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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal September 30, 2025 04:16 22 0

जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार

कर्नाटक के बीदर जिले ने ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ के अंतर्गत अपने उत्कृष्ट जल संरक्षण प्रयासों के लिए केंद्र सरकार का जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार प्राप्त किया है। इस पुरस्कार में ₹25 लाख की नकद राशि सम्मिलित है।

जल संचय जन भागीदारी (JSJB) पहल के बारे में

  • प्रारंभ: 6 सितंबर, 2024 को गुजरात के सूरत में ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ के सामुदायिक-आधारित विस्तार के रूप में शुरू किया गया, जिसकी प्रेरणा गुजरात के जल संचय मॉडल से ग्रहण की गई।
  • पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था: जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग।
  • उद्देश्य: ‘प्रत्येक  बूंद का संरक्षण’ सुनिश्चित करना, समाज और शासन के समग्र दृष्टिकोण से सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा देना।
  • सहयोग: सरकार, CSR निधि, उद्योग, नगरीय निकाय और सामुदायिक समूहों की साझेदारी से जल सुरक्षा को मजबूत करना।
  • मुख्य लक्ष्य: 10 लाख पुनर्भरण संरचनाओं (चेक डैम, परकुलेशन टैंक, रिचार्ज कुएँ/शाफ्ट) का निर्माण कर भू-जल पुनर्भरण में सुधार करना, अब तक लगभग 25,000 संरचनाएँ निर्मित की जा चुकी हैं।

बीदर का मॉडल

  • चेक डैम, गैबियन संरचनाएँ, गली प्लग, परकुलेशन तालाब और सोक पिट का निर्माण।
  • पारंपरिक प्रणालियों जैसे टाँका और बावड़ी का पुनरुद्धार।
    मनरेगा के अंतर्गत ‘डी-सिल्टिंग’ कार्य तथा कृषि क्षेत्रों में ट्रेंच निर्माण द्वारा भूजल पुनर्भरण में सुधार।
  • सामुदायिक भागीदारी पर विशेष बल।

मोटोक समुदाय

मोटोक समुदाय के सदस्यों ने असम के तिनसुकिया जिले के सदिया में विशाल विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा और अपने स्वायत्त परिषद को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग की है।

मोटोक समुदाय के बारे में

  • यह असम के स्वदेशी नृजातीय समूहों में से एक है, जिसकी अलग सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान क्षेत्र में गहराई से जुड़ी हुई है।
  • यह मुख्यतः कृषि आधारित समुदाय है और ऊपरी असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़ और शिवसागर जिलों में संकेंद्रित है।
  • वर्तमान में असम में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
  • स्वायत्तता: वर्ष 2020 में असम ने मोटोक (मटक) स्वायत्त परिषद के गठन हेतु एक विधेयक पारित किया था, ताकि समुदाय की विकास और प्रशासनिक आवश्यकताओं का समाधान किया जा सके।

मोटोक समुदाय की प्रमुख माँगें

  • अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा: प्रदर्शनकारियों ने मोटोक समुदाय को ST के रूप में मान्यता देने की माँग की, यह रेखांकित करते हुए कि यह प्रतिबद्धता लगभग एक दशक पहले तय की गई थी।
  • स्वायत्त परिषद का उन्नयन: समुदाय ने अपनी परिषद को छठी अनुसूची के ढाँचे में लाने की माँग की, जो जनजातीय क्षेत्रों की स्वशासन और स्वायत्तता के लिए संवैधानिक संरक्षण प्रदान करती है।

सबकी योजना, सबका विकास अभियान

केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय 2 अक्टूबर, 2025 को “पीपुल्स प्लान कैंपेन (PPC) 2025–26: सबकी योजना, सबका विकास अभियान” प्रारंभ करेगा, जिसका उद्देश्य वित्त वर्ष 2026–27 के लिए पंचायत विकास योजनाएँ (PDPs) तैयार करना है।

