100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

आवारा कुत्तों के संकट पर सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

Lokesh Pal November 11, 2025 03:33 53 0

संदर्भ

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए हैं कि वे आवारा कुत्तों को सार्वजनिक संस्थानों से हटा दें और नसबंदी तथा टीकाकरण के बाद उन्हें निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित कर दें।

पिछले सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों से तुलना 

तिथि न्यायिक पीठ विवरण नीतिगत परिवर्तन
11 अगस्त, 2025 न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन सर्वोच्च न्यायालय में आवारा कुत्तों का मामला, दिल्ली NCR में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेने के साथ शुरू हुआ।

  • नो-रिलीज’ नियम: दिल्ली-NCR में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से आश्रय स्थलों में रखा जाएगा।
पूर्ण निष्कासन; उपेक्षित पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023
22 अगस्त, 2025 जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता, एन.वी. अंजारिया संशोधित दृष्टिकोण: नसबंदी और टीकाकरण किए गए कुत्तों को उनके मूल क्षेत्रों में वापस छोड़ा जाना

  • यह वैज्ञानिक रूप से मान्य ‘कैच न्यूटर वैक्सीनेट रिलीज’ (CNVR) मॉडल के अनुरूप है, जो पारिस्थितिकी वैक्यूम प्रभाव को रोकता है।
मानवीय, नियम-आधारित प्रबंधन।
7 नवंबर, 2025 तीन न्यायाधीशों वाली पीठ केवल संस्थागत और उच्च-आवागमन वाले क्षेत्रों के लिए नया निर्देश सार्वजनिक सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन।

सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान आदेश की मुख्य विशेषताएँ

  • तत्काल निष्कासन और पुनर्वास: शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवा संस्थानों, परिवहन केंद्रों और अन्य सार्वजनिक परिसरों से आवारा कुत्तों को “तुरंत” हटाया जाएगा।
    • पशुओं को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने से पहले, पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम, 2023 के तहत उनकी नसबंदी और टीकाकरण किया जाना चाहिए।
    • उन्हें वापस उसी क्षेत्र में नहीं छोड़ा जा सकता।
  • जवाबदेही और प्रवर्तन: स्थानीय निकाय और नगरपालिका प्राधिकरण तत्काल अनुपालन के लिए जिम्मेदार हैं।
    • उन्हें आठ सप्ताह के भीतर विस्तृत अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
    • आवारा कुत्तों की निगरानी और रखरखाव के लिए प्रत्येक संस्थान में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएँगे।
    • अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तिमाही निरीक्षण अनिवार्य है।
    • किसी भी त्रुटि के लिए अधिकारियों की व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी।
  • बुनियादी ढाँचा और सुरक्षा संबंधी आदेश: संस्थानों को जानवरों के प्रवेश को रोकने के लिए बाड़, चहारदीवारी और द्वार लगाने होंगे।
    • सभी प्रभावित संस्थानों की पहचान करने वाले राज्य सर्वेक्षण दो सप्ताह के भीतर पूरे किए जाने होंगे।
    • अस्पतालों को एंटी-रेबीज टीकों का ‘निरंतर स्टॉक’ बनाए रखना होगा।
    • आवारा पशुओं को आकर्षित करने वाले खाद्य स्रोतों को समाप्त करने हेतु अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का कार्यान्वयन।
  • पशु कल्याण और मानक संचालन प्रक्रियाएँ: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) कुत्तों के काटने की रोकथाम और आवारा पशुओं के प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) का मसौदा तैयार करेगा।
    • SOP को पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
  • राजमार्गों से मवेशियों को हटाना
    • कुत्तों के अलावा अन्य जानवरों के संबंध में: सर्वोच्च न्यायालय ने राजमार्गों और सार्वजनिक सड़कों से मवेशियों और आवारा पशुओं को हटाने का निर्देश दिया।
    • NHAI और नगर निकायों को चौबीसों घंटे गश्ती इकाइयाँ स्थापित करनी होंगी, हेल्पलाइन बनाए रखनी होंगी और गौशालाओं या आश्रय स्थलों में पुनर्वास सुनिश्चित करना होगा।
    • मुख्य सचिवों और NHAI अध्यक्ष को त्रुटि के लिए व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराया जाएगा।

