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वैश्विक मेथेन स्थिति रिपोर्ट, 2025

Lokesh Pal November 19, 2025 02:21 13 0

संदर्भ 

COP-30 में UNEP और जलवायु एवं स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) द्वारा जारी वैश्विक मेथेन स्थिति रिपोर्ट (GMSR) 2025 में चेतावनी दी गई है कि मेथेन उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक प्रयास वर्ष 2030 के वैश्विक मेथेन प्रतिज्ञा (GMP) को पूरा करने के लिए बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं।

मेथेन न्यूनीकरण क्यों महत्त्वपूर्ण है? 

  • मेथेन एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है, जिसकी 20 वर्षों में CO₂ की तुलना में 80 गुना अधिक तापन क्षमता है और यह वर्तमान वैश्विक तापमान में लगभग 0.5°C की वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

  • 60% से अधिक मेथेन उत्सर्जन मानवीय गतिविधियों से होता है।
  • तीव्र कमी निकट भविष्य में जलवायु शमन के सबसे तेज अवसर प्रदान करती है।
  • भारत वैश्विक स्तर पर मेथेन उत्सर्जन के शीर्ष देशों में से एक है, जो मुख्य रूप से पशुधन, चावल की कृषि, अपशिष्ट और जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जित होता है।

GMSR 2025 के प्रमुख निष्कर्ष

  • उत्सर्जन स्तर: मेथेन उत्सर्जन वर्ष 2020 में 352 मिलियन टन (Mt) तक पहुँच गया और वर्तमान कानून के तहत वर्ष 2030 तक इसके 369 मिलियन टन तक बढ़ने का अनुमान है।
  • प्रमुख कारक: कृषि और अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि, मेथेन उत्सर्जन वृद्धि का मुख्य स्रोत बनी हुई है।
  • जोखिम: बढ़ते उत्सर्जन के कारण विश्व वर्ष 2030 तक वर्ष 2020 के स्तर से 30 प्रतिशत की कमी लाने के लक्ष्य से दूर जा रहा है, जो 1.5°C को पहुँच के भीतर रखने के लिए आवश्यक है।
  • अल्प वृद्धि: यूरोप और उत्तरी अमेरिका में नए अपशिष्ट नियम, प्रमुख उत्सर्जक अर्थव्यवस्थाओं में मेथेन प्रशासन में सुधार और वर्ष 2020 से वर्ष 2024 के बीच वैश्विक गैस बाजारों में मंदी ने अनुमानित उत्सर्जन वृद्धि को धीमा करने में मदद की है।
  • बढ़ती प्रतिबद्धताएँ: जून 2025 तक, पेरिस समझौते के 65 प्रतिशत पक्ष अब अपने NDC में मेथेन-विशिष्ट उपायों को शामिल कर रहे हैं, जो वर्ष 2020 से महत्त्वाकांक्षा में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
  • अनुमानित गिरावट: NDC और मेथेन कार्य योजनाओं के पूर्ण कार्यान्वयन से उत्सर्जन इस दशक के चरम पर पहुँच सकता है और वर्ष 2030 तक वर्ष 2020 के स्तर से 8 प्रतिशत नीचे आ सकता है, जो ‘मेथेन उत्सर्जन में अब तक की सबसे बड़ी और सबसे निरंतर गिरावट’ का प्रतिनिधित्व करता है।

