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कृषि में AI की भूमिका

Lokesh Pal October 25, 2025 03:29 106 0

संदर्भ

AI 2030 पहल के तहत भारत के संदर्भ में वर्ष 2025 में प्रकाशित विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट, “भारत में भविष्य की खेती: कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विस्तार के लिए एक पुस्तिका” (Future Farming in India: A Playbook for Scaling Artificial Intelligence in Agriculture), एक परिवर्तनकारी रोडमैप प्रस्तुत करती है।

  • यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को समावेशी, सतत् और डेटा-संचालित कृषि विकास के लिए एक व्यावहारिक प्रवर्तक के रूप में स्थापित करती है।

आवश्यकता के कारण

  • कृषि की आर्थिक भूमिका: कृषि भारत की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता का आधार बनी हुई है, जो लगभग 45% कार्यबल को रोजगार प्रदान करती है और सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18% का योगदान देती है।
  • प्रमुख चुनौतियाँ: भारत की कृषि कम उत्पादकता, खंडित भूमि जोत, वित्तीय तनाव और जलवायु संबंधी समस्याओं का सामना कर रही है, ये ऐसी प्रणालीगत बाधाएँ हैं, जिनका समाधान केवल पारंपरिक सुधारों से नहीं हो सकता है।
    • तकनीकी पहुँच में कमी: 20% से भी कम कृषक फसल प्रबंधन या बाजार तक पहुँच के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग करते हैं।
    • खंडित भूमि जोत: 15 करोड़ कृषकों में से लगभग 85% छोटे कृषक हैं, जिनकी औसत भूमि का आकार लगभग 1.08 हेक्टेयर है, जिससे उचित तकनीकों का विस्तार करना कठिन हो जाता है।
    • डेटा साइलो: कृषि संबंधी डेटा विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों और योजनाओं में खंडित रूप में बिखरा हुआ है, जिसके कारण अंतर-संचालन (Interoperability) में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं।
    • जलवायु अस्थिरता: अप्रत्याशित वर्षा, मृदा क्षरण और कीटों का प्रकोप आय की अनिश्चितता को बढ़ाता है।
    • वित्तीय सीमाएँ: वहनीय ऋण और जोखिम पूँजी तक सीमित पहुँच, नवीन उपकरणों को अपनाने में बाधा डालती है।
      • इन चुनौतियों के लिए एकीकृत, बहु-हितधारक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, एक ऐसा दृष्टिकोण जो उत्तरदायी AI के माध्यम से लघु कृषकों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी, डेटा और शासन को एकीकृत करे।

WEF रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

  • इस रिपोर्ट में तीन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहाँ AI भारतीय कृषि को नया रूप दे सकता है:-
    • फसल नियोजन: AI-संचालित प्रणालियाँ मृदा गुणवता, मौसम के पैटर्न, पैदावार और बाजार संबंधी आँकड़ों का विश्लेषण करके सर्वोत्तम फसल विकल्पों की सिफारिश करती हैं।
      • इससे संसाधनों की बर्बादी कम होती है और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ता है।
    • स्मार्ट कृषि: इसमें उपग्रह आधारित फसल निगरानी, ​​निर्णय-समर्थन डैशबोर्ड, वास्तविक समय आधारित मृदा और कीट निदान, स्थानीय मौसम पूर्वानुमान, उपज पूर्वानुमान और AI-निर्देशित कृषि मशीनरी शामिल हैं।
      • ये नवाचार मिलकर सटीक इनपुट उपयोग और पूर्वानुमानित जोखिम प्रबंधन को सक्षम बनाते हैं।
    • ‘फार्म-टू-फॉर्क’ (Farm-to-Fork) तक समाधान: कृत्रिम बुद्धिमत्ता-सक्षम उपकरण कृषि मूल्य शृंखला में ट्रेसेबिलिटी, गुणवत्ता आश्वासन तथा बाजार-सूचना तंत्र की संस्थागत सुदृढ़ता को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे माँग-पूर्वानुमान की सटीकता, आपूर्ति शृंखलाओं का अनुकूलन एवं मूल्य-निर्धारण की पारदर्शिता एवं दक्षता में गुणात्मक संवर्द्धन होता है।
      • फिनटेक एकीकरण लघु कृषकों के लिए डिजिटल ऋण, बीमा और भुगतान की सुविधा प्रदान करता है।
      • सामूहिक रूप से, इन नवाचारों का उद्देश्य उत्पादन, प्रसंस्करण और व्यापार को एकीकृत करते हुए एक खेत से बाजार तक AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
    • सार्वजनिक विश्वास, समावेशन, पारदर्शिता एवं सुरक्षा के सिद्धांतों द्वारा संचालित ‘IMPACT AI’ पहल, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उत्तरदायी उपयोग के माध्यम से कृषि प्रणाली में उत्पादकता, आय तथा स्थिरता के आयामों में मापनीय एवं सतत् प्रगति सुनिश्चित करती है।

