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                         Lokesh Pal
Lokesh Pal
                         October 28, 2025 05:30
October 28, 2025 05:30
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शीत युद्ध के बाद की अमेरिकी नेतृत्व वाली व्यवस्था भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, तकनीकी व्यवधानों और जलवायु तनाव के कारण टूट रही है, जबकि एक समय हाशिए पर विद्यमान वैश्विक दक्षिण बहुध्रुवीय विश्व में एक निर्णायक भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।
वैश्विक दक्षिण के भविष्य को नया आकार देने में भारत की भूमिका केवल भू-राजनीतिक ही नहीं, बल्कि संस्थागत भी है। व्यावहारिक बहु-संरेखण और नवोन्मेषी शासन-कौशल के माध्यम से भारत एक खंडित वैश्विक व्यवस्था को एक अधिक न्यायसंगत और समावेशी प्रणाली में बदलने का नेतृत्व करना चाहता है।
| मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: शीत युद्धोत्तर परिदृश्य में वैश्विक कूटनीति असममित बहुध्रुवीयता का मार्ग प्रशस्त कर रही है। चर्चा कीजिए, कि यह परिवर्तन वैश्विक दक्षिण और इसके प्रमुख संस्थागत वास्तुकार के रूप में भारत की उभरती भूमिका को किस प्रकार नया रूप दे रहा है। (15 अंक, 250 शब्द) | 
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