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सुरक्षित प्रसंस्करण, चटपटे स्वाद से अधिक महत्त्वपूर्ण है

Lokesh Pal November 24, 2025 05:30 82 0

संदर्भ:

भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरी है, विशेष रूप से अनौपचारिक खाद्य बाजारों में, जिनका पर्याप्त निगरानी के बिना विस्तार हो रहा है।

अनौपचारिक खाद्य संदूषण की समस्या

  • बढ़ती चिंताएं: भारतीय स्ट्रीट फूड सांस्कृतिक रूप से प्रतिष्ठित है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर सवाल बढ़ रहे हैं।
  • चौंकाने वाले स्वच्छता उल्लंघन: जुलाई 2024 में चेन्नई में 58 पानी पूरी विक्रेताओं पर की गई छापेमारी में दूषित पानी के उपयोग और अत्यधिक खराब स्वच्छता प्रक्रिया का खुलासा हुआ, जिसमें चटनी के साथ सीधे हाथ का संपर्क भी शामिल था।
  • विनियामक कठिनाई: अनौपचारिक खाद्य क्षेत्र में लाखों विक्रेता बिना उचित रिकॉर्ड के कार्य करते हैं, जिससे विनियमन, निरीक्षण और जवाबदेही अत्यंत कठिन हो जाती है।
  • FSSAI की सीमाएं: 2006 के अधिनियम के तहत गठित FSSAI राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है, लेकिन पूरे भारत में प्रत्येक अनौपचारिक खाद्य आउटलेट का भौतिक परीक्षण या निगरानी नहीं कर सकता है।

पैकेज्ड फूड के सुरक्षित दिखने के कारण

  • पता लगाने की क्षमता और जवाबदेही: दोषपूर्ण पैकेज्ड खाद्य पदार्थ का पता उसके निर्माण स्रोत से लगाया जा सकता है, जिससे कंपनियों को दंड या लाइसेंस रद्द होने के जोखिम के कारण मानकों को बनाए रखने के लिए बाध्य होना पड़ता है, जबकि स्ट्रीट फूड के संबंध में पता लगाने की क्षमता का अभाव होता है।
  • उन्नत प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी: पाश्चुरीकरण जैसी तकनीकें हानिकारक रोगाणुओं को खत्म करती हैं और शेल्फ लाइफ बढ़ाती हैं, जिससे सूक्ष्मजीव सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • लेबलिंग के माध्यम से पारदर्शिता: पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर सामग्री, एलर्जी और समाप्ति तिथियां घोषित की जानी चाहिए, जिससे उपभोक्ता को सूचित विकल्प प्राप्त हो सके।
  • छिपी हुई भूख को दूर करने के लिए फोर्टिफिकेशन: उद्योग अक्सर सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने के लिए आवश्यक विटामिन और खनिज का उपयोग करते हैं।

अनौपचारिक खाद्य स्रोतों से स्वास्थ्य जोखिम

  • खाद्य जनित बीमारियों का उच्च बोझ: ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) की रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 10 करोड़ भारतीय प्रतिवर्ष खाद्य जनित बीमारियों से पीड़ित होते हैं, जिसके कारण लगभग 1 लाख मौतें होती हैं, जो ज्यादातर अनौपचारिक खाद्य स्रोतों से जुड़ी होती हैं।
  • पुनः उपयोग किए गए तेल से संबंधित खतरे: सड़क पर सामान बेचने वाले विक्रेता अक्सर पैसे बचाने के लिए तेल का पुनः उपयोग करते हैं, जिससे ट्रांस वसा का निर्माण होता हैं, जो कैंसर के खतरे को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।
  • FSSAI तेल मानक का गैर-अनुपालन: FSSAI के अनुसार, जब टोटल पोलर कंपाउंड्स 25% से ज़्यादा हो जाते हैं, तो तेल का डिस्पोज़ल करना अनिवार्य हो जाता है, लेकिन सड़क पर इस पर बहुत कम नज़र रखी जाती है।
  • घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री: विक्रेताओं द्वारा आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली सस्ती और मिलावटी सामग्री से अक्सर पेट और जठरांत्र संबंधी रोग होता हैं।

खाद्य सुरक्षा हेतु सरकारी पहलें

  • ईट राइट इंडिया मूवमेंट: वैज्ञानिक रूप से सूचित और स्वस्थ भोजन व्यवहार को बढ़ावा देने वाला एक राष्ट्रव्यापी अभियान।
  • स्वच्छ स्ट्रीट फूड हब योजना: सरकार प्रमुख स्ट्रीट फूड क्लस्टरों की पहचान करती है, स्वच्छता संबंधी बुनियादी ढाँचे को उन्नत करती है, और मानकों को पूरा करने के बाद उन्हें प्रमाणित करती है।

आगे की राह

  • व्यवस्थित सुधार: उनकी विशाल संख्या और आर्थिक कमजोरी को देखते हुए, विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाना असंभव है; इसके बजाय, सार्वजनिक स्वास्थ्य और भारत की वैश्विक छवि के लिए व्यवस्थित सुधार की आवश्यकता है।
  • प्रशिक्षण पहल: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नगर निकायों के साथ मिलकर विक्रेताओं को स्वच्छता, भंडारण और सुरक्षित संचालन प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।

निष्कर्ष

स्ट्रीट फ़ूड से भावनात्मक लगाव समझ में आता है, लेकिन जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहिए। भारत को अपने स्ट्रीट फ़ूड इकोसिस्टम को भावना-आधारित प्रथाओं से हटाकर एक संरचित, विज्ञान-आधारित और स्वास्थ्यकर मॉडल की ओर ले जाना चाहिए ताकि सभी की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: यद्यपि अनौपचारिक खाद्य क्षेत्र भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक ताने-बाने का अभिन्न अंग है, फिर भी संगठित पैकेज्ड खाद्य उद्योग की तुलना में इसे गंभीर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हाल की चिंताओं के आलोक में, जन स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक सुदृढ़ नियामक ढाँचे की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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