पीपुल्स प्लान कैंपेन (PPC) के बारे में

  • उद्देश्य: पंचायतों को साक्ष्य-आधारित, समन्वित एवं समावेशी पंचायत विकास योजनाएँ तैयार करने में सक्षम बनाना, जो स्थानीय प्राथमिकताओं एवं राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों दोनों से संरेखित हो।
  • क्रियान्वयन तंत्र: विशेष ग्राम सभाओं के माध्यम से संचालित, ताकि सहभागी लोकतंत्र सुनिश्चित हो सके।
  • वर्तमान  प्रगति
    • वर्ष 2019–20 से अब तक 18.13 लाख से अधिक पंचायत विकास योजनाएँ ई ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपलोड की गई हैं।
    • इनमें ग्राम पंचायत विकास योजनाएँ (GPDPs), ब्लॉक पंचायत विकास योजनाएँ (BPDPs) और जिला पंचायत विकास योजनाएँ (DPDPs) सम्मिलित हैं।
    • वर्ष 2025–26 चक्र के अंतर्गत अब तक 2.52 लाख से अधिक योजनाएँ अपलोड की गई हैं।

‘पीपुल्स प्लान कैंपेन 2025–26: सबकी योजना, सबका विकास’ की विशेषताएँ

  • डिजिटल निगरानी: ग्राम सभाएँ पूर्ववर्ती GPDPs की समीक्षा  ई-ग्राम स्वराज पोर्टल, मेरी पंचायत ऐप और पंचायत निर्णय (NIRNAY) के माध्यम से करेंगी।
  • संसाधन उपयोग: शेष केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों से अधूरे कार्यों को प्राथमिकता देना।
  • मार्गदर्शन उपकरण
    • पंचायत एडवांसमेंट इंडेक्स (PAI) प्रदर्शन की बेंचमार्किंग हेतु।
    • सभासार योजना निर्माण एवं समीक्षा उपकरण के रूप में।
  • वित्तीय सुदृढ़ीकरण: पंचायतों के अपने स्रोत राजस्व (Own Source Revenue – OSR) को बढ़ाने पर बल देना।
  • सामुदायिक सहभागिता: पंचायत प्रतिनिधियों, सामुदायिक सदस्यों, विभागीय अधिकारियों एवं अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की व्यापक भागीदारी।
  • जनजातीयकरण: आदि कर्मयोगी अभियान के अंतर्गत विशेष बल।

गोकुल जलाशय और उदयपुर झील को रामसर सूची में शामिल किया गया

बिहार की गोकुल जलाशय और उदयपुर झील को रामसर स्थल घोषित किया गया है, जिससे भारत में कुल रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर 93 हो गई है। रामसर स्थलों की संख्या के मामले में भारत एशिया में प्रथम तथा वैश्विक स्तर पर यूनाइटेड किंगडम (176) और मैक्सिको (144) के बाद तीसरे स्थान पर है।

गोकुल जलाशय के बारे में

  • यह गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक गोखुर (ऑक्सबो) झील है।
  • यह बाढ़ के दौरान प्राकृतिक अवरोधक के रूप में कार्य करता है और आस-पास के गाँवों की रक्षा करता है।
  • 50 से अधिक पक्षी प्रजातियों का आवास स्थल है।
  • वर्ष 2025 की जल पक्षी गणना में, गोकुल जलाशय और गंगा के निकटवर्ती बक्सर खंड में 65 प्रजातियों के लगभग 3,500 जल पक्षी दर्ज किए गए।
  • स्थानीय आजीविका को मत्स्यपालन, कृषि और सिंचाई के माध्यम से सहयोग करता है।
  • प्रत्येक वर्ष एक पारंपरिक उत्सव के दौरान इसका प्रबंधन होता है, जब ग्रामीण जलग्रहण क्षेत्र की सफाई और खरपतवारों को हटाने का कार्य करते हैं।