भारत में आवारा कुत्तों का संकट

  • विशाल राष्ट्रीय आवारा जनसंख्या: एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 5 करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं।
  • कुत्तों के काटने की घटनाएँ: वर्ष 2024 में, भारत में कुत्तों द्वारा काटने के 37,17,336 मामले दर्ज किए गए, जो आवारा आबादी से संबंधित जन स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के पैमाने को दर्शाता है।
  • रेबीज का प्रभाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वैश्विक रेबीज से होने वाली मौतों का 36% हिस्सा है, और प्रत्येक वर्ष 18,000 से 20,000 मानव रेबीज के मामले दर्ज किए जाते हैं।
    • देश में वर्ष 2024 में रेबीज से 54 संदिग्ध मानव मौतें भी दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकांश रेबीज के मामले कुत्तों के काटने से संबंधित थे।
  • आश्रय क्षमता का अंतराल: केवल लगभग 8 मिलियन बेघर कुत्ते ही आश्रय स्थलों में रखे जाते हैं, जिससे उनमें से अधिकांश व्यवस्थित नियंत्रण उपायों के बिना सड़कों पर आ जाते हैं।
  • शहरी संघर्ष: बंध्याकरण और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की कमी ने, विशेष रूप से सार्वजनिक संस्थानों के आसपास, कुत्ते-मानव संघर्ष को तीव्र कर दिया है।

प्रमुख संवैधानिक प्रावधान और कानूनी/नीतिगत ढाँचा

  • संवैधानिक प्रावधान
    • अनुच्छेद-51A(G): सभी जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव रखना नागरिकों का मौलिक कर्तव्य है।
    • अनुच्छेद-243(w) और 246: स्थानीय निकाय आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
    • अनुच्छेद 246(3): राज्य पशुधन के संरक्षण, सुरक्षा और सुधार, पशु रोगों की रोकथाम और पशु चिकित्सा प्रशिक्षण/अभ्यास का प्रबंधन करते हैं।
  • कानूनी और नीतिगत ढाँचे 
    • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (PCA अधिनियम): धारा 4 पशु कल्याण को बढ़ावा देने और पशुओं को अनावश्यक दर्द या पीड़ा से बचाने हेतु भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना करती है।
      • धारा 38(1) और (2) केंद्र सरकार को अन्य मामलों के अलावा पशु जन्म नियंत्रण’ के लिए नियम बनाने का अधिकार देती है।
      • PCA अधिनियम, प्रत्यक्ष नगरपालिका नियंत्रण के स्थान पर आवारा कुत्तों के प्रबंधन (कल्याण और क्रूरता निवारण के माध्यम से) के लिए मूलभूत कानूनी आधार प्रदान करता है।
    • पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 (ABC नियम 2023): मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा PCA अधिनियम के तहत अधिसूचित नियम, 2001 का स्थान लेगा।
      • स्थानीय निकायों को आवारा कुत्तों की नसबंदी, रेबीज टीकाकरण और शल्योपरांत देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
      • नियम 20 सामुदायिक पशुओं के आहार के संबंध में स्पष्ट रूप से बताता है: निवासी कल्याण संघों (RWA), अपार्टमेंट मालिक संघों (AOA) या स्थानीय निकायों को आहार के स्थान निर्धारित करने होंगे और पशु कल्याण समितियाँ बनानी होंगी।
      • इस बात पर बल देना कि सामुदायिक कुत्तों का प्रबंधन उनके आवास क्षेत्र में ही किया जाए, जब तक कि कोई अपवाद लागू न हो (जैसे- पागल/आक्रामक)।
  • न्यायिक हस्तक्षेप और हालिया घटनाक्रम
    • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम नागराजा (2014): सर्वोच्च न्यायालय ने (अनुच्छेद-21) गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार को गैर-मानव (पशुओं) तक विस्तारित किया, जिससे भारत में पशु अधिकारों पर न्याय का स्वरूप निर्धारित हुआ।
      • न्यायालय ने मानव सुरक्षा और पशु कल्याण के मध्य संतुलन स्थापित करने के राज्य के कर्तव्य पर भी बल दिया।
    • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम आवारा पशुओं के उन्मूलन के लिए लोग (वर्ष 2016- वर्ष 2023)
      • मौजूदा कानूनों पर बल: न्यायालय ने लगातार इस बात पर जोर दिया कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और ABC नियम आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए विशिष्ट ढाँचा प्रदान करते हैं और इस बात पर जोर दिया कि कोई भी समानांतरनिगरानी गतिविधि’ अवैध है।
      • अंधाधुंध हत्या पर प्रतिबंध: बैठक में यह प्रमुख रूप से रेखांकित किया गया कि आवारा कुत्तों की अंधाधुंध हत्या कानूनन निषिद्ध है और संबंधित प्राधिकरणों को विधिक प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई करनी होगी।
      • बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता: न्यायालय ने स्थानीय अधिकारियों के कर्तव्य पर बल दिया कि वे आवश्यक बुनियादी ढाँचा, जैसे कि डॉग पाउंड, पशु चिकित्सालय और मोबाइल ऑपरेशन थिएटर बनाएँ।
      • AWBI और स्थानीय समितियों की भूमिका: न्यायालय ने नसबंदी, टीकाकरण और इच्छामृत्यु कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और स्थानीय समितियों की भूमिकाओं को स्पष्ट किया।
    • सर्वोच्च न्यायालय (अगस्त और नवंबर 2025 के आदेश): उच्च यातायात वाले संस्थागत क्षेत्रों (स्कूल, अस्पताल, स्टेशन) से आवारा कुत्तों को हटाने का निर्देश दिया, लेकिन अन्य क्षेत्रों में मानवीय प्रबंधन सिद्धांतों की पुष्टि की, नागरिकों के सुरक्षा के अधिकार और पशुओं के जीवन और सम्मान के अधिकार के बीच संतुलन स्थापित किया।

पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम की विफलता के कारण

  • खराब कार्यान्वयन और प्रशासन: स्थानीय निकायों में प्रशिक्षित कर्मचारियों, समन्वय और जवाबदेही का अभाव है। राज्यों में कार्यान्वयन असंगत है।
  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और वित्तपोषण: कुछ कार्यात्मक नसबंदी केंद्र, खराब शल्य चिकित्सा पश्चात् देखभाल और बजट की दीर्घकालिक कमी बड़े पैमाने पर कार्यान्वयन को बाधित करती है।
  • कमजोर आँकड़े और निगरानी: आवारा कुत्तों की जनगणना विश्वसनीय नहीं है और स्वतंत्र ऑडिट के अभाव में रिपोर्ट किए गए परिणामों की पुष्टि संभव नहीं होती।
  • अनुपालन न होना और कानूनी भ्रम: ABC नियमों का बार-बार उल्लंघन और विरोधाभासी न्यायालय/नगरपालिका निर्देश प्रशासनिक निष्क्रियता पैदा करते हैं।
  • उपेक्षित मूल कारण: खुला कचरा, अनियमित भोजन और कम जन जागरूकता नसबंदी अभियानों के बावजूद आवारा कुत्तों की आबादी को बनाए रखते हैं।

जिम्मेदारियाँ और शासन स्तर

  • केंद्र सरकार: PCA अधिनियम के अंतर्गत नियम बनाती है, दिशा-निर्देश/सलाह जारी करती है और कार्यान्वयन की निगरानी करती है।
  • राज्य सरकारें/केंद्रशासित प्रदेश: पशुपालन विभागों, शहरी विकास विभागों के माध्यम से, कार्यान्वयन की प्रत्यक्ष निगरानी करती है; राज्य-विशिष्ट नियम/स्थानीय संशोधन जारी कर सकती है।
  • स्थानीय प्राधिकरण (नगरपालिकाएँ, पंचायतें): इनका दायित्व आवारा कुत्तों की आबादी की पहचान करना, नसबंदी एवं टीकाकरण अभियान संचालित करना, आहार क्षेत्रों का निर्धारण करना, आश्रय स्थलों का रखरखाव तथा नियमित निगरानी सुनिश्चित करना है। ABC नियम इन कार्यों के लिए स्थानीय निकायों पर प्रत्यक्ष दायित्व निर्धारित करते हैं।
  • पशु-कल्याण संगठन (AWO): ABC नियमों के तहत AWBI द्वारा मान्यता प्राप्त; स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा ABC कार्यक्रमों के संचालन के लिए नियोजित किया जा सकता है।