क्षेत्रवार अंतर्दृष्टि

  • ऊर्जा क्षेत्र
    • प्रमुख क्षमता: वर्ष 2030 तक वैश्विक मेथेन न्यूनीकरण क्षमता का 72 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा क्षेत्र में निहित है।
    • लागत-प्रभावी समाधान: प्रभावी हस्तक्षेपों के माध्यम से रिसाव का पता लगाना और उसकी मरम्मत, वेंटिंग और फ्लेयरिंग नियंत्रण, वितरण नेटवर्क उन्नयन और तेल, गैस और कोयला संयंत्र संचालन से मेथेन संग्रहण शामिल हैं।
    • नियामक अंतराल: यद्यपि वर्ष 2021 से विनियमों का विस्तार हुआ है, फिर भी प्रवर्तन और पारदर्शिता अपर्याप्त बनी हुई है, विशेष रूप से कोयला क्षेत्र में, वेंटिलेशन एयर मेथेन (VAM) ऑक्सीकरण और प्री-माइन डी-गैसीफिकेशन जैसी प्रौद्योगिकियों के बावजूद।
  • अपशिष्ट क्षेत्र
    • उत्सर्जन में वृद्धि: वर्तमान नीतियों के तहत, अपशिष्ट क्षेत्र से निकलने वाली मेथेन में वर्ष 2030 तक 13 प्रतिशत और वर्ष 2050 तक 56 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।
    • प्रमुख हस्तक्षेप: प्रभावी उपायों में लैंडफिल गैस को अवरुद्ध करना, जैविक अपशिष्ट को खाद या अवायवीय अपघटन में बदलना, निपटान स्थल मानकों को लागू करना, खाद्य अपशिष्ट के स्रोत पृथक्करण को अनिवार्य बनाना और सामुदायिक स्तर पर खाद बनाने को बढ़ावा देना शामिल है।
  • कृषि क्षेत्र
    • क्षेत्रीय हिस्सेदारी: कृषि क्षेत्र वैश्विक मेथेन उत्सर्जन में 42 प्रतिशत का योगदान देता है, जो मुख्यतः किण्वन, चावल की खेती और खाद प्रबंधन से होता है।
    • अनुमानित वृद्धि: बढ़ती खाद्य माँग के कारण वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में 8 प्रतिशत और वर्ष 2050 तक 17 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।
    • शमन उपाय: UNEP ने खाद्य योजकों, बेहतर पशुधन प्रजनन, अनुकूलित चावल की खेती एवं जल प्रबंधन और कृषि अपशिष्ट जलाने पर प्रतिबंध से 24 मीट्रिक टन कमी की संभावना की पहचान की है।
  • डेटा और मापन चुनौतियाँ
    • लगातार कम रिपोर्टिंग: UNEP इस बात पर जोर देता है कि पारदर्शी, उच्च-गुणवत्ता वाला मेथेन डेटा महत्त्वपूर्ण है, फिर भी कम रिपोर्टिंग जारी है, खासकर जीवाश्म ईंधन क्षेत्र में।
    • MRV का महत्त्व: जवाबदेही और लक्षित शमन के लिए निगरानी, ​​रिपोर्टिंग और सत्यापन (MRV) प्रणालियों को मजबूत करना आवश्यक है।
  • मेथेन वित्त अंतराल
    • वर्तमान वित्तपोषण: मेथेन-केंद्रित वित्तपोषण वर्ष 2021-22 में वार्षिक रूप से 13.7 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
    • आवश्यक वित्तपोषण: GMP के अनुरूप तकनीकी शमन प्राप्त करने के लिए वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 127 बिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी, जो वैश्विक जलवायु वित्तपोषण का केवल 6 प्रतिशत है।
    • प्राथमिकता कार्य: इस रिपोर्ट में मजबूत नीतिगत निश्चितता, परियोजना तैयारी के लिए सार्वजनिक और परोपकारी समर्थन, विकासशील देशों को सहायता में वृद्धि और जलवायु, कृषि तथा ऊर्जा योजनाओं में मेथेन को संकेंद्रित करने का आह्वान किया गया है।

वर्ष 2030 वैश्विक मेथेन प्रतिज्ञा (GMP) के बारे में 

  • लॉन्च: COP-26 में कनाडा और यूरोपीय संघ के सह-नेतृत्व में लॉन्च किया गया।
  • सदस्यता: इसमें 159 देश और यूरोपीय आयोग शामिल हैं।
  • मुख्य प्रतिबद्धता: वर्ष 2030 तक वैश्विक मेथेन उत्सर्जन में कम-से-कम 30% की कमी लाना (वर्ष 2020 के स्तर से)।
  • जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखण: स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक परिणामों में सुधार करते हुए 1.5°C को पहुँच के भीतर रखने का समर्थन करता है।
  • चैंपियंस समूह: कनाडा, यूरोपीय संघ, जर्मनी, जापान, माइक्रोनेशिया, नाइजीरिया और UK द्वारा समर्थित।

जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) के बारे में 

  • प्रकार: 200 से अधिक सरकारों, संगठनों, व्यवसायों और वैज्ञानिक संस्थानों की UNEP के नेतृत्व वाली एक स्वैच्छिक वैश्विक साझेदारी।
    • भारत वर्ष 2019 में इसका सदस्य बना।
  • फोकस: अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों, मेथेन, ब्लैक कार्बन, क्षोभमंडलीय ओजोन और HFC को लक्षित करता है।
  • लक्ष्य: तीव्र, मापनीय प्रदूषक न्यूनीकरण के माध्यम से वायु गुणवत्ता में सुधार और जलवायु की रक्षा करना।
  • दृष्टिकोण: उनका कार्य सुदृढ़ वैज्ञानिक विश्लेषण और व्यावहारिक, उपाय-आधारित रणनीतियों पर आधारित है।
  • कार्यान्वयन सहायता: एक समर्पित ट्रस्ट फंड (CCAC ट्रस्ट फंड) द्वारा समर्थित, जो राजनीतिक प्रतिबद्धता और देश में कार्रवाई को सक्षम बनाता है।

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