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अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) लघु द्वीप विकासशील राज्य (SIDS) प्लेटफॉर्म

Lokesh Pal November 24, 2025 02:42 12 0

संदर्भ

ब्राजील के बेलेम में COP-30 के दौरान आयोजित अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के लघु द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) प्लेटफॉर्म के नेतृत्व सत्र में भारत ने SIDS की विशिष्ट संवेदनशीलताओं को रेखांकित किया और ऊर्जा सुरक्षा पर संयुक्त वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया।

कार्यक्रम के बारे में

  • इस सत्र ने लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों (SIDS) के मंत्रियों, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के सदस्य देशों और साझेदार संगठनों को एक मंच पर लाकर ऊर्जा सुरक्षा, वहनीयता और अनुकूलन पर सामूहिक कार्रवाई को आगे बढ़ाया।
  • थीम: यूनाइटिंग आइलैंड्स, इन्स्पायरिंग ऐक्शन – लीडरशिप फॉर एनर्जी सिक्योरिटी (Uniting Islands, Inspiring Action – Leadership for Energy Security)।
  • भारत ने SIDS को समर्थन सुदृढ़ करने, अनुभव साझा करने और प्रायोगिक मॉडल प्रस्तुत करने हेतु भाग लिया।

SIDS के बारे में

  • लघु द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) ऐसे द्वीपीय देश हैं, जिनके सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ समान हैं।
  • साझा विकास चुनौतियाँ: इन देशों में संसाधन सीमित होते हैं, अर्थव्यवस्थाएँ संवेदनशील होती हैं और पर्यावरणीय दबाव अत्यधिक होता है।
  • केवल द्वीप नहीं कुछ स्थलीय देश जैसे- बेलीज, गुयाना और सूरीनाम भी SIDS का हिस्सा हैं क्योंकि उनमें समान संवेदनशीलताएँ और विकास संबंधी बाधाएँ हैं।
  • उदाहरण: मालदीव, सेशेल्स, मार्शल द्वीपसमूह, सोलोमन द्वीपसमूह, सूरीनाम, मॉरीशस, पापुआ न्यू गिनी, वनुआतु, गुयाना, सिंगापुर आदि।
  • भौगोलिक समूह: SIDS तीन मुख्य क्षेत्रों में विस्तृत हैं:
    • कैरेबियन
    • प्रशांत
    • अटलांटिक-हिंद महासागर-दक्षिण चीन सागर क्षेत्र
  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता: वर्ष 1992 के UNCED सम्मेलन में SIDS की विशिष्ट चुनौतियों को “विशेष मामला” माना गया और इनके लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता स्वीकार की गई।

SIDS की प्रमुख चुनौतियाँ

  • जीवाश्म ईंधन आयात पर निर्भरता: डीजल आधारित बिजली अत्यधिक महँगी व अस्थिर है।
    •  उदाहरण: किरिबाती अपनी लगभग 85 प्रतिशत बिजली डीजल जनरेटर से प्राप्त करता है।
  • जलवायु प्रभाव: अत्यधिक मौसम परिवर्तन प्रायः विद्युत प्रणालियों को बाधित करता है, ग्रिड को नुकसान पहुँचाता है और लंबे समय तक विद्युत बाधित रहने का कारण बनता है।
    • उदाहरण: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के बाद, बहामास जैसे कैरेबियाई देशों में विद्युत ग्रिड प्रायः भारी नुकसान का सामना करते हैं, जिससे वहाँ के निवासियों को हफ्तों तक बिजली के बिना रहना पड़ता है।
  • मीठे पानी का संकट: जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि से मीठे जल के जलभृतों में खारे जल  के प्रवेश के कारण मीठे जल के संसाधनों को खतरा उत्पन्न होने की संभावना है।
    •  उदाहरण: बहामास लगभग पूरी तरह भूजल पर निर्भर।
  • अवसंरचनात्मक सीमाएँ: सीमित भूमि, छोटे ग्रिड और अविकसित भंडारण प्रणालियाँ, बाह्य सहायता के बिना परिवर्तन को कठिन बना देती हैं।
    •  उदाहरण: टोंगा जैसे कई प्रशांत द्वीपीय देशों में ऊर्जा अवसंरचना विस्तार कठिन है।
  • वित्तीय बाधाएँ: उच्च पूँजी लागत, रियायती वित्त की कमी और बैंक योग्य परियोजनाओं का अभाव।
    • उदाहरण: मालदीव में वित्तीय अवसंरचना सीमित होने से अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को वित्त प्राप्त करना कठिन है।

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का लघु द्वीपीय विकासशील राज्य (SIDS) प्लेटफॉर्म

  • यह प्लेटफॉर्म अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और विश्व बैंक की संयुक्त पहल है, इसका उद्देश्य SIDS में सौर ऊर्जा प्रयोग तथा ऊर्जा संक्रमण तीव्र करना है।
  • यह एक डिजिटल और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में कार्य करता है, जो द्वीपीय देशों के लिए समेकित खरीद, मानकीकृत निविदा, मिश्रित वित्त समाधान और क्षमता निर्माण जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
  • मुख्य फोकस क्षेत्र
    • मानकीकृत खरीद: कीमतें कम होती हैं, विखंडित अनुबंधों से बचा जाता है और स्थापना समय-सीमा में तेजी आती है।
    • मिश्रित वित्त विकल्प: अनुदान, कम ब्याज दर वाले ऋण और निजी निवेश को मिलाकर सौर ऊर्जा को किफायती बनाया जाता है।
    • डिजिटल परियोजना प्रबंधन प्रणालियाँ: प्रगति पर नजर रखने, पारदर्शिता बढ़ाने और कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने में मदद करती हैं।
    • क्षमता निर्माण: स्थानीय कार्यबल को सौर प्रणालियों के संचालन और रखरखाव के लिए प्रशिक्षित करता है, जिससे बाहरी निर्भरता कम होती है।
    • तकनीक तक आसान पहुँच: यह सुनिश्चित करता है कि SIDS को बिना किसी देरी या बढ़ी हुई लागत के उच्च-गुणवत्ता वाले सौर उत्पाद मिलें।

