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Lokesh Pal
October 17, 2025 05:00
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भारत के संवैधानिक इतिहास में एक सूक्ष्म संशोधनवाद उभर रहा है, जो डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बजाय सर बेनेगल नरसिंह राव को संविधान का वास्तविक लेखक बताने का प्रयास कर रहा है।
जहाँ राव द्वारा प्रारंभिक मसौदा तैयार किया, वहीं अंबेडकर ने इसे एक नैतिक, समावेशी और सामाजिक रूप से परिवर्तनकारी संविधान में रूपांतरित किया। उनकी केंद्रीयता को बनाए रखने से ऐतिहासिक सत्य, दलित नेतृत्व और गणतंत्र की नैतिक नींव सुरक्षित रहती है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: भारतीय संविधान की एक कानूनी रूपरेखा और एक सामाजिक घोषणापत्र, दोनों के रूप में चर्चा कीजिए। मौलिक अधिकारों और सामाजिक-आर्थिक शासन में आंबेडकर का योगदान संविधान के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण को किस प्रकार मूर्त रूप देता है? (15 अंक, 250 शब्द) |
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