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जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI)

Lokesh Pal November 21, 2025 03:29 13 0

संदर्भ

भारत नवीनतम जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) में 13 स्थान गिरकर अब 23वें स्थान पर पहुँच गया है।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) के बारे में 

  • प्रकाशक: CCPI, जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टिट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल द्वारा प्रति वर्ष जारी किया जाता है और वर्ष 2005 से प्रकाशित हो रहा है।
  • उद्देश्य: यह प्रमुख उत्सर्जक देशों के जलवायु कार्रवाई प्रदर्शन का मूल्यांकन और तुलना करता है और उत्सर्जन कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार और प्रभावी जलवायु नीतियों के कार्यान्वयन में उनकी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वैश्विक दायरा: CCPI, 63 देशों और यूरोपीय संघ के जलवायु प्रदर्शन की तुलना करता है, जो कुल मिलाकर वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के 90% से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।
  • मूल्यांकन मानदंड: CCPI 14 संकेतकों वाली चार श्रेणियों में प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है:-
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन – स्कोर का 40%
    • नवीकरणीय ऊर्जा – 20%
    • ऊर्जा उपयोग – 20%
    • जलवायु नीति – 20%।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक के प्रमुख निष्कर्ष

वैश्विक तुलना

  • शीर्ष प्रदर्शनकर्ता: डेनमार्क, यू.के. और मोरक्को क्रमशः चौथे, पाँचवें और छठे स्थान पर रहे, जबकि शीर्ष तीन स्थान रिक्त रहे क्योंकि किसी भी देश को पूर्ण स्कोर नहीं मिला।
  • सबसे खराब प्रदर्शनकर्ता: चीन (54वें), रूस (64वें), अमेरिका (65वें) और सऊदी अरब (67वें) सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले G20 देश थे, जिन्हें बहुत कम अंक मिले।

भारत का जलवायु प्रदर्शन

  • रैंक: 23वें स्थान (पूर्व में 10वाँ) पर खिसकने के बावजूद, भारत नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार के क्षेत्र में वैश्विक औसत से बेहतर प्रदर्शन करता रहा है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियाँ: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और वर्ष 2015 से 2023 के बीच अपने ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा का लगभग 14% योगदान हासिल किया है।
  • गैर-जीवाश्म क्षमता: भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता (लगभग 256 गीगावाट) का 50% से अधिक अब गैर-जीवाश्म स्रोतों से आता है।
  • रैंकिंग में भारत के नीचे होने के कारण
    • बढ़ता हुआ ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: भारत का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है और उत्सर्जन प्रवृत्तियों के मामले में देश सबसे निचले पायदान पर है, जिसका उसके समग्र स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • बढ़ती ऊर्जा खपत: भारत में ऊर्जा खपत में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे देश की रैंकिंग और भी नीचे आ गई है।
    • दुर्बल जलवायु नीति: भारत में कोयला चरणबद्ध उन्मूलन की स्पष्ट योजना का अभाव और कोयला चरणबद्ध उन्मूलन की कोई ठोस समय सीमा न होने के कारण जलवायु नीति श्रेणी में उसके अंकों में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
    • भविष्य में सुधार: CCPI के अनुसार, यदि भारत कोयला विद्युत संयंत्रों के निर्माण को कम करता है और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास में तेजी लाता है तो भविष्य में उसकी रैंकिंग में सुधार हो सकता है।

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