उदयपुर झील के बारे में

  • उदयपुर झील बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले में अवस्थित है।
  • यह आर्द्रभूमि उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आती है।
  • यह भी एक गोखुर (ऑक्सबो) झील है।
  • यहाँ 280 से अधिक पादप प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें एलिसिकार्पस रॉक्सबर्गियानस  (भारत में पाई जाने वाली एक बहुवर्षीय शाकीय प्रजाति) शामिल है।
  • यह लगभग 35 प्रवासी पक्षी प्रजातियों का प्रमुख शीतकालीन आवास है, जिनमें संवेदनशील प्रजाति कॉमन पोकर्ड (Common Pochard) भी सम्मिलित है।

एंजेल्स पॉज (Engels’ Pause)

हाल ही में AI विशेषज्ञ और नोबेल पुरस्कार विजेता ज्योफ्री हिंटन ने चेतावनी दी कि AI कुछ लोगों को अत्यधिक धनी बनाएगा और बाकी को अधिक गरीब कर देगा, जिसे उन्होंने ‘एंजेल्स पॉज’ से जोड़ा।

एंजेल्स पॉज के बारे में

  • उत्पत्ति: इस शब्द को रॉबर्ट एलन (वर्ष 2009) ने लोकप्रिय बनाया, जो फ्रेडरिक एंजेल्स के 19वीं सदी के ब्रिटेन संबंधी अवलोकनों पर आधारित था, जहाँ औद्योगिक समृद्धि के बावजूद मजदूरी दर स्थिर रहीं।
  • परिभाषा: एक ऐसा चरण, जहाँ आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि होती है, लेकिन औसत मजदूरी एवं कल्याण में स्थिरता बनी रहती है, जिससे असमानता बढ़ती है।
    • उदाहरण के लिए, फिलीपींस में AI ने BPO और कॉल सेंटर जैसे क्षेत्रों में उत्पादकता को बढ़ावा दिया है (30%-50% दक्षता लाभ), लेकिन मजदूरी काफी हद तक स्थिर बनी हुई है।
  • ऐतिहासिक आधार: 19वीं सदी का ब्रिटेन में औद्योगिक उत्पादन बढ़ा, लेकिन खाद्य लागत और स्थिर मजदूरी ने श्रमिकों को गरीबी में बनाए रखा।
  • उदाहरण: PwC का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक AI वैश्विक GDP में 15.7 ट्रिलियन डॉलर जोड़ सकता है, परंतु लाभ मुख्यतः अमेरिका, चीन जैसे देशों और कुछ चुनिंदा कंपनियों तक सीमित रहेंगे, जो आधारभूत मॉडलों को नियंत्रित करती हैं।
    • IMF (वर्ष 2024) का अनुमान है कि पूरे विश्व में 40% रोजगार AI से प्रभावित होंगी, विशेषकर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, जहाँ उच्च-कुशल रोजगार का प्रतिस्थापन अधिक संभावित है।
  • भारतीय परिप्रेक्ष्य: IT क्षेत्र में रोजगार का हानि, कठोर बौद्धिक संपदा अधिकार के साथ वेतन असमानता में वृद्धि। IT कंपनियों ने AI पर ध्यान केंद्रित करते हुए 12,000 रोजगार में कटौती की है।

AI एंजेल्स पॉज (AI Engels’ Pause) को कम करने हेतु नीतिगत उपाय

  • कौशल और पुनः कौशल कार्यक्रम: सिंगापुर का स्किल्सफ्यूचर (SkillsFuture) और अबू धाबी का मोहम्मद बिन जायद यूनिवर्सिटी ऑफ AI (MBZUAI) निरंतर AI-केंद्रित शिक्षा एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हैं।
  • पुनर्वितरण तंत्र: रोबोट टैक्स, यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) तथा परोपकारी पहलों के माध्यम से AI से उत्पन्न आय को जनकल्याण हेतु लगाया जा सकता है।
  • AI को सार्वजनिक संपदा के रूप में मानना: कंप्यूटिंग एवं डेटा तक किफायती पहुँच सुनिश्चित करने से उत्पादकता में वृद्धि प्रत्यक्ष रूप से कल्याण सुधार में परिवर्तित हो सकेगी।

