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डोगरी भाषा

Lokesh Pal October 29, 2025 03:51 87 0

संदर्भ

डोगरी भाषा, जो जम्मू क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान और डोगरा विरासत की प्रतीक रही है, आज के समय में विशेष रूप से युवा और शहरी आबादी के मध्य धीरे-धीरे उपयोग और साक्षरता में गिरावट का सामना कर रही है।

संबंधित तथ्य

  • यूनेस्को के अनुसार, भारत में लुप्तप्राय उपभाषाओं की संख्या सबसे अधिक है।
  • अंग्रेजी भाषा, जो विभिन्न भाषाओं के वक्ताओं के बीच संवाद का माध्यम बन गई है, ने कई स्थानीय भाषाओं को हाशिये पर पहुँचा दिया है।
  • पिछले 50 वर्षों में भारत से लगभग 220 भाषाएँ समाप्त हो गई हैं।

डोगरी भाषा के बारे में

  • भाषा परिवार: यह एक इंडो-आर्यन (Indo-Aryan) भाषा है, जो मुख्यतः जम्मू क्षेत्र में बोली जाती है।
  • मान्यता: इसे वर्ष 2003 में संवैधानिक मान्यता मिली (आठवीं अनुसूची) और वर्ष 2020 में जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक, 2020 के जरिए इसे जम्मू-कश्मीर की पाँच आधिकारिक भाषाओं में से एक घोषित किया गया।
  • संवेदनशीलता: यूनेस्को अनेक भारतीय भाषाओं को ‘असुरक्षित’ अथवा ‘लुप्तप्राय’ भाषाओं की श्रेणी में वर्गीकृत करता है तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डोगरी भाषा भी क्रमशः उस संकटग्रस्त सूची में सम्मिलित होने की संभावना की ओर अग्रसर प्रतीत होती है।
  • भाषिक प्रसार: लगभग 26 लाख वक्ता, मुख्यतः जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी पंजाब, तथा पाकिस्तान और भारतीय प्रवासी समुदायों से संबंधित हैं।
  • विशेषताएँ
    • इसमें 10 स्वर और 28 व्यंजन हैं, जिनमें टोनल वेरिएशन हैं।
    • यह नेजलाइजेशन, मेटाथेसिस और टोन-आधारित ध्वनि अंतराल को प्रदर्शित करता है।
    • इसमें फारसी और अंग्रेजी से लिए गए शब्द शामिल हैं और इसका आधार संस्कृत है।

PWOnlyIAS विशेष

आठवीं अनुसूची 

  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
  • शामिल भाषा की मान्यता सुनिश्चित करती है:-
    • उस भाषा में सार्वजनिक सेवा परीक्षाओं के लिए पात्रता।
    • इसके प्रचार-प्रसार और विकास के लिए सरकारी वित्तपोषण में वृद्धि की गई।
    • राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शिक्षा, संचार और प्रशासन में आधिकारिक उपयोग।

राज्य भाषा

  • किसी राज्य या क्षेत्र की सरकार द्वारा आधिकारिक कार्यों, प्रशासन और न्यायिक प्रक्रियाओं हेतु चयनित भाषा।
  • भारत में प्रत्येक राज्य को अपनी आधिकारिक भाषा चुनने का अधिकार है।

लुप्तप्राय भाषाएँ

  • ये ऐसी भाषाएँ हैं, जिनके विलुप्त होने का खतरा है या जो अब किसी समुदाय द्वारा मूल भाषा के रूप में नहीं बोली जातीं।
  • यूनेस्को ने भाषा के खतरे के चार स्तरों को परिभाषित किया है: ‘सुरक्षित’ (लुप्तप्राय नहीं) और ‘विलुप्त’, निश्चित रूप से लुप्तप्राय, गंभीर रूप से लुप्तप्राय।
  • भारत में लुप्तप्राय भाषाएँ: अंडमानी भाषाएँ, टोडा, कुसुंडा, सेंटिनलीज, मांडिक आदि।

विलुप्तीकरण के कारण

  • नीतिगत समर्थन की कमी:  एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 48% लोगों ने सरकार की अपर्याप्त नीतिगत पहल को डोगरी की गिरावट का प्रमुख कारण बताया।
    • विलंब से आधिकारिक मान्यता, शैक्षणिक पाठ्यक्रमों और मीडिया कार्यक्रमों में सीमित समावेशन ने इसकी संस्थागत उपस्थिति को कमजोर किया है।
  • आर्थिक प्रासंगिकता की कमी: 43% उत्तरदाताओं का मानना है कि डोगरी कॅरियर या आर्थिक अवसर प्रदान नहीं करती, जिसके कारण युवा हिंदी और अंग्रेजी बोलने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
    • वैश्वीकरण के दौर में भाषा का चयन प्रायः रोजगार से जुड़ी उपयोगिता पर निर्भर करता है, न कि सांस्कृतिक निरंतरता पर।

भारत में भाषा संरक्षण के प्रयास

  • संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधान 
    • आठवीं अनुसूची: 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा,  अनुच्छेद-351 (हिंदी को बढ़ावा देने का निर्देश) और अनुच्छेद-29(1) (सांस्कृतिक और भाषायी अधिकारों का संरक्षण) के तहत प्रोत्साहन।
  • अनुच्छेद-350A और 350B:  प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा और भाषायी अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकारी की नियुक्ति।
  • त्रिभाषा सूत्र: क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के अध्ययन को प्रोत्साहित कर सांस्कृतिक पहचान और राष्ट्रीय एकता का संतुलन।

संस्थागत पहल

  • भारतीय भाषाओं का केंद्रीय संस्थान (CIIL), मैसूर (1969): भारतीय भाषाओं के अनुसंधान, प्रशिक्षण और दस्तावेजीकरण का प्रमुख निकाय।
  • भारतवाणी परियोजना: डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत बहुभाषी ज्ञान पोर्टल, जो शब्दकोश, शब्दावली और शिक्षण संसाधन प्रदान करता है।
  • लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण की योजना (SPPEL): 10,000 से कम वक्ताओं वाली भाषाओं का दस्तावेजीकरण; अब तक 120 से अधिक भाषाओं का रिकॉर्ड।
  • राष्ट्रीय अनुवाद मिशन (NTM): भारतीय भाषाओं में ज्ञानग्रंथों का अनुवाद और पेशेवर अनुवादक उपकरणों का विकास।
  • जनगणना में भाषायी डेटा:  भाषा उपयोग, द्विभाषिकता और बहुभाषिकता पर आधारित आँकड़े नीति निर्माण के लिए सहायक।

शैक्षणिक और सांस्कृतिक उपाय

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: कक्षा 5 तक (और संभव हो तो 8 तक) मातृभाषा/स्थानीय भाषा में शिक्षा पर बल।  स्थानीय शिक्षण सामग्री और शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ावा।
  • साहित्य अकादमी:  संस्कृति मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय, जो 24 भारतीय भाषाओं में साहित्य को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  • भाषा संगम पहल: छात्रों को 22 अनुसूचित भाषाओं से परिचित कराने हेतु शुरू की गई पहल।
    • एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB): राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जोड़ी बनाकर भाषायी व सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन प्रदान करना।

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