कार्यप्रणाली: अनुसंधान से कार्रवाई तक

  • यह पुस्तिका चौथी औद्योगिक क्रांति केंद्र (C4IR) भारत द्वारा, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय एवं इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के मार्गदर्शन में, नीति आयोग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), राज्य सरकारों, कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप्स तथा अकादमिक संस्थानों की सहभागिता से संयुक्त रूप से विकसित की गई है।
  • इसमें तीन-चरणीय दृष्टिकोण अपनाया गया है:-
    • डिजाइन थिंकिंग: बार-बार आने वाली कृषि चुनौतियों का मानचित्रण और मापनीय AI हस्तक्षेपों की योजना बनाना।
    • विशेषज्ञ परामर्श: कृषि वैज्ञानिकों, FPO हितधारकों और प्रौद्योगिकी डेवलपर्स से दृष्टिकोण एकत्र करना।
    • प्रासंगिक विश्लेषण: समाधानों को छोटे कृषकों की वास्तविकताओं (भूमि का आकार, ऋण की पहुँच, स्थानीय भाषाएँ और जलवायु क्षेत्रों) के साथ संरेखित करना।
      • यह सहभागी डिजाइन सुनिश्चित करता है कि AI को अपनाना कृषक-केंद्रित, नैतिक और व्यवहार्य बना रहे।

अवसर और अपेक्षित प्रभाव

  • उत्पादकता में वृद्धि: AI-आधारित सलाह पायलट जिलों में पैदावार में 15-25% की वृद्धि कर सकती है।
  • लागत में कमी: उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई के इष्टतम उपयोग से इनपुट लागत में 20% तक की कमी आ सकती है।
  • आय स्थिरता: डेटा-समर्थित क्रेडिट स्कोरिंग और बीमा मॉडल आय संबंधी जोखिम को कम करते हैं और वित्त तक पहुँच में सुधार करते हैं।
  • जलवायु अनुकूलन: पूर्वानुमानित विश्लेषण परिशुद्ध कृषि और संसाधन दक्षता को मजबूत करते हैं।
  • पारदर्शिता: ब्लॉकचेन और AI-संचालित अनुगमन क्षमता उपभोक्ता विश्वास और निर्यात तत्परता में सुधार करती है।

कृषि के लिए AI अपनाने में चुनौतियाँ

  • प्रगति के बावजूद, भारतीय कृषि में AI को मुख्यधारा में लाने में पाँच प्रमुख बाधाएँ हैं:
    • प्रौद्योगिकी तक सीमित पहुँच: पाँच में से एक से भी कम कृषक नियमित रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म या एडवाइजरी ऐप्स का उपयोग करते हैं।
    • वित्तीय क्षमता: छोटे कृषकों की कम और परिवर्तनशील आय AI उपकरणों में निवेश करने की उनकी क्षमता को सीमित करती है।
    • भूमि का विखंडन: छोटे औसत जोत आकार के कारण AI-आधारित मशीनरी के उपयोग में बाधाएँ आती है।
    • निवेश घाटा: AI अवसंरचना (डेटा हब, क्लाउड सेवाएँ, ब्रॉडबैंड) के लिए अत्यधिक पूँजी और नीतिगत निरंतरता की आवश्यकता होती है।
    • जोखिम की अवधारणा: सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त सैंडबॉक्स का अभाव नवप्रवर्तकों और उपयोगकर्ताओं दोनों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न करता है।
    • इन बाधाओं के कारण कृषि के लिए जोखिम-साझाकरण मॉडल, ऋण सहायता और एक समर्पित AI सत्यापन पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होती है।

संस्थागत संरेखण और राष्ट्रीय पहल

  • यह पुस्तिका भारत के व्यापक डिजिटल और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र की पूरक है।
  • इंडिया AI मिशन (2024): कंप्यूटर अवसंरचना (10,000-38,000 GPU) का विस्तार करने, AI कोष (डेटा रिपॉजिटरी) की स्थापना करने और भारतजेन जैसे स्वदेशी आधारभूत मॉडलों का समर्थन करने के लिए ₹10,300 करोड़ की पहल है।
  • डिजिटल कृषि मिशन (2021-25): एग्रीस्टैक के साथ AI के एकीकरण को सक्षम बनाता है, कृषक डेटाबेस, सटीक खेती और नीति लक्ष्यीकरण में सुधार करता है।
  • पीएम-कृषक और पीएम फसल बीमा योजना: भविष्यसूचक विश्लेषण और स्मार्ट बीमा डिजाइन के लिए डेटा पाइपलाइन बनाना।
  • आत्मनिर्भर भारत और स्टार्ट-अप इंडिया: ग्रामीण नवप्रवर्तकों और कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप्स को संदर्भ-विशिष्ट AI समाधान विकसित करने के लिए सशक्त बनाना।
  • कृषि विज्ञान केंद्र और FPO: जागरूकता, क्षेत्र परीक्षण और AI उपकरणों को अपनाने के लिए स्थानीय नोड के रूप में कार्य करना।

