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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 05, 2025 03:09 45 0

APEDA द्वारा फोर्टिफाइड राइस कर्नेल का निर्यात 

भारत ने एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, क्योंकि  कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने छत्तीसगढ़ से कोस्टारिका को 12 मीट्रिक टन ‘फोर्टिफाइड राइस कर्नेल’ (FRK) के पहले निर्यात को सफलतापूर्वक सुगम बनाया है।

फोर्टिफाइड राइस कर्नेल क्या है?

  • फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (FRK) का उत्पादन चावल के आटे को सूक्ष्म पोषक तत्त्वों जैसे आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन B12 के साथ मिश्रित करके किया जाता है, जिन्हें चावल के दानों के समान आकार दिया जाता है।
  • उद्देश्य: इसे निश्चित अनुपात में सामान्य चावल के साथ मिलाया जाता है ताकि उसकी पोषण गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके, जिससे कुपोषण की समस्या का समाधान और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों को सशक्त किया जा सके।

निर्यात के बारे में

  • ऐतिहासिक निर्यात: छत्तीसगढ़ से कोस्टारिका को FRK की पहली खेप का निर्यात भारत के घरेलू पोषण अभियान “कुपोषण मुक्त भारत” को वैश्विक स्तर पर जोड़ने का प्रतीक है।
  • प्रभाव: यह छत्तीसगढ़ की अंतरराष्ट्रीय कृषि व्यापार में बढ़ती भूमिका और पोषण-संपन्न निर्यात हेतु खाद्य सुदृढ़ीकरण में भारत की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित करता है।

APEDA के बारे में 

  • APEDA एक वैधानिक निकाय है, जिसे भारत सरकार ने APEDA अधिनियम, 1985 के तहत केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित किया था। यह 13 फरवरी, 1986 से प्रभावी हुआ।

भूमिका और कार्यक्षेत्र

  • APEDA का दायित्व कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित और विकसित करना है, जिसके लिए यह वित्तीय सहायता, बाजार संबंधी जानकारी और निर्यात सुविधा प्रदान करता है।
  • यह मूल्यवर्द्धित और पोषण-उन्मुख निर्यात को भी समर्थन देता है, जिससे भारत की छवि एक विश्वसनीय, उच्च-गुणवत्ता, सुरक्षित और पोषक खाद्य उत्पादों के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में सुदृढ़ होती है।

कर्मचारी नामांकन योजना

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कर्मचारी नामांकन योजना, 2025 का शुभारंभ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के 73वें स्थापना दिवस के अवसर पर किया।

कर्मचारी नामांकन योजना, 2025 के बारे में

  • यह योजना नियोक्ताओं को अपनी अनुपालन कमी का नियमितीकरण करने हेतु एक सरल एवं पारदर्शी प्रक्रिया प्रदान करती है। इसका उद्देश्य सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण को साकार करना और कार्यबल के औपचारिकीकरण को बढ़ावा देना है।
  • नोडल संस्था: यह योजना श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा लागू की जाती है।
  • उद्देश्य: स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा का सार्वभौमीकरण सुनिश्चित करना ताकि नियोक्ता, उन पात्र कर्मचारियों को नियमित कर सकें, जिन्हें पहले EPF कवरेज से बाहर रखा गया था।

विशेष कवरेज 

  • यह योजना 1 जुलाई, 2017 से 31 अक्टूबर, 2025 के बीच कार्यरत ऐसे कर्मचारियों पर लागू होगी, जो EPF में सम्मिलित नहीं थे।
  • नामांकन विंडो 1 नवंबर, 2025 से 30 अप्रैल, 2026 तक छह महीने के लिए खुली रहेगी।