आवारा कुत्तों के प्रबंधन से जुड़े प्रमुख नैतिक पहलू

  • पशुओं की नैतिक स्थिति: पशु नैतिकता इस बात का पता लगाती है कि क्या मानव के अलावा अन्य प्राणियों में आंतरिक नैतिक मूल्य होते हैं या वे केवल मानवीय कर्तव्य द्वारा ही संरक्षित होते हैं।
  • कांटियन परिप्रेक्ष्य – कर्तव्य और तर्कसंगत नैतिकता: इमैनुएल कांट ने आंतरिक मूल्य (स्वयं में साध्य) वाले प्राणियों और केवल साधन मूल्य (साध्य प्राप्ति के साधन) वाले प्राणियों के बीच अंतर किया।
    • कांट के अनुसार, केवल तर्कसंगत प्राणी (मनुष्य) ही स्वायत्त नैतिक इच्छाशक्ति रखते हैं और इस प्रकार उनमें अंतर्निहित नैतिक मूल्य होते हैं। जानवरों में तर्कसंगतता का अभाव होता है, इसलिए उनके पास प्रत्यक्ष नैतिक अधिकार नहीं होते, लेकिन हम उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह हमारे नैतिक चरित्र को दर्शाता है।
  • जैन दर्शन – अहिंसा और सार्वभौमिक करुणा: जैन धर्म का मूल सिद्धांत, अहिंसा, सभी जीवित प्राणियों पर लागू होता है, जो सभी जीवन (जीव) के परस्पर संबंध को मान्यता देता है।
    • निम्नतर प्राणियों को भी पीड़ा पहुँचाना, आध्यात्मिक हिंसा (हिंसा) के रूप में देखा जाता है, जो पीड़ित और कर्ता की नैतिक अखंडता, दोनों को हानि पहुँचाती है।
    • नैतिक रूप से, जैन धर्म का दृष्टिकोण, विनाश के बजाय नसबंदी और देखभाल जैसे गैर-घातक, निवारक उपायों का समर्थन करता है, जो ABC ढाँचे के मानवीय आधार के अनुरूप है।
  • ऋग्वैदिक लोकाचार – सद्भाव और सह-अस्तित्व: ऋग्वेद ब्रह्मांड को एकल, अन्योन्याश्रित व्यवस्था (ऋत) के रूप में देखता है, जहाँ सभी प्राणियों (मानव और गैर-मानव) को सृष्टि में उचित स्थान प्राप्त है।
    • स्तोत्रों में मानव जीवन और नैतिक जीवन में साथी के रूप में पशुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई है, जिसका अर्थ है कि प्रभुत्व में उत्तरदायित्व निहित है, शोषण नहीं।
    • इस प्रकार, आवारा पशुओं का नैतिक प्रबंधन धर्म की अभिव्यक्ति बन जाता है, जो प्रजातियों के बीच सद्भाव और ब्रह्मांडीय संतुलन को बनाए रखता है।
  • पशु जीवन का आंतरिक मूल्य: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए. नागराजा एवं अन्य (2014) के मामले में निहित, पशुओं को सम्मान के साथ जीने का अंतर्निहित अधिकार है।
    • नैतिक शासन के लिए पशु जीवन को करुणा और अनावश्यक पीड़ा से मुक्ति का पात्र मानना ​​आवश्यक है।
  • मानव सुरक्षा बनाम पशु अधिकार दुविधा: कुत्ते के काटने की घटनाएँ और रेबीज से होने वाली मौतें वैध जन-स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा करती हैं।
    • नैतिक रूप से, राज्य की कार्रवाई को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए क्रूरता से बचकर मनुष्यों और पशुओं दोनों को होने वाले नुकसान को कम करना चाहिए।
  • उपयोगितावादी संतुलन और न्याय: नीतियों को मानव और पशु दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम हानि के साथ अधिकतम कल्याण प्राप्त करना चाहिए।