एस्ट्रोसैट 

भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला एस्ट्रोसैट ने 10 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। न्यूनतम उपयोग हेतु एस्ट्रोसैट मिशन की अवधि केवल 5 वर्ष अपेक्षित की गई थी।

एस्ट्रोसैट  (AstroSat) के बारे में

  • परिचय: ‘एस्ट्रोसैट’ भारत का पहला समर्पित खगोल विज्ञान उपग्रह है, जिसे खगोलीय स्रोतों का अध्ययन करने हेतु एक्स-रे, पराबैंगनी (UV) और दृश्य (ऑप्टिकल) स्पेक्ट्रल बैंड्स में एक साथ अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • बहु-तरंगदैर्ध्य अवलोकन: यह एक ही उपग्रह से UV, ऑप्टिकल और एक्स-रे (0.3–100 keV) बैंड्स में एक साथ अवलोकन सक्षम करता है।
  • प्रक्षेपण: 28 सितंबर 2015 को PSLV-C30 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से 650 किमी ऊँचाई और 6° झुकाव वाली कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था।
  • भार एवं मिशन आयु: उपग्रह का भार 1,515 किग्रा. था तथा न्यूनतम अपेक्षित आयु 5 वर्ष निर्धारित की गई थी, वर्तमान में यह 10 वर्षों से सफलतापूर्वक कार्यरत है।
  • संचालन: बंगलूरू स्थित इसरो मिशन ऑपरेशन्स कॉम्प्लेक्स (MOX) द्वारा प्रबंधित, वैज्ञानिक डाटा का प्रसंस्करण एवं अभिलेखीकरण भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान डेटा केंद्र (ISSDC), बैलालु, बंगलूूरू में किया जाता है।

उपलब्धियाँ

  • ब्लैकहोल से लेकर न्यूट्रॉन स्टार तक की खोजों को संभव बनाया तथा निकटतम तारा प्रोक्सिमा सेंचुरी का अवलोकन किया।
  • पहली बार 9.3 अरब प्रकाश-वर्ष दूर आकाशगंगाओं से फार-अल्ट्रावॉयलेट (FUV) फोटॉन्स का पता लगाया।
  • विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे वैश्विक अंतरिक्ष खगोल विज्ञान में भारत की उपस्थिति सशक्त हुई।
  • सहयोगी मिशन जिसमें इसरो, IUCAA पुणे, TIFR मुंबई, IIAP, RRI बंगलूरू तथा कनाडा और ब्रिटेन के संस्थान सम्मिलित रहे।

एस्ट्रोसैट आज भी मूल्यवान वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध करा रहा है, जिससे भारत की बहु-तरंगदैर्ध्य अंतरिक्ष खगोल विज्ञान क्षमताएँ सिद्ध होती हैं और अंतरिक्ष-आधारित खगोल भौतिकीय अनुसंधान की दशक-लंबी विरासत स्थापित होती है।

एकीकृत

ऑन्कोलॉजी अनुसंधान और देखभाल केंद्र

हाल ही में केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA), गोवा में भारत के पहले एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र (Integrative Oncology Research and Care Centre–IORCC) का उद्घाटन किया।

एकीकृत ऑन्कोलॉजी अनुसंधान एवं देखभाल केंद्र (IORCC) के बारे में

  • परिभाषा: यह अपने प्रकार का पहला बहु-विषयी केंद्र है, जिसे पारंपरिक आयुष प्रणालियों और आधुनिक ऑन्कोलॉजी को एकीकृत कर कैंसर रोगियों के समग्र पुनर्वास हेतु स्थापित किया गया है।
  • विकास: इसे ACTREC – टाटा मेमोरियल सेंटर (एक प्रमुख कैंसर अनुसंधान और उपचार संस्थान) के सहयोग से विकसित किया गया है।