मुख्य प्रावधान 

  • नियोक्ता EPFO के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपने ऐसे वंचित कर्मचारियों की घोषणा कर सकते हैं, चाहे संस्थान पहले से EPF के अंतर्गत हो या नहीं
  • यदि संबंधित अवधि के दौरान कर्मचारियों का अंशदान पूर्व में नहीं काटा गया था, तो उस अवधि के लिए कर्मचारी को अंशदान से छूट प्रदान की जाएगी।
  • नियोक्ता को केवल अपना अंशदान, ब्याज (धारा 7Q), प्रशासनिक शुल्क, और ₹100 प्रति प्रतिष्ठान का एकमुश्त दंड देना होगा।
  • यह दंड तीनों EPF योजनाओं पर लागू होगा और इसे अनुपालन माना जाएगा।

पात्रता और सुरक्षा

  • जिन प्रतिष्ठानों पर धारा 7A, पैरा 26B, या पैरा 8 (EPS-1995) के अंतर्गत जाँच चल रही है, वे भी योजना के लिए पात्र होंगे।
    • योजना अवधि के दौरान EPFO कोई स्वतः (suo motu) अनुपालन कार्रवाई आरंभ नहीं करेगा।

EPFO स्थापना दिवस के बारे में

  • EPFO भारत की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा संस्था है, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करती है।
  • स्थापना: वर्ष 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध उपबंध अधिनियम, 1952 के तहत स्थापित हुआ।
  • 73वाँ स्थापना दिवस (वर्ष 2025): भारत मंडपम, नई दिल्ली में मनाया गया।
    • 73वें स्थापना दिवस पर पुरस्कार: EPFO की प्रशिक्षण संस्था पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा अकादमी (PDUNASS) को भविष्य निधि पुरस्कार-2025 (Bhavishya Nidhi Awards 2025) में दो श्रेणियों में सम्मान प्राप्त हुआ:
      • क्षमता निर्माण में सर्वोत्तम उपलब्धि 
      • शासन की पुनर्कल्पना: उत्कृष्टता हेतु विमर्श (RGDE)

थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर (TMSR)

चीन ने अपने प्रायोगिक थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर (TMSR) में विश्व का पहला थोरियम से यूरेनियम परमाणु ईंधन रूपांतरण सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है।

  • चीन का लक्ष्य वर्ष 2035 तक 100 मेगावाट क्षमता वाला प्रदर्शन रिएक्टर विकसित करना है, जिससे वह वाणिज्यिक थोरियम-आधारित परमाणु प्रणालियों की दिशा में अग्रसर होगा।

थोरियम मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर (TMSR) के बारे में (TMSR)

  • TMSR एक चौथी पीढ़ी की उन्नत परमाणु ऊर्जा प्रणाली है, जिसे शंघाई इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लाइड फिजिक्स (SINAP) द्वारा चीनी विज्ञान अकादमी (CAS) के अंतर्गत विकसित किया गया है।
  • कार्य प्रणाली: इसमें उच्च तापमान वाला द्रवित लवण,  शीतलक  और परमाणु ईंधन का विलायक दोनों के रूप में कार्य करता है, जिससे यह सामान्य वायुदाब पर निष्क्रिय सुरक्षा विशेषताओं के साथ संचालित हो सकता है।
  • मुख्य लाभ
    • सुरक्षा: यदि तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है तो सॉल्ट प्लग’ के पिघलने से रिएक्टर स्वतः बंद हो जाता है।
    • दक्षता: यह ईंधन से अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता है और बहुत कम उच्च-स्तरीय अपशिष्ट (High-level waste) उत्पन्न करता है।
    • अनुकूलन: इसे सौर, पवन और हाइड्रोजन उत्पादन प्रणालियों के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जिससे कम-कार्बन ऊर्जा मिश्रण संभव होता है।
    • औद्योगिक एकीकरण: यह उच्च तापमान ऊर्जा भंडारण और रासायनिक उद्योग की प्रक्रियाओं में सहायक होता है।
  • भारत में स्थिति: भारत के परमाणु कार्यक्रम के तीसरे चरण में दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए एडवांस्ड हेवी वाटर रिएक्टर (AHWR और इंडियन मोल्टन सॉल्ट ब्रीडर रिएक्टर-IMSBR) जैसे थोरियम आधारित रिएक्टरों की परिकल्पना की गई है।

