतियाँ/नवाचार
    • गोल्ड: रेलवे प्रणालियों के लिए ITOT अभिसरण में मजबूत साइबर सुरक्षा उपाय: रेल नेटवर्क में सुरक्षित और सुदृढ़ संचालन सुनिश्चित करता है।
  • श्रेणी IV: जिला स्तर/शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULBs) और ग्राम पंचायतों/समतुल्य पारंपरिक स्थानीय निकायों द्वारा की जाने वाली पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेवा वितरण को गहन/व्यापक बनाने हेतु जमीनी स्तर की पहल।
    • गोल्ड – रोहिणी ग्राम पंचायत, महाराष्ट्र: राज्य का पहला पूर्णतः कागजरहित ई-कार्यालय, जो 1,027 ऑनलाइन सेवाएँ, रियल-टाइम शिकायत निवारण और 100% घरेलू डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करता है।
    • सिल्वर – पश्चिम मजलिशपुर ग्राम पंचायत (West Majlishpur Gram Panchayat), त्रिपुरा: जवाबदेही तथा समयबद्धता के लिए निगरानी के साथ नागरिक चार्टर और संचालित डिजिटल शासन को लागू करता है, जन्म, मृत्यु, विवाह प्रमाण-पत्र, व्यापार लाइसेंस, संपत्ति रिकॉर्ड और मनरेगा जॉब कार्ड ऑनलाइन उपलब्ध कराता है।
    • जूरी अवार्ड – पलसाना ग्राम पंचायत, गुजरात: डिजिटल गुजरात और ग्राम सुविधा जैसे प्लेटफॉर्मों को एकीकृत करके QR/UPI-आधारित संपत्ति कर भुगतान, ऑनलाइन शिकायत निवारण और वार्षिक रूप से 10,000 से अधिक नागरिकों के लिए पारदर्शी कल्याणकारी सेवाएँ प्रदान करना।
    • जूरी अवार्ड – सुआकाटी ग्राम पंचायत, ओडिशा: ओडिशावन (OdishaOne) और सेवा ओडिशा (Seva Odisha) के माध्यम से आवश्यक सेवाओं का डिजिटलीकरण, 24×7 नागरिकों तक पहुँच, रियल-टाइम ट्रैकिंग और महिला नेतृत्व एवं समावेशी सेवा वितरण को बढ़ावा देना।
  • श्रेणी V: NAeG, प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/जिला द्वारा अन्य केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा प्रदान किए गए पुरस्कारों जैसी सफल राष्ट्रीय पुरस्कृत परियोजनाओं का अनुकरण और विस्तार करना।
    • गोल्ड: संपूर्ण शिक्षा कवच (Sampurna Shiksha Kavach): डिजिटल शिक्षा निगरानी और शिक्षण परिणाम प्लेटफॉर्म का राज्यों में विस्तार करना।
  • श्रेणी VI: केंद्रीय मंत्रालयों/राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म में डेटा एनालिटिक्स के उपयोग द्वारा डिजिटल परिवर्तन
    • गोल्ड: राजमार्ग प्रबंधन के लिए ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (Drone Analytics Monitoring System- DAMS): ड्रोन और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके वास्तविक समय राजमार्ग प्रबंधन।

ई-गवर्नेंस क्या है?

  • परिभाषा: यह सरकार द्वारा सेवाएँ प्रदान करने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और नागरिकों के साथ कुशलतापूर्वक एवं पारदर्शी ढंग से बातचीत करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) के उपयोग को संदर्भित करता है।

  • उद्देश्य: नागरिक-केंद्रित और सहभागी शासन सुनिश्चित करना।
    • सार्वजनिक सेवा वितरण में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार करना।
    • प्रशासनिक विलंब को कम करना और भ्रष्टाचार को न्यूनतम करना।
  • मुख्य घटक
    • सरकार-से-नागरिक (G2C): उमंग, डिजिलॉकर और ऑनलाइन प्रमाण-पत्र जैसी सेवाएँ।
    • सरकार-से-व्यवसाय (G2B): व्यापार, कर और अनुपालन के लिए डिजिटल प्रक्रियाएँ।
    • सरकार-से-सरकार (G2G): डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतर-विभागीय समन्वय।