भारत की स्वच्छ ऊर्जा उपलब्धियाँ

  • एक प्रमुख राष्ट्रीय उपलब्धि को पार करते हुए 500 गीगावाट से अधिक स्थापित क्षमता।
  • भारत ने अपने राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) लक्ष्य से पाँच वर्ष पहले ही 50% गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल कर ली है।
  • वैश्विक स्थिति: भारत अब विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक और सौर ऊर्जा में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • इन उपलब्धियों का श्रेय स्पष्ट राजनीतिक दृष्टिकोण, महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों, बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों और जमीनी स्तर पर भागीदारी को दिया गया।

SIDS के साथ साझा भारतीय सौर मॉडल

  • रूफटॉप सोलर (पीएम सूर्य घर)
    • उद्देश्य: प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत, भारत का लक्ष्य घरों की छतों पर सौर ऊर्जा की स्थापना को बढ़ावा देना, ऊर्जा स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और देश के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देना है।
    • लक्ष्य: इस पहल का लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश भर में 1 करोड़ छतों पर सौर ऊर्जा लगाना है, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण घरों में सौर ऊर्जा की पहुँच बढ़ाना है।
    • 20 लाख से अधिक घरों में छतों पर सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे बिजली के बिल के मूल्य कम हुए हैं या बिल्कुल नहीं रहे हैं।
    • छत पर सौर ऊर्जा को घरेलू स्तर पर ऊर्जा स्वतंत्रता के रूप में स्थापित किया गया है, जिससे परिवार अपनी स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं और अतिरिक्त ऊर्जा से कमाई भी कर सकते हैं।
  • कृषि हेतु सौर ऊर्जा
    • उद्देश्य: कृषि के लिए सौर ऊर्जा पहल का उद्देश्य किसानों, विशेष रूप से दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में, डीजल और ग्रिड बिजली पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए, सौर ऊर्जा से सिंचाई और पंपसेट उपलब्ध कराना है।
    • लाभ: यह योजना किसानों को लागत प्रभावी सिंचाई समाधान प्रदान करती है और कृषि पद्धतियों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती है।
    • कार्यान्वयन: यह पहल प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना का हिस्सा है, जो सिंचाई के लिए सौर पंपों की स्थापना और कृषि के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देती है।
    • लाभों में शामिल हैं
      • शून्य डीजल उपयोग,
      • पूर्वानुमानित सिंचाई कार्यक्रम,
      • कम इनपुट लागत,
      • विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा के कारण कम दवाब।
    • यह मॉडल दर्शाता है कि कैसे सौर ऊर्जा ग्रामीण आजीविका को मजबूत बनाती है और कृषि उत्पादकता को बढ़ाती है।
  •  ग्रामीण तथा आदिवासी विद्युतीकरण (पीएम जन-मन)
    • उद्देश्य: दुर्गम व नक्सल प्रभावित ग्रामीण-आदिवासी क्षेत्रों में सौर आधारित मिनी ग्रिड, स्ट्रीट लाइटिंग और ऑफ-ग्रिड समाधान।
    • कार्यक्षेत्र: यह पहल राष्ट्रीय ग्रिड तक सीमित पहुँच वाले दूरदराज के समुदायों के लिए सौर ऊर्जा आधारित मिनी ग्रिड, सौर स्ट्रीट लाइटिंग और ऑफ-ग्रिड विद्युतीकरण समाधान पर केंद्रित है।
  • सौर + बैटरी मेगा परियोजनाएँ
    • उद्देश्य: सौर + बैटरी मेगा परियोजनाएँ, सौर ऊर्जा उत्पादन को ऊर्जा भंडारण समाधानों (बैटरी का उपयोग करके) के साथ जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर किए जाने वाले उपक्रम हैं, ताकि चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके, भले ही सूर्य का प्रकाश उपलब्ध न हो।
    • कार्यान्वयन: ये परियोजनाएँ ग्रिड स्थिरता, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा हैं।
    • उदाहरण: आगामी लद्दाख सौर-बैटरी परियोजना, जिसे रात में पूरे शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त ऊर्जा संगृहीत करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • यह मॉडल विशेष रूप से SIDS के लिए उपयोगी है, जहाँ भंडारण क्षमता का अभाव है और जो वर्तमान में रात में बिजली के लिए डीजल पर निर्भर हैं।

भारत का वैश्विक आह्वान

  • भारत की सिफारिश: भारत ने साझा वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करते हुए सम्मेलन का समापन किया और देशों से जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन तथा सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के मार्ग के रूप में सौर ऊर्जा को अपनाने का आग्रह किया।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन बढ़ाना: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलित प्रणालियाँ न केवल जलवायु परिवर्तन के लिए बल्कि सामाजिक-आर्थिक रूप से भी एक प्राथमिकता हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि नवीकरणीय ऊर्जा सुलभ, सस्ती और सतत् हो।

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