थोरियम के बारे में

  • थोरियम-232 इसका एकमात्र प्राकृतिक समस्थानिक है, जिसे यूरेनियम-233 में परिवर्तित किया जा सकता है  यह एक विखंडनीय पदार्थ है, जो विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त है।
  • स्रोत: थोरियम मोनाजाइट से प्राप्त होता है।
  • यूरेनियम पर लाभ: थोरियम कम दीर्घकालिक रेडियोधर्मी अपशिष्ट उत्पन्न करता है तथा प्रकृति में यूरेनियम की तुलना में तीन गुना अधिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
  • वैश्विक उत्पादन और उपयोग: हालाँकि थोरियम भरपूर मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन उच्च निष्कर्षण लागत और तकनीकी जटिलताओं के कारण इसका उपयोग सीमित है।
  • वैश्विक वितरण: भारत के पास विश्व के सबसे बड़े थोरियम भंडार हैं  मुख्य रूप से केरल, ओडिशा और तमिलनाडु में।

राष्ट्रीय भू-स्थानिक प्लेटफार्म

भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India – SoI) ने सी.ई. इन्फो सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की है, ताकि राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022 के तहत एकीकृत राष्ट्रीय भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म  विकसित किया जा सके।

राष्ट्रीय भू-स्थानिक मंच के बारे में

  • उद्देश्य और दृष्टिकोण: इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य शासन, उद्योग, अनुसंधान और नागरिकों के लिए विश्वसनीय आधारभूत भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित, समन्वित और प्रसारित करने हेतु एक एकीकृत डिजिटल अवसंरचना प्रदान करना है।
  • मुख्य विशेषताएँ: यह ऑर्थो-रेक्टीफाइड इमेजरी, डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM), प्रशासनिक सीमाएँ, जियोडेटिक फ्रेम जैसे डेटासेट को एकीकृत और मानकीकृत करेगा।
  • प्रौद्योगिकीय ढाँचा: यह प्रणाली वेब सेवाओं, API, और मोबाइल अनुप्रयोगों के माध्यम से निर्बाध डेटा पहुँच सुनिश्चित करेगी। साथ ही यह केंद्रीय मंत्रालयों, शैक्षणिक संस्थानों, और निजी क्षेत्रों के बीच डेटा इंटरऑपरेबिलिटी और सहयोग को बढ़ावा देगी।

प्लेटफार्म के मुख्य घटक 

  • भू-स्थानिक डेटा एकीकरण एवं प्रसार प्रणाली: यह प्रणाली डेटा एकत्रीकरण और स्थानिक ‘डेटा सेट्स’ के सुरक्षित साझाकरण हेतु आधार के रूप में कार्य करेगी।
  • एकीकृत भू-स्थानिक अनुप्रयोग इंटरफेस (IGAI): यह विभिन्न क्षेत्रों में भू-स्थानिक अनुप्रयोगों के विकास और तैनाती के लिए एक उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस प्रदान करेगा।
  • स्थानिक डेटा रजिस्ट्री (SDR): यह मेटाडेटा प्रबंधन को सक्षम बनाएगी ताकि डेटा की संगति, सटीकता, और अनुरेखणीयता सुनिश्चित की जा सके।

भारतीय सर्वेक्षण विभाग (SOI) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 1767 में स्थापित यह विभाग 250 से अधिक वर्षों के समृद्ध इतिहास और सटीक भू-स्थानिक जानकारी की सुदीर्घ परंपरा का निर्वाह करता आ रहा है।
  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।

