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कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं का प्रभाव

Lokesh Pal November 19, 2025 02:30 10 0

संदर्भ

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की एक नई रिपोर्ट,  जिसका शीर्षक ‘कृषि और खाद्य सुरक्षा पर आपदाओं का प्रभाव (2025)’, खाद्य उत्पादन में बाधा उत्पन्न करने में आपदाओं की भूमिका पर प्रकाश डालती है और कृषि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए डिजिटल परिवर्तन को एक महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में भी पहचानती है।

रिपोर्ट के मुख्य अंश

  • कुल वित्तीय प्रभाव: आपदाओं के कारण 33 वर्षों (वर्ष 1991-2023) में कृषि क्षेत्र को 3.26 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो औसतन 99 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष है, जो वैश्विक कृषि सकल घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत के बराबर है।
  • खाद्य उत्पादन हानियाँ: आपदाओं के कारण 4.6 बिलियन टन अनाज, 2.8 बिलियन टन फल और सब्जियाँ, और 900 मिलियन टन मांस और डेयरी उत्पादों का नुकसान हुआ है, जिससे प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 320 किलो कैलोरी की कमी आई है, जो औसत ऊर्जा आवश्यकताओं के 13-16 प्रतिशत के बराबर है।
  • मत्स्यपालन पर प्रभाव: समुद्री हीट वेव के कारण वर्ष 1985-2022 के बीच 6.6 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जिससे वैश्विक मत्स्यपालन का 15 प्रतिशत प्रभावित हुआ, हालाँकि 500 ​​मिलियन आजीविकाओं को सहारा देने के बावजूद, आपदा आकलन में ऐसे नुकसानों को काफी हद तक अनदेखा किया जाता है।
  • क्षेत्रीय प्रभाव आकलन
    • एशिया-सबसे बड़ा हिस्सा (47%): बाढ़, चक्रवात और सूखे के कारण एशिया को 1.53 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो उत्पादन के पैमाने और जलवायु संबंधी संवेदनशीलता दोनों को दर्शाता है।
    • अमेरिका-वैश्विक नुकसान का 22%: अमेरिका को बारंबार सूखा, चक्रवात और प्रमुख जिंस फसलों को प्रभावित करने वाले चरम तापमान के कारण 713 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
    • अफ्रीका (सबसे अधिक सापेक्षिक भार): अफ्रीका का नुकसान 611 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 7.4 प्रतिशत है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक आनुपातिक प्रभाव है और खाद्य सुरक्षा तथा ग्रामीण आजीविका पर इसके गंभीर परिणाम हैं।
    • निम्न-मध्यम आय वाले देशों को कृषि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सबसे अधिक 5 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो निम्न-आय वाले देशों (3 प्रतिशत) और उच्च-आय वाले देशों (4 प्रतिशत) दोनों से अधिक है।
    • SIDS (अत्यधिक संवेदनशीलता): छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) को, उत्पादन की कम मात्रा के बावजूद, चक्रवातों, बाढ़ और समुद्र-स्तर में वृद्धि के कारण कृषि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में असमान रूप से अधिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
  • समावेशन अंतराल और पहुँच चुनौतियाँ
    • डिजिटल विभाजन: 2.6 अरब से अधिक लोगों के पास डिजिटलीकरण तक पहुँच नहीं हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण और आपदा-प्रवण क्षेत्रों में हैं, जहाँ कृषि जोखिम सबसे अधिक हैं।
    • मानव-केंद्रित डिजाइन की आवश्यकता: FAO इस बात पर जोर देता है कि डिजिटल परिवर्तन को क्षमता निर्माण, संस्थागत सुदृढ़ीकरण और समावेशी नीति ढाँचों के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
    • समानता संबंधी चिंताएँ: व्यापक लचीलापन लाभ सुनिश्चित करने के लिए नवाचारों को छोटे किसानों, महिलाओं, युवाओं और स्वदेशी समुदायों तक पहुँचना चाहिए।

जोखिम प्रबंधन में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की भूमिका

FAO ने डिजिटल नवाचार को कृषि और खाद्य उत्पादन में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी कारक के रूप में पहचाना है:-

  • AI और रिमोट सेंसिंग: AI, ड्रोन, सेंसर और रिमोट सेंसिंग जैसे उन्नत उपकरण पूर्व चेतावनियों और प्रभाव पूर्वानुमान के लिए हाइपरलोकल, रियल-टाइम निगरानी को सक्षम बनाते हैं।
  • जलवायु जोखिम टूलबॉक्स (CRTB): 200 से अधिक परियोजनाओं में कृषि नियोजन का समर्थन करने के लिए वैश्विक डेटासेट को एकीकृत करता है।
  • लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए मृदा मानचित्रण (SoilFER) प्लेटफॉर्म स्थायी कृषि निर्णयों का मार्गदर्शन करने के लिए मृदा और उर्वरक डेटा का मिलान करता है।
  • फॉल आर्मीवर्म निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली (FAMEWS) प्रणाली: मोबाइल-आधारित निगरानी का उपयोग करके 60 से अधिक देशों में फॉल आर्मीवर्म के संक्रमण पर नजर रखता है।
  • वैश्विक सूचना और पूर्व चेतावनी प्रणाली (GIEWS): GIEWS के माध्यम से आरंभिक कार्यवाहियों से निवेशित प्रत्येक डॉलर पर सात डॉलर तक का रिटर्न प्राप्त होता है।

नीतिगत सिफारिशें

  • डिजिटल नवाचार को बढ़ावा देना: सरकारों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों में डिजिटल समाधानों का विस्तार करना चाहिए।
  • नीतियों में डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करना: FAO दीर्घकालिक लचीलेपन के लिए राष्ट्रीय कृषि नीतियों और रणनीतियों में डिजिटल तकनीकों को शामिल करने का आह्वान करता है।
  • निवेश बढ़ाना: पहुँच और सूचित कृषि निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचे और साक्षरता को मजबूत करना आवश्यक है।
  • सुसंगत ढाँचों को बढ़ावा देना: जोखिम प्रबंधन तकनीकों के विस्तार के लिए मजबूत संस्थागत ढाँचे और नियामक समर्थन महत्त्वपूर्ण हैं।

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