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सारंडा वन

Lokesh Pal November 17, 2025 02:16 16 0

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड सरकार को सारंडा वन को वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षण रिजर्व घोषित करने का निर्देश दिया, जो 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि सतत् खनन प्रबंधन योजना (MPSM) के तहत छह कंपार्टमेंटों को इस अधिसूचना से छूट दी जा सकती है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के मुख्य विवरण

  • अधिसूचना की समय सीमा: राज्य को वर्ष 1968 की अधिसूचना के अनुसार, वन के 126 खंडों को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने के लिए तीन महीने की समय सीमा दी गई है।
  • पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन: न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद-48A और 51A(G) तथा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 26A को अपने निर्णय का आधार बताते हुए पर्यावरण संरक्षण तथा विकास आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • जनजातीय अधिकारों का संरक्षण: न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अभयारण्य क्षेत्र के भीतर जनजातीय और सामुदायिक अधिकार अप्रभावित रहेंगे।
    • उसने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह यह प्रचारित करे कि वन अधिकार अधिनियम आदिवासियों और वनवासियों के व्यक्तिगत तथा सामुदायिक अधिकारों की रक्षा करता रहेगा।
  • खनन प्रतिबंध: सर्वोच्च न्यायालय ने गोवा फाउंडेशन बनाम भारत संघ (वर्ष 2023) मामले में अपने पिछले निर्णय को दोहराया, जो किसी भी राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य के एक किलोमीटर के दायरे में खनन पर प्रतिबंध लगाता है।
    • यह प्रतिबंध सारंडा वन पर भी लागू होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि खनन गतिविधियाँ नए घोषित अभयारण्य क्षेत्र को प्रभावित न करें।

कानूनी और पर्यावरणीय ढाँचे

  • राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना, 2017-31
    • न्यायालय ने राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना का संदर्भ दिया, जिसमें संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क को बढ़ाने तथा यथास्थान संरक्षण विधियों के माध्यम से संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के महत्त्व पर बल दिया गया है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
    • न्यायालय का निर्णय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के प्रावधानों पर आधारित है, जो जैव विविधता को संरक्षित करने तथा संवेदनशील क्षेत्रों में खनन जैसी मानवीय गतिविधियों को विनियमित करने के लिए अभयारण्यों की घोषणा को सशक्त बनाता है।

सारंडा वन के बारे में

  • अवस्थिति: सारंडा वन भारत के झारखंड राज्य में जमशेदपुर के पास अवस्थित है और एशिया का सबसे बड़ा साल वृक्ष का वन है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 900 वर्ग किलोमीटर है।
  • नाम का अर्थ: ‘सारंडा’ नाम का अर्थ ‘सात सौ पहाड़ियों की भूमि’ है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: यह वन ऐतिहासिक रूप से सरायकेला के शाही परिवार का निजी शिकारगाह था।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व
    • वनस्पति: इस वन में साल वृक्ष (शोरिया रोबस्टा) का प्रभुत्व है, जो विश्व के सबसे प्राचीन और सतत् साल वनों में से एक है।
      • अन्य प्रमुख प्रजातियों में महुआ, कुसुम और विभिन्न पर्णपाती पौधे शामिल हैं।
    • जीव-जंतु: यह हाथियों, चौसिंघा  मृग, ग्लाइडिंग छिपकलियों (ड्रेको प्रजाति) और स्लोथ बियर का निवास स्थान है।
      • सारंडा को ओडिशा और छत्तीसगढ़ से जोड़ने वाले हाथी गलियारे इस क्षेत्र की वन्यजीव आबादी को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  • मानव जनसंख्या: सारंडा में हो, मुंडा, उराँव और अन्य आदिवासी समूहों जैसे समुदाय निवास करते हैं।
  • आर्थिक महत्त्व: सारंडा में झारखंड के लौह अयस्क भंडार का एक बड़ा हिस्सा लगभग 26% मौजूद है, जो इसे राज्य के इस्पात उद्योग के लिए महत्त्वपूर्ण बनाता है।

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