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Lokesh Pal
September 29, 2025 01:55
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नागरिकता, अधिवास और प्रवास पर वर्तमान में संचालित बहस प्रांतीय नागरिकता (Provincial Citizenship) के उदय को रेखांकित करती है, जो मूलनिवासीवाद (Nativism) से प्रेरित होकर एकल भारतीय नागरिकता की अवधारणा को चुनौती देती है और बहिष्कार, भेदभाव तथा क्षेत्रीय विखंडन के जोखिम को बढ़ाती है।
प्रांतीय नागरिकता स्थानीय स्तर पर असुरक्षाओं को संबोधित कर सकती है, किंतु इससे भारत की एकता और समानता के सिद्धांतों का विघटन होने का खतरा है। बंधुत्त्व, न्याय एवं समानता जैसे संवैधानिक मूल्यों और सतत् विकास लक्ष्य 10 के अनुरूप, भारत को समावेशी एवं स्थायी एकता सुनिश्चित करने हेतु ‘एक राष्ट्र, एक नागरिकता’ के सिद्धांत को पुनः स्थापित करना आवश्यक है।
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