वैश्विक और तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य

  • चीन का स्मार्ट कृषि कार्यक्रम: परिशुद्ध कृषि और आपूर्ति-शृंखला पारदर्शिता के लिए AI, IoT और ड्रोन तकनीक को एकीकृत करता है।
  • यूरोपीय संघ का CAP डिजिटल परिवर्तन: उपग्रह डेटा और पूर्वानुमान विश्लेषण का उपयोग करके AI-आधारित निगरानी और अनुपालन को प्रोत्साहित करता है।
  • अफ्रीका का डिजिटल कृषि एजेंडा: छोटे कृषकों के लिए जलवायु अनुकूलन और फसल बीमा को मजबूत करने के लिए AI का उपयोग करता है।
    • भारत का ‘IMPACT AI’ मॉडल वैश्विक पहलों के समकक्ष है, किंतु इसकी कार्यप्रणाली नीचे से ऊपर की ओर समावेशन-प्रधान दृष्टिकोण पर आधारित है, जो बड़े कॉरपोरेट संकेंद्रण के स्थान पर लघु किसानों और सार्वजनिक विश्वास के सुदृढ़ीकरण को प्राथमिकता देता है।

आगे की राह

  • नैतिकता, दायित्व और सत्यापन को मानकीकृत करने के लिए कृषि के लिए एक राष्ट्रीय AI शासन प्राधिकरण की स्थापना करना।
  • AI साक्षरता में निवेश करना: ग्रामीण शिक्षा और विस्तार प्रशिक्षण में डिजिटल और डेटा विज्ञान मॉड्यूल को एकीकृत करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना: कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप, सहकारी समितियों और CSR निवेशों का लाभ उठाना।
  • इंटरऑपरेबल डेटा मानक बनाना: AI के माध्यम से गोपनीयता-संरक्षण, सहमति-आधारित साझाकरण सुनिश्चित करना।
  • ‘सैंडबॉक्स’ परीक्षण का विस्तार करना: नियामक निगरानी में पायलट प्रयोगों की अनुमति देकर नवाचार को जोखिम मुक्त करना।
  • वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना: AI पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on AI- GPAI) और G20 डिजिटल कृषि कार्य समूह के माध्यम से सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।

कृषि AI में सैंडबॉक्स परीक्षण

  • परिभाषा: सैंडबॉक्स एक नियंत्रित, प्रायोगिक वातावरण है, जहाँ नवप्रवर्तक बड़े पैमाने पर AI समाधानों का प्रयोग करने से पूर्व उनका सुरक्षित रूप से परीक्षण कर सकते हैं। यह प्रणालीगत विफलता या कृषकों के नुकसान के जोखिम के बिना वास्तविक दुनिया में परीक्षण की अनुमति देता है।
  • कृषि में उद्देश्य
    • नवाचार को जोखिम-मुक्त करना: यह सुनिश्चित करता है कि बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन से पूर्व, पूर्वानुमान आधारित परामर्श, मशीनरी या आपूर्ति-शृंखला एल्गोरिदम जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरण प्रभावकारिता एवं दक्षता के साथ कार्य करें।
    • कृषक-केंद्रित सत्यापन: समाधानों को लघु कृषकों की वास्तविकताओं (भूमि का आकार, फसल के प्रकार, जलवायु क्षेत्र और ऋण तक पहुँच) के साथ संरेखित करता है।
    • नैतिक निरीक्षण: निष्पक्षता, पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए AI प्रणालियों की निगरानी करता है, जिससे अनपेक्षित नुकसान या पूर्वाग्रह को रोका जा सके।
  • लाभ
    • स्टार्ट-अप्स, सहकारी समितियों और सरकारी एजेंसियों के मध्य सार्वजनिक-निजी सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
    • डेटा-आधारित नीति परीक्षण को सुगम बनाता है, विस्तार सेवाओं और ऋण/बीमा डिजाइन में सुधार करता है।
    • कृषकों के बीच विश्वास का निर्माण करता है, और AI तकनीकों को अपनाने में वृद्धि करता है।
  • IMPACT AI के साथ एकीकरण: सैंडबॉक्स परीक्षण, IMPACT AI का एक प्रमुख स्तंभ है, जो यह सुनिश्चित करता है कि तार्किक फसल नियोजन, स्मार्ट खेती तक के समाधानों में नवाचार मापनीय, समावेशी और सतत् हों।
  • वैश्विक संदर्भ: इसी तरह के मॉडल फिनटेक और हेल्थकेयर AI में भी मौजूद हैं, जहाँ व्यावसायिक परिनियोजन से पहले नियामक और परिचालन सत्यापन के लिए सैंडबॉक्स वातावरण का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष 

भारत में ‘भविष्य की कृषि’ पुस्तिका स्मार्ट, सतत् एवं समावेशी कृषि प्रणालियों की ओर संक्रमण का संकेत देती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता 15 करोड़ कृषकों को सूक्ष्म पूर्वानुमान और व्यापक बाजार पहुँच के माध्यम से सशक्त बनाते हुए उनके ज्ञान, अनुभव और सामाजिक प्रतिष्ठा को सुदृढ़ कर सकती है, लेकिन उनकी भूमिका का प्रतिस्थापन नहीं कर सकती।

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