ई-गवर्नेंस का दायरा

  • सेवाओं की बेहतर पहुँच और व्यापकता: ई-गवर्नेंस सरकारों को दूरस्थ और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों तक पहुँचते हुए, बड़े पैमाने पर सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाती है।
    • उदाहरण के लिए: डिजिलॉकर और ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म पर ई-गवर्नेंस सेवाओं के अखिल भारतीय एकीकरण को सक्षम करके, इलेक्ट्रॉनिक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नागरिकों को लगभग 2,000 डिजिटल सेवाओं तक कभी भी, कहीं भी निर्बाध पहुँच प्रदान की है।
  • अधिक नागरिक भागीदारी और सहभागिता: ई-प्लेटफॉर्म फीडबैक लूप, ऑनलाइन परामर्श, शिकायत निवारण और सहभागी योजना को सक्षम बनाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: संयुक्त राष्ट्र ई-गवर्नेंस सर्वेक्षण, 2024 के अनुसार, वर्ष 2024 में भारत का ई-भागीदारी सूचकांक 0.6575 था, जो 193 देशों में 61वें स्थान पर था।
  • डेटा-संचालित और साक्ष्य-आधारित शासन: बिग डेटा सेट, विश्लेषण और AI का उपयोग करके नीति का मार्गदर्शन किया जा सकता है, परिणामों की निगरानी की जा सकती है तथा कार्यक्रमों को गतिशील रूप से समायोजित किया जा सकता है।
  • स्थानीय स्तर पर सुदृढ़ीकरण (जमीनी स्तर पर शासन): ई-गवर्नेंस केवल राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर ही नहीं है; स्थानीय निकाय (पंचायत/नगर पालिकाएँ) लोगों की आवश्यकताओं के लिए सूक्ष्म समाधान लागू कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: त्रिपुरा की पश्चिम मजलिसपुर ग्राम पंचायत ने ई-गवर्नेंस के माध्यम से ‘सेवा वितरण को गहन/व्यापक बनाने’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (2024-25) जीता।
  • दक्षता और लागत में कमी: ई-गवर्नेंस कार्यप्रवाह को स्वचालित बनाता है, जिससे देरी और अतिरिक्त खर्च कम होते हैं।
    • उदाहरण के लिए: GeM ने वर्ष 2016 से खरीद लागत में 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है।

ई-गवर्नेंस की प्रमुख चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइड और समावेशिता अंतराल: ग्रामीण, गरीब और महिलाएँ प्रायः कम डिजिटल पहुँच के कारण पीछे छूट जाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: GSMA द्वारा जारी मोबाइल जेंडर गैप रिपोर्ट, 2024 में बताया गया है कि भारत में केवल 75% महिलाओं के पास मोबाइल फॉर्म हैं, जबकि पुरुषों के पास यह संख्या 85% है और कम महिलाएँ, मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के बारे में जानती हैं या उनका उपयोग करती हैं।
  • कम डिजिटल साक्षरता: केवल कनेक्टिविटी ही काफी नहीं है; कई नागरिकों में डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने का कौशल नहीं है।
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार, भारत में केवल 38% परिवार डिजिटल रूप से साक्षर हैं (शहरी क्षेत्रों में 61% और ग्रामीण क्षेत्रों में 25%)
  • उपयोगकर्ता-केंद्रित डिजाइन पूर्वाग्रह: अनेक ई-गवर्नेंस परियोजनाएँ नागरिकों की उपयोगिता आवश्यकताओं की तुलना में ‘बैक-एंड’ एकीकरण और तकनीकी दक्षता को प्राथमिकता देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे प्लेटफॉर्म विकसित हो जाते हैं जिन पर गैर-तकनीकी अथवा ग्रामीण उपयोगकर्ताओं के लिए नेविगेट करना कठिन होता है।
    • उदाहरण के लिए: राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (National Scholarship Portal–NSP) दस्तावेजों तक पहुँच के लिए डिजिलॉकर (DigiLocker) को एकीकृत करता है, किंतु उपयोगकर्ताओं को प्रायः खंडित लिंक, जटिल आधार-संबंधी क्वेरी तथा सीमित भाषा विकल्पों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए पहुँच में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।
  • साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता जोखिम: बढ़ते साइबर हमले डिजिटल प्रणालियों में विश्वास को खतरे में डालते हैं।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2024 में, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएँ और बीमा (Banking, Financial Services, and Insurance- BFSI) क्षेत्र में साइबर हमलों में वृद्धि देखी गई, जिससे वैश्विक डेटा उल्लंघन लागत बढ़कर 4.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2023 से 10% की वृद्धि) और भारत में 2.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।
  • खंडित और एकाकी कार्यान्वयन: प्लेटफॉर्म के बीच अंतर-संचालन की कमी दोहराव को जन्म देती है।
    • उदाहरण के लिए: राज्य-स्तरीय ई-पोर्टल प्रायः डिजिलॉकर जैसी केंद्रीय प्रणालियों के साथ एकीकृत नहीं होते हैं।
  • बुनियादी ढाँचे की कमियाँ: टियर-II/III शहरों और गाँवों में विद्युत कटौती, खराब कनेक्टिविटी और कम कर्मचारी क्षमता के कारण योजना की प्रभावशीलता सीमित हो गई है।
    • उदाहरण के लिए: भारतनेट चरण II का कार्य वर्ष 2025 तक टल गया है, जिससे ग्रामीण ब्रॉडबैंड सेवा की शुरुआत धीमी हो रही है।
  • विश्वास और नैतिक चिंताएँ: नागरिक व्यक्तिगत डेटा (विशेषकर आधार से जुड़ी सेवाओं) के दुरुपयोग को लेकर चिंतित हैं।
    • उदाहरण के लिए: उत्तर प्रदेश में एक कई जिलों में जाँच के दौरान बड़े पैमाने पर राशन धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ। जाँच में यह सामने आया कि आधार डेटा से छेड़छाड़ और बायोमेट्रिक धोखाधड़ी के माध्यम से सरकारी सब्सिडी वाले खाद्यान्न को वास्तविक लाभार्थियों से वंचित कर दिया गया।

