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जलवायु परिवर्तन पर सूचना अखंडता पर घोषणा

Lokesh Pal November 17, 2025 02:09 12 0

संदर्भ

ब्राजील के बेलेम में आयोजित UNFCCC COP-30 में, सदस्य देशों ने विश्व की पहली ‘जलवायु परिवर्तन पर सूचना अखंडता पर घोषणा’ को अपनाया है।

  • घोषणा-पत्र में औपचारिक रूप से यह मान्यता दी गई है कि जलवायु संबंधी जानकारी की अखंडता को बनाए रखना, शमन, अनुकूलन और वित्त के साथ-साथ जलवायु कार्रवाई का एक मुख्य घटक है।” 

सूचना अखंडता (Information Integrity) क्या है?

  • इसका तात्पर्य यह सुनिश्चित करना है कि जलवायु संबंधी जानकारी सटीक, साक्ष्य-आधारित, पारदर्शी और निःशुल्क हो, जिससे समाज जलवायु नीति और कार्रवाई पर सूचित निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
  • ‘सूचना अखंडता’ का तात्पर्य गलत सूचना और डेटा विरूपण के प्रति प्रतिरोध से भी है।

घोषणा के बारे में

  • ग्लोबल फर्स्ट: यह जलवायु संबंधी गलत सूचनाओं और भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए पहली वैश्विक प्रतिबद्धता है।
  • हस्ताक्षरकर्ता देश: इस घोषणा-पत्र पर बारह देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें ब्राजील, कनाडा, चिली, कोस्टा रिका, फिनलैंड, फ्राँस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, स्पेन, यू. के., अमेरिका और वानुअतु शामिल हैं।
  • घोषणापत्र का उद्देश्य: इस घोषणा-पत्र का उद्देश्य जलवायु संबंधी गलत सूचनाओं और भ्रामक सूचनाओं का मुकाबला करना है और यह सुनिश्चित करना है कि सटीक जलवायु जानकारी वैश्विक स्तर पर प्रसारित हो।
  • तर्क: घोषणा-पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि यदि लोगों को जलवायु संबंधी तथ्यों के बारे में गुमराह किया जाता है या उनके साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो जलवायु कार्रवाई सफल नहीं हो सकती।
    • सटीक जानकारी पेरिस समझौते की सफलता और भविष्य के जलवायु लक्ष्यों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

अब क्यों?

  • AI-जनित डीपफेक, कॉरपोरेट ग्रीनवाशिंग और ध्रुवीकृत डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के उदय ने जलवायु संबंधी गलत सूचनाओं के अभूतपूर्व स्तर को जन्म दिया है, जो अक्सर विश्वसनीय दिखने के लिए वैज्ञानिक भाषा की नकल करते हैं।

जलवायु संबंधी गलत सूचना की चुनौती

  • झूठे आख्यानों का प्रसार: जलवायु संबंधी गलत सूचनाएँ अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच गई हैं, खासकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, जहाँ उत्सर्जन, तापमान वृद्धि के रुझान और नवीकरणीय ऊर्जा परिवर्तनों की लागत के बारे में भ्रामक दावे अक्सर वैज्ञानिक भाषा की नकल करते हैं, जिससे विश्वसनीयता का भ्रम उत्पन्न होता है।
  • जनता के विश्वास और नीति पर प्रभाव
    • गलत सूचना जनता के विश्वास को कमजोर करती है, नीतिगत कार्रवाई में विलंब करती है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आवश्यक राजनीतिक सहमति को कमजोर करती है।
    • संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि विश्वसनीय जानकारी के बिना, समाजों के लिए सूचित निर्णय लेना और सामूहिक कार्रवाई करना मुश्किल होता है।

घोषणा-पत्र के अंतर्गत प्रमुख प्रतिबद्धताएँ

  • सूचना अखंडता को बढ़ावा देने के लिए:
    • संयुक्त अनुसंधान, तथ्य-जाँच और शिक्षा पहल।
    • गलत सूचनाओं का पता लगाने और उनका मुकाबला करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, पत्रकारों, नागरिक समाज संगठनों और वैज्ञानिकों के साथ सहयोग।
    • विश्वसनीय जलवायु डेटा तक खुली पहुँच सुनिश्चित करना।
  • सूचना संचारकों की सुरक्षा: यह घोषणा-पत्र पत्रकारों, शोधकर्ताओं, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों की सुरक्षा पर जोर देता है, जो वैज्ञानिक जानकारी का संचार करते हैं और अक्सर उत्पीड़न का सामना करते हैं।
  • मानवाधिकारों के साथ समन्वय: यह पहल मानवाधिकार सिद्धांतों के साथ अपने प्रयासों को संरेखित करती है, तथा यह सुनिश्चित करती है कि गलत सूचना के विरुद्ध लड़ाई में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सत्यापित डेटा तक पहुँच की भी रक्षा हो।

महत्त्व

  • सूचना अखंडता पर पहला विषयगत दिवस: यह घोषणा-पत्र COP के इस मुद्दे पर केंद्रित पहले विषयगत दिवस के साथ जारी किया गया।
  • सार्वजानिक पत्र: CAAD और UCS ने ‘जलवायु कार्रवाई के लिए सच की आवश्यकता: COP30 को सूचना अखंडता को संहिताबद्ध करना चाहिए’ (Climate Action Requires Truth: COP30 Must Codify Information Integrity) शीर्षक से एक सार्वजानिक पत्र जारी किया, जिस पर 375 से अधिक संगठनों और विशेषज्ञों के हस्ताक्षर हैं।
  • चेतावनियाँ
    • दुष्प्रचार जनता का विश्वास कम करता है, नीति निर्माण में विलंब करता है और राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म, निगमों और सरकारों को जलवायु संबंधी झूठ को बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • सार्वजानिक पत्र में प्रस्तावित प्रमुख उपाय: जलवायु नीति के अंतर्गत सूचना अखंडता पर राष्ट्रीय ढाँचे की स्थापना, पत्रकारिता को मजबूत करना, जवाबदेही सुनिश्चित करना, मुखबिरों की सुरक्षा करना और खुले डेटा को बढ़ावा देना।

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