    • नैतिक न्याय बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर समूहों को हमलों से, और आवारा कुत्तों को दुर्व्यवहार या भुखमरी से बचाने की माँग करता है।
  • प्रबंधन और उत्तरदायित्व: पैरेंस पैट्रिया के तहत, राज्य पशुओं के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • नागरिक नैतिक जिम्मेदारी साझा करते हैं: उचित अपशिष्ट निपटान, नियंत्रित पालतू पशु स्वामित्व और नसबंदी कार्यक्रमों का समर्थन।
  • सामुदायिक नैतिकता: आवारा पशुओं का प्रबंधन नागरिक करुणा और सह-अस्तित्व के मूल्यों की परीक्षा लेता है।
    • निर्दिष्ट क्षेत्रों के बिना भोजन पर प्रतिबंध मानवीय नैतिकता की उपेक्षा को दर्शाता है, जबकि अनियमित भोजन दूसरों को खतरे में डालता है, दोनों ही नैतिक संतुलन की विफलताएँ हैं।
  • पशु जीवन का आंतरिक मूल्य: भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम ए. नागराजा एवं अन्य (2014) में निहित, जानवरों को सम्मान के साथ जीने का अंतर्निहित अधिकार है।
    • नैतिक शासन के लिए गैर-मानवीय जीवन को करुणा के योग्य और अनावश्यक पीड़ा से मुक्ति की पहचान करने की आवश्यकता है।
  • मानव सुरक्षा बनाम पशु अधिकार दुविधा: कुत्ते के काटने की घटनाएँ और रेबीज से होने वाली मौतें वैध सार्वजनिक-स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ पैदा करती हैं।
    • नैतिक रूप से, राज्य की कार्रवाई को नागरिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए क्रूरता से बचते हुए मनुष्यों और जानवरों दोनों को नुकसान कम करना चाहिए।
  • उपयोगितावादी संतुलन और न्याय: नीतियों को मानव और पशु दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम हानि के साथ अधिकतम कल्याण प्राप्त करना चाहिए।
    • नैतिक न्याय यह अपेक्षा करता है कि बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर समूहों को हमलों से तथा आवारा कुत्तों को दुर्व्यवहार या भुखमरी से संरक्षित किया जाए।
  • प्रबंधन और जिम्मेदारी: पैरेंस पैट्रिया के तहत, राज्य जानवरों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • नैतिक जिम्मेदारी साझा करना: उचित अपशिष्ट निपटान, नियंत्रित पालतू स्वामित्व, और नसबंदी कार्यक्रमों के लिए समर्थन।
  • सामुदायिक नैतिकता: आवारा प्रबंधन नागरिक करुणा और सह-अस्तित्व मूल्यों का परीक्षण करता है।
    • निर्दिष्ट क्षेत्रों के बिना भोजन पर प्रतिबंध मानवीय नैतिकता की उपेक्षा को दर्शाता है, जबकि अनियमित भोजन दूसरों को खतरे में डालता है, दोनों ही नैतिक संतुलन की विफलता हैं।
  • नैतिक निर्णय सिद्धांत 
    • नुकसान कम-से-कम करना: हस्तक्षेपों को अनावश्यक दर्द देने से बचना चाहिए।
    • आनुपातिकता: प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयाँ (अधिकार करना, स्थानांतरण) सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यकता से अधिक कठोर नहीं होनी चाहिए।
    • जवाबदेही: प्रशासकों को मानवीय तर्क के माध्यम से कार्यों को उचित ठहराना चाहिए, न कि सुविधा या लोकलुभावनवाद के माध्यम से।

