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गंगा नदी बेसिन प्रबंधन

Lokesh Pal November 19, 2025 02:34 11 0

संदर्भ

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति ने गंगा बेसिन में वैज्ञानिक समझ और डेटा-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

प्रमुख स्वीकृत परियोजनाएँ

  • ग्लेशियर माॅनिटरिंग इन हिमालयन गंगा हेडस्ट्रीम्स (Glacier Monitoring in Himalayan Ganga headstreams): राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के नेतृत्व में, यह ऊपरी गंगा बेसिन में ग्लेशियरों के पीछे हटने, बर्फ में परिवर्तन, पिघले हुए जल के बहाव और अचानक बाढ़/GLOF जैसे जोखिमों पर केंद्रित है।
  • गंगा बेसिन के लिए डिजिटल ट्विन और जल चक्र एटलस: रियल टाइम बेसिन प्रबंधन और जलवायु लचीलेपन के लिए AI और रिमोट सेंसिंग का उपयोग करता है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के बारे

  • NMCG, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (DoWR, RD&GR) के अंतर्गत कार्यरत, नमामि गंगे कार्यक्रम की कार्यान्वयन शाखा है।
  • यह सीवेज प्रबंधन, नदी तट विकास, जैव विविधता संरक्षण, ई-प्रवाह प्रबंधन और जन भागीदारी पर केंद्रित है।

  • उच्च-रिजॉल्यूशन सोनार आधारित नदी तल सर्वेक्षण: नमामि गंगे के अंतर्गत तलछट प्रबंधन, जलगतिकी मॉडलिंग और ई-प्रवाह योजना के लिए आधारभूत जलगतिकीय स्थलाकृति प्रदान करता है।
    • सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग): यह एक ऐसी तकनीक है, जो ध्वनि तरंगों का उपयोग करके जल के नीचे की वस्तुओं और सतहों का पता लगाती है, उनकी स्थिति निर्धारित करती है और उनका मानचित्रण करती है।
  • पैलियोचैनलों (Paleochannels) के माध्यम से जलभृत प्रबंधन और पुनर्भरण
    • इस पहल के तहत छह स्थलों पर MAR संरचनाएँ (पुनर्भरण गड्ढे, शाफ्ट) बनाई जाएँगी, डिजिटल जल स्तर रिकॉर्डर (DWLRs) स्थापित किए जाएँगे और पैलियोचैनलों को पुनर्जीवित करने तथा भूजल भंडारण को बढ़ाने के लिए दो जल विज्ञान चक्रों में पुनर्भरण प्रभावों का आकलन किया जाएगा।
  • ऐतिहासिक गंगा मानचित्रों का डिजिटलीकरण और भू-स्थानिक डेटाबेस: पुराने मानचित्रों का डिजिटलीकरण, नदी आकृति विज्ञान, बाढ़ के मैदानों और चैनल प्रवास के विश्लेषण के लिए एक GIS पोर्टल का निर्माण।

नदी बेसिन प्रबंधन के बारे में

  • नदी बेसिन प्रबंधन (RBM) का तात्पर्य नदी बेसिन के जल संसाधनों से जुड़ी सभी प्राकृतिक और मानव निर्मित संरचनाओं तथा प्रक्रियाओं के समन्वित प्रबंधन से है।
  • संस्थागत व्यवस्थाएँ: RBM के लिए एकीकृत योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु राष्ट्रीय गंगा परिषद, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और राज्य गंगा समितियों जैसी समर्पित शासन संस्थाओं की आवश्यकता होती है।
  • प्रदर्शन संकेतक: RBM के लिए जल गुणवत्ता निगरानी, ​​प्रदूषण मूल्यांकन, पारिस्थितिकी खतरे का मानचित्रण, वित्तीय व्यवहार्यता एवं संस्थागत क्षमता जैसे मापनीय संकेतकों के उपयोग की आवश्यकता होती है।

जल और बेसिन प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्य

कार्य विवरण
जल बजट जल के उपयोग की आवश्यकताओं को कवर करते हुए स्थानीय/क्षेत्रीय जल बजट तैयार करना।
सीमा का निर्धारण वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर सतत् उपयोग सीमाएँ निर्धारित करना।
कारकों की पहचान एवं समन्वय मानवीय और प्राकृतिक प्रभावों (जैसे- जलवायु परिवर्तन, भूमि उपयोग) का विश्लेषण करना और प्रभावों का समन्वय करना।
खतरों की पहचान और समाधान संकटग्रस्त जल संसाधनों को प्राथमिकता देंना और उनका समाधान करना।
स्थानीय/क्षेत्रीय जल संसाधनों की पहचान सभी जल निकायों पर व्यापक डेटा संकलित करना।
हितधारक भागीदारी मात्रा, गुणवत्ता और पारिस्थितिकी मुद्दों को संबोधित करने के लिए हितधारकों को शामिल करना।

नमामि गंगे कार्यक्रम

  • शुभारंभ: नमामि गंगे कार्यक्रम, गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण में प्रभावी कमी, पुनरुद्धार और समग्र संरक्षण के लिए वर्ष 2014 में शुरू किया गया एक एकीकृत संरक्षण मिशन है।
  • नोडल मंत्रालय: यह कार्यक्रम केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • मुख्य घटक: नमामि गंगे में सीवेज उपचार अवसंरचना, नदी संस्तर सफाई, औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी, ​​ग्रामीण स्वच्छता, नदी तट विकास, जैव विविधता संरक्षण और वनीकरण जैसे प्रमुख हस्तक्षेप शामिल हैं।
  • वित्त पोषण संरचना: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका बजटीय परिव्यय, अवसंरचना निर्माण और समुदाय-संचालित संरक्षण पहलों, दोनों को समर्थन प्रदान करता है।
  • सामुदायिक भागीदारी: गंगा वृक्षारोपण अभियान, गंगा प्रहरी और गंगा क्वेस्ट जैसे कार्यक्रम नदी संरक्षण में जन भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।

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