असमानता- महामारी संबंध पर UNAIDS रिपोर्ट

UNAIDS की एक नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि बढ़ती असमानताएँ वैश्विक स्तर पर महामारियों को और गंभीर बना रही हैं। रिपोर्ट में देशों से सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को दूर करने का आग्रह किया गया है ताकि वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा  को सुदृढ़ किया जा सके।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • असमानता और महामारी का संबंध: देशों के भीतर और उनके बीच उच्च असमानता के कारण महामारियाँ अधिक विनाशकारी, घातक और दीर्घ अवधि की हो जाती हैं, जैसा कि COVID-19, एड्स (AIDS), और इबोला (Ebola) के दौरान देखा गया।
  • असमानता का दुष्चक्र: महामारियाँ असमानता को और बढ़ाती हैं, जिससे स्वास्थ्य और आर्थिक कमजोरियाँ गहराती जाती हैं, और एक स्वयं-पोषित चक्र बन जाता है।
  • वैश्विक अप्रस्तुति: वर्तमान महामारी तैयारी उपाय संरचनात्मक असमानताओं की अनदेखी करते हैं, जिससे भविष्य के प्रकोपों को रोकने या कम करने की वैश्विक क्षमता सीमित हो जाती है।
  • सामाजिक-आर्थिक कारक: स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच, असुरक्षित कार्य स्थितियाँ और अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लोगों की रोगों के प्रति संवेदनशीलता और पुनर्प्राप्ति की क्षमता को कमजोर करती हैं।

असमानता से निपटने के लिए सिफारिशें

  • सामाजिक निर्धारकों का समाधान: आवास, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करना, ताकि महामारी के मूल कारणों को कम किया जा सके।
  • वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार: सभी देशों को सार्वजनिक स्वास्थ्य और असमानता में कमी हेतु निवेश सक्षम बनाने के लिए राजकोषीय प्रतिबंधों को हटाना।
  • प्रौद्योगिकी साझा करना: अनुसंधान और विकास के लिए वैश्विक शासन ढाँचा विकसित किया जाए ताकि तकनीकी और स्वास्थ्य नवाचारों को सार्वजनिक संपत्ति के रूप में माना जा सके।
  • स्थानीय उत्पादन क्षमता का निर्माण: क्षेत्रीय स्तर पर टीके और दवाओं के उत्पादन को सशक्त किया जाए, ताकि स्वास्थ्य संकटों के दौरान समान पहुँच सुनिश्चित हो सके।
  • समानता-आधारित स्वास्थ्य सुरक्षा: महामारी तैयारी ढाँचों में असमानता में कमी को एकीकृत किया जाए, ताकि अनुकूलित और समावेशी वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित की जा सके।

UNAIDS के बारे में

  • वर्ष 1996 में प्रारंभ किया गया UNAIDS, HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र का संयुक्त कार्यक्रम है, जो HIV/AIDS  महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का नेतृत्व करता है।
  • यह कार्रवाई का समन्वय करता है, रणनीतिक दिशा, समर्थन और तकनीकी सहायता प्रदान करता है, तथा HIV/AIDS के विरुद्ध संघर्ष में 11 विभिन्न संयुक्त राष्ट्र संगठनों (जैसे- WHO, यूनिसेफ और विश्व बैंक) को एकजुट करता है।
  • इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नए WHO संक्रमण, भेदभाव और एड्स-संबंधी मौतों को शून्य करना है।

सेमीकंडक्टर का विनिर्माण

भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में ओडिशा ने देश का पहला ‘एंड-टू-एंड’ सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सेमीकंडक्टर प्लांट शुरू किया है। यह पहल इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन  के तहत की गई है।

सिलिकॉन कार्बाइड के बारे में

  • सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) सिलिकॉन (Si) और कार्बन (C) का एक यौगिक है।
  • यह एक कृत्रिम, अत्यधिक कठोर, और ऊष्मा-प्रतिरोधी पदार्थ है, जिसमें सिरेमिक और सेमीकंडक्टर दोनों के गुण होते हैं।
  • अन्य नाम: इसे कार्बोरंडम भी कहा जाता है और यह इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक प्रक्रियाओं तथा नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों में व्यापक रूप से उपयोग होता है।
  • सिलिकॉन कार्बाइड के गुण
    • उच्च कठोरता: लगभग हीरे जितनी कठोर (Mohs स्केल पर 9.5)।
    • विस्तृत ‘बैंड गैप’ (~3.2 eV): उच्च वोल्टेज, आवृत्ति और तापमान पर संचालन की क्षमता।
    • उच्च ताप चालकता: विद्युत उपकरणों में ऊष्मा अपव्यय।
    • उच्च ब्रेकडाउन वोल्टेज: प्रबल विद्युत क्षेत्रों को सहन करने की क्षमता।
    • रासायनिक और तापीय स्थिरता: जंग, ऑक्सीकरण और विकिरण के प्रति प्रतिरोधी।
    • हल्का और मजबूत: एयरोस्पेस और उच्चदाब युक्त वातावरण के लिए उपयुक्त।
  • प्रकार
    • ब्लैक SiC: क्वार्ट्ज रेत और पेट्रोलियम कोक से निर्मित — घर्षण और कटिंग कार्यों में उपयोग।
    • ग्रीन SiC: उच्च शुद्धता वाला रूप, इलेक्ट्रॉनिक्स और उन्नत अनुप्रयोगों में उपयोग।

सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) के अनुप्रयोग 

  • पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स: इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इनवर्टर्स, सोलर इनवर्टर्स और हाई-वोल्टेज डिवाइसों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए उपयोग।
  • एयरोस्पेस और रक्षा: सैटेलाइट सेंसर, रडार सिस्टम, और उच्च तापमान इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग।
  • औद्योगिक उपयोग: घर्षण पदार्थ, कटिंग व ग्राइंडिंग टूल, तथा भट्टियों और किल्न्स में रिफ्रेक्टरी लाइनिंग के रूप में।
  • ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स एवं LED: इसके विस्तृत ‘बैंड गैप’ के कारण LED, उच्च-आवृत्ति संचार, और सेमीकंडक्टर उपकरणों में उपयोग।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के बारे में

  • यह मिशन वर्ष 2021 में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत शुरू किया गया था, ताकि देश में एक सतत् सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम विकसित किया जा सके।
  • मुख्य घटक
    • भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की योजना
    • डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने की योजना
    • कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स / सिलिकॉन फोटोनिक्स / सेंसर फैब एवं सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (ATMP) सुविधाएँ स्थापित करने की योजना
    • डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना।

टाइफून कालमेगी

टाइफून कालमेगी, जिसे स्थानीय रूप से “टिनो (Tino)” कहा जाता है, ने मध्य फिलीपींस में लैंडफॉल किया, जिससे अत्यधिक वर्षा, तेज हवाएँ और तीव्र ज्वार उत्पन्न हुए। इसके परिणामस्वरूप जनहानि, संपत्ति का नुकसान और बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ।

टाइफून ‘कालमेगी’ के बारे में

  • टाइफून ‘कालमेगी’ एक शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो 150 किमी./घंटा की न्यूनतम पवन गति और 205 किमी./घंटा की अधिकतम गति के साथ मध्य फिलीपींस में लैंडफॉल किया।
  • उत्पत्ति: यह तूफ़ान पश्चिमी प्रशांत महासागर में फिलीपींस के पूर्वी तट के ऊपर गर्म समुद्री जल से विकसित हुआ।
  • लैंडफॉल: यह विसायस क्षेत्र (Visayas Region) में तट से टकराया।
  • पूर्वानुमानित मार्ग: इसके विसायस से होकर दक्षिण चीन सागर की ओर बढ़ने और टाइफून की तीव्रता बनाए रखने की संभावना है।

टाइफून क्या है?

  • परिभाषा:  टाइफून एक तीव्र उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, जो पश्चिमी प्रशांत महासागर के गर्म जल क्षेत्रों में निर्मित होता है। यह तेज गति से घूर्णित पवनों और निम्नदाब केंद्र से युक्त होता है।
  • निर्माण की स्थितियाँ: गर्म समुद्री तापमान, उच्च आर्द्रता तथा समुद्री सतह के निकट पहले से मौजूद वायुमंडलीय विक्षोभ।
  • वैश्विक नामकरण
    • हरिकेन: अटलांटिक महासागर और उत्तर/दक्षिण-पूर्वी प्रशांत महासागर में।
    • साइक्लोन: हिंद महासागर क्षेत्र में।
    • टाइफून: पश्चिमी प्रशांत महासागर में।
    • विली-विली: पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में।

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