पैरेंस पैट्रिया

  • यह एक कानूनी सिद्धांत है, जिसके तहत राज्य स्वयं की देखभाल करने में असमर्थ लोगों, जैसे कि नाबालिगों या जानवरों, के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
  • पशु कल्याण न्यायशास्त्र में, इसका अर्थ है कि समाज की ओर से जानवरों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है।

सार्वजनिक सुरक्षा और पशु कल्याण को संतुलित करने के उपाय

  • वैज्ञानिक जनसंख्या नियंत्रण: ABC नियम 2023 लागू करना, हत्या के मानवीय विकल्प के रूप में नसबंदी, रेबीज रोधी टीकाकरण और कृमि मुक्ति।
    • प्रत्येक जिले में पर्याप्त रूप से सुसज्जित पशु जन्म नियंत्रण केंद्र स्थापित करना।
  • सार्वजनिक-स्वास्थ्य सुरक्षा उपाय: अस्पतालों में एंटी-रेबीज टीकों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना। कुत्ते के काटने के प्रबंधन और रेबीज निगरानी के लिए त्वरित-प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल अनिवार्य करना।
  • संस्थागत जवाबदेही: सार्वजनिक संस्थानों में नोडल अधिकारी नियुक्त करना (सर्वोच्च न्यायालय आदेश 2025 के अनुसार) और त्रैमासिक निरीक्षण अनिवार्य करना।
    • लापरवाही के लिए दंड के साथ नगर निकायों द्वारा अनुपालन ऑडिट की आवश्यकता है।
  • अपशिष्ट और खाद्य-स्रोत प्रबंधन: खुले कचरे को समाप्त करके ठोस-अपशिष्ट नियमों को सख्ती से लागू करना, जो आवारा आबादी को बनाए रखने वाला प्राथमिक खाद्य स्रोत है।
    • RWA और स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से निर्दिष्ट फीडिंग जोन का निर्माण करना।
  • सार्वजनिक जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता: उत्तरदायी पालतू स्वामित्व को बढ़ावा देना,  पालतू जानवरों की लाइसेंसिंग, टीकाकरण और नसबंदी करना।
    • नागरिकों को कुत्ते के व्यवहार, काटने की रोकथाम और मानवीय सह-अस्तित्व पर शिक्षित करना
  • डेटा-संचालित निगरानी: साक्ष्य-आधारित नीति निर्धारण के लिए केंद्रीकृत आवारा-कुत्ते और रेबीज डेटाबेस बनाए रखना।
    • मापने योग्य ABC कार्यक्रम के परिणामों के साथ नगरपालिका वित्तपोषण को संबद्ध करना।

आवारा कुत्ते संकट से निपटने के अन्य उपाय

  • बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण अभियान: भूटान के राष्ट्रव्यापी त्वरित कुत्ता आबादी प्रबंधन और रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (वर्ष 2021-2023) को दोहराएँ, जिसने समय के साथ आवारा कुत्तों की 100% नसबंदी और टीकाकरण हासिल किया।
  • गोद लेने के लिए प्रोत्साहन: नीदरलैंड का मॉडल, स्टोर से खरीदे गए कुत्तों पर उच्च कर लगाकर और आश्रयों से गोद लेने को बढ़ावा देकर, सड़क पर उपस्थित कुत्तों की आबादी को लगातार कम कर रहा है।
  • समुदाय-आधारित प्रबंधन: स्थानीय समुदायों कोकलेक्ट-न्यूटर-वैक्सिनेट-रिटर्न’ (CNVR) दृष्टिकोण के साथ मिलकर, अपने क्षेत्रों में कुत्तों को खिलाने, टीकाकरण और निगरानी में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • पालतू पुलिस: उपेक्षा और परित्याग को दंडित करना, पालतू जानवरों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना और आवारा संख्या को कम करने के लिए समर्पित पशु कल्याण प्रवर्तन इकाई की स्थापना करना।

निष्कर्ष

एक मानवीय राज्य कानून, नैतिकता और कार्रवाई में करुणा के माध्यम से सह-अस्तित्व प्राप्त करते हुए मानव सुरक्षा और पशु गरिमा दोनों की रक्षा करता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.