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Lokesh Pal
October 10, 2025 05:00
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भारत के राजनीतिक विमर्श पर नव वामपंथ और सांस्कृतिक दक्षिणपंथ के बीच वैचारिक रस्साकशी का बोलबाला बढ़ गया है। कट्टरपंथी मध्यमार्गीवाद का विचार एक ऐसी राजनीति बढ़ावा देता है जो संवैधानिक ढाँचे के भीतर रहकर बहुलवाद, समानता और राष्ट्रीय विश्वास को जोड़ती है।
उग्र/कट्टरपंथी मध्यमार्गीवाद एक सिद्धांतबद्ध, समावेशी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो वैचारिक अतिवादों से परे है। इसका उद्देश्य पक्ष का चुनाव करना नहीं, बल्कि भारत की एकता, विविधता और संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
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