जीरो ट्रस्ट आर्किटेक (Zero Trust Architecture- ZTA)

यह एक साइबर सुरक्षा ढाँचा है, जो इस सिद्धांत पर आधारित है: ‘नेवर ट्रस्ट, ऑलवेज वेरीफाई”। पारंपरिक सुरक्षा मॉडलों के विपरीत, जो मानते हैं कि नेटवर्क के भीतर सब कुछ विश्वसनीय है,जीरो ट्रस्ट’ यह सिद्धांत बताता है कि नेटवर्क के भीतर या बाहर सभी उपयोगकर्ता, उपकरण एवं एप्लिकेशन संभावित खतरे में हो सकते हैं। केवल सख्त सत्यापन के उपरांत ही पहुँच प्रदान की जाती है।

ई-गवर्नेंस के लिए आगे की राह

  • डिजिटल डिवाइड को पाटना: सभी नागरिकों, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, तक सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना।
    • सभी ग्राम पंचायतों में सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड सुनिश्चित करने के लिए भारतनेट चरण II और III को पूर्ण करना।
    • छात्रों और ग्रामीण परिवारों के लिए रियायती स्मार्टफोन/टैबलेट उपलब्ध कराना।
      1. उदाहरण: केरल की K-FON (Kerala Fibre Optic Network) योजना गरीब परिवारों को मुफ्त इंटरनेट सेवा प्रदान कर रही है।
    • सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता: साइबर स्वच्छता, ई-भुगतान और ऑनलाइन गवर्नेंस प्लेटफॉर्म सहित डिजिटल सेवाओं का उपयोग करने की नागरिकों की क्षमता में वृद्धि करना।
    • प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (Pradhan Mantri Gramin Digital Saksharta Abhiyan- PMGDISHA) को बुनियादी कौशल से आगे बढ़ाकर साइबर स्वच्छता, ई-वॉलेट का उपयोग और ई-सेवाओं तक पहुँच को शामिल करना।
    • स्कूली पाठ्यक्रम में डिजिटल साक्षरता को शामिल करना।
  • मजबूत साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को मजबूती से लागू करना।
    • सरकारी पोर्टलों का नियमित सुरक्षा ऑडिट, जीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर को अपनाना।
      1. उदाहरण: एस्टोनिया का ब्लॉकचेन-समर्थित सार्वजनिक अभिलेखों का मॉडल एक मानक के रूप में कार्य करता है।
  • प्लेटफॉर्म की अंतर-संचालनीयता और एकीकरण: सामान्य API, खुले मानक और साझा डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं का निर्माण करके दोहराव से बचा जा सकता है।
    • निर्बाध सेवा के लिए केंद्रीय योजनाओं (जैसे- डिजिलॉकर, आधार, GSTN) को राज्य पोर्टलों के साथ एकीकृत करना।
  • नौकरशाही का क्षमता निर्माण: मिशन कर्मयोगी (Mission Karmayogi) के तहत अनिवार्य डिजिटल शासन प्रशिक्षण।
    • प्रदर्शन-आधारित मूल्यांकन के माध्यम से अधिकारियों को प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
    • उदाहरण: भाषिणी और डिजी यात्रा जैसे AI-संचालित नागरिक प्लेटफ़ॉर्म के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित अधिकारी।
  • समावेशी और नागरिक-केंद्रित डिजाइन: वॉइस-असिस्ट सुविधाओं के साथ स्थानीय भाषाओं में पोर्टल और ऐप विकसित करना।
    • दिव्यांग व्यक्तियों (PwDs) के लिए पहुँच सुनिश्चित करना।
    • उदाहरण: उमंग ऐप अब 13 भारतीय भाषाओं में सेवाएँ प्रदान करता है।
  • नवाचार और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को प्रोत्साहित करना: स्टार्ट-अप्स के मूल्यवर्द्धन सेवाएँ बनाने हेतु सरकारी डेटासेट स्थापित करना ।
    • डिजिटल स्वास्थ्य (आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन) और डिजिटल कृषि जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) का विस्तार करना।

निष्कर्ष

विशाखापत्तनम घोषणा-पत्र में समावेशी और नागरिक-केंद्रित डिजिटल शासन हेतु एक रोडमैप की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है, जिसमें एआई, अनुकरणीय राज्य मॉडल, जमीनी स्तर की पहल, साइबर सुरक्षा और सहयोगात्मक साझेदारियों का उपयोग करते हुए दक्षता, पारदर्शिता एवं सुगमता को बढ़ाने की योजना है, ताकि भारत को विकसित भारत@2047  के लक्ष्य की ओर अग्रसर किया जा सके।

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