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Lokesh Pal
October 14, 2025 05:30
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भारत के नागरिक-नेतृत्व वाले पारदर्शिता आंदोलन में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम (2005) के 20 वर्ष पूरे होने पर इसकी मूल भावना को अब डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDPA), 2023 से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह सार्वजनिक सूचना तक पहुँच को कम करने और सरकारी जवाबदेही को कमजोर करने का जोखिम उत्पन्न करता है।
RTI के कमजोर होने के बावजूद, पारदर्शिता के लिए नागरिकों की माँग बनी हुई है। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण मामले (1975) में स्पष्ट रूप से कहा था, कि शासन को “कुछ ही रहस्य” बनाए रखने चाहिए। अर्थात निजता और जवाबदेही को संतुलित करना, लोकतांत्रिक सत्यनिष्ठा को बनाए रखने की कुंजी है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नप्रश्न: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम की घटती प्रभावशीलता संस्थागत अपारदर्शिता और कार्यकारी अनुत्तरदायित्व के गहन मुद्दों को दर्शाती है। भारत में पारदर्शिता और नागरिक सशक्तीकरण के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) |
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