मुख्य विशेषताएँ

  • आयुर्वेद, योग, पंचकर्म, फिजियोथेरेपी और आहार चिकित्सा को कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी के साथ संयोजित करता है।
  • रोगियों की रिकवरी, दुष्प्रभावों में कमी, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती तथा मनो-सामाजिक कल्याण पर केंद्रित।
  • एकीकृत ऑन्कोलॉजी में क्लीनिकल सेवाएँ, उन्नत अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं नवाचार के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
  • वैश्विक समानांतर: अमेरिका, यूरोप और जापान में एकीकृत ऑन्कोलॉजी केंद्र विकसित हो रहे हैं, जहाँ पूरक उपचारों को मुख्यधारा के कैंसर उपचार के साथ मिलाया जा रहा है।

महत्त्व

  • स्वास्थ्य नवाचार: पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों और आधुनिक चिकित्सा के बीच सेतु निर्माण में आयुष की भूमिका को प्रदर्शित करता है।
  • रोगी लाभ: कैंसर उपचार के दुष्प्रभावों को कम कर, रिकवरी को बेहतर बनाने, जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने और वहनीय उपचार उपलब्ध कराना।
  • विस्तृत दायरा: ऑन्कोलॉजी से आगे बढ़कर समेकित पुनर्वास मॉडल को तंत्रिका संबंधी एवं विकासात्मक विकारों तक विस्तारित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय पुनरावृत्ति: यह मॉडल देशभर में समेकित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की स्थापना के लिए आदर्श रूप में कार्य करेगा।

टाइफून बुआलोई

टाइफून बुआलोई (Bualoi) ने 133 किमी. प्रति घंटा (83 मील प्रति घंटा) तक की हवाओं के साथ वियतनाम को प्रभावित किया।

टाइफून के बारे में

  • परिभाषा: टाइफून उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर (विशेष रूप से 180° और 100°E के बीच) में विकसित होने वाला एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
  • चक्रवात: निम्न दाबयुक्त क्षेत्र के चारों ओर वायु का तीव्र अंदर की ओर प्रवाह, जो घूर्णनशील पवनों, गरज-तूफान और प्रतिकूल मौसम के रूप में प्रकट होता है।
  • चक्रवात के केंद्र को ‘चक्रवात की आँख’ के रूप में जाना जाता है, और कोरिओलिस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त घूमती हैं।
  • तंत्र (Mechanism)
    • समुद्र की सतह से उठने वाली गर्म, आर्द्र वायु निम्न दाब क्षेत्र बनाती है।
    • इससे वायु का अंदर की ओर तीव्र प्रवाह होता है (उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त, दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त)।

क्षेत्रीय नाम

  • टाइफून: प्रशांत/चीन सागर
  • तूफान: कैरेबियन/अटलांटिक
  • टोरनाडो: दक्षिणी अमेरिका/पश्चिम अफ्रीका
  • विली-विलीज: उत्तर-पश्चिम ऑस्ट्रेलिया
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात: हिंद महासागर

दक्षिण-पूर्व एशिया में टाइफून बार-बार क्यों आते हैं?

  • समुद्र सतह तापमान में वृद्धि: वैश्विक ऊष्मीकरण से चक्रवात निर्माण की ऊर्जा बढ़ती है।
  • वायुमंडलीय परिसंचरण में बदलाव: ‘वॉकर’ परिसंचरण में परिवर्तन चक्रवात मार्गों को प्रभावित करता है।
  • ENSO घटनाएँ (अलनीनो/ला नीना): प्रशांत क्षेत्र में चक्रवात की आवृत्ति और तीव्रता को बदलती हैं।
  • अधिक वायुमंडलीय नमी: अधिक वाष्पीकरण से अधिक शक्तिशाली और अधिक वर्षायुक्त तूफान उत्पन्न होते है।
  • भूगोल: दक्षिण-पूर्व एशिया की लंबी तटरेखाएँ और गर्म प्रशांत धाराओं की निकटता इसे टाइफून निर्माण का हॉटस्पॉट बनाती है।
  • समुद्री हीटवेव्स: जलवायु परिवर्तन से महासागरों का गर्म होना टाइफून की शक्ति को बढ़ाता है।
  • भूमि–समुद्र तापमान प्रवणता का कमजोर होना: चक्रवात का धीमा क्षय, जिससे इनके प्रभाव लंबे समय तक